Site icon Dharam Rahasya

माँ काली साधना वरदान बना अभिशाप

नमस्कार गुरूजी, धर्म रहस्य चैनल के दर्शको को मेरा प्रणाम। प्लीज मेरा नाम और पता किसी को ना बताए। मेरा नाम…… हैं। मैं ग्राम भण्डारीगाव का निवासी हुं। जोकि पिथौरागढ डिसटिक मे स्थित है। जिसका राज्य उतराखण्ड है। मै अनुभव २९/०७/२०२१ को भेज रहा हु जोकि सिर्फ धर्म रहस्य चैनल को भेज रहा हु और इसकी समस्त जिम्मेदारी मेरी है कि ये किसी और चैनल पे नही दिखाया जायेगा। प्लीज इसमे मेरी पर्सनल कहानी और काली मां से जुड़ी कहानी है ज्ञान सम्पूर्ण नही है तो माफ करना और इस तरीके से बताना की मेरी आईडेटी रीवील ना हो और आप अगर अनुभव ना बताना चाहे ये सब आपके उपर है लेकिन मेरी प्रशनो का उत्तर देने का कपा करे। धर्म रहस्य का चैनल मे २ या ३ साल से देख रहा हु। मुझे इस चैनल की सभी कहानिया बहुत पसंद है। हिंदी टाइपिग मे कोई कमी हो तो माफ कर देना क्योकि १० साल बाद टोईपिग का रहा हु तो बहुत सारी गलतिया मिलेगी। हमारे घर से ८ किमी मां महाकाली का सिद्धि शक्ति पीठ है, जोकि गंगोलिहाट नामक स्थान पर उपस्थित है। वैसे तो मेरे पास बहुत सारी कहानिया है। जिनमे से कुछ मे आपको बताउगा। मान्यता है कि यहा पेहले नर बलि होती थी। इससे पहले मे आपको आगे कुछ बताउ प्लीज ये बलि वाला हिस्सा मत बताना। जिनकी नर बलि होती थी वो हमारे कुल मे होती थी इसलिए हम लोगो को मौत भी कहा जाता है। तो कहानी यह है कि हमारे कुल मे जिनकी बलि होती थी वो किसी भी परिवार का पहला बच्चा होता था। एक बार की बात है कि जब किसी परिवार वाले कि बारी आई तो वह बच्चा वहा से भाग गया जिस्से हमारे गांव का निर्माण हुआ। दूसरी कहानी यह है कि जब शंकराचार्य यहा पर आए तो जब वो मां महाकाली के जगह से गुजरे तो उनका शरीर वही पर जड हो गया वो आगे नही बढ पा रहे थे। उनको वहा पर एक शक्ति का एहसास हुआ। थोडा ध्यान करने

पर उनको मां महाकाली का एहसास हुआ जोकि ज्वाला के रुप मे थी। तो उन्होने मंत्र पर उनको मां महाकाली का एहसास हुआ जोकि ज्वाला के रुप मे थी। तो उन्होने मंत्र कि शक्ति से बाध दिया। उन्होने ही फिर यहा नर बलि को समाप्त कर बकरे की बलि को आरम्भ कराया। एक कहानी ये है कि जब दूसरा विश्व युद्ध हो रहा था तो हमारी भारत की सेना इग्लेड की तरफ से बर्मा के पास लड़ रही थी तो इसमे हमारी सेना समुद्र मे लड़ रही थी। अचानक स्थिति ऐसी बनी की जहाज खराब होके डुबने लगा फिर जहाज का कैपटन ने बोला आखरी कुछ मिनट बचे है सब अपने भगवानो को याद कर लो, क्योकि समुद्र मे इतनी जल्दी मदद नही बुलाई जा सकती थी तो सबने सोचा अब कुछ नही हो सकता। क्योकि वह कुमाउनी बतालियन थी तो सबने काली मां का जयकारा लगाना चालू कर दिया, देखते देखते चमतकार घटित हो गया, वह जहाज जो डुब रहा थी अचानक से किनारे आ लगा और सब की जान बच गयी। तब से जब भी मौका मिलता है बटालियन हर साल यहा पूजा करने आती है और मंदिर में एक घंटा मौजूद है जोकि लाहौर से पैदल लाया गया था। दूसरी कहानी हमारे कुल की ये है की क्योकि नर बलि हमारे कुल की ही होती थी तो एक बार की बात है कि हर रोज सुबह माता अपने गणो के साथ स्नान करने जाती थी जाकि अभी भी जारी है रोज उनके बिस्तर मे सिलवटे दिखाई देती है जो किसी के सोने का एहसास कराती है। मान्यता यह थी कि जो कोई भी माँ की डाली को कन्धा दे देगा माँ उनको कोई भी वरदान दे देती थी। उस टाइम यह कार्य बहुत कठिन होता था क्योकि अगर माँ के गणो ने जोकि राझस होते थे अगर आपको देख लिया तो आपकी मौत तय थी। तो उनसे बच के आपको माँ की डोली को कंधा देना था।

तो सब लोग डर रहे थे अपनी जान सभी को प्यारी होती है। फिर एक आदमी ने साहस कर के बोला मे करुगा। तो एक शुभ दिन देख के यह कार्य करने का निश्चय किया गया। तो वो घड़ी आ चुकि थी जब हर किसी का भला होने वाला था। जब मां की डोली निकल रही थी तो उस आदमी ने मोका देख कर मां को कंधा दे दिया, उसके साहस से खुश होके माँ ने उसको अपना वर मांगने को कहा। तो उस व्यक्ति ने अमरता का वरदान मांगा अपने पूरे कुल के लिए। माँ ने उसको यह वरदान दे दिया। वह गांव जाके सारी बात गांव वालो को बता दी। पर जो लोग अमरता का वरदान पा के खुश हो रहे थे। उनको यह पता नही थी एक विकट समस्या उनका इतेजार कर रहा थी। वह लोग अमर तो हो गए थे लेकिन रोगो से मुक्त नहि थे। यह ही सबसे बड़ी समस्या के रुप मे उत्पनं हुई। क्याकि लोग अमर तो हो गए थे लेकिन असाध्य रोगो से तड़प रहे थे। काफी साल यह समस्या रही। फिर लोगो ने वहि करने का निश्चय किया जोकि उनके पुरवजो ने किया था मां कि डोली को कंधा देना। मां को कंधा देने के प्रयास मे बहुत लोग अपनी जान भी गवा देते थे। एक दिन एक व्यक्ति सफल हो गया। उसने मां की डोली को कंधा दे दिया। पर जिस बात के लिए वह खुश हो रहा था वह अभीशाप के रुप मे बदलने वाली थी। क्योकि जब मां ने देखा यह तो वही कुल का व्यक्ति है तो मां इस बार बहुत गुस्सा हो गयी ।तो क्योकि बहुत साहस के साथ उसने यह कार्य किया था तो मां तो मां होती है मां ने कहा मांग क्या

चाहिए तझे तो उसने मां को असाध्य रोगो के बारे में बताया। मां ने सबको असाध्य रोगो से मुक्ति 

चाहिए तुझे तो उसने मां को असाध्य रोगो के बारे मे बताया। मां ने सबको असाध्य रोगो से मुक्ति दी। पर क्योकि मां गुस्सा थी तो साथ मे ऋाप भी दे दिया अब तुम्हारे कुल के पास अमरता का वरदान नही रहेगा साथ ही तुम्हारे कुल मे अब को भी व्यक्ति लम्बी आयु प्राप्त नही कर पायेगा। तो यह कहानी थी सच्ची घटना पे आधारित। आप इसका हेडिग वरदान बना अभिशाप भी दे सकते है। अब कहानी से हट के मे अपने घर की समस्या पे आपका ध्यान लाना चाहुंगा। कृप्या मेरा नाम किसी को ना बताए दुश्मन बहुत है एवं काफी कम लोग बचे है घर मे। मे आपकी गुरु दिक्षा लेना चाहता हु जैसे हि धन जमा हो जाएगा ले लुगा। लेकिन हमारे क्षेत्र मे बलि होना आम बात तो सभी खाते है। कुल देवता भी बलि लेते है। तो मेरे बहुत से प्रशन है जोकि मे अंत मे पुछगा। आगे जो भी मे आपसे पूछगा उसका विडियो मत बनाना। मै नही चाहता इस कारण मेरे परिवार कोई नुकसान हो। तो बात अपने परिवार की करता हु। मेरे परदादा के पिता के दो पुत्र हुए। एक पुत्र के ५ लड़के हुए तथा १ का सिर्फ १ पुत्र हुआ, तो मुझे लगता है हमारा परिवार सबसे बड़ा था गांव मे। तो दादा जी सबसे बड़े थे जोकि पुलिस मे थे। उनकी पहली पत्नी घास काटते वक्त खाई में गिर के गुजर गयी। फिर दादा जी ने दूसरी शादी की जिनसे मेरे पिता हुए। मुझे सही मे पता तो नही है पर जब हम सो जाते थे तो जो भी पापा मेरी मां को बताते थे मे सुन लेता था। तो जो हमारे परिवार में एक दादा जी की बीवी है वो हमे पसंद नही करती थी। तो मेरे परिवार की सारी कहानी इसी औरत के बारे में है। जिसकी कारण हमारा पूरा परिवार बरबाद हो गया है। जब मेरे पापा १९ या २० के थे मेरी दादी का देहांत हो गया। उनकी आखरी इच्छा थी की एक बार उस तांत्रिक औरत से बात कर लेती। लेकिन बुलाने पर भी वो नही आई। दादी के देहात के बाद जो १३ दिन होते है तो हमारे यहा मान्यता है कि परिवार की सारी औरते जल धारा पे स्नान करने आती है लेकिन वो औरत १३ दिन में कभी नही आई।

मेरे पापा पेहले दो भाई और एक बेहन थे लेकिन मेरे चाचा की कम उमर मे ही स्वर्गवास हो गया। मेरे पिता की जब शादी हुए तो जब भी मेरी मां उनके यहा का खाना खा लेती थी वो बहुत बिमार पड़ जाती थी। बहुत बार एसा होने पर पिताजी ने उनलोगो से बात करना बंद कर दिया। हम दो भाई है लेकिन पहले हमारी बहन भी थी जिसकी देहांत अल्प आयु मे हो गया था। मे तो मानता हु वो भी उसी औरत के कारण गई। इससे पहले मे बता दु मेरी बहन मेरे से १ साल बड़ी थी जब हम ६ साल के हुए तो अच्छी शिझा के लिए पिता ने मुझे और मेरी बहन को मेरे नाना के यहा भेजा जहा हम ५ साल रहे जब तक मेरी बहन गुजर नही गयी। हम हर गरमी की छुटटी मे दो महिने के लिए घर आते थे। जब एक बार हम गरमी मे घर आए तो कुछ दिनो के बाद उसकी तबियत बहुत खराब हो गयी तो उसे डिसटिक अस्पताल ले जाया गया जहा उसका देहांत हो गया। उसके बाद मां ने मुझे वापस नाना के यहा जाने से मना कर दिया। मेरे दादा भी गुजर चुके है २००३ मे। मेरी उम्र २७ है ८/४/१९९३ है। इष्ट देवो और मेरी काली मां के कारण हमारा काम नही रुकता था और रक्षा भी हो जाती है। अब मे कुछ अनुभव अपने पिता का भी बता देता है। कि मेरे पिता का भी कार्य मे बहत सहायता थी काली मां के कारण हमारा काम नही रुकता था और रक्षा भी हो जाती है। अब मे कुछ अनुभव अपने पिता का भी बता देता हु। कि मेरे पिता का भी कार्य मे बहुत रुची थी हमेसा पूजा पाठ करते थे। मेरे पापा २०-२५ साल राजनिति मे थे आप उनको आजकल के नेताओ जेसा ना समझे केवल क्षेत्र के अध्यक्ष होने पे भी उनकी ख्याति विधायक जैसी थी। तो एक बार की बात है रात को घर आने देर हो गई वो एक और व्यक्ति के साथ आ रहे थे तो उस व्यक्ति का घर हमारे बगल के गांव मे पड़ता था। पापा ने बोला मे

तुझे घर छोड़ दुगां फिर वापस आ जाउगा। तो जब उसको छोड़ के पापा वापस आ रहे थे तो बीच मे एक खाई पड़ती है जहा पर एक बार बस गिर गयी थी तो कुछ लोगो का देहात हो गया था। कुछ लोगो को पेरानार्मल अनुभव होते थी वहा पर कभी ना कभी गाडी गिर जाती है। तो पापा को लगा मे तो पहाड की तरफ गाडी चला रहा हु ।। लेकिन हर बार ये खाई की तरफ क्यु जा रही है। गाडी हमारे पास स्कुटर थी। जैसे ही वो आगे कुछ साचते वो उड़ते हुए खाई मे गिर रहे थे और उन्होने देखा की वो पहले ही गिर गए है और गाडी बाद मे निचे आई। तो खाई मे गिरते वक्त उन्होने काली मां का नाम लिया तो उनके हाथ एक घास का टुकड़ा आ गया। जिसको उन्होने पकड के बच गगा और उन्होने देखा की उन्हे एक खरोच भी नही आई थी। और गाड़ी काफी निचे चली गई थी। फिर पैदल चल के पापा घर आ गये वहा से हमारा घर ७५० मीटर होगा। बाद मे पता करवाने के बाद हमे पता चला की मां ने उस दिन रक्षा कर दी थी। मां महाकाली के मंदिर मे प्रचलित है कि लोग ८ बकरे और एक भैसे की बलि देते है मनोकामना देने पर। उसके बाद हमने भी यही अरपण किया। और अब परिवार की कहानी पे आता हु। २००३ मे मेरे दादा फिर कुछ सालो बाद मेरी बहन का देहात हो गया थी। जब भी कुछ बुरा होने वाला होता थी मेरे पापा को संकेत मिल जाता था। मेरी दादी के बारे मे बहुत बार पापा के मुख से सुनता था मध्यरात्रि जब हम सो जाते थे। वो कहते थे उस तांत्रिक औरत ने मेरी दादी की आत्मा को केद कर दिया है। और उस

औरत ने हमारे कुल देवताओ को बाध दिया था। फिर जिस आदमी से उसने यह कार्य करवाया था जब वो मरा तब मेरे पापा ने उनकी आत्मा को मुक्त कराया और उनका मंदिर बनवाया। तो कई बार मेने अपने घर पे खुन लगा हुआ पाया है। लेकिन हर बार हमारे देवताओ ने रक्षा की है। तो बात २०१० की है हमारे गांव के कुल देवता गोलु देव, हर एवं सेम देव और देवी, काली माता है, बाकी सारे देवता मुझे माफ करे जिनका नाम नही लिया ।तो हमारे गांव का प्रचलन है चौरास कराने का ये ४ दिन का कुल देवता की पूजा की जाती है फिर बलि दी जाती है। तो इस बार मेरे पापा ने चौरास कराने का निर्णय लिया। और बोला गया जिसकी जितनी आर्थिक स्थिति एलाव करे वो उतना दान सेवा करे। क्योकि मे गांव से ज्यादा मतलब नहि रखता तो ज्यादा ज्ञान नहि है। तो पापा को मंदिर में ही सोना होता था।तो एक रात को एसी घटना घटि कि जिससे सब कांप उठे। जब सब लोग सो रहे थे तो अचानक एक अकाशीय बिजली मेरे पापा के उपर बरसने को बढ रही थी तभी पापा की नींद खुल गयी और उन्होने यह देखा की बिजली

बरसने को बढ रही थी तभी पापा की नींद खुल गयी और उन्होने यह देखा की बिजली | पापा के आगे से परिवर्तित होके पेहले पेड़ की टहनी पे गिरी फिर एक टांबे का बर्तन जिसकी छमता एक गांव को खाना खिलाने की है। आपको जान के आश्र्चय होगा की

और किसी की नींद नही खुली और एक फिर एक बिजली उस घर की और बढी, जिसने

पापा के उपर बिजली गिरवाया था और उनके बाथरुम मे गिरी जहा उसी के घर की एक लडकी मौजुद थी। आपकी जानकारी के लिए बता दू ये दूसरी बिजली स्वयं हमारे इश्ट ने गिरायी थी उस तांत्रिक महिला को बताने के लिए वो मेरे पापा के साथ है और अगर तुमने दोबारा कोई अनिप्ट करने कि कोशिश की तो तुमहारे लिए अच्छा नही होगा। आपके बता दू जिस ताबे के बर्तन पे बिजली गिरी वह पिचक गया तो सोचिये ५० केजी क्षमता वाले बर्तन का यह हाल हो गया तो एक इन्सान का क्या होता। और वह ताबे को बर्तन भी उसी तांत्रिक की सहायिका का था। तो यह एक घटना थी जोकि २०१० मे घटित हुई थी। दूसरी कहानी इससे कुछ समय पहले की है कि मै १२ मे पढता था लेकिन मेरा पढायी में मन नही लगता था और अंत मे मै फेल हो गया। क्योकि में स्टेट बोर्ड से था तो उस कक्षा की पढायी मुझे दोबारा करनी पड़ी। किसी जानकार से जोकि दादी लगती है एक दिन हमारे घर पर आयी और देखते ही चोक गयी फिर उन्होने मेरी

बोर्ड से था तो उस कक्षा की पढायी मुझे दोबारा करनी पड़ी। किसी जानकार से जोकि दादी लगती है एक दिन हमारे घर पर आयी और देखते ही चोक गयी फिर उन्होने मेरी नाडी पकड़ी तो उनको कोई एहसास नही हुआ। कुछ देर बाद उन्होने मेरे पापा को बताया की इसको किसी ने कुछ खिलाया है। और उसी तांत्रिक महिला ने यह कार्य किया है। जिस कारण मेरा एक साल खराब हो गया ।२०१२ में मेरे पापा का भी देहांत हो गया है कोई बताता है कि उनके उपर भी पिछे से किसी ने कुछ फेका था। अब बस हमारे घर में बस तीन लोग बचे है। मै चाहता हु भगवान उसको कर्मो की सजा दे और उसके किसी भी वार का हम पर कोई असर ना हो। आर्थिक स्थिति ना होते हुए भी मेरी मां ने मुझे बी टेक करवाया। बट उसके बाद भी मेरी नौकरी नही लगी। फिर कुछ महिने बाद नौकरी लगी।लेकिन मुझे साइट पे जाना पड़ता था क्योकि मे सिविल इंजीनियर हु। पेहले होटल और किराया खुद देना पड़ता था और फिर बिल बना के कंपनी को भेजना पडता था जोकि १० दिन मे क्लियर होते थी। लेकिन हमारे आर्थिक स्थिति एसी नही थी की रोज के ७५० रुपये घर से मंगाउ। फिर एक दिन कानटरेकटर के मित्री से मेरी लडायी हो गयी क्योकि वो सबसे खराब ईट लगा रहा था। मैने सब के सामने उसको डाटा और काम रुकवा दिया। क्योकि में खाना उसी के साथ खाता था इसी का उसने फायदा उठाया। परेशान होके में नौकरी छोड़ के घर चला आया। उसके बाद कही ना जाने पे मां ने पता करवाया की इसको उस मित्री ने कुछ खिला दिया है। इस तरह मेरा आगे डेढ साल बरबाद हो गया। क्योकि प्रेम प्रसंग में भी धोखा मिला रही कसर उसने भी पूरी कर दी। फिर कही जाके काल सेटर मे जाब करी १० महिने फिर एक अपने फिलड की जाब की लेकिन ३ साल हो गया है में सबसे ज्यादा काम करता हु सबसे कम

छुट्टी लेता हु लेकिन सबसे कम मेरी इनकीमेट होता है मे भी भगवान पे छोड़ देता हु। आनलाईन कुण्डली मे भी मेने देखा की मेरी मेहनत का फल मुझे नही मिलेगा। मै

बचपन से ही पूजा पाठ करता हु। जहा तक मुझे याद है १८ साल तो हो गया होगा मुझे

पूजा करते हुए। हनुमान चालिसा मे १५ सालो से पढ रहा हु। मेरा पूजा का रुटिन देखिये। सबसे पहले गणेश भगवान की आरती करता हु फिर सरस्वती मां, फिर लक्ष्मी मां, फिर दुर्गा मां, फिर हनुमान चालिसा फिर हनुमान जी की आरती। इसके बाद मंत्रो को ११ बार जाप करता हु। सबसे पहले महामतुंजय मंत्र, फिर गायत्री मंत्र, फिर शनि मंत्र // ओम शम शनीचराय नमाहा // क्योकि पेहले शनि की शाढेशाती थी, फिर कालिका मां का मंत्र // ओ कीग कालीकाये नमाहा //, फिर सरस्वती मां का मंत्र //

ओम ऐं सरस्वते ऐं नमाहा //। मां काली और मां सरस्वती के मत्रों को जप करते एक साल हुआ है और बाकि के मंत्री को १० साल से उपर हुआ है। शायद इसी पूजा पाठ के कारण मुझे दुनिया से कुछ फर्क नहीं पड़ता। मुझे अकेला रहना पसंद है। अप्रैल मे मुझे करोना हो गया ५ दिन बुखार आने पर भी ठीक नहीं हो रहा था फिर टेस्ट कराने पर पता लगा की करोना बहुत हालत खराब थी। काली मां से विनति की प्राण दान दे दो एक माला चढाउगा। और ऐसा मैने तब कहा था जब मै दोस्त यहा था वर्क फराम होम

एक माला चढाउगा। और ऐसा मैने तब कहा था जब मै दोस्त यहा था वर्क फराम होम | कर रहा था। ठीक होने पर मुझे माला नही मिल रही थी तो मैने नेट में सर्च करके देखा की काली मां को कौन सा फूल पसंद है। सौभाग्य से वह फल हमारे मकान मालिक के पास लगा था। फिर दूसरे दिन नहा धो के जब मै फल तोड़ने जाने वाला था लेकिन बारिस आ रही थी फिर मन किया ना जाउ छत पे। लेकिन फिर मैं चला गया लेकिन वहा जाके पता लगा की फुल की कली आई फुल पूरी तरह खिला नही है लेकिन में वेसे

की उन्हें तोड के ले आया। फिर मां से बोला की जब तक कोई माला नही मिल जाती तब तक इसे स्वीकार करो। यह सारी बात मे गुरूग्राम की बता रहा हूं क्योकि मै वही पे क्वारंटाइन था जोकि मेरे भाई का कमरा था। उसके मंदिर मे और भी भगवान थे। तो मैने सभी को फूल चढा दिया। फिर अगले दिन वह हुआ जिसकी मुझे बिलकुल उम्मीद नही थी। मां काली के उपर चढाया गया फुल पूरी तरह खिल चुका था बाकि कोई और फूल नही खिला। उसे देख के मझे बहुत आश्चर्य हुआ कि बाकि फूल तो नही खिले बस मां के सामने वाला कैसे खिला क्योकि उनको खिलने में कम से कम ४ दिन तो लग ही जाते अगर वो पौधे पर लगे होते लेकिन सिर्फ ८ घंटे मे खिलना आश्चर्य की बात थी।

और एक घटना यह घटी थी की करोना के टाइम जब मै सो रहा था तो रोशनदान से दो बंदर आये और मेरा फल लेके चले गए। लेकिन जब वह वापस जा रहा था तो मेरी नीद खुल गयी। फिर मै उनको भगाने लगा लेकिन फिर लगा हनुमान के गण हो सकते है तो फिर मैने उनको केले भी दे दिए। फिर उस दिन के बाद से करोना मै सुधार तेजी से होने लगा। आगे मेरे कुछ प्रश्न है उम्मीद है आप उसका जवाब देंगे।

१. मां काली के सामने का फूल क्यो खिला। २. बंदर क्यो आए थे।

३. अपने परिवार को तात्रिक बाधा से दूर करने के लिए क्या करु।

४. गुरु दिक्षा मे लुगा जरुर पर उससे पहले कुछ सवाल यह है कि इसके लिए कोई

शुभ महरत का इतेजार करना चाहिए। ५. अगर कोई घर परिवार मे किसी का देहात हो जाए तो क्या गुरु मंत्र रोक देना

चाहिए। ६. अगर मै ९ लाख गुरु मंत्र करने से पहले मुझे कुछ हो गया तो उसका मुझे क्या __फल मिलेगा। ७. अपने मेहनत के बाद भी फल ना मिलने पर मुझे क्या करना चाहिए। ८. क्या गलती से हस्तमैथुन करने पे या वीर्य स्खलित होने पे गुरु मंत्र की उर्जा

खतम होगी। ९. परिवार मे किसी के पैदा होने पे कुछ दिन छोड़ सकते है। १०. पिछले दिनो मुझे आपका सपना आया आप कोई मत्रं पढ रहे थे जो मैने कभी नही सुना था, मन तो यह कह रहा शायद हनुमान जी का था। इस सपने का क्या मतलब हो सकता है। ११. क्या मै किसी और के पूजा घर में मंत्र जप सकता हूं। १२. एक रात पहले मदिरा पी के क्या दूसरी सुबह मंत्र पढा जा सकता है। १३. कुछ समय पहले मुझे एक सपने में एक भूत आया में बहुत डर गया तो मैने हनुमान जी का मंत्र पढा तो वो नही भागी लेकिन जब मैने मां काली का मंत्र पढा वो भाग गयी और इसी दौरान मुझे मां ने एक नया मत्रं दिया लेकिन मै कैसे पता करु ये सही है या नही क्या में आपको बता दू। मां से बहुत प्रार्थना की सपने में बता

दो पर उन्होने नही बताया। कई लोग बोलते है सपने के मत्रो को किसी को नही

१०. पिछले दिनो मुझे आपका सपना आया आप कोई मत्रं पढ़ रहे थे जो मैने कभी नही सुना था, मन तो यह कह रहा शायद हनुमान जी का था। इस सपने का क्या मतलब हो सकता है। ११. क्या मै किसी और के पूजा घर में मंत्र जप सकता हूं। १२. एक रात पहले मदिरा पी के क्या दूसरी सुबह मंत्र पढा जा सकता है। १३. कुछ समय पहले मुझे एक सपने में एक भूत आया में बहुत डर गया तो मैने हनुमान जी का मंत्र पढा तो वो नही भागी लेकिन जब मैने मां काली का मंत्र पढा वो भाग गयी और इसी दौरान मुझे मां ने एक नया मत्रं दिया लेकिन मै कैसे पता करु ये सही है या नही क्या में आपको बता दू। मां से बहुत प्रार्थना की सपने में बता दो पर उन्होने नही बताया। कई लोग बोलते है सपने के मत्रो को किसी को नही बताना चाहिए। क्या आप मुझे बताएंगे की ये सही मंत्र है या नहीं। १४. जनवरी की बात है मै बाथरुम में मल त्यागते वक्त बेहोश हो गया मै कभी जिदगी मे कभी बेहोश कभी नही हुआ।फिर मुझे लगा कोई मुझे दबा रहा है।फिर

जैसे ही मां काली का नाम मेरे मुख से निकला उसने मुझे छोड़ दिया ।क्योकि हर दिन सुबह उठ के और सोने से पहले में भगवान का नाम लेता हु। तो जब में बेहोश हो रहा था तो जैसे मेरी आदत थी भगवान का नाम लेने की मेरे शरीर को लगा ये सोने वाला हैं रुटीन के मुताबिक अपने आप भगवान का नाम ले लिया और मै बच गया। इसका क्या मतलब है गुरुजी।

१५. गुरु मंत्र का जाप करते वक्त क्या जो नार्मल पूजा मे करता था वो भी जारी रख सकता हु क्योकि मुझे लगता है इतने सालो से पूजा कर रहा कही भगवान नाराज ना

हो जाए।

१६. क्या बस मां काली को ज्यादा मानने से ग्राम देव नाराज हो सकते है। १७. एसा क्यो है कि ग्राम देवता को ये तात्रिक बाध देते है। क्या ये इतने कमजोर है। क्या जैसे किसी मां के दो बेटे है और एक दिन एक बेटा मां का मन पसंद कार्य करता है तो क्या वो दूसरे पे हो रहे अत्याचार्यो को बस देखती रहेगी। १८. मै इतने सालो से पूजा कर रहा हु भगवान से कहता हु जैसा भी कर रहा हु स्वीकार करना। तो क्या स्थान भैरव मेरी पूजा का फल ले सकते है। १९. मैने अपने जीवन मे बहुत वीर्य नाश किया है। और कही ना कही मुझे ये भी लगता क्योकि ये भी खुशी का एक माध्यम है भले ही एक मिनट का ही हो लोगो के जीवन मे वैसे ही खुशी कम रहती है। इसलिए कुछ पल की खुशी के लोग एसा काम करते होगें। २०. कई स्प्रीचुवल चैनल पे मैने सिद्धि टरासफर की बात सुनी है क्या ये सही मे होता है। जैसे जीन का करते है ये लोग। २१. किसी के घर में भगवानो की दो प्रतीमाए रख सकते है जैसे एक फोटो में मां लक्षमी श्री गणेश एवं मां सरस्वती है और तीनो की अलग अलग प्रतीमाए भी है। २२. जैसे हम किसी भगवान की साधना करते है किसी सिद्ध पुरुश की भी साधना की जा सकती है।

२०. कई स्प्रीचुवल चैनल पे मैने सिद्धि ट्रांसफर की बात सुनी है क्या ये सही मे होता है। जैसे जीन का करते है ये लोग। २१. किसी के घर में भगवानो की दो प्रतीमाए रख सकते है जैसे एक फोटो में मां लक्षमी श्री गणेश एवं मां सरस्वती है और तीनो की अलग अलग प्रतीमाए भी है। २२. जैसे हम किसी भगवान की साधना करते है किसी सिद्ध पुरुश की भी साधना की जा सकती है। वैसे बहुत से प्रश्न है बाकि बाद मे पूछंगा समय देने के लिए धन्यवाद आपका शिश्य  मों नं. ………………

Exit mobile version