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मांहेन्द्री यक्षिणी साधना राजा बना देने वाली यक्षिणी

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । आज मैं आप लोगों को एक यक्षिणी साधना बता रहा हूं जो रह गई थी । इनकी साधना से आपको सब कुछ प्राप्त हो सकता है। धन संपत्ति ऐश्वर्य वैभव सब कुछ, यक्षिणी जादू की स्वामिनी होती है जादू की शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं और ऐसे ऐसे माया रच सकती हैं आप जिसे समझ नही सकते हैं । यक्ष कितने शक्तिशाली होते हैं इसका उदाहरण पांडवों के समय मिलता है जब पांडव वन में भटक रहे थे तब उनका सामना एक यक्ष हुआ था और युधिष्ठिर ने उसके प्रश्नों का उत्तर दिया था तो उसी समय से प्रचलित हो गया था कि यक्ष प्रश्नावली । यानी सवाल ऐसे जिनका जवाब देना कठिन हो। और जो इनके प्रश्नों का उत्तर दें देता है उसे सब कुछ प्राप्त हो जाता है । इनकी जाति में स्त्री यक्षिणी आती है यक्षिणी का संबंध बहुत पुराने समय से यह हिंदू धर्म बाद मे सभी में माने जाते हैं ।

यक्ष को आप जिन्न भी समझ सकते हैं  जिन्न यक्ष में सब कुछ एक जैसा होता है बस धर्मों के हिसाब से इनको बाट दिया गया है नहीं तो आपको यक्ष और जिन्न में सब कुछ एक जैसा ही देखने को मिलता है । यहां हम बात कर रहे हैं यक्षिणी की की पूजा और साधना का विधान की जैसे यह धरती बनी है तभी से इंका अस्तित्व रहा है । आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं  महेंद्री यानी जो यक्षिणी की रानी कहलाती है और जो किसी को भी राजा बनाने का सामर्थ्य रखी है उसी की साधना है यह। इसकी साधना अलग प्रकार से की जाती है । यक्षिणी साधना करने से पहले आप यह एक बात जान लीजिए कि आपको 1 महीने तक भगवान कुबेर की, भगवान शिव की साधना करनी होगी तभी आपको इस में सफलता मिलेगी और उनकी आज्ञा भी प्राप्त होगी । इसमें यह नियम होता है कि एक महीने तक आपका भगवान शिव और कुबेर की पूजा साधना उपासना हवन करके उनको प्रसन्न  करना अनिवार्य है। अगर आप चाहते हैं कि यक्षिणी आपको धंन दे तो आप कुबेर भगवान की 108 यज्ञ कर लीजिए क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि यक्षिणी सिद्धि तो हो जाती है पर धन नहीं दे पाती इसका यही कारण होता है कि उनको कुबेर देव से आज्ञा प्राप्त नहीं है इसीलिए आप उनको पहले प्रसन्न कर लीजिए।

कम से कम आपको तीस यज्ञ तो करना आवश्यक की है अगर आप 108 यज्ञ कर देते हैं तो आपको निश्चित रूप से सफलता की प्राप्ति होगी । आपको एक महीने तक भगवान शिव और कुबेर के निमित्त यह करना होगा।  अब पुराने जमाने की तरह नहीं होता कि यक्षिणी आपको धन से भरा हुआ घड़ा पकड़ा देगी यह केवल पुराने समय में होता था और अब आपके साथ ऐसा तभी हो सकता है जब आपने इसकी अधिकाधिक साधना की हो पर फिर भी वो आपके लिए ऐसा मार्ग बना देती है कि आपको धन प्राप्ति होने लगती है तो दोनों ही तरीके हैं आपके पास वह आपको प्रदान करेगी ।आपके लिए धन का मार्ग बना देगी जो आप काम करते रहेंगे आपको उसी में सफलता दिलाएगी ।इनकी साधना में सावधानी भी बरतनी चाहिए और एकांत में ही साधना करनी चाहिए और ब्रम्हचर्य का पूर्ण रुप से पालन भी करते रहना है। किसी को टच नहीं करना चाहिए वरना आपकी साधना और ऊर्जा  नष्ट होती है और  बार-बार यह प्रश्न आ रहा है कि जब हम साधना करते हैं उन दिनों में  अगर हम किसी को टच करते हैं तो उसको फायदा मिलता है और हमें कोई लाभ नहीं मिलता क्योंकि उसमें कोई भी ऊर्जा है ही नहीं, वह हमारी ऊर्जा तीव्रता से खींचता है और आपको सफलता नहीं मिलती उसको मिलती है ।

इसीलिए पुराने समय में लोग जंगल में जाकर एकांत वास में गुप्त रुप से साधना करते थे । वनस्पति और पेड़ों में भी ऐसा ही होता है वह आपकी ऊर्जा ग्रहण करते हैं पर क्योंकि आपकी ऊर्जा आपकी अंदर वापस आ जाती है इसलिए लोग जंगलों और पहाड़ों पेड़ के पास जंगल में जाकर साधना करते थे । आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आए हूं महेंद्र यक्षिणी साधना चलिए जानते हैं कि यह किस प्रकार से आपके धन की कमी को पूर्ण करती है और साथ ही साथ आपको बलवान बना देती हैं । इस यक्षिणी को कोई भी हरा नहीं सकता कोई भी यक्षिणी इससे ज्यादा शक्तिशाली नहीं होती क्योंकि मैंने पहले ही बता दिया कि महेंद्र शब्द राजा होता है और इसी से बनी है माहेद्री तो जो राजा की रानी होती है । उसके पास धन वैभव शक्तियां सब कुछ उपलब्ध होता है महेंद्री बहुत शक्तिशाली होती हैं और इनको जो काम सौंपा जाता है वह कर डालती है ।

मैं आपको एक बात और बता दूं कि इनको आप मां के रुप में ही धारण करेंगे तभी आपको प्रॉफिट होगा क्योंकि ऐसा पुरुष नहीं है जो इनको धारण कर सके इनके वेग को संभाल सके। ताकि आप की काम परीक्षा भी न ली जाए और आपको सफलता भी मिल जाए । हालाकि मां के रूप में आपको कम शक्ति है मिलती हैं बहन के रूप में आपको उससे भी कम मिलती हैं ।आप को सबसे अधिक शक्तियां पत्नी के रुप में मिलती हैं पर उसके लिए आपमे उतनी ऊर्जा होनी चाहिए आपके अंदर उनको संभालने की क्योंकि जब आपकी अर्धांगिनी बनेगी तो आपका आधा अंग ग्रहण करेंगी अर्धांगिनी शब्द का मतलब ही है कि आधा शरीर उनका हो जाएगा । आपसे वह कुछ भी करवा सकती हैं दुनिया का बडे से बड़ा काम आपके अंदर करने कि अद्भुद शक्ति आ जाती है पर अगर आपके अंदर इतनी शुद्धता पवित्रता नहीं है तो और अगर आप उत्तम नहीं है तो वह आपको भी नुकसान पहुंचा सकती है और आपके सगे-संबंधियों को भी ।

इसकी साधना से अगर किसी को भूत प्रेत लगा है तो आप बस कहेंगे तो तुरंत छोड़कर चला जाएगा चाहे वह कितना भी शक्तिशाली भूत प्रेत हो । इनकी साधना का नियम यह है कि जब आकाश में इंद्रधनुष बनता है तभी से आप इनकी साधना शुरू कर दीजिए इंद्रधनुष तो बारिश के मौसम में ही बनता है  इसलिए आप पहले से ही भगवान कुबेर और शिवजी का पूजन विधान कर ले ताकि जब भी योग बने और आकाश में इंद्रधनुष दिखाई दे तभी आप इनकी साधना शुरू कर दे । हालांकि इसमें 31 दिन की साधना है पर आपको इसमें छह महीने में लग सकते हैं क्योंकि जितना लिखा होता है वह सच नहीं होता यह आपको आकर्षित करने के लिए लिखा होता है । इसमें यह देखा जाता है कि आपके अंदर कितनी ऊर्जा कितनी क्षमता और कितनी सहनशीलता है । यह दिन इसलिए लिखे जाते हैं कि अगर कोई सिद्ध साधक करे तो उसको कितने दिन में सफलता मिल सकती है और अगर आप सिद्ध साधक नहीं है तो समय का ध्यान मत दीजिए, समय को छोड़ दीजिए और अपनी साधना पर ध्यान दीजिए ।

जब इंद्रधनुष निकले तब आपको इनकी साधना करनी चाहिए और एक विशेष प्रकार का पेड़ होता है उसी के नीचे बैठ कर आप को यह साधना करनी होगी । आप नीम के पेड़ के नीचे या निर्गुंडी के पेड़ के नीचे बैठ कर यह साधना कर सकते हैं । सिर्फ यही दो पेड़ों में से किसी एक के नीचे बैठ कर आपको रुद्राक्ष की माला से इसका जाप करना होगा । आप 21 माला का जाप करें और अगर आप ज्यादा सामर्थ्य है तो 51 माला भी कर सकते हैं । उसी हिसाब से संकल्प लें, इसमें आपको लाल कपड़े पहनने होंगे और लाल रंग का ही ऊनी आसन आपके पास होना चाहिए । जब भी उनका मन होगा वह आपके सामने प्रकट हो सकती है और जब वह आपके सामने प्रकट तो तब आप उनको हाथ जोड़कर ओम नमः शिवाय सात बार कहकर मां का सम्बोधन कर बोले । ऐसा करने पर वह वह आपसे प्रसन्न हो जाती हैं और आप से पूछती है कि क्या चाहिए –
आवाहन मंत्र इस प्रकार से ॐ नमो माहेन्द्र पर्वत निवासिनि आगच्छ फट।। 
 तो इससे आप उनका आवाहन करेंगे।  इसको 108 बार पढ़ के आपको फिर साधना शुरू करनी है विधि इस प्रकार से है कि सबसे पहले गणेश पूजन फिर गुरु पूजा उसके बाद भगवान शिव का पूजन उसके बाद कुबेर जी का पूजन करने के बाद आप जिस पेड़ के नीचे बैठे हैं उस पेड़ के नीचे   बैठकर साधना करेंगे और अगर आपके पास इसके लिए योग्य गुरु है तो और भी अच्छी बात है आपको शीघ्र सफलता मिलेगी और जब तक आप को सिद्धि ना मिले तब तक आप इनकी साधना करें । इनके बारे में तो यह भी कहा जाता है कि ये पाताल से यानी धरती के नीचे से जो भी सोना चांदी हीरा मोती गड़ा हुआ धन है वह खींचकर लाती हैं और आपको दे देती है इनकी साधना का मंत्र इस प्रकार से हैं 
मंत्र :  ॐ नमो माहेन्द्री कुल कुल युल युल स्वाहा।। 

इनकी साधना हो जाने पर धन वैभव सुख समृद्धि ऐश्वर्य शक्तियां सब कुछ आपको प्राप्त हो जाता है यहां तक कहा ही जाता है कि इनकी साधना के  करने के बाद इनको कोई भी हरा नहीं सकता महेंद्र सबका राजा होता है। यानी ये रानी होती है रानी की बात सबको मानना ही पड़ता है और यह धन वैभव दुख संपत्ति संपन्नता सब कुछ प्रदान कर सकती हैं । इनकी साधना मां के रूप में करें इसलिए मेरा सुझाव है कि आप लोग इनको मां के रूप में ही पुकारे तो यह आपको सब कुछ प्रदान करती है और इसमें ऐसा भी नहीं है कि आपका परलोक बिगड़ता है । अगर आपको यह साधना पसंद आई हो तो धन्यवाद।।

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