Site icon Dharam Rahasya

यक्ष बेताल साधना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग लेंगे एक अनुभव को साथ ही साधना के विषय में पूरी जानकारी और यह जानकारी है यक्ष बेताल साधना के बारे में। यक्ष बहुत ही अधिक शक्तिशाली होते हैं और यह बेताल शक्ति से जब भरे होते हैं तो इनकी सामर्थ्य अद्भुत होती है तो चलिये पढ़ते हैं इनके पत्र को जानते हैं कि किस प्रकार से इनके साथ यक्ष बेताल साधना में क्या-क्या घटित हुआ था?

नमस्कार गुरु जी, कृपया मेरा नाम और ईमेल के विषय में किसी को भी ना बताएं। यह पत्र केवल और केवल धर्म रहस्य चैनल को भेजा जा रहा है। यहां प्रदर्शित सारी बातों की जिम्मेदारी मैं लेता हूं और भविष्य में कहीं और इसे पब्लिश नहीं किया जाएगा। तो गुरु जी मैं अपनी बात पर आता हूं। मेरे दादाजी से मेरे पिताजी को और पिताजी से मुझे यह मंत्र मिला था। हालांकि पढ़ा-लिखा होने के कारण इन बातों पर मेरा विश्वास नहीं था। पर फिर भी मैंने सोचा कि चलो! इसको करके भी देख सकते हैं क्या सच में? बेताल यक्ष ! जैसी कोई चीज होती है। तो मैंने जब अपने पिताजी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि गोरक्ष संहिता एक पुस्तक है जिसमें बेताल साधना से बहुत सारे फायदे बताए गए हैं।

मैंने पूछा बेताल कैसा दिखता है? और वह क्या-क्या करता है तब उन्होंने कहा, बेताल सिद्धि होने पर छाया की तरह अदृश्य रूप में साधक के साथ वह बना रहता है। वह उसकी रक्षा करता है। प्रकृति अस्त्र-शस्त्र और मनुष्य उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाते हैं। ना तो उसके जीवन में दुर्घटना होती है और ना ही अकाल मृत्यु। उसके जीवन में शत्रुओं का नामोनिशान नहीं रहता। उसका जीवन निशकंटक और निर्भय होता है। कोई भी खतरनाक चीजें हैं वह उसका कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाती। बैताल पूर्ण सिद्धि होने पर भविष्य भी दिखने लगता है। भविष्य संबंधी जो भी प्रश्न उससे पूछा जाता है वह भविष्य दृष्टा बनकर उनका जवाब देता है। जो साधक बेताल को संपूर्णता से सिद्ध कर लेता है वह बेताल उसके कंधों पर बैठ जाता है। उसे पूरी दुनिया में भी घुमा सकता है। इसमें पहाड़ नदियां समुद्र भी बाधा नहीं डाल सकते। चाहे कितनी भी अधिक दूरी हो। वह पलंग सहित उठा कर के कुछ व्यक्ति को कहीं भी पहुंचा सकता है।

मैं यह बातें सुनकर हंसने लगा। फिर भी मेरे पिता बोले कि साधक इससे अजय साहसी, कर्मठ और हजार मनुष्यों के समान कार्य करने वाला बन जाता है। मैं जोर जोर से हंसने लगा। मैंने कहा ऐसा नहीं हो सकता। आज की दुनिया में अगर यही सब हो रहा होता तो सारे लोग यही कर रहे होते। मेरे पिता ने कहा, तू बात तो सही कह रहा है। लेकिन शायद तू जानता नहीं है! सिद्धियां आसानी से नहीं मिलती। इसके साथ ही साथ सिद्धियों को छुपाना भी पड़ता है। मैं तुझे यही सब कुछ बताने के लिए ही तो आज यह गोपनीय बात समझा रहा हूं। मैंने कहा पिताजी, मैं इन चीजों में विश्वास नहीं करता। अगर आप कह रहे हो तो मान लेता हूं क्योंकि आप मेरे पिता हैं। पर यह सब झूठी बातें हैं। किस दुनिया में आप जी रहे हो पिताजी? ऐसा कुछ भी नहीं होता। लोगों को देखो क्या कोई भी इन चीजों पर विश्वास करता है? सारी दुनिया मूर्ख नहीं है। सिर्फ आप ही ऐसी चीजों का बखान कर रहे हैं?

इस पर पिताजी ने कहा लगता है तुझे इसके बारे में थोड़ा बहुत बताना आवश्यक है। यक्ष बेताल बहुत ही शक्तिशाली होता है। इस ने युधिष्ठिर को जीवित छोड़ दिया था। मैंने पूछा शायद मैंने कहानी सुनी है। जब जंगल में युधिष्ठिर जाता है और अन्य पांडवों की तरह वह पानी पी रहा होता है तो यह यक्ष प्रश्न करता है। किंतु वह तो यक्ष था पिताजी। आप यक्ष बेताल को बता रहे हैं? यह यक्ष बेताल कौन है? मेरे पिताजी ने कहा, जब तंत्र में साधनाएं की जाती हैं तो विभिन्न शक्तियों को आपस में जोड़ा भी जा सकता है। इसी से एक साधना बनी है। इसको हम यक्ष बेताल साधना के नाम से जानते हैं।यक्ष बेताल, बेताल उसे भी अधिक शक्तिशाली होता है और बेताल की संपूर्ण शक्ति लिए हुए होता है।

मैंने कहा पिताजी, अगर ऐसा है और आप सच बता रहे हैं? तो सारी दुनिया में लोग। ऐसी साधना करके करोड़पति हो जाते। और सिद्धिवां होकर दुनिया में सारे काम अपने हाथों से चमत्कारिक रूप से कर डालते हैं। मैंने उनसे कहा तो वह हंसने लगे। उन्होंने कहा, अगर यह सब इतना ही आसान होता तो सारे लोग सिद्धि प्राप्त कर लेते। पर यह रहस्य भी उतना ही सच है कि यह सब कुछ एक सत्य है, लेकिन हर व्यक्ति हर सत्य को प्राप्त नहीं कर सकता। जैसे अगर सभी कहें कि मुझे आईएस पीसीएस बनना है। इसके लिए वह तैयारी करें और छात्र करते भी हैं। पूरी कोशिशें करते हैं। देखो लोगों को कितने बच्चे इस बड़े एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं? लाखों की संख्या है। लेकिन सफल कितने होते हैं कुछ ही?

क्या इससे? जो दूसरा व्यक्ति सफल नहीं हुआ है दोनों बीच में ज्ञान में कमी है। हो भी सकती है तो कितने प्रतिशत 2% से 1% की मामूली कमी! इसीलिए कहता हूं कि ज्ञान होना और उसको अपनी सिद्धि में बदल लेना दोनों अलग-अलग बातें हैं। मैं अपने पिता की बातों से प्रभावित हो रहा था। मैंने कहा पिताजी इसका मतलब हमारा उद्देश्य केवल प्रयास करना होना चाहिए। सफलता मिलना या ना मिलना है तो दोनों अलग-अलग बातें हैं। मैं समझ गया जिस तरह लाखों लोग एग्जाम की तैयारी करते हैं, लेकिन सफल कुछ ही हो पाते हैं। इसी तरह सिद्धियों का भी क्षेत्र है। लेकिन मैं कैसे यकीन करूं आपका ? लेकिन सिद्धि अगर आप करवा दें तो मैं मानूं अथवा कोई अनुभव ही हो जाए। मैंने कहा तो पिताजी ने कहा, ठीक है। मैं तुझे सिद्धि का तो नहीं बता सकता। लेकिन अनुभव अवश्य ही करवा दूंगा।

अब ये तुझ पर है कि तू सिद्धि प्राप्त कर पाता है अथवा नहीं। मैंने भी जवानी में ऐसे किया था और सिद्धि को कुछ समय तक संभाले भी रखा था। लेकिन? हर चीज हर व्यक्ति के पास। सभी समय उपलब्ध नहीं रहती। और शायद इसी वजह से यह सिद्धि मेरे हाथों से चली गई। पर तेरे पास तो मौका है, देखते हैं तू क्या कर पाता है? किंतु सबसे पहले तुझे विश्वास करना होगा। क्योंकि विश्वासम फलदायकम। अर्थात विश्वास से ही फल की प्राप्ति होती है। अगर तू साधना करने जा रहा है और विश्वास ही नहीं कर रहा तो फिर तुझे सिद्धि प्राप्त कैसे होगा? मैंने अपने पिताजी से कहा, मैं अब विश्वास करता हूं। आप जो कुछ भी कहेंगे वह सब कुछ करूंगा। सिर्फ यह जानने के लिए कि साधना वास्तव में सत्य है अथवा नहीं।

तो गुरु जी इस प्रकार से मेरी और पिताजी कि वह वार्तालाप वहां पर समाप्त हुई। यह साधना मैं आपको प्रेषित कर रहा हूं। आप चाहे तो इसे अन्य साधकों को दे सकते हैं और मूल्य भी निर्धारित कर सकते हैं। अगर आपको अच्छा लगे तो उसमें से कुछ मूल्य मुझे भी दे दीजिएगा। मुझे अच्छा लगेगा। लेकिन? मैं इसे केवल और केवल जनहित हेतु देना चाहता हूं। सभी लोगों का भला हो और वह साधना से विभिन्न प्रकार के अनुभवों को ले सकें। इसलिए मैं यह साधना आपको गोपनीय रूप से दे रहा हूं। साथ ही साथ में इसका अनुभव भी बताऊंगा।

इस प्रकार से गुरुजी! जब मैंने यह सब बातें अपने पिता से कहीं तो उन्होंने कहा, ठीक है अब तुम तैयारी करो इस साधना को संपूर्ण करने की। लेकिन इसके लिए तुम्हें बेल वृक्ष की जड़! पलाश वृक्ष की जड़ इन दोनों को लाना होगा। मैंने कहा ठीक है इसमें कौन सी बड़ी बात है? मैं जंगल जाकर के। इन पेड़ों की जड़ों को काटकर ले आऊंगा। उन्होंने मुझसे कहा, इस दौरान तुम्हें भगवान शिव के रूद्र मंत्र का उच्चारण करना है। यानी ओम नमो भगवते रुद्राय। इस मंत्र को पढ़ते हुए 108 बार तभी तुम्हें वह जड़े काटनी है। लेकिन याद रखना जब यह जड़े काटो उस दौरान तुम्हें कोई देख ना पाए। काटना तभी शुरू करना जब तुम्हें लगे कि तुम्हें कोई देख नहीं रहा। क्योंकि अगर तुम्हें किसी ने देख लिया तो यह कार्य शुरू होने से पहले ही समाप्त हो जाएगा।

मैंने कहा ठीक है पिताजी जब आप ही साधना में मेरे गुरु हैं तो इसमें क्या समस्या? उन्होंने कहा, तुझे इस कार्य के लिए अकेले ही जाना होगा। मैंने कहा कोई बात नहीं, मैं अकेले ही चला जाऊंगा। उसके बाद गुरुजी फिर मैं अपने पिता से इस कार्य की आज्ञा लेकर और मन में सिद्धि के बारे में सोच कर हर वक्त यक्ष बेताल के बारे में ही सोचता हुआ आगे बढ़ने लगा। जंगल में पहुंचने लगा, पर अचानक से ही मुझे अजीब सा महसूस हुआ। मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे पीछे पीछे चल रहा है। पहली बार मुझे ऐसा अनुभव हो रहा था। फिर मैंने सोचा कि लगता है ज्यादा मैंने सोच लिया। कहते हैं ना जिन बातों को हम बहुत ज्यादा सोच लेते हैं, वही चीजें हमको नजर आने लगती हैं। क्योंकि जैसे ही मैं पैर बढ़ाता, मुझे लगता कि कोई मेरे पीछे चल रहा है। मैंने कहा मन का डर दिमाग पर हावी हो रहा है। मैंने कुछ विचार नहीं किया और चलता चला गया।

मैं भी यही लोगों को सलाह दूंगा कि जब भी इस तरह के काम करे तो पीछे मुड़ कर के ना देखिए हो सकता है। वह शक्तियां आप को भयभीत कर इस कार्य को करने से रोक दें। पर शायद इसी वजह से आप उस कार्य में असफल भी हो जाएं। यही सोच कर मैंने अब उस जंगल में प्रवेश कर लिया और एक पेड़ जो बेल वृक्ष था, उसके पास पहुंचा। मैं मंत्र का जाप कर ही रहा था तभी मेरे ऊपर बहुत सारे पत्ते गिरे। पत्तों के गिरने से अचानक से मुझे डर लगा। लेकिन जब मैंने ऊपर देखा तो? ऊपर तो कुछ और ही था। क्या था वह भाग 2 में मैं आपको भेज दूंगा गुरुजी! और साथ ही साधना भी आप लोगों के लिए प्रकाशित कीजिए। नमस्कार गुरु जी!

यहां पर इन्होंने अनुभव के साथ-साथ साधना भी भेजी है। इसी प्रकार देश में कहीं पर भी आप रहते हो। अगर आपके पास कोई साधना है, परंपरागत रूप से और उसको सिद्ध भी किया गया अथवा वह अनुभवजन्य हो तो उसे अवश्य ही आप मेरे ईमेल dharamrahasya@gmail.com पर भेज सकते हैं। उसे प्रकाशित भी किया जाएगा और अगर वह साधना उत्तम हुई तो उसे इंस्टामोजो अकाउंट पर भी डाला जाएगा। आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे। अगले भाग में आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

यक्ष बेताल साधना भाग 2

Exit mobile version