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महाभारत के अभिमन्यु घंटा करण का भाई बनना

मै अपने सभी अनुभव धर्म रहस्य चैनल पर प्रसारित कर रही हूं और किसी दूसरे चैनल पर मेरा कोई अनुभव प्रकशित नहीं होगा इसकी पूरी ज़िमेदारी मेरी हैं । गुरु देव को प्रणाम गुरु जी ये बात 2011 की है जब मै अपने परिवार के साथ उत्तराखंड में क्षेत्रीय देवता घंटा करण की पूजा और उनके मन्दिर में दर्शन के लिए गई थी । जब हम मन्दिर पहुंचे तो वहां पर गाव की लड़कियां एक कतार में भेट लेकर खड़ी थी । पूछने पर माँ ने बताया की घंटा करण महाभारत के अर्जुन के बेटे अभिमन्यु है जो लड़कियों की पुकार बोहोत जल्दी सुनते हैं और मेरी बुआ ने जब ये कहा कि मैं पूजा में नही जा सकती हूं क्योंकि मेरे घुटने दर्द कर रहे है । वो बहाना बना रही थी क्युकी घंटा करण अभिमन्यु देवता के मंदिर जाने के लिए पहाड़ों के रास्ते से जाना पड़ता है ।

जैसे ही वो कमरे में जाकर बिस्तर पर लेटी तो किसी ने उनको पकड़ कर कमरे से बाहर निकाल दिया और पता नहीं उनको इतनी ताकत कहां से मिली जो बूढी होने पर भी वो बिना लाठी के सहारे चढ़ाई करती पर वे हम से पहले मन्दिर पहुंच गई ।  माँ ने ये भी कहा कि लड़कियां तो अपने ससुराल से भी और मायके से भी इनके लिए भेंट लाती हैं । पता नहीं क्यूँ पर जब मै मन्दिर की चौखट पर आई तो मेरे मुह से घंटा करण देवता को प्रणाम बोलने की जगह मैने कहा की हे महाभारत के अभिमन्यु आप सिर्फ 16 साल की उम्र में सबसे अकेले लड़े थे । हे भाई अभिमन्यु घंटा करण अगर फिर आना हुआ तो मैं अपने भाई के लिए भी बाकी लड़कियों की तरह भेट ज़रूर लाऊंगी और घर आकर मै मा को बिना बताए घंटा करण मतलब अभिमन्यु के नाम की ज्योत जलाकर पूजा का लाल धागा चढ़ा कर बोलती की भाई अभिमन्यु अपनी बहन की तरफ से ये राखी स्वीकार करो ।

जब मेरी शादी हुई और मेरी सास और जेठानी ने मुझ पर कलंक लगाया और तलाक़ की वजह से मै तनाव में रहने लगी तब मुझे माँ की बाते झूटी लगी कि अभिमन्यु लड़कियों की रक्षा और पुकार बोहोत जल्दी सुनते हैं । अगर ये सच होता तो मुझे इंसाफ और मेरी सास और जेठानी को घंटा करण देवता ने उनको कोई दंड क्यू नही दिया । मैने अपने मन में कहा की क्यू मैं उसको भाई मानकर रखी बांधू, जब मुझ पर कलंक लगा तब वो मेरी रक्षा के लिए नही आया । पर जब पिताजी और मेरी तबीयत बिगड़ी, इतनी की मैं एक पैर से अपाहिज हो गई तब रिश्तेदारो ने बताया की इसकी सास भैरव को पुकार रही है । तब कुछ महीनों बाद मैने फिर से अभिमन्यु घंटा करण देवता के नाम का  दिया जलाकर राखी चढा कर आवाहन करते हुए बोला, की मेरी रक्षा करो हम भैरव से अपनी रक्षा नही कर सकते ।

तभी मेरी बुआ के बेटे जिनसे मेरी कभी बात नहीं होती थी उनका फोन आया और उन्होने कहा की मैं अपने परिवार के साथ आपसे मिलने आ रहा हूं । हमने सोचा की शायद वो अपनी शादी का कार्ड देने के लिए आ रहे है और जब वो आए तो मैं जहाँ भी जाती वो मुझे बोलते अरे भुली मतलब बहन पहाड़ी भाषा में छोटी बहन को बुली बोलते है । वो बोले की मैं इतनी दूर से सिर्फ अपनी बहन से मिलने के लिए आया हूं ज़रा अपने अभिमन्यु भाई से बात तो कर ले आकर मेरे पास बैठ, अपने भाई से थोड़ा तो बात कर ले ।

मुझे लगा की शायद मेरे कान खराब हो गए है या हो सकता है कि भाई का दूसरा नाम अभिमन्यु होगा और वो बार बार मेरे पास आकर पूछ रहे थे कि क्या तू अब भी अपने भाई अभिमन्यु से नाराज़ है । मैने भाई से पूछा कि भाई आप ने कभी बताया नही की आपका दूसरा नाम अभिमन्यु है और ये सुनते ही वो हंस कर बोले अरे बुली तू तो  मेरा इशारा संकेतो को अब भी नहीं समझी जब मैने भाई से पूछा कि क्या आपका दूसरा नाम अभिमन्यु है तब वो हसते हुए बोले अरे बुली तू अब भी इशारा संकेतो को नही समझी । क्युकी मैं भाई से पहली बार बात कर रही थी । उनके चेहरे पर एक अलग सा तेज़ था क्युकी मैं पहली बार बात कर रही थी तो बोहोत अजीब लग रहा था । मैंने बात को पलटते हुए कहा की क्या आपकी शादी तय हो गई है । उन्होंने कोई जवाब नही दिया मैने बोला की भाई बोलो ना इतने साल बाद आपका आना कैसे हुआ ।

तब भाई ने कहा कि अभी तुम्हारे पिताजी को आने दो जब पूरा परिवार एक साथ होगा मैं तब बताऊंगा कि मै यहां क्यू आया हूं और मेरा दूसरा नाम अभिमन्यु है कि नहीं । मुझे भाई की बाते बिल्कुल समझ नहीं आ रही थी । तभी मां ने मुझे बुलाया जब मै रसोई में गई तो मा ने फटकारते हुए कहा की माना की वो तेरा भाई है लेकिन एक लड़की का सारा काम छोड़कर बाहर सब के सामने बैठना अच्छा नहीं लगता । जब मैने रसोई से बाहर झांक कर देखा तो भाई मुझे ही देख रहे थे और आपने पास आकर बैठने का इशारा कर रहे थे । इतने में पिताजी दफ्तर से घर आए, तो जैसे ही पिताजी कमरे में आकर बैठकर और सब से बात कर रहे थे, हाल चाल पूछ रहे थे उसी समय भाई पर देवता आ गया और उससे भी अजीब बात ये थी की वो मेरे लिए रो रहे थे । वो मेरे तरफ इशारा करते हुए बोले की मैं यहां इसके लिए आया हूं ।

बुआ ने पूछा कि आप कौन हो इतने में मैने रसोई में जाकर मां को बताया की जल्दी से बाहर आओ भाई पे कोई देवता आया है भाई बार बार बोल रहे थे कि मै अपने धाम से इसके लिए आया हूं । भाई चिल्लाकर बोले की मैं हूं घंटा करण देवता अभिमन्यु । तब मा ने रोते हुए कहा की देवता तू अब तक कहाँ था ? मेरी बेटी पर उन सास बहू ने कलंक लगाया तब तू कहा था ? उसका तलाक़ हो गया तब तू कहा था ? हमारा अपमान हुआ तब तू कहा था ? जो तुम आज आए हो तब घंटा करण अभिमन्यु देवता ने कहा की ऐसी बात नहीं है । ध्यानी उत्तराखंड में बड़ी  उम्र की आर्तो को ही ध्यानी बोला जाता है । अभिमन्यु देवता ने कहा की हम देवी देवताओं के भी कुछ नियम होते है ।

जब तक कोई हमारे मंत्रो का जाप करके या हमारे नाम की ज्योत जलाकर हमारा आवाहन नही करता, तब तक हम कुछ नहीं करते और जब तेरी बेटी ने मेरा आवाहन किया तो मैं आया हूं । माँ ने रोते हुए कहा की हमे न्याय दिला घंटा करण देवता हे अभिमन्यु । तब भाई बोले मैं उन दोनों सास बहू को दण्ड तो देकर रहूंगा ऐसा बोलकर भाई शान्त हो गए गुरु जी बाहर के लोग तो ये भी नही जानते हैं कि माँ कली के साथ भैरव , हनुमान , और अभिमन्यु  मेरे प्यारे भाई भी साथ चलते है ।किस्मत से हमें जब रिश्तेदारों से पता चला की इसकी सास तुम्हारा बूरा करने के लिए भैरव को पुकार रही है ।

उन्हीं दिनों मेरी और पीताजी की सेहत बहुत खराब होती जा रही थी तभी हमें किस्मत से वो महिला मिली जिस पर काली आती थी उसने मेरी सास का भैरव तंत्र को पलट दिया और मां से कहा की जो तेरे परिवार के साथ होने वाला था वार पलटने से अब वो इसकी सास के साथ होगा और तभी खबर आई कि मेरी सास का बेटा मर गया और जेठानी की बेटी अपाहिज हो गई हैं जिस पर आपने वीडियो भी बनाई थी ।

लेकिन जब माँ को पता चला की मै लाल धागा राखी मान कर चढ़ाती हूं तो माँ ने कहा की देवता देवता होता है तू अपनी बराबरी उनसे कर रही है ।तब से मैने पूजा का लाल धागा राखी बांधना बन्द कर दिया ।पता नहीं क्यू पर मेरे गुरु मंत्र जप के समय मेरा ध्यान घंटा करण देवता अभिमन्यु के मन्दिर की तरफ चला गया और मैने कहा की हे अभिमन्यु मैने अपने मन से आपको भाई माना था ।लेकिन ये मुझसे भूल हो गई क्युकी आप तो स्वर्ग में रहने वाले देवता हो । उसके कुछ दिन बाद मुझे सपने में एक लड़का दिखा जो अपनी कलाई मेरी तरफ कर के राखी बांधने का इशारा कर रहा था । मैंने कहा भाई मेरे पास राखी नही है कि तभी मेरे हाथ में वही लाल धागा आया जो माँ दुर्गा की पूजा करने और अखंड ज्योत जलने के लिए होता है ।

मैने कहा की भाई आप इसको राखी समझे ऐसा बोलकर मैने उस लड़के को सपने में राखी बांधी जब ये सपना मैने अपनी मां को बताया तोह उन्होंने कहा की कुछ समय पहले मुझे भी सपने में घंटा करण अभिमन्यु जो हैं वे माँ काली के साथ खड़े मुझे नज़र आए तब माँ ने क्षमा मांगते हुए मुझसे कहा की आज से तू अपने भाई को राखी लाल धागा बांधना ।

गुरु जी मेरा प्रश्न ये है की क्या वो एक सपना था या सच में घंटा करण मतलब अभिमन्यु मुझसे सपने में वही पूजा का लाल धागा मतलब राखी बांधने का इशारा कर रहे थे और क्या देवता सच में हम इंसानों को अपना मान सकते है या ये मेरी कोई कल्पना थी कृपया बताएं ?

संदेश – हाँ देवता भी वैसा ही संबंध हमसे बना लेते हैं है जैसे हमारी मन की भावना होती है लेकिन उस रूप मे उन्हे सिद्ध करने के लिए उनकी साधना मंत्र और सही पूजा पद्धति से करना आवश्यक है ।


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