Category: मठ मंदिरों की अनसुनी कहानियाँ

जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 5 अंतिम भाग

जाह्नवी अप्सरा की कथा एक साधक, एक वृद्ध स्त्री, और एक वृद्ध पुरुष के चारों ओर घूमती है। साधक की साधना, मगरमच्छों का आक्रमण, और गंगा माता का अद्भुत चमत्कार – यह कथा केवल रहस्यमयी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक भी है।

जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 4

जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 4

इस भाग में अग्निदेव की परीक्षा अपने चरम पर पहुँचती है। बैल का हमला, साधक का संघर्ष, और गंगा नदी में मगरमच्छ से सामना – ये सब मिलकर एक अद्भुत रहस्यमयी कथा का निर्माण करते हैं। जानिए कैसे साधक ने अपनी परीक्षा को पार करने का प्रयास किया और माता गंगा के आशीर्वाद से किस तरह चमत्कार घटित हुआ।

जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 3

अग्निदेव, जो कि एक तांत्रिक साधक थे, अचानक एक वैद्य से मिलते हैं। लेकिन रात के अंधेरे में वैद्य का स्वरूप बदल जाता है और वह एक स्त्री के रूप में प्रकट होता है। उसकी हंसी भयावह और कानों को चीर देने वाली थी।

क्या यह माया थी?
क्यों अग्निदेव इस मायाजाल को समझ नहीं पाए?

इस रहस्य का खुलासा जल्द ही होता है जब वह स्त्री कहती है: “अरे मूर्ख, मैं वही हूं जो वैद्य और कन्या दोनों बनी।”

जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 2

we continue the enchanting story of Apsara Jhanvi and the tantric Agnidev. Drawn by her celestial beauty, Agnidev attempts to bind Jhanvi using his tantric powers. However, Jhanvi warns him of dire consequences if his intentions remain impure. The story unfolds amidst moonlit rivers, enchanted forests, and a chilling underwater trial where Agnidev faces his ultimate test. A tale of love, ambition, and divine retribution, this episode explores the boundaries of devotion and desire, leaving viewers spellbound with its mystical allure.

यह कथा एक राजकुमार की है, जो अनुरागीनी नामक यक्षिणी के प्रेम में पड़ जाता है और उसे प्राप्त करने के लिए तांत्रिक के कहने पर माता त्रिपुर भैरवी की कठिन तपस्या करता है। माता त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होकर राजकुमार को दिव्य शक्तियां देती हैं, जिससे वह तांत्रिक से युद्ध करता है। हालांकि, तांत्रिक अनुरागीनी को यक्षलोक भेज देता है।

अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 5 अंतिम भाग

यह कथा एक राजकुमार की है, जो अनुरागीनी नामक यक्षिणी के प्रेम में पड़ जाता है और उसे प्राप्त करने के लिए तांत्रिक के कहने पर माता त्रिपुर भैरवी की कठिन तपस्या करता है। माता त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होकर राजकुमार को दिव्य शक्तियां देती हैं, जिससे वह तांत्रिक से युद्ध करता है। हालांकि, तांत्रिक अनुरागीनी को यक्षलोक भेज देता है। अंततः, माता त्रिपुर भैरवी प्रकट होकर राजकुमार को बताती हैं कि वह अनुरागीनी को इस जीवन में नहीं, बल्कि अगले जन्म में प्राप्त करेगा। यह कहानी मिर्जापुर के एक प्राचीन मंदिर से जुड़ी है।

"रात का घना अंधकार था, और तांत्रिक अपने कुछ सहयोगियों के साथ जंगल में हवन कर रहा था। मंत्रों का गूंजता हुआ स्वर दूर-दूर तक सुनाई दे रहा था, लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह हवन किसके लिए हो रहा है। दूसरी ओर, राजकुमार अपनी प्रेमिका अनुरागिनी के लिए व्याकुल था, जिसे एक काले साये ने उठा लिया था। तांत्रिक ने रहस्य से परदा उठाया—अनुरागिनी कोई साधारण कन्या नहीं, बल्कि यक्षिणी थी, जो श्राप के कारण इस धरती पर विचरण कर रही थी। अब उसे पाने के लिए राजकुमार को उस बलशाली तांत्रिक से युद्ध करना होगा, जो अनुरागिनी की शक्तियों का उपयोग करने की योजना बना रहा था।"

अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 4

“रात का घना अंधकार था, और तांत्रिक अपने कुछ सहयोगियों के साथ जंगल में हवन कर रहा था। मंत्रों का गूंजता हुआ स्वर दूर-दूर तक सुनाई दे रहा था, लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह हवन किसके लिए हो रहा है। दूसरी ओर, राजकुमार अपनी प्रेमिका अनुरागिनी के लिए व्याकुल था, जिसे एक काले साये ने उठा लिया था। तांत्रिक ने रहस्य से परदा उठाया—अनुरागिनी कोई साधारण कन्या नहीं, बल्कि यक्षिणी थी, जो श्राप के कारण इस धरती पर विचरण कर रही थी। अब उसे पाने के लिए राजकुमार को उस बलशाली तांत्रिक से युद्ध करना होगा, जो अनुरागिनी की शक्तियों का उपयोग करने की योजना बना रहा था।”

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