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माँ कामाख्या शक्ति रजवंती योगिनी कथा और साधना भाग 1

माँ कामाख्या शक्ति राजवंती योगिनी कथा और साधना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज मैं आपके लिए एक अत्यंत गोपनीय तांत्रिक साधना और 1 योगिनी की कथा लेकर उपस्थित हुआ हूं, जिसका सीधा संबंध माता के कामाख्या मंदिर से है। और यह साधना!

और उस के संदर्भ में बहुत सारे लोगों ने। कहा था कि अंबुबाची मेले के दौरान क्या कोई अत्यंत गोपनीय साधना की जा सकती है। इसकी जानकारी लेकर आए तो मैं आज आपके लिए इसी कथा और मंदिर के रहस्य के विषय में जानकारी लेकर उपस्थित हूँ।

सबसे पहले हम माता के कामाख्या मंदिर के विषय में जान लेते हैं। माता का कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या क्षेत्र में स्थित है।

इसी से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत भी स्थित है। देवी मां सती का मंदिर है। यह और यह मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर का विशेष महत्व है और तंत्र के क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध क्षेत्र कामाख्या क्षेत्र को ही माना जाता है।

नीलांचल पर्वत नील शैल पर्वत मालाएं मां भगवती कामाख्या और इनकी रहस्यमई शक्तियां यहां विराजमान है। यहां पर मां भगवती का जो स्वरूप है, महामुद्रा योनी कुंड स्थित है और यह 51 शक्तिपीठों में प्रथम स्थान पर आता है। इस संबंध में यह कथा आती है कि जब देवी सती ने अपने शरीर का आत्मदाह कर लिया तब भगवान विष्णु के चक्र से उनके शरीर का ध्वंस करना आवश्यक था क्यों  कि भगवान शिव जो कि सती के जले हुए शव को अपने साथ लेकर इधर-उधर कर घूम रहे थे। उन्हें माया से मुक्त होना आवश्यक था। तब भगवान विष्णु ने। देवी माता सती पर चक्र चला दिया और यह चक्र उनके शरीर के अंगों को धीरे-धीरे काटकर गिराता रहा। जहां-जहां यह अंग काटकर गिरे उन स्थानों पर देवी के विभिन्न स्वरूप। स्थापित हुए और उनका पूजन तब से लेकर आज तक हो रहा है। इसी में सबसे महत्वपूर्ण देवी का योनि स्थान यहां पर गिरा था। क्योंकि योनि स्त्री का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। कारण कि यहीं से कोई भी स्त्री किसी नए प्राणी को जन्म देती है। संतान को इस जीवन रूपी।

सागर में लेकर के आती है इसी कारण से। योनिमात्र के स्वरूप में पूजित होता है। मंत्र भी आता है  ” या देवी सर्व भूतेषू मातृ रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । मां कामाख्या का यह सिद्ध पीठ देवी के ग्रंथ

कुलावर्णतंत्र और महाभगवती पुराण में बताई गई है

इतना भी स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है। यहां पर?

अंबुबाची पर्व का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष!

देवी इस वक्त रजस्वला हो जाती हैं। इसको हिंदी में और अंग्रेजी में मासिक धर्म के नाम से। पीरियड के नाम से जाना जाता है। इस दौरान मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं।

इस वक्त जब यह द्वार इस मंदिर के बंद रहते हैं उस वक्त!

श्रद्धालुओं के लिए भी यह मंदिर बंद कर दिया जाता है लेकिन यह तीन चार दिनों की अवधि में।

देवी की गुप्त रूप से साधना करने से विभिन्न प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती है क्योंकि इस वक्त देवी गुप्त स्वरूप में होती है, लेकिन फिर भी जागृत अवस्था होती है क्योंकि देवी की योनि से रक्त का स्त्राव होता है और यह चमत्कार देखने में भी आता है। उस योनि से रक्त निकलता है तो सारी की सारी ब्रह्मपुत्र नदी आसपास का क्षेत्र लाल रंग का हो जाता है।

इतनी अधिक मात्रा में रक्त स्राव होता है। इसी श्राव से जो कपड़े।

रखे जाते हैं, वह लाल हो जाते हैं और इसका बाद में विभिन्न भक्तों में उसे बांटा जाता है।

और यह रक्त प्रवाह लगातार तीन दिनों तक जारी रहता है।

कामाख्या तंत्र में कहा गया है- योनि मात्र शरीराय कुंजवासिनि कामदा।रजोस्वला महातेजा कामाक्षी ध्येताम सदा॥शरणागतदिनार्त परित्राण परायणे ।सर्वस्याति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते ।।

राजराजेश्वरी कामाख्या रहस्य महाविद्याओं। ग्रंथों के स्वरूप में अंबुबाची पर्व के दौरान यहां के कपाट बंद करके तंत्र मंत्र की विभिन्न प्रकार की सिद्धियां की जाती है। उस वक्त तांत्रिक मांत्रिक अघोरियों का बड़ा जमघट यहां पर साधना के लिए गुप्त रूप से उपस्थित रहता है। देवी को सिद्ध करने का वक्त बड़ा ही अद्भुत। प्रयोग जारी रहता है।

योनि स्थान कामाख्या पुराने समय से ही तंत्र के स्वरूप में बहुत ज्यादा प्रभावशाली माना गया है और। जागृत तंत्र इस वक्त किए जाते हैं। इस क्षेत्र में मच्छिंद्रनाथ, गोरखनाथ, लोना चमारी, इस्माइल जोगी। ऐसे बहुत सारे नाम आते हैं जिन्होंने यहां आकर अलौकिक सिद्धियों को प्राप्त किया था।

यह साधना का ऐसा समय होता है जब गुप्त रूप से आकर यहां पर साधना की जाए तो अद्भुत लाभ देखने को मिलते हैं। कामाख्या! मंदिर परिसर हालांकि बंद रहता है लेकिन फिर भी देवी को प्रसन्न करने के लिए इस वक्त गुप्त तरीके से तांत्रिक साधना की जाती है।

मैं  बात करूंगा उस महान शक्तिशाली योगिनी के विषय में जो इस वक्त जब तक देवि का रजस्वला स्वरुप ।

जागृत रहता है उस वक्त उनकी सेवा में उपस्थित रहती है।

और इस देवी का नाम है रजवंती योगिनी।

यह देवी कौन है इनका प्रभाव क्या है, इनकी कथा क्या है और इनकी तांत्रिक साधना को आप कैसे कर सकते हैं। इस पर्व के दौरान क्योंकि उस वक्त देवी के चारों तरफ रहकर उनकी रक्षा करती हैं। उनकी सेवा करती हैं और अगर इनकी सेवा उस वक्त की जाए, इन्हें सिद्ध करने का प्रयास किया जाए तो सिद्ध होकर दुर्लभ सिद्धियां प्रदान कर सकती हैं।

इस कथा का प्रारंभ होता है।

आज से कई- कई 100 वर्ष पूर्व। यहां पर एक तांत्रिक!

आया हुआ था।

एक तांत्रिक इस क्षेत्र को अपनी तंत्र विद्या के माध्यम से जान चुका था कि यह स्थान योनि तीर्थ है और यहां पर देवी का। बहुत ही गुप्त स्वरूप। निवास करता है।

यहां पर विशेष तरह की सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है।

यहां पर आकर साधना शुरू कर देता है।

उसे साधना करते हुए। काफी दिन यहां बीत जाते हैं। कि तभी एक रात्रि को अचानक से।

वह देखता है कि?

जिस क्षेत्र में जहां पर देवी की योनि बनी हुई है। क्षेत्र में काला अंधकार प्रकट होने लगा है।

क्योंकि देवी के वहां पर रहकर उपासना किया करता था तो उसके मन में यह विचार आता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? उसे चल कर देखना चाहिए।

तब हुआ देखता है कि जब योनिक्षेत्र की तरफ़ बढ़ता है? जो कि प्राकृतिक रूप से बनाई गई है।

उसके नजदीक जाने की कोशिश करता है लेकिन जा नहीं पाता है। उसके चारों तरफ अलग तरह का एक धुआं सा निर्माण हो चुका था? इस भूमि के अंदर प्रवेश करने पर वह बार-बार भटक जा रहा था। जिस भी मार्ग से यह जिधर से भी वह जाता था। कहीं और दिशा में जाकर निकलता था?

देवी की योनि के पास पूजा करने के लिए वह नहीं पहुंच पा रहा था।

इस बात को समझने के लिए उसने। एक मशाल जला ली। ताकि प्रकाश के कारण रात्रि के समय वह अच्छी प्रकार से देख सके।

फिर से देवी की ओर अपने।

पैर बढ़ा दिए ताकि वह उनके नजदीक पहुंच सके, लेकिन एक बार फिर से वैसा ही कुछ घटित हुआ। और देवी की ओर जाने वाला उसका मार्ग फिर से वह भटक गया।

भरे अंधकार में वह बात समझ नहीं पा रहा था। तब उसने अपनी तंत्र शक्ति का प्रयोग किया और मार्ग सीधा सीधा खुल गया।

सामने उसे स्पष्ट रूप से देवी के योनि से रक्त का श्राव होते दिखाई पड़ रहा था। इसीलिए वह तेजी से उधर की ओर जाने लगा ताकि वह देवी के स्वरूप को देख सके। कि तभी अचानक से। एक शक्तिशाली।

हाथ में गदा ली हुई। एक 21 वर्षीय युवती दिखाई पड़ी, विरोध में कहने लगी तांत्रिक यहां से चला जा। अन्यथा मैं तुझे बहुत मारूंगी।

तब उस तांत्रिक ने कहा देवी तुम कौन हो और मुझे? रोकने की सामर्थ्य। तुम्हारे अंदर नहीं है। मैं बड़ा ही सिद्ध तांत्रिक हूं। देवी की संपूर्ण सिद्धि के लिए ही यहां पर आया हूं और इस समय में देवी के पास उपस्थित होना चाहता हूं तब उससे।

स्त्री ने कहा, यह देविका रजस्वला समय है।

ऐसा समय है जब देवी रजस्वला स्वरूप में कष्ट में है इसलिए उनके आसपास इस वक्त कोई नहीं जाएगा।

और उनकी इच्छा से मैं प्रकट हुई हूं।

मैं उनकी सेवा करूंगी। देवी नहीं चाहती कि उनके करीब कोई आए। इसीलिए मैं तुम्हें यहां से जाने के लिए कहती हूं। जाओ। तुरंत यहां से चले जाओ। अन्यथा मैं तुम पर प्रहार कर दूंगी। पर तांत्रिक नहीं माना और वह देवी की ओर बढ़ने लगा तब उस देवी ने जोर से गदा। तांत्रिक की छाती पर मारी। तांत्रिक दूर जाकर गिरा और क्रोध में भर गया।

इसके बाद आगे क्या हुआ जानेंगे कथा के आगे के विषय में और उस दिव्य योगिनी की सिद्धियों के विषय में जानकारी के लिए आप? इंस्टामोजो स्टोर से इस साधना को खरीद सकते हैं और रजवंती योगिनी की साधना कर सकते हैं। माता कामाख्या को समर्पित यह।

भजन आप लोग अवश्य सुने।

आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां शक्ति।

माँ कामाख्या शक्ति रजवंती योगिनी कथा और साधना भाग 1

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