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मिठाई से विग्रह उच्चाटन और लक्ष्मी यक्षिणी सच्चे अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अनुभव की श्रृंखला में आज हमें एक फिर अनुभव मिला है और यह अनुभव अरुण कुमार जी ने भेजा है। कैथल हरियाणा से यह पहले भी अपना अनुभव भेज चुके हैं। उनके शब्दों में शुरू करते हुए मैं कहानी बताऊं तो उनका साथ क्या घटित हुआ और इसी के साथ एक साधक हैं। जिन्होंने जो है यक्षणी से चमत्कार मांगा और चमत्कार उस लक्ष्मी यक्षणी ने दिखाया उसका भी छोटा सा अनुभव भी बताऊंगा मैं  तो चलिए शुरू करते हैं अरुण कुमार जी जो लिखते हैं मैं उसको सुनाता हूं। -गुरु जी प्रणाम मैं अरुण कुमार कैथल हरियाणा से मैं इसे अपना अनुभव तो नहीं कह सकता अगर आप इस पर वीडियो बनाते हैं तो मेरी ईमेल आईडी को मत दिखाइएगा एक बार 2003  की है। तब मेरी उम्र 15 16 साल की थी ।और आज मेरी उम्र 30 साल की हो चुकी है। तब मेरा एक दोस्त हुवा करता था जो मेरे से  लगभग वह मुझसे उस समय 12 या 13 साल बड़ा रहा होगा और आज मैं जो कुछ भी हूं और मैं जो काम करता हूं सब उसकी बदौलत ही है लेकिन आज वह इस दुनिया में नहीं है‌। उस का स्वर्गवास 8 4 2007 में हार्टअटैक पढ़ने से हो गया था। और हम जहां रहते थे वह घर पास पास में थे हम दिन भर और देर रात तक साथ में रहा करते थे यानी घूमा करते थे और हम जहां रहते थे उस वार्ड के एमसी  उसके चाचा जी थे। और उसके चाचा जी ने सरकारी लोहे की पाइप के बने एंगल जो है वह लाते थे। और उनको सड़कों पर लगाया जाता था। जो सड़कों पर उनको लगा कि इससे कोई अवैध पार्किंग ना कर सके उस क्षेत्र में हमारी धर्मशाला में उन्होंने जो है इसे एंगल को रखवा दिया था जिसे बहुत समय बाद गली के लड़कों ने काट काट कर कबाड़ी को बेच दिया।

जिसमें से मेरे ताऊजी का बड़ा बेटा भी गलत काम में शामिल था। मुझे लगता है वहीं इस घटना को अंजाम देने में मुख्य भूमिका निभाई होगी। जब यह बात मेरे दोस्त के चाचा जी को पता चले तो वह बहुत गुस्सा हो गए और उन्होंने बीच सड़क पर मेरे ताऊ जी के बेटे को तमाचा जड़ दिया था। और मुझे इस घटना का कुछ भी पता नहीं और हमारे ताऊ जी  से कुछ खास बनती भी नहीं थी। 2 दिन बाद मेरे ताऊ जी के बेटे ने मुझे मेरे दोस्त के साथ रहने से मना करने लगा। वह कहता था कि इसके साथ तुम मत रहो और कहता कि घर पर भी नहीं आना चाहिए क्योंकि हमारा घर साथ था इसलिए और मेरे ताऊ के बेटे को साफ मना कर दिया मैंने  गश क्योंकि हम दोस्त ही नहीं बल्कि भाइयों से भी बढ़कर थे तो एक दूसरे के लिए। मेरे ताऊ जी के बेटे को मेरी यह बात अच्छी नहीं लगी और उसे लगा कि यह अभी भी दोस्ती नहीं तोड़ रहे हैं।  उस समय मेरे ताऊजी का दामाद का था  जो तंत्र-मंत्र का कुछ बहुत जानकार था वह जानते थे तो मेरे ताऊ और‌ ताउ जी के बेटे ने उनसे या किसी से कुछ मिठाई जो है उसमे तंत्र मंत्र से अभिमंत्रित करके मेरे लिए भेजी और मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता था। कि मिठाई अभिमंत्रित है या कुछ ऐसा तंत्र मंत्र उस पर किया गया है।और दुर्भाग्य की बात यह है। कि हमारे कमरे वह मिठाई लगभग 3 से 4 घंटे से भी ज्यादा देर रखी गई होगी फिर भी मेरे सिवा वह मिठाई मेरे भाइयों ने नहीं खाई। जबकि मेरे बड़े दो और भाई भी हैं तो जब मैं घर पर आया तो मैंने पूछा कि मिठाई कहां से आए तो घर वालों ने कहा कि ताऊ जी के यहां से आई है। तो मैंने भी ज्यादा संकोच ना करते हुए मिठाई खा ली और मिठाई खाने के बाद मुझे यह बात याद ही नहीं कितने समय बाद मेरा मन अपने दोस्त से हटने लगा‌। यही नहीं उसके साथ रहने से मेरा मन उबने लगा था और मुझे उसकी हर बात बुरी लगने लगी।

मेरा इस तरह का व्यवहार देखकर चिंतित होने लगा‌ वह मुझसे उम्र में बहुत बड़ा होने के कारण समझदार था। और इसके बाद में अचानक इतने परिवर्तन देखकर वह मेरे व्यवहार को अचानक से कुछ समझने लगा था मेरे व्यवहार को देखकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आने लगता था। और मेरे मन में जो भी आता मैं कह देता था। उसको शायद अगर कोई और होता तो यह सब बातें बर्दाश्त भी नहीं  करता। और इतनी नफरत के बावजूद भी  मैं बिना बताए मेरे मामा जी के यहां चले जाने के लिए चला गया जब वह घर आया तो घर वालों ने उसे बताया कि मैं घर से अपने मामा जी के यहां जाने के लिए आया हूं फिर वह मुझे खोजता हुआ बस स्टैंड पर पहुंचा तो उसने देखा कि मैं बस में बैठा हूं। उसने मुझे बस से उतार दिया घर ले आया वह समझ चुका था कि मेरे दिमाग की स्थिति सही नहीं है‌। उसके बाद हम एक पंडित जी के पास जाया करते थे उसके बाद मेरा दोस्त मुझे उन्हीं पंडित जी के पास लेकर गया उसने अपनी  बाइक की चाबी दी और कहा जहां तेरा मन करे घुमा कर आ। मैंने कहा मैं नहीं जाऊंगा मैं तेरी बाइक चलाता नही हुई। और मैं पहले उसकी बाइक चलाने में बहुत बार मना कर चुका था उसने कहा जा कोई बात नहीं तु घूम के आ जा फिर मैंने मना कर दिया फिर पंडित जी बोले जा कोई बात नहीं अगले को कोई एतराज नहीं होगा पेट्रोल तो इसका ही खर्च होगा। जो मैंने कहा मैं बाइक ठोक दूंगा उसने कहा जो मन में आए वह कर ले तेरी ही बाइक है। और तेरे ऊपर से कुछ भी नहीं फिर पंडित जी का जो बेटा था जो मेरा दोस्त भी था। हम दोनों बाइक में को लेकर निकल गए  मैंने उस समय बाईक एसे चलाई जैसे सर पर भूत सवार हो और 15 से 20 मिनट बाद हम वापस घर आएगी तो पंडित जी का बेटा बोला आज किसी का लिया दिया सबनिकल गया आज तो ठीक ठाक घर पहुंच गए पता नहीं बचते भी नहीं।

मेरे दोस्त ने पंडित जी से  वह मेरे व्यवहार के बारे में पूछा जो कि ठीक नहीं था। तो पंडित जी भी तंत्र मंत्र को जानते थे पंडित जी ने मुझसे पूछा अपने घर के अलावा और किसके घर में कुछ खाया तो नहीं है। तो मैंने कहा कब की बात  पुछ रहे हैं।‌ वह बोले कुछ दिन पहले की बात तो मैंने पंडित जी से कहा कि किसी घर खाया हुआ मुझे याद नहीं आया। हां ताऊजी के घर से एक बार मिठाई आई थी बस वही खाया था तो पंडित जी को सब पता चल गया तो फिर उसके बाद पंडित जी ने मेरे बाजू पर कागज पर एक यंत्र बनाकर बांध दिया उसके बाद सब ठीक होने लगा। और मेरा व्यवहार भी मेरे दोस्त के प्रति बदलने लगा मेरे दोस्त ने घर में आकर सब कुछ बता दिया मैं आज भी अपने घर वालों के अलावा ताऊ जी के घर का कभी कुछ नहीं खाता। और ना ही उनके घर में जाता हूं । कभी-कभी जब जाना होता है। तो सिर्फ पानी ही पीता हूं। धन्यवाद गुरु जी एक बार फिर से प्रणाम स्वीकार करें तो यह अनुभव था अरुण कुमार जी का और इन के अनुभव के आधार पर यह है कि कभी भी कोई खिलाता पिलाता है। इस तरह की चीजें करता है तो उस चीजों पर ध्यान रखना चाहिए या फिर आप बड़े देवी देवता की पूजा करते तो वह फलदाई नहीं होता है इसलिए आप जरूर अपने इष्ट के मंत्रों का जाप किया करें ताकि आपके ऊपर जब इस प्रकार का कोई गोपनीय प्रयोग किया जाए तो आपके ऊपर कोई प्रभाव ना पड़े। अब आतेे है  त्रिलोचन टेक्निकल के पत्र पर  और इनका जो है एक बहुत ही छोटा अनुुभव है

उन्होंने कहा कि यक्षिणी ने एक बार इनको 500 की नोट्स फ्री में दे दी थी‌। तो यह कहते हैं। कि बहुत ही छोटी बात है लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं तो यह घटना तारीख 18 6 दो हजार अट्ठारह की है और इसको मैं आपको पूरा सुनाता हूं ध्यान से इस बात को सुन लीजिए कि मैं 1 दिन ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट देने के लिए गया था तो मन में लक्ष्मी यक्षिणी को याद किया और कहा कि अगर आप हो तो आप सबूत दीजिए‌। किसी भी तरह दीजिए आप सबूत दीजिए अपने होने का यह अपने अस्तित्व के होने का। डॉक्यूमेंट  टेस्ट किए गए और कहा कि आपके डॉक्यूमेंट अपडेट करने पड़ेंगे तो मैंने कहा क्या करूं तो उसने कहा कि जाइए डॉक्यूमेंट चेक करा कर ले आए। जहां पर आप को लेकर जाना है ।मैंने कहा  ठीक है तो ऑफिस के दूसरे भाग में गया जब मैं वहां पहुंचा तब सामने से 500 की एक नोट उड़ते हुए आई और सीधे मैंने उसे उठाकर देखा तो देखा भाई की नोट बिल्कुल असली थी। मैं मान गया यक्षिणी होती गुरु जी यह साबित किया आखिर उसने मुझे यह बात को साबित कैसे करवा दिए इसका ध्यान दे रहा थाा मैैं।  मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है कृपया इस प्रकार की जानकारी दीजीए और क्या मुझे लक्ष्मी यक्षणी की साधना करनी चाहिए आप आज्ञा दे पर्सनल डिटेल इस प्रकार से है मैं गुजरात का रहने वाला हूं सिटी अहमदाबाद और और जो है जो मेरी जीमेल आईडी को नहीं दिखाइएगा और लोकेशन वगैरा मत सूनाईयेेेगा मेरा नाम अनिल कुमार है

संदेश-तो ठीक है। मैं नहीं बता रहा हूं आपको निश्चित रूप से कोई भी साधना कर सकता है लेकिन पर सबसे पहले भगवान शिव से तंत्र मंत्र में प्रविष्ट होने के लिए आज्ञा लेनी पड़ती जब  भी नया साधक अगर तंत्र में प्रवेश करता है तो उसे भगवान शिव के मंत्रों का एक लाख जाप अवश्य कर लेना चाहिए। वही उसका रक्षा मंत्र और रक्षा कवच  होगा तभी आप इस प्रकार की साधना ओं को कर पाएंगे पर पूरी तरह से मन को पक्का कर लीजिए कि मैं इस साधना को पूरा करूंगा किसी भी प्रकार से छोडूंगा नहीं चाहे कुछ भी हो जाए। मुझे कोई भी परेशानी आए पर मैं इस साधना को पूरा करूंगा अगर कोई शक्ति आपको डराने के लिए आती है। और भयभीत करती है तो आपको डरना नहीं है और अपनी साधना पूरी करनी है कभी-कभी साधना जितने दिनों की लिखी होती है उतने दिनों में सिद्ध नहीं होती। मेरी खुद की भैरवी साधना  41दिन की थी  लेकिन डेढ़ साल बाद मुझे भैरवी पूरी तरह से सिद्ध हुई। इसलिए मन को पूरी तरह से पवित्र करके और निश्चित करके साधना में बैठ जाए। और हर प्रकार से ब्रह्मचर्य का पालन करते मन को पवित्र करते हुए एक किसी योग्य गुरु को ढूंढ लीजिए जो  यक्षिणी साधना किए हो। या किसी ऐसे साधक को ढूंढ लीजिए जिसने 1 साल से अधिक माता या भगवान शिव की उपासना साधना की हो अगर आपको यह दोनों अनुभव पसंद आए हो तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद।।

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