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मैनकामिनी यक्षिणी प्रेमिका साधना

मैनकामिनी यक्षिणी प्रेमिका साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज मैं आप लोगों के लिए एक विशेष यक्षिणी की साधना लेकर उपस्थित हुआ हूं। यक्षिणी का वर्णन बहुत ही कम प्राप्त होता है। ज्यादातर में ऐसी ही साधना है। आप लोगों के लिए लेकर आता हूं जिसका वर्णन और विवरण बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध होता है ताकि प्राचीन से प्राचीन ज्ञान को आप लोगों के समक्ष लेकर आया जा सके। पर आज जिस यक्षिणी की साधना लेकर के मैं आप सभी के सामने उपस्थित हूं, इस यक्षिणी को मैनकामिनी यक्षिणी के नाम से जाना जाता है। यक्षिणी बहुत ज्यादा सुंदर मानी जाती है। काम कला में प्रवीण है और अपने प्रियतम को अर्थात जो भी इसे सिद्ध कर लेता है, उसे कामदेव के समान प्रेम करती है जैसे रतीदेवी अपने। पति काम को प्रेम करती हैं। यह एक सौभाग्यशाली बनाने वाली साधना है। इस साधना को कर लेने के बाद साधक के जीवन से कष्ट दुख सब नष्ट होने लगते हैं। यह यक्षिणी अत्यंत ही दुर्लभ है। और हर प्रकार से अपने पति के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर करने की सामर्थ्य रखती है।

अगर इसके पति पर कोई संकट आता है तो यह स्वयं उस संकट के आगे खड़ी हो जाती है या साधना बहुत ही दिव्य और दुर्लभ है। इसकी साधना से व्यक्ति को शारीरिक सुख आनंद के साथ भौतिक सुख सुविधाएं जो 1 शक्ति की प्राप्ति। और व्यक्ति के अंदर विभिन्न प्रकार के गुणों का प्रवेश हो जाता है। ऐसे गुण जिससे व्यक्ति मिलनसार हो जाता है। व्यक्ति के अंदर सौम्यता आ जाती है। यह! प्रत्येक पुरुष और स्त्री को अपने वशीकरण में ले सकता है वह भी सिर्फ अपनी बातों के आधार पर। इसके माध्यम से साधक के चेहरे पर एक विशेष तरह की चमक आ जाती है। उसके शरीर में हर वक्त जोश भरा रहता है। व्यक्ति चाहे दिखने में दुर्बल हो या फिर कुरूप हो उसके अंदर। अपने आप सुंदरता आने लगती है जो भी उसे देखता है, उससे बातें करता है उस पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ने लगता है। यह बहुत ज्यादा सुंदर मानी जाती है और एक सौम्य यक्षिणी भी है। इसे उग्रता पसंद नहीं है। इसका चेहरा पूर्णिमा की चांद की तरह सफेद रंग का अति सुंदर है। शारीरिक बनावट चमकदार है। रंग पूरा सफेद है। कहते हैं इसका रंग इतना सुंदर है कि जब साधक उसे छूता है तो उसे लगता है कि कहीं वह उसे छूकर गंदा न कर दे। उसके वजह से उसके शरीर में किसी भी प्रकार से दाग ना आ जाए तो यह एक दुर्लभ और विचित्र सुंदर महा सुंदरी के रूप में उसका वर्णन हमें देखने को मिलता है। आमतौर पर यह बहुत रमणीय और सरल स्वभाव की मानी जाती है।

भारत की युवा कन्या के रूप में यह दर्शन देती है और हमेशा सुंदर और बहुत ही विचित्र प्रकार के वस्त्र पहनती दिखाई पड़ती है। इसके दिव्य शरीर से एक अनोखी सुगंध लगातार निकलती रहती है और किसी भी देवता यक्ष किन्नर और मनुष्य को सम्मोहित करने की इसके अंदर बहुत दुर्लभ शक्ति होती है। यह उचित कार्य करने के लिए लगातार तत्पर रहती है और साधक के जीवन में प्रेयसी के रूप में लगातार उसके साथ बनी रहती है। साधक को निरंतर धन और सुख प्रदान करती रहती है। इसकी साधना में खतरा भी बहुत कम होता है लेकिन फिर भी अपने गुरु से आज्ञा लेकर के और सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के बाद। इसकी यक्षिणी स्वरूप में साधना करनी चाहिए। इसके साधना और विधान के संदर्भ में जो विवरण आता है, वह इस प्रकार से किया। साधना करने के लिए जब भी शुक्ल पक्ष हो, ऐसे में आप किसी भी अष्टमी के रात्रि में यह साधना शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आप! किसी एकांत सुनसान जगह अगर इसके लिए कोई उजड़ा हुआ मकान है। वह स्थान बहुत ही ज्यादा अच्छा माना जाता है। जहां पर कभी कोई पुरुष स्त्री या कोई परिवार रहा करता हो, लेकिन अब वहां कई वर्षों से कोई भी ना हो और वह मकान उजड़ चुका हो। इस साधना के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। साधक उत्तर दिशा की ओर मुंह करके। लाल रंग के वस्त्रों को धारण करके इस साधना को करें। इस साधना के लिए सबसे पहले आप लाल रंग के ऊनी आसन जो कि अभी तक प्रयोग ना हुआ हो, उसका इस्तेमाल करें। साधक के वस्त्र और माला भी नयी होनी चाहिए और उसे पूरी तरह से शुद्ध किया गया हो। याद रखें इस साधना में आपके वस्त्र आभूषण आप से जुड़ी हुई कोई भी चीज वह सारी की सारी आपके अलावा साधना काल में कभी कोई ना होने पाए अन्यथा साधना भंग हो जाती है।

इस साधना में सफलता के लिए आप चमेली के तेल का दीपक अपने सामने प्रज्वलित करें सामने! अति सुंदर एक यक्षिणी की फोटो अथवा मूर्ति के रूप में स्थापित करें जो कि बाजोट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर उसे बैठाया गया हो। एक चावल की ढेरी के ऊपर अपने दीपक को प्रचलित करें। रोजाना मंत्र का जाप करें और यह अखंड दीपक 41 दिन तक लगातार जलाकर रखें। इस स्थान पर किसी का भी प्रवेश वर्जित रखें और जब तक आप साधना करते हैं तब तक साधना के बाद उसी स्थान पर अकेले शयन करें।

आप? चावल के कुछ दाने। रक्षा मंत्र से अभिमंत्रित कर कवच के साथ 10 दिशाओं में फेंक दें। और रोजाना इसी प्रकार साधना के लिए बैठे हैं।

यक्षिणी की मूर्ति अथवा चित्र की पूजा से पहले सिंदूर धूप, दीप और पुष्प से उसकी पूजा करें। अपने शरीर पर गुलाब के इत्र को छोड़कर और उस प्रतिमा पर भी गुलाब इत्र को छिड़का करें।

साधना करने से पहले सामान्य संकल्प के साथ में कि मैं मैनकामिनी यक्षिणी की प्रेमिका रूप में सिद्धि के लिए यह प्रयोग कर रहा हूं। और वह आए और मुझे समस्त प्रकार के सुख प्रदान करें। इसके बाद रोजाना 51 माला जाप रात्रि के समय करें। दशांश हवन भी फूलों से करें यानी कि में फूल को घी में डुबोकर उसके बाद आहुति दिया करें। दशांश हवन आप प्रत्येक रात्रि भी कर सकते हैं अथवा।

41 दिन समाप्ति के बाद भी कर सकते हैं। देवी बहुत ज्यादा सुंदर होती हैं? आप जब साधना करते हैं तो आपको परेशान करने के लिए आपके पीछे चलने की आवाज! कदमों की आवाज। सुगंध का आपकी चारों तरफ फैल जाना, पायल की झंकार सुनाई देना। इसके अलावा साधक को अपने कंधे पर किसी के छूने का आसपास सिर पर छूने का स्पर्श।

इसी प्रकार के चुंबन का स्पर्श इत्यादि चीजें लगातार होती रहती हैं। साधक मंत्र जाप को किसी भी प्रकार से ना छोड़े और। एक बार साधना पर बैठने के बाद किसी भी हालत में साधना उस दिन की पूर्ण होने तक बिल्कुल भी ना उठे।

क्योंकि ऐसा करने से साधना भंग होती है। साधना काल में अचानक से किसी भी रात्रि में यह देवी साक्षात आपकी आज्ञा चक्र पर अथवा पूरे साज और सिंगार के साथ आपके समक्ष प्रकट हो सकती हैं। अगर आपकी साधना और ध्यान में कमी रहती है तो वह आपको स्वप्न में भी दर्शन देंगे। तब साधक लक्ष्मी से जीवन भर साथ देने का वचन ले। प्रेमिका या पत्नी के रूप में उन्हें स्वीकार करें। और? इस साधना के बाद एक शनि की प्रतिमा माला और जितनी भी सामग्री बचती है उसे नदी के अंदर प्रवाहित कर देना चाहिए।

साधक को अपने गुरु के अलावा इस सिद्धि का तथ्य किसी को प्रकट कभी भी ना करें अन्यथा यक्षिणी हमेशा के लिए गायब हो जाती है। इस साधना के दौरान अगर आपको डर ज्यादा लगता है तो सोते वक्त!

देवी मां के रात्रि सूक्त का पाठ करके सो जाएं।

देवी आपके साथ शयन करने लगती हैं। आपकी इच्छा पर प्रकट हो जाती हैं और साधनों के समय आप इन से वचन ले लीजिए कि जब भी मैं आपको बुला लूंगा, आपको आना होगा। और मेरे कार्य को करना होगा। इनकी साधना से आप! गुप्त धन को प्राप्त करना। जिस भी कार्य को करते हैं उसमें सहायता उनकी मिलना।

प्रेमिका के समस्त प्रकार के सुख आपको प्रदान करती हैं। आपकी जीवन से निराशा और! अकेलेपन को सदैव के लिए समाप्त कर देती हैं।

यह देवी मैनकामिनी यक्षिणी बहुत ही दुर्लभ है और इनके मंत्र को गुरु मुख से सुनकर ही शुरू करना चाहिए। मैंने इनका मंत्र आपके स्क्रीन पर डाल दिया है ताकि आप इसे अच्छी प्रकार से समझ सके।

ह्रीं क्लीं ऐं ब्लूं स्त्री मैनकामिनी यक्षिणी देव्यै स्त्रीं ब्लूं ऐं क्लीं ह्रीं |

यह साधना आप शीत ऋतु में अथवा वसंत ऋतु में या फिर आषाढ़ के महीने में शुरू कर सकते हैं।

किसी भी शुभ नक्षत्र, शुभ समय, सर्वार्थ सिद्धि, योग इत्यादि के समय यह साधना शुरू की जा सकती है। इस साधना के बाद आपके अंदर एक अद्भुत तेज और सामर्थ्य आ जाती है। आप जिस से बात करते हैं उसे भी अपनी वशीकरण में ले सकते हैं। आप जिसे देखते हैं वह भी आप से प्रभावित होता है।

इस साधना का इस्तेमाल करने पर। आपके जीवन में आपको मन के अनुकूल पत्नी या प्रेमिका की भी प्राप्ति होती है। लेकिन यह तब होता है जब शक्ति आपसे प्रत्यक्ष रूप से सिद्ध ना हुई हो।

इसके अलावा आप भगवान शिव गणेश, भगवान और कुबेर जी के मंत्र को पढ़कर ही रोजाना साधना करें ताकि धन तंत्र सिद्धि और भगवान गणेश का आशीर्वाद अवश्य आपको प्राप्त हो। इस साधना से आप विभिन्न प्रकार के कार्य भी करवा सकते हैं किंतु यह तभी होता है जब देवी की साक्षात सिद्धि होती है। आंशिक सिद्धि में आपके कार्य बनते हैं। आपको सुंदर प्रेमिका की प्राप्ति होती है। आपके जीवन से दुख समाप्त होता है। धन के अवसर बनने लगते हैं, जो भी कार्य व्यवसाय करते हैं, वहां सफलता मिलती है। और सभी प्रकार से आपका यह कल्याण करने वाली एक सात्विक तरीके की ही साधना है किंतु यक्षिणी होने के कारण। साधना में संकट डालने के लिए विभिन्न प्रकार की शक्तियां आ सकती हैं। इसीलिए मैंने आपको बताया है कि किस प्रकार से आपको चावल के दाने रक्षा मंत्र के रूप में। कवच के साथ 10 दिशाओं में साधना करने से पहले अवश्य फेंकने हैं तो यह की जानकारी मैनकामिनी यक्षिणी साधना के विषय में अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है तो चैनल को लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां। मां पराशक्ति!

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