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मीनाक्षी यक्ष कन्या साधना चंद्र ग्रहण विशेष

मीनाक्षी यक्ष कन्या साधना चंद्र ग्रहण विशेष

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज हम जो अत्यंत गोपनीय साधना लेकर उपस्थित हुए हैं यह साधना यक्षराज कुबेर की पुत्री मीनाक्षी कन्या के विषय में है इस देवी को बहुत ही कम लोग जानते हैं क्या है इनका रहस्य और इनका चंद्रग्रहण पर की जाने वाली साधना से क्या संबंध है और क्यों चंद्रग्रहण पर इनकी साधना करने से अनगिनत लाभ और सिद्धि प्राप्त की जा सकती है इस वीडियो के माध्यम से जाने देंगे साथ ही इनकी कथा के विषय में भी जानकारी प्राप्त करेंगे की आखिर यह है कौन और इनका यक्षराज कुबेर के साथ क्या संबंध है तो जैसा की हम जानते हैं की कुबेर वित्त के सबसे बड़े देवता है अर्थात धन के देवता कुबेर जी माने जाते हैं धन के स्वामी और संसार में सबसे ज्यादा धनवान देवता के रूप में इन्हें जाना जाता है यक्षों के राजा भी है उत्तर दिशा के दिग्पाल भी है और लोकपाल भी इन्हें माना जाता है इनके पिता महर्षि विश्श्रवा थे और माता देववर्णिणी थी इनके ही सौतेले और छोटे भाई रावण कुंभकर्ण और विभीषण थे इनकी जो विवाह की बात आती है तो सूर्य देवता और देवी छाया की पुत्री भद्र के साथ इनका विवाह हुआ था वह बहुत सुंदर थी और यह कहा जाता है कि क्योंकि छाया शक्ति से उत्पन्न होने वाली देवी हैं इसीलिए कुबेर देवता और भद्रा के मिलन से पुत्र और पुत्री का जब लाभ होता है तो उसमें मीनाक्षी का भी नाम आता है

और अगर कोई मीनाक्षी की साधना करेगा तो वह कुबेर के समान धनवान हो सकता है और इतना ही नहीं उसमें यक्षों के बराबर बल भी उसे प्राप्त हो जाता है कहा जाता है की कुबेर ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर्वत पर तपस्या की थी तपस्या के समय भगवान शिव और माता पार्वती उन्हें दिखाई दिए लेकिन कुबेर ने माता पार्वती की सुंदरता को अपने एक आंख यानी बाईं आंख से देख कर उनको मन में अलग ही तरह की भावना आई क्योंकि माता पार्वती का स्वरूप अत्यंत ही दिव्य और तेज से भरा हुआ है माता पार्वती के इस स्वरूप को देखने के कारण उनका वह नेत्र भस्म होकर पीला पड़ गया था कुबेर फिर इस कारण से पश्चाताप में वहाँ से उठकर किसी दूसरे स्थान पर चले गए और वह स्थान पर जाकर उन्होंने घोर तपस्या भगवान शिव की दुबारा से शुरू की तब कुबेर जी ने उस साधना को सम्पन्न किया प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कहा तुमने मुझे तपस्या से जीत लिया है तुम्हारा एक नेत्र पार्वती के तेजी से नष्ट हो गया है इसलिए तुम एकाक्षी बेंगल कहलाओगे और इसीलिए ग्रहण के समय हम ग्रहण को अपनी आंखो से नहीं देखते हैं इसी एकाक्षीपिंगल शक्ति से बाद में उनकी पुत्री का जन्म होता है कुबेर उसके पास स्वयं सोने की लंका थी अर्थात उनके पास सोना ही सोना था जिससे राक्षस राज़ रावण ने उनसे छीन लिया था

गौतमी के तट पर धनद तीर्थ स्थान पर कुबेर ने भगवान शिव की आराधना की थी और तब भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें धनपाल और पुत्री और पुत्र उत्पन्न होने का वरदान दिया था इससे उनके जीवन में अब उनका परिवार आगे बढ़ा धन देवता कुबेर की आग से ही देवी मीनाक्षी का जन्म हुआ था मीनाक्षी का मतलब होता है खूबसूरत आंख वाली एक स्त्री जो मछली के जैसी आंखोंवाली हो मीनाक्षी बहुत ही ज्यादा सुन्दर देव कन्या की तरह यक्षराज कुबेर की पुत्री के रूप में जन्म लेती है इसके अलावा कुबेरजी के दो पुत्र नलकुबेर और मणिग्रीव भी पैदा होते हैं अब इन्हीं देवी ने जब आराधना की माता पार्वती की तो माता पार्वती ने कहा पुत्री तुम्हारा जन्म मुझे देखने के कारण हुआ है तुम अपने पिता के नेत्रों से उत्पन्न हुई हो इसलिए ग्रहण काल में तुम अत्यंत ही शक्तिशाली हो जाओगी और उस वक्त तुम्हारा पूजन करने वाला संसार में अगर तुम्हें वह सिद्ध करता है तो कुबेर के समान धनवान रूपवान शक्तिशाली और यश के समान बलशाली हो जाएगा मैं यह तुम्हें वरदान देती हूँ वरदान को पाकर देवी मीनाक्षी बहुत प्रसन्न हो गयी और यश लोग में यश कन्या के रूप में निवास करने लगी इस प्रकार वह जब जब पृथ्वी पर चंद्र ग्रहण पड़ता है उस वक्त वह पृथ्वी पर आगमन करती है इस आशा में कि कोई उनकी साधना कर उन्हें प्राप्त करने की योग्यता रखें यह कुबेर देवता की पुत्री हैं और अत्यंत ही शक्तिशाली है

कोई अन्य यक्षिणी इनकी बराबरी नहीं कर सकती है इनकी सामर्थ्य अपने ही पिता के समान है इसलिए अगर कोई इन्हें प्राप्त कर लेता है तो वहाँ यक्षराज कुबेर की तरह ही शक्तिशाली सामर्थ्यवान बलशाली हो जाता है पूर्वकाल में एक ऋषि ने माता पार्वती की साधना के दौरान इनके रहस्य को जान लिया था तब ऋषि ने जब चंद्रग्रहण पड़ता है तब इनकी आराधना करना शुरू कर दिया यह देवी पृथ्वी लोक में आ चुकी थी जब उन्होंने देखा कि कोई उनकी साधना कर रहा है तो उन्होंने प्रसन्न होकर इसके पास पहुँचकर उसे गौर से देखा तुरंत उसे ऋषिकेश चारों ओर अत्यंत सुंदर कन्याएं प्रकट कर दी और सभी उन्हें छू छूकर इधर उधर भागने लगी ऋषि इस बात से अचंभित हो गए और उन्होंने आंखें खोलकर देखा तो चारों तरफ बहुत ज्यादा सुन्दर कन्या ये इधर उधर दौड़ रही थी ऋषि ने उनसे कहा आप लोग मुझे परेशान मत कीजिए मैं देवी की आराधना में लीन हूँ देवी मीनाक्षी को सिद्ध करना चाहता हूँ तो उन कन्याओं ने कहा ठीक है आप अपना काम कीजिए और हमें आप अपना काम करने दीजिए जब से हमें पता चला है कि इस पृथ्वी पर कोई यक्ष कन्या की साधना कर रहा है हम सभी बहुत ज्यादा प्रसन्न हो गई और यहाँ आकर हमें नृत्य करने का मन करने लगा है और हमें वह कार्य करने दीजिये आप सिर्फ अपने कार्य को करते रहे हमारा ध्यान मत कीजिए अन्यथा आप अपने पथ से भटक जाएंगे क्योंकि हमारे नृत्य में इतनी तीव्रता है उनकी जल्द ही आप इसकी शक्ति देखेंगे और वह ऋषि साधना करता गया कुछ समय बाद अचानक से तीव्रता से नाचती हुई वह सभी अपने वस्त्र फाड़कर फेंकने लगी और पूरी तरह नग्न होकर नृत्य करने लगी

इस प्रकार नृत्य करने के कारण ऋषि को अद्भुत आश्चर्य हुआ शरीर में इतनी ज्यादा सुंदरता और नग्न कन्यान्ये उनके चारों तरफ़ दौड़ रही थी इसको समझना वास्तव में बहुत ही ज्यादा कठिन था किंतु ऋषि अपनी साधना करते रहे की तभी ऋषि ने देखा कि उनके मन में अचानक से तीव्र कामुकता आ गई है उन्होंने अत्यंत खूबसूरत और ऐसे बिना वस्त्र धारण करने वाली कन्याओं को देखने के लिए अपने बाएं आंख से उन्हें देखा और तभी वहाँ पर देवी मीनाक्षी साक्षात् प्रकट हो गयी उन्होंने कहा आपने मुझ से ध्यान भटका दिया अन्यथा आप मुझे प्राप्त कर लेते आपने कन्याओं की ओर ध्यान लगाया है और मेरा विस्मरण किया है मैं आपको कई यक्ष कन्याएं सौंपती हूँ यह सभी आप का मनोरंजन करेंगी आपकी सिद्धि बनकर आपके साथ रहेंगी किंतु आप में वह योग्यता नहीं है की आप मुझे प्राप्त कर पाए मनुष्यों में यह बड़ी कमजोरी होती है वह एक स्त्री पर टिक नहीं पाते हैं इसलिए मैं आपसे प्रसन्न हूँ आपकी साधना के कारण लेकिन आप मुझे प्राप्त नहीं कर पाएंगे ऋषि ने उनसे क्षमा मांगी और कहा देवी मुझे आप क्षमा कीजिए

मेरी इस गलती और अपराध के लिए चाहे तो मुझे दंड दीजिए किंतु आप अपनी कृपा से मुझे वंचित ना रखें मीनाक्षी यशस्विनी ने कहा आप परेशान ना हो मैंने कहा ना आप परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाए हैं फिर भी आपने बड़े ही यत्नपूर्वक मेरी साधना की है आपको मैं यशकर न्याय देती हूँ जो आपके साथ विलास करेंगी और आपको हर प्रकार से जीवन भर सूखी रखेंगी लेकिन आप के माध्यम से लोगों तक यह बात न पहुंचे इसलिए आप इस साधना को गोपनीय रखें केवल किसी विशेष को ही इसके बारे में बताइयेगा क्योंकि मैं केवल चंद्रग्रहण के समय ही इस पृथ्वी लोक पर आती हूँ अन्यथा मुझे प्राप्त करने में बहुत समय लग सकता है और मैं भी इस इंतजार में हूँ कि कोई योग्य व्यक्ति ही जो सच में देवता कुबेर के समान योग्य हो वही मुझे प्राप्त कर पाए इस प्रकार देवी मीनाक्षी वहाँ से अदृश्य हो जाती है उस ऋषि को 13 यक्ष कन्याएं प्राप्त होती है और उनके साथ वह जीवन सुखपूर्वक बिताता है इसके अलावा उस ऋषि के अंदर यश के समान बल था वह एक साथ 30 बैलों में हल जोत सकते थे

इतनी सामर्थ्य उनके अंदर थी तो इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि देवी चंद्रग्रहण के दिन पृथ्वी पर आती हैं और इनकी आराधना करने वाला साधक इन्हे प्राप्त करके अद्भुत सिद्धियां और सामर्थ्य प्राप्त कर सकता है और अगर कोई उन्हें साक्षात सिद्ध कर लेता है तो फिर वह इस संसार में अद्भुत पराक्रम वाला और सिद्ध इवान जाएगा उसके पास धन धान्य की कभी कमी नहीं होगी इसके अलावा इनकी साधना करने का फल अवश्य प्राप्त होता है इसलिए चाहे आंशिक फल मिले किंतु फिर भी इनकी कृपा अवश्य ही मिलती है क्योंकि इनका यह स्वरूप सात वीक है और माता पार्वती की कृपा से इनके अंदर भी दिव्य गुण मौजूद हैं यह साधना मैंने आपके लिए इंस्टामोजो स्टोर पर उपलब्ध करवा दी है आप इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में क्लिक करें यह साधना मेरी इंस्टामोजो स्टोर से खरीद सकते हैं और पीडीएफ़ के रूप में डाउनलोड करके इसे चंद्रग्रहण पर अगर करना चाहिए तो अवश्य ही कर सकते हैं यह एक अत्यंत गोपनीय और दिव्य अलौकिक साधना है इन्हें आप माता बहन या प्रेमिका पत्नी के रूप में सिद्ध कर सकते हैं जैसी आपकी सामर्थ्य हो उसी के अनुसार आप इनका पूजन और इनसे सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं यह साधना केवल चंद्रग्रहण पर करने पर कई 1000 गुना प्रभाव दिखाते हैं तो अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करे शेर करें सब्सक्राइब करे चैनल को आपका दिन मंगलमय हो जै माँ पराशक्ति

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