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माता धूमावती रहस्य कथा और साधना

माता धूमावती रहस्य कथा और साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। धूमावती जयंती के विशेष अवसर पर मैं आज आप लोगों के लिए माता धूमावती की कथा साधना रहस्य के साथ उनकी एक विशेष साधना भी लेकर उपस्थित हुआ। सबसे पहले हम लोग जानते हैं माता धूमावती की कथा के विषय में और उनके रहस्य के विषय में आप सभी जानते होंगे कि 10 महाविद्याओं में माता पार्वती का एक स्वरूप धूमावती भी माना जाता है । इनके संबंध में कई प्रकार की कहानियां और रहस्य आते हैं जिसमें एक कथा तब आती है जब माता सती के दाह से देवी का जन्म हुआ।

इसी प्रकार एक अन्य कथा आती है जब हम माता धूमावती को प्रत्यक्ष रूप में देखते हैं। कहा जाता है एक बार भगवान शिव और माता पार्वती दोनों कहीं विचरण कर रहे थे और उस वक्त एक भक्त की पुकार उसकी रक्षा के लिए खड़ी हो जाती है। लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती को एक दूसरे के विरुद्ध खड़ा होना पड़ता है। तब देवी क्रोधित अवस्था में भगवान शिव को भक्षण कर लेती हैं यानी कि उन्हें खा जाती है ताकि वह अपने भक्तों की रक्षा कर सके जिस स्वरुप में उन्होंने भगवान शिव का भक्षण कर लिया था, अर्थात उन्हें खा लिया था। उन्हें निगल लिया था यही स्वरुप भगवती धूमावती के नाम से प्रसिद्ध होता है। जब माता को यह एहसास होता है कि उन्होंने अपने ही पति को निगल लिया है तब वह बहुत दुखी हो जाती हैं। विधवा का रूप धारण कर लेती हैं। शरीर पर सफेद वस्त्र आ जाते हैं। बूढ़ा स्वरूप हो जाता है और।

बहुत विलाप करने लगती है। भगवान शिव बाहर निकल कर आते हैं और कहते हैं देवी! तुम स्वयं की की माया से ग्रसित हो गई हो। स्वयं को जानो तुम पार्वती हो और अपनी वास्तविक रूप को ग्रहण करो तुमने अपने ही पति को निगल लिया था इसलिए तुम विधवा हो गई थी।

जगत में तुम्हारा यह रूप प्रसिद्ध होगा और तुम धूमावती महाविद्या के नाम से इस संसार में पूजित रहोगी। जेष्ठा देवी, डुमिनी, धूमावती इत्यादि नामों से तुम्हें लोग तो करेंगे। तुम्हारी साधना से बहुत लाभ लोगों को प्राप्त होगा। देवी तुम दुर्भाग्य की देवी, मां लक्ष्मी की बड़ी बहन! पीपल वृक्ष में निवास करने वाली। दरिद्रता, अलक्ष्मी और ज्येष्ठा के नामों से जानी जाओगी।

तुम कौवे पर सवार होगी। मनुष्य के जीवन से साधना करने पर उसके दुर्भाग्य दरिद्रता को दूर करोगी।

तुम्हारी ध्वनि हजार गीदड़ों के चिल्लाने के जैसे उत्पन्न होगी जो मन में भय उत्पन्न करने वाली होगी। तुम्हारा संबंध भूख से है इसलिए जो भी आत्माएं अतृप्त और भूखी रहेगी वह सभी तुम्हारी सेवा में तत्पर रहेंगे।

तुम्हारी साधना करने वाला विपक्षियों का नाश करेगा और समस्त रोगों से छुटकारा पाएगा।

तुम्हारा मूल मंत्र ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा होगा। जो भी तुम्हारी साधना, पूजन इत्यादि करेगा उसे अद्भुत लाभ देखने को मिलेगा। तुम हर प्रकार की दुख दरिद्रता का नाश करने वाली देवी के रूप में जानी जाओगी और अपने कार्यों में स्वयं अपने पति को भी किनारे रखकर तत्पर रहने वाली होने के कारण। हर प्रकार से किसी भी अवस्था में जाकर अपने भक्तों का कल्याण अवश्य करोगी।

इसके बाद! देबी भगवती की उपासना के लिए बहुत सारे देवी देवता और ऋषि मुनियों ने इनकी साधना की। जिनमें

अर्धनारीश्वर, नारसिंह,
स्कन्द, क्षपणक, पिप्पलाद, बौधायन

इत्यादि प्रमुख लोग देवी की आराधना की।

इनके मंत्र का। जाप दशांश हवन तर्पण मार्जन।

ब्राह्मण भोज कराने से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है। इनका भी इस प्रकार से है

विनियोगः -
अस्य श्रीधूमावती मन्त्रस्य स्कन्दऋषि,
पङ्क्तिश्छन्दः, श्रीधूमावतीदेवता, धूं बीजं,
स्वाहा शक्तिः प्रणवः कीलकं मम शत्रुक्षयार्थे विनियोगः ।
ऋष्यादिन्यास -
स्कन्दर्षये नमः (शिरसि) ।
पङ्क्तिच्छन्दसे नमः (मुखे) ।
श्रीधूमावतीदेवतायै नमः (हृदये) ।
धूं बीजाय नमः (गुह्ये) ।
स्वाहा शक्तये नमः (पादयोः) ।
प्रणवकीलकाय नमः (नाभौ) ।
विनियोगाय नमः (सर्वाङ्गे) ।
कर-हृदयादि-न्यास - (मूल मन्त्र द्वारा) ।
ध्यान-
श्यामाङ्गीं रक्तनयनां श्यामवस्त्रोत्तरीयकम् ।
वामहस्ते शोधनं च दक्षहस्ते तु शूर्पकम् ॥

धृत्वा विकीर्णकेशां च धूलिधूसरविग्रहाम् ।
लम्बोष्ठीं शुभ्रदशनां लम्बमान-यशोधराम् ॥

संलग्नभ्रूयुगयुतां कटुदंष्ट्रोष्ठवल्लभाम् ।
कृसरन्तु कुलुत्थोत्थं भग्नभाण्डतले स्थितम् ॥

तिलपिष्टसमायुक्तं मुहुर्मुहुश्च भक्तितम् ।
महिषीश‍ृङ्गताटङ्कीं लम्बकर्णातिभीषणाम् ॥

भजे धूमावतीं देवीं शत्रुसंहारकारिणीम् ।
सर्वसिद्धिप्रदात्रीं च मातरं शोकहारिणीम् ॥

देवी की हर प्रकार से आपको साधना करनी है। उनकी जो माला मंत्र है, वह आपको पढ़ना है और जो माला मंत्र है उस माला मंत्र जयंती के दिन मंत्र जाप करते हैं तो अद्भुत लाभ होता है। इसको 108 बार धूमावती जयंती पर पाठ करें और देवी मां की कृपा करें।

स्त्रोत मैंने आपके लिए उपलब्ध करवाया है। वह गायन के रूप में है। आप इसे इस वीडियो के अंत में सुन सकते हैं।

श्रीधूमावती माला-मन्त्र-
``ॐ, धूं धूमावति चतुर्दशभुवननिवासिनि
सकलग्रहोच्चाटनि सकलशत्रुरक्तमांसभक्षिणि, मम शरीररक्षिणि
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
भूतप्रेत-पिशाचब्रह्मराक्षसादि सकलग्रहसंहारिणि
मम शरीर परमन्त्र-परयन्त्र-परतन्त्रनिवारिणि
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
आत्ममन्त्रयन्त्रतन्त्र प्रकाशिनि मम शरीरे
परकट्टु-परवाटु-परवेट्टु-परजप-परहोम-परशून्य-परवृष्टि-
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
परकौतुक-परौषधादिच्छेदिनि-चिट्टेरि-काहेरि-कन्नेरि-पाट्टेरि
शुनककाटेरि-प्ररिटिकाट्टेरि -दर्भकाट्टेरि-पातालकाट्टेरि
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
सकलजाति- काट्टेरि-ग्रहच्छेदिनि मम
नाभि-कमलस्थान-सञ्चारग्रहसंहारिणि धूम्रलोचनि उग्ररूपिणि
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
सकलविषच्छेदिनि सकलविषसञ्चयान् नाशय नाशय मारय मारय
विषमज्वर-तापज्वर-शीतज्वर-वातज्वर-लूतज्वर- पयत्यज्वर
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
-श्लेष्मज्वर-मोहज्वर -सान्निपातज्वर-पातालकाट्टेरिज्वर-
प्रेतज्वर-पिशाचज्वर-कृत्रिमज्वर-नानादोषज्वर
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
-सकलरोगनिवारिणि सकलग्रहच्छेदिनि
शिरःशूलाक्षिशूल-कुक्षिशूल कर्णशूल-नाभिशूल-
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
कटिशूल-पार्श्वशूल-गण्डशूल-गुल्मशूलाङ्गशूल-सकलशूलान्
निर्धूमय (धू ?)  सकलग्रहान् निवारय निवारय रां रां रां रां रां,
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
क्ष्रां क्ष्रां क्ष्रां क्ष्रां क्ष्रां, ख्रैं ख्रैं ख्रैं ख्रैं ख्रैं,
ध्रूं ध्रूं ध्रूं ध्रूं, ध्रूं, फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें, धूं धूं
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा
धूं धूं धूं धूमावति मां रक्ष रक्ष शीघ्र शीघ्रमागच्छागच्छ,
क्षिप्रमेवारोग्यं कुरु कुरु हुं फट् धूं धूं धूमावति स्वाहा ।
ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा

इसके अलावा! देवी मां के जो मूल मंत्र है, उसको सिद्ध करने के लिए आज सूर्य ग्रहण चंद्र क्षेत्र दिया की रात्रि होली की रात्रि से शुरू कर सकते हैं।

जो विभिन्न प्रकार की प्रयोग हैं, वह कैसे करेंगे या माता धूमावती का जो विशेष विधान है जो मैंने अभी बताया तो उसे कैसे करेंगे और उसे क्या लाभ है। उसके विषय में गुप्त नवरात्रि हो तो सबसे उत्तम समय होता है। इनकी साधना के लिए तब आप पूजा करने के लिए स्नान करने के पश्चात काले रंग के वस्त्र धारण करें। अपने घर के पूजा कक्ष में पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाइए। अपने सामने एक लकड़ी की चौकी रखें। इस चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उसे चौकी पर स्लेटी रंग का कपड़ा बिछाकर मां धूमावती की मूर्ति चित्र यंत्र को स्थापित करें। अब मां के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। लोबान से पूजन करें। राख या भभूति से मां को तिलक करें। अब मां धूमावती को दो रंग के पुष्प अर्पित करें। भोग के रूप में उड़द की दाल की खिचड़ी बना। अब मां धूमावती के मंत्रों का जाप करें। मंत्र अनुष्ठान के रूप में ले सकते हैं। सवा लाख मंत्र जाप, दशांश हवन सहित करना पूजा संपन्न होने के पश्चात मां को चढ़ाया गया। वह सभी लोगों में वितरित करने के पश्चात चितकबरी गाय को भी खिला देना चाहिए।

माता के ॐ धूम धूम धूमावती देवी स्वाहामंत्र का जाप करें। उसके पश्चात मा धूमावती के कवच का पाठ करें। माता की साधना को संपन्न करें। 7 दिनों में 11 दिनों में, कम मात्रा में कर  पाते हैं तो 21 दिन में संपूर्ण को पूर्ण करना चाहिए।

माता धूमावती की साधना की जानकारी को हमेशा गोपनीय रखना चाहिए और काली मिर्च काले तिल शुद्ध हवन की सामग्री को एक साथ मिलाकर के हवन कुंड में देनी चाहिए। हवन सामग्री बचने के बाद धूमावती यंत्र को अपने घर के पश्चिम दिशा की तरफ पडने वाले किसी भी काली मंदिर में दान कर देना चाहिए। बची हुई पूजन सामग्री को किसी बहती हुई नदी या पीपल के पेड़ के नीचे दबा देना चाहिए। जो भी ऐसा करता है उसके पर मां की सदैव कृपा बनी रहती है। कितना भी भयानक उसका शत्रु का अंत हो जाता है और शत्रुओं से अगर परेशानी है तो उनकी जीवन में असाधारण संकट आते हैं। अगर आप अच्छी सेहत पाना चाहते हैं तो मां धूमावती के ऊपर चढ़ाई गई भभूत से अपने मस्तक पर तिलक करें। सौभाग्य पाने की इच्छा से मां धूमावती के फलों का रस चढ़ाएं. कोई विवाद टालना चाहते हैं तो मां धूमावती पर नींबू अर्पित करने के पश्चात उसे चौराहे पर फेंक दें।  किसी भी प्रकार के नुकसान से बचने के लिए मां धूमावती पर चढ़ाए गए मक्के के दाने को पक्षियों को खिला दे। व्यापार में सफलता पाने के लिए मां धूमावती के सामने गूगल से धूप करें। अगर आप पढ़ाई में सफलता पाना चाहते हैं तो मां धूमावती को पीपल का पत्ता चढ़ाने के बाद उसे अपनी किताब में रख लें। प्रोफेशनल सक्सेस पाने के लिए एक सफेद कागज। नीले रंग की कलम से धू लिखकर अपनी जेब में रखा करें। पारिवारिक खुशहाली लाने के लिए मां धूमावती के सामने सात अगरबत्ती जलाये । इस प्रकार करने से अद्भुत लाभ आपको देखने को मिलता है। अब आप लोग देवी मां धूमावती की माला मंत्र को जो की जयंती पर आपके लिए शुभकारी है इसे। सुने और इसको अगर आप खुद जाप नहीं कर सकते हैं तो उस दिन इसे चला कर भी सुन सकते हैं। बहुत लाभकारी है और इसकी एक माला करने से माता की कृपा उनकी जयंती विशेष के पर्व पर सभी को प्राप्त होती है। यदि जानकारी आप सुने इस मंत्र माला को जपे, आप सभी का दिन शुभ हो। जय मां पाराशक्ति।

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