Site icon Dharam Rahasya

माता मनसा और रतिप्रिया यक्षिणी सिद्धि अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे एक साधिका के माता मनसा देवी से संबंधित अनुभव के विषय में चलिए पढ़ते हैं इनके इस ईमेल पत्र को और जानते हैं इनके जीवन में साधना के दौरान क्या-क्या घटित हुआ था?
नमस्कार गुरु जी मेरा नाम मायरा सिंह है। मैं उत्तराखंड से हूं और मेरे परिवार में मां पापा और छोटा भाई है। आपके चैनल से 2 सालों से जुड़ी हुई हूं। आपके वीडियो से अभी तक बहुत ज्ञान मिला है। लगभग आपकी सारी वीडियो देख ली है। मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हूं। लोगों के अनुभव देख मैं बहुत प्रभावित हुई हूं। इसलिए सोचा एक साधना करके देखू आज मैंने जो जो साधना है कि हैं उनका अनुभव बताने जा रही हूं। गुरु जी मैं पूजा अर्चना ज्यादा नहीं करती बस नर्वाण मंत्र की 11 माला और दिनचर्या के काम के बीच भी भगवान शिव के मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करती हूं। बस 5 से 10 मिनट ओम नमः शिवाय का जाप करते ध्यान करते हुए मुझे छोटी साधना करनी थी। इसलिए यूट्यूब पर मैंने सर्च किया। सर्च करते-करते मुझे जिन्न की साधना मिली जो कि 7 दिन की थी और सातवें दिन वह जिन सपने में आकर इच्छाएं पूरी करता था, सबसे पहले आपको मैंने अपना गुरु माना और साधना की शुरुआत जिनको मित्र के रुप में संकल्प लेकर करने लगी। 7 दिन ऐसे ही बीत गए। कोई अनुभव नहीं हुआ। सपने में कोई दिन नहीं आया।
1 दिन वीडियो देखते देखते कालकूट मुखी नागिन की साधना मिली गुरुजी सोचा! मैं यह साधना अपने रूम में करूं। यह अनुभव जो आपको बता रही हूं, मेरी कार्कोट मुखी साधना का है। पहले शिव मंत्र 10 माला की नागिन का मूल मंत्र जप करने लगे। 21 दिन बीत गए कोई अनुभव नहीं हुआ। ऐसा लगा कि क्या फालतू चीज लेकर बैठ गई हूं। कोई अनुभव नहीं हो रहा है। बाद में सोचा नहीं देखते हैं आखिर। करते रहने से क्या फर्क पड़ता है गुरुजी, फिर उसी रात को मेरे सपने में नागिन आई। वह कमर से नीचे तक नागिन और शरीर का ऊपर का भाग नागिन का नहीं मनुष्य का वह मेरे सामने ही थी। वह विशाल रूप में मुझे डरता देख बोली पुत्री डरो मत तुम भी तो हम लोगों में से ही एक हो डर कैसा?  नागिन रूप ले और विशाल रूप धारण किया हुआ था जिसे देखकर मेरी नींद ही टूट गई। दूसरे दिन मेरे भाई को एक सांप दिखा दो कि मेरे रूम की तरफ आ रहा था। उसने जाकर मां पापा को बुलाया तब मामा भी आए और पता नहीं मामा की क्या दुश्मनी है। सांपों से क्यों उन्हें देखते हैं। बेचारे मेजबान को डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। यह देख कर मुझे बहुत बुरा लगा। इसलिए साधना ही गुरु जी अब मुझे लगा सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा। लेकिन मुसीबत तो आनी बाकी थी। कुछ दिन बाद सांप के काटने से मामा की मौत हो गई।
हम सबको पता चल गया था। यह सांप को मारने से हो गया है। फिर वह नागिन कभी मेरे सपने में नहीं आई। फिर भी मैंने हार नहीं मानी गुरुजी एक दिन। आपकी वीडियो! आ रही थी। वह किसी का रतिप्रिया यक्षिणी का अनुभव था। उन साधक महोदय ने मंत्र दे रखा था। मंत्र इस प्रकार था ओम ह्रीं रतिप्रिया स्वाहा तो मैंने सोचा। इस मंत्र का जाप करके देखती हूं कि क्या होता है गुरुजी। फिर मैंने रात को नहा धोकर स्वस्थ होकर घर में मंदिर में रुद्राक्ष की माला से हर दिन 2000 जॉप करने लगी। घर का काम पढ़ाई के चलते बस दो हजार मंत्र जाप ही कर पाती थी। संकल्प मित्र रूप में लिया था। ऐसे ही 10 दिन बीत गए 10 मिनट पूरे कमरे में खुशबू आने लगी। 11वीं रात को मुझे कमरे में पायल की आवाजें आने लगी तो मैंने आंखें खोलकर पूरे कमरे पर देखा। पर मेरे सिवाय वहां कोई नहीं था। मैं थोड़ा डर गई जा पूरा कर मैं सोने चली गई फिर 12वीं रात को। जॉप करते-करते मुझे किसी ने पीठ पर टच किया इसलिए मैंने आंखें खोल कर देखा पर कोई नहीं था। मैं हैरान हो गई। आंखें मुझे किसने टच किया थोड़ी देर बाद घर की लाइट ही चली गई। बस भगवान जी के सामने जलता हुआ दिया।

उसी का प्रकाश आ रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे चेहरे के सामने कोई सांस लेता हुआ महसूस होने लगा। वह जो भी था उसकी सांसों को साफ साफ महसूस कर पा रही थी। देखने के लिए आंखे खोली तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गए। गुरु जी अंधेरे कमरे में के कॉर्नर में दो नीली आंखें चमकदार मुझे देख रही थी। यह देखकर मै पसीने से तरबतर हो गई। सर्दी का समय था। मुझे सर्दी में भी डर के मारे पसीना आ रहा था। अचानक वह नीली चमकदार आंखें गायब हो गए। मैंने तब जाप पूरा कर लिया था। वहां से जल्दी से अपने रूम में जा कर के सो गई। फिर अगले दिन सोचने लगी कि आगे साधना करूं या नहीं, क्योंकि रात के डरावने अनुभव की वजह से मैं बहुत डर गई थी। रात होते-होते खुद को समझाया कि कुछ नहीं होगा। जरूर यक्षिणी मेरे भय की परीक्षा ले रही है। इस चीज से डर के काम नहीं होगा। जो होगा देखा जाएगा। साधना तो करके ही रहूंगी। गुरुजी फिर रात को आधा समय हुआ था तब किसी के हसने की आवाजें आने लगी। तभी एक सफेद साया मेरे चारों ओर बहुत तेजी से घूमने लगा। यह देख कर मन में आया। यहां लोगों को इतने अच्छे अच्छे अनुभव होते हैं और मुझे इतने डरावने अनुभव हो रहे हैं। कुछ सेकंड बाद बहुत साया गायब हो गया।

यह देखकर मेरी जान में जान आ गई। बाकी जल्दी जाप खत्म करके मैं सोने चली गई। फिर ऐसे ही अगली रात को भी मंत्र का जाप सो रही थी। अर्ध निंद्रा में ही किसी ने मेरे पेट कमर पर हाथ फेरने जैसा एहसास होने लगा। ऐसा करते-करते वह मेरे छाती पर हाथ फेरने लगा। मुझे समझ में देर नहीं लगी कि मेरी काम परीक्षा ली जा रही है। मन में नर्वाण मंत्र का जप करने लगी। माता से प्रार्थना करने लगी। मेरी साधना खंडित ना हो तभी जो भी हाथ फेर रहा था, वहां से हट गया। फिर अगले दिन मुझे मां या पापा भाई पर छोटी-छोटी बातों पर बेहद गुस्सा आने लगा। मैं समझ गई। यहां भी मेरी परीक्षा हो रही है। काम भाव नहीं तो क्रोध भाव से पराजित करने का प्रयास। तो मैंने यह प्रयास भी विफल कर दिया। फिर अगले दिन कॉलेज के लिए निकली रास्ते में पता नहीं जो भी मिलता। मुझे देखता घर पर भी मां देख रही थी। उन्हें पूछा कि क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो तो उन्होंने पूछा, तुम बहुत आकर्षक लग रही हो, फेशियल कब करवाया है और परफ्यूम भी आज लगाया है। इस पर मैंने कहा, मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। फिर मुझे देर हो रही है। मैं जा रही हूं। गुरु जी कॉलेज में भी मुझे सब लोग देख रहे थे। एक लड़का मुझे पसंद करता है। कैंपस में उसने मुझे प्रपोज भी किया, लेकिन मैंने मना कर दिया।

फिर रातको ऐसे ही टेरिस पर टहल रही थी। तभी मेरे सामने वह उसी रात वाली सफेद आकृति आई। इस बार में नहीं डरी और वही खड़ी होकर रही तभी वह मेरी बॉडी से टकराकर गायब! हो गई मैं समझ नहीं पाई कि यह क्या हुआ और क्यों हुआ, फिर उसी रात को मुझे सपना आया। सपने में मैंने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की देखी। वह हमारे लोक की तो लग ही नहीं रही थी। इतनी आकर्षक थी कि अप्सराओं को भी मात दे दे। इतनी मोहब्बत मैं उसके पास गई। पूछा कि हे देवी आप कौन हैं तो उन्होंने कहा कि मुझे तुम ने क्यों बुलाया है, बोली पूछ रही हो खैर? कौन हो रहने दो मैं वही रतिप्रिया यक्षिणी हो जिसकी तुम साधना कर रही हो। तुम भविष्य में उत्तम साधिका बन सकती हो। इसलिए तुम्हें कोई तांत्रिक साधना में हाथ डालने से पहले गुरु मंत्र प्राप्त कर अनुष्ठान संपन्न करना होगा। उसके पश्चात तुम कोई भी तांत्रिक साधना कर सकते हो। मैंने पूछा, ठीक है, आप ही बताएं। मेरे लिए अच्छे गुरु उपयुक्त कौन से होंगे तो उन्होंने कहा, तुम उन्हीं गुरु से दीक्षा लो जिसकी तुम वीडियो देखती हो।
धर्म रहस्य के गुरु जी श्री सूरज प्रताप जी से दीक्षा लो क्योंकि वह एक उच्च श्रेणी के गुरु हैं। काफी लोगों को अच्छे से मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। उनपर साक्षात मां की कृपा है। तभी मेरा सपने टूट गया तब सोचा अगर गुरु दीक्षा लेनी है तो सिर्फ आपसे ही भविष्य में गुरु दीक्षा लूंगी। फिर कई दिनों बाद रात को सोते हुए ऐसा महसूस हुआ कि मेरे पैरों के पास कोई है तो नींद में ही देखा कि कौन है तो मैंने वही यक्षिणी को देखा। यह देखते देखते हैं। आंखें मलते मलते ठीक से देखा तो वह मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। मैंने उन्हें प्रणाम किया और पूछा, हे देवी क्या आप मुझ से सिद्ध है तो उन्होंने कहा, हां, मैं तुमसे सिद्ध हूं। मैंने उनसे जो तीन वचन लिए वह रोज रात को आते हैं। मुझे उन्होंने बहुत ही सात्विक तरीके से चीजें भी सिखाई हैं। उन्हें इंग्लिश नहीं आती है और उससे वह मेरी पढ़ाई में भी मदद कर रही हैं। गुरु जी एक दिन वह आई ही नहीं। बहुत दिन गुजरे वह रोज रोज आती थी इसलिए मैंने फिर से रात को उनके मंत्र का जाप शुरू कर दिया। लेकिन तब भी वह नहीं आई, लेकिन वह रात को सपने में आई और वह परेशान थी। वह आ नहीं पा रही थी क्योंकि उन्हें एक तांत्रिक ने कैद कर रखा था जो हमारे घर के अगली गली में रहता है। वह बेचारी बहुत तकलीफ में है। मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। आखिर उन्हें कैसे बचाऊ गुरु जी।
एक दिन मेरे दिमाग में आया कि मैं मनसा देवी की विधि विधान से साधना करूं। इसलिए मैंने यूट्यूब पर मनसा देवी की पूरी साधना चेक की और हमारे गांव के मंदिर के पुजारी से इस साधना के बारे में चर्चा करने उनके पास चली गई। उनको नागिन साधना और सपने में जो भी देखा था, वह सब बताया तो उन्होंने कहा कि जरूर किसी जन्म में तुम्हारा संबंध नाग लोक से था। इसलिए तुम्हारे साथ यह सब हुआ है। तुम्हारे दिमाग में नाग माता साधना करने का विचार आ गया। मैंने उनसे इस साधना की दीक्षा भी ली। मनसा देवी की 21 दिन की साधना थी शुरुआत के दिनों में। कोई अनुभव नहीं हुआ। सातवें दिन मुझे ध्यान में नागकन्या के दर्शन हुए। फिर ऐसे ही बाकी दिन मुझे सपनों में नाग नागिन दिखे। 21वे दिन रात को मुझे सपने में नाग माता के दर्शन हुए। उन्होंने कहा, पुत्री मैं तुम्हारी निश्चल भक्ति भाव समर्पण साधना से प्रसन्न हूं। तुम्हें जो कुछ वरदान प्राप्त करने की इच्छा है, वह मांगो? मैंने सुना था। नाग माता हर इच्छा पूर्ण करती हैं। इसलिए मैंने बस मांगा कि मुझे इस दुनिया के पुरुषों में कोई दिलचस्पी नहीं है। मेरे सामने बहुत से नाग रहते हैं। उन्हें जानना मेरी इच्छा है मुझे नाग चाहिए वैसा! पति के रूप में चाहिए क्योंकि नागिन साधना तो इतना कठिन नहीं जितना नागपती साधना है। उन्होंने कहा, तो पुत्री पहले तुम नागिन साधना करो। सर्वप्रथम तुम गुरु मंत्र का अनुष्ठान संपन्न करो। बाद में नागिन साधना आगे का मार्ग खुद ही खुल जाएगा। तुम्हारा अवश्य कल्याण होगा। इतना बोल कर वह अंतर्ध्यान हो गई। गुरु जी यह थे मेरी द्वारा साधनाओं के सच्चे अनुभव अगर आपको पसंद आए हैं। इसे प्रकाशित भी कर सकते हैं। आप अपने हिसाब से शीर्षक दे सकते हैं। गुरु जी मेरे कुछ सवाल थे। इनका उत्तर जरुर दें।
गुरु जी मैंने जो जिन साधना कि क्या वह विफल हो गई। क्या मुझे जिन के दर्शन नहीं होंगे। अब मैं उस तांत्रिक से रतिप्रिया यक्षिणी को फिर से कैसे हासिल करु वह मेरी बहुत अच्छी मित्र है। गुरु जी अगर किसी जन्म नागलोक से संबंध है तो मां मनसा देवी का भक्ति का विचार आता है। अगर हां यह तो मुमकिन कैसे हैं? यहां न जाने कितने लोगों को उनकी भक्ति करने की प्रेरणा मिलती होगी तो क्या सब का पूर्व जन्म नाग लोग संबंधित होगा? गुरुजी मामा को किस सांप ने काटा होगा क्योंकि मामा ने उस सांप को मार डाला था और वह एक सांप ही आया था जो मारने कृपया मेरे सवालों को हल करें। धन्यवाद जय मां मनसा
सन्देश- देखें सबसे पहले जिन साधना असफल नहीं हुई बल्कि आपके अंदर की ऊर्जा के कारण छोटी साधना जो आपके उपयुक्त नहीं थी। वह आपके पास आकर भी आपसे सिद्ध नहीं हुई है क्योंकि आप नर्वाण मंत्र और भगवान शिव के मंत्र का जाप कर रही थी। रतिप्रिया यक्षिणी को छुड़ाने के लिए आपको गुरु मंत्र की पूर्ण सिद्धि चाहिए तभी। शक्ति आपको वापस प्राप्त हो सकती है क्योंकि जब आपके अंदर इतनी ऊर्जा होगी कि आप किसी दूसरे तांत्रिक के प्रभाव से उसे मुक्त कर पाएंगी। नाग लोक से आप का संबंध अवश्य है। तभी आपके अंदर जल्दी सिद्धि प्राप्त करने की एक सामर्थ्य मौजूद है और अनुभव भी आपको जल्दी हो रहे हैं।इससे निश्चित रूप से आप माता मनसा देवी या नागिन साधना या अन्य तरह की तांत्रिक साधना में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और मामा जी को जिस सांप ने काटा था वह उस सांप का बदला लेने आया था जिसका। अंत आपके मामा ने कर दिया था तो यह थे इनके अनुभव अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/YHbwQ8CYaNo

Exit mobile version