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योगिनीपुर की महायोगिनी मठ कथा 5 अंतिम भाग

योगिनीपुर की महायोगिनी मठ कथा भाग 5

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि योगिनी पुर मठ की कहानी चल रही है । आपने अभी तक चार भागों में जाना है कि । किस प्रकार से भाम अपनी साधना करता चला जा रहा है । उसकी परीक्षा योगिनी देवी लगातार लेती जा रही हैं । उसी कथा के संदर्भ में आगे बढ़ते हुए आज हम देखते हैं कि किस प्रकार से एक राजा अपने अहम मे आकर के भाम को प्रताड़ित करने के लिए उसकी ओर बढ़ता है । और अपना सम्मान न किए जाने से रूस्ठ है । और उसकी तरफ धीरे-धीरे जाते हुए अपने मन में क्रोध को बहुत ही ज्यादा बढ़ा देता है । कहते हैं जब एक जगह क्रोध पैदा होता है तो वह चारों तरफ फैलता है । क्रोधी आदमी को देखकर दूसरा भी क्रोधित हो जाता है एक के क्रोध के कारण दूसरे का भी क्रोध बढ़ जाता है । यह स्वाभाविक परंपरा है इस बात को समझते हुए भाम चुपचाप किनारे बैठा हुआ यह सब बाते देख रहा होता है । तभी राजा वह पर आया और उसने कहा हे नवयुवक तू कौन है । और क्या तुझे पता नहीं है कि मैं इस राज्य का राजा हूं । जल्दी से जा और मेरे लिए जल लेकर कर आ । तू इतनी देर से बैठा हुआ है समाज मुझे यहां देख रहा है सभी मेरी आओ भागत में लगे हुए हैं और तू मुझ पर ध्यान नहीं दे रहा है । आखिर कौन है तू । उसकी बात को और उसके चेहरे को देखकर भाम के मन में क्रोधित जागृत हुआ ।

लेकिन चुकी पहले ही देवी उन्हें बता गई थी की क्रोध पर नियंत्रण रखना आवश्यक है । इसलिए वह चुपचाप उनकी बात को सुना और उठा । साथ ही उसने नमस्कार करते हुए कहा । हे राजन आपका इस आश्रम में स्वागत है कहिए मेरे लिए क्या आज्ञा है । अब घमंड से भरे हुए राजा ने एक बार फिर से क्रोधित होकर कहा मूर्ख मैंने तुझसे कुछ कहा । क्या तूने तुझे सुनाई नहीं देता है जा मेरे लिए पानी लेकर आ । मेरे हृदय में बहुत ही तीव्र भावनाएं उठ रही हैं मेरे हृदय में बहुत ही तेज भावनाएं उठ रही हैं क्रोध से मैं जल रहा हूं तू मेरा अपमान कर रहा है मेरा गला सूख रहा है । इसलिए जल्दी से जल्दी जा और पानी लेकर आ इससे पहले कि मैं कुछ गलत कर बैठू । भाम ने स्वयं पर नियंत्रण रखा और अपनी आंखें बंद कर अपने क्रोध को शांत करने की कोशिश की और वहां से तुरंत ही सरोवर की तरफ चल पड़ा । तभी जब वह सरोवर की तरफ जा रहा था राजा ने अपने कुछ सैनिकों को इशारा किया और अपने पास बुला लिया राजा ने कहा यह बड़ा ही घमंडी और धूर्त किस्म का युवक लगता है । जाओ उसे सबक सिखाओ ।उसके इशारे उसके सैनिक समझकर गए । और जब भाम धीरे-धीरे जाकर के सरोवर के पास पहुंचा तो उसने अपना घड़ा सरोवर में डाला और उसमें पानी भर लिया । थोड़ी दूर जाने के बाद सैनिक उसे मिले ।

वहीं सैनिक जिन सैनिकों को राजा ने उसके पास भेजा था । सैनिकों ने कहा उन्हें प्यास लगी है कृपया वह मटका उन्हें दे दे । भाम ने कहा कि यह राजा के लिए में जल लेकर जा रहा हूं आप लोग थोड़ा इंतजार कीजिए या फिर आप स्वयं सरोवर पर चले जाइए वहां पर जाकर पानी पी लीजिए । सैनिक अड़ गए । सैनिको ने डांटते हुए कहा मूर्ख पानी दुबारा भर के ले आना लेकिन अभी हमें प्यास लगी हुई है । कृपया कर हमें पानी पिला और अगर तू ऐसा तो नहीं करता है  तो हम तुझे इस बात के लिए दंड देंगे । भाम ने उनकी बात को सहजता से स्वीकार करके पानी उन्हें दे दिया । इसके बाद फिर से वह आगे बढ़ चला । राजा के पास जैसे ही पहुंचा राजा ने पूछा यह तेरा घड़ा आधा भरा क्यों है । उसने सारी बात राजा को बताई राजा ने फिर से क्रोधित होकर कहा मूर्ख मैं किसी के झूठा या किसी का पहले लिया हुआ जल ग्रहण में नहीं करता हूं । और यह कहते हुए उसने अपनी तलवार उस मटके पर मार दी मटका टूट गया । और उसका सारा पानी बिखर गया । राजा ने कहा मेरे लिए दुबारा पानी लेकर आ और याद रखना इस बार किसी और को जल देने की आवश्यकता नहीं है । भाम अपने हृदय को एक बार फिर से शांत करते हुए बोला ठीक है महाराज मैं जाता हूं । अपने मन में क्रोध के भाव को आते हुए भी वह फिर से अपने क्रोध को शांत करके ।

एक बार फिर जल भरने के लिए गया । तभी वहां जब भाम जल भर रहा था वह पर एक बूढ़ी औरत आई । वह उससे बोलने की बेटा मुझे भी पानी पिला दो भाम ने प्यार से उसे थोड़ा सा पानी पिला दिया ।और एक बार फिर से चल पड़ा क्योंकि इस बार पता नहीं चल पा रहा था क्योंकि उसे थोड़ा सा ही पानी उस बूढ़ी माई को पिलाया था । इस वजह से थोड़ा सा ही मटका खाली हुआ था । लेकिन देखने पर नहीं लगता था कि कुछ भी पानी उसमें से दिया गया होगा । लेकिन राजा के सैनिक इस बात पर लगातार ध्यान बनाए हुए थे । कि भाम क्या कर रहा है और जैसे ही राजा के सामने भाम अपना घड़ा लेकर पहुंचा । राजा ने कहा की वह सारा पानी उसके पैरों पर डाल दे । भाम को क्रोध आने लगा उसने पूछा राजन मै यह पानी भर के लेकर आया हूं और आप मुझ पर एक बार फिर से इस तरह की बातें क्यों कह रहे हैं । राजा ने कहा किसी सूद्र स्त्री को तुमने यह पानी पिलाया है एक राजा और एक सूद्र स्त्री का क्या मेल । इसलिए इस पानी को तुम मेरे चरणों में डाल दो । और मैं तुम्हारे गुरु से ही पानी मंगवा लूंगा तुम में वह सामर्थ नहीं कि तुम मुझे पानी पिला सको ।और तुरंत यह सारा पानी मेरे पैरों पर डाल दो । भाम को क्रोध आ गया । भाम ने कहा मूर्ख ऐसी बातें करता है तू शायद मेरी शक्ति को नहीं जानता है अगर मुझे क्रोध आ गया तो तू तो क्या तेरी पूरी सेना भी मुझे रोक पाएगी ।उसके क्रोध की उत्तेजना बढ़ने लगी राजा को भी क्रोध आया । राजा ने कहा मूर्ख इंसान एक राजा को क्रोधित करके तू इस तरह की इतनी बड़ी बात कहता है ।

सैनिको इस मुर्ख को पकड़ लो और इसे इतने कोड़े मारो के इसका दिमाग ठिकाने पर आ जाए । और सब ने भान को पकड़ लिया भाम को पकड़कर उसके ऊपर चाबुक चलाने लगे इधर चाबुक चलाने पर अब भाम का क्रोध सातवें आसमान पर हो गया । जैसे ही उस पर दो-तीन चाबुक मारे गए भाम का क्रोध फट पड़ा और वह स्वयं को नियंत्रित नहीं रख पाया । उसने क्रोध में आकर कहा की हे क्रोधनी देवी मैं तुम को साक्षी मानकर इस चाबुक को सर्प हो जाने का आदेश देता हूं यह सर्प उन सबको डसे जिन जिन पर मैं अपनी आंखें और निगाहें टेढ़ी कर दूं । क्रोध से भरे हुए भाम ने सारे सैनिकों की तरफ अपनी आंखें दिखाई । उस राजा की तरफ अपनी आंखें दिखाई और उसके मंत्रीगण अन्य लोग जो वहां आए हुए थे उन सब पर अपनी आंखें दिखाई । एक महा भयंकर सर्प वहां पर प्रकट हुआ उस सर्प से कई सारे सर्प प्रकट हो गए अर्थात कई हजारों सांपों का उत्पत्तिकरण वहां पर हो गया । सभी सर्प जा जा कर के उन उन व्यक्तियों पर लिपट गए जिन जिन लोगों ने भाम पर हंसा या क्रोध किया था । सबको सांपों ने काट लिया इस प्रकार अचानक ही वहां पर लाशें बिछ गई कई सौ लोग वहां अकारण ही मारे गए । अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर पाने की वजह से कई सौ लोगों की मृत्यु का कारण भाम को बनना पड़ा । लेकिन इतने पर भी भाम का क्रोध शांत नहीं हुआ । भाम ने कहा जिस देश का राजा ऐसा हो जिस देश की प्रजा ऐसी हो । वह दंड देने अवश्य ही योग्य है कहां है इस राज्य की राजधानी मैं वहां चलूंगा ।

और अपनी स्वेच्छा से अपने क्रोध पर अंकुश ना लगाने के कारण इच्छा मात्र से वह राजधानी में प्रकट हो गया । और राजधानी में प्रकट होकर के सीधे राजमहल की ओर चल पड़ा । राज महल में प्रवेश द्वार पर 2 सैनिक सामने खड़े थे । सैनिकों को देखकर उसके मन में जोर से गुस्सा आया और कहा कि मुझे रोकने का सामर्थ किसी में भी नहीं है हट जाओ मेरे रास्ते से इससे पहले कि मैं तुम्हें दंड दे दूं । सैनिक भला कहां रुकने वाले थे सैनिकों ने उस पर प्रहार करने की जैसे ही कोशिश की उसने वायु शक्ति का प्रयोग करते हुए उन सैनिकों को उठा कर के बाहर फेंक दिया । वह जिधर जाता उधर वायु शक्ति का प्रयोग करता और सभी चीजें इधर-उधर गिरने पड़ने लगी । जितने भी वहां पर लोग थे सब लोग इधर-उधर गिरते पड़ते उसका सामना नहीं कर पा रहे थे एक तूफान सा उसके चारों तरफ चल रहा था । उस तूफान की शक्ति के कारण अब कोई भी उसके सामने टिकने की शक्ति नहीं रख सकता था । धीरे-धीरे करके गुस्से में जाकर के राज सिंहासन पर जाकर बैठ गया । और कहने लगा कि आज से तुम लोगों का राजा मैं हूं तुम लोगों की मूर्खता और ऐसा राज्य शासन चलाए जाने से हर व्यक्ति परेशान हैं मैं तुम सबको दंड दूंगा और उसने तुरंत ही एक सोटा प्रकट किया । जो सोटा उसे मारा गया था उस सोटे को उसने आदेश दिया जाओ सोटे ।

इस पूरे राज्य में जितने भी लोग मेरा विरोध कर रहे हैं उन सब पर बरसों । और तब तक बरसते रहना जब तक की सब माफी ना मांगने लगे । उसकी आज्ञा का पालन करते हुए सोटा उड़ा और उस सोटे ने अद्भुत चमत्कार दिखाया हर व्यक्ति को चुना और हर व्यक्ति पर प्रहार किया उन चाबूको की मार से उस पूरे नगर के वासी त्राहि-त्राहि करने लगे । सभी भागते हुए उसके गुरु की तरफ पहुंच गए । जैसे ही उसके गुरु को यह बात पता चली तुरंत राजमहल की ओर रवाना हो गए । और भाम के पास जाकर के प्यार से बोले । हे भाम यह तुम क्या कर रहे हो तुम साधना कर रहे थे यह किस माया में फंस गए हो स्वयं को संभालो स्वयं को जानो । इससे पहले क्रोधनी देवी के प्रहार से तुम और भी बुरे कार्य कर डालो और अपनी साधना भंग कर सको इसलिए इस बात को समझते हुए तुरंत ही अपने आप को तुम संभाल लो । और यह लो मैं तुम्हारे लिए जल लेकर आया हूं कृपया इस जल को पी लो । गुरुद्वारा लाए जल को पीते ही और भाम शांत हो गया । भाम को पता लगा कि उसने क्या कर डाला है उसने कई लोगों की जान भी ले ली है और साथ ही साथ राज्य में उसने कई लोगों को कष्ट भी दे दिया है । तुरंत ही मां महायोगिनी को याद करके शांत हो गया । और उनको कहने लगा हे देवी आप अपनी कृपा से मेरे इस भ्रम का त्याग करो और मैं स्वेच्छा से अपनी सारी शक्तियों को वापस लेता हूं और मुझे शांत होने का वरदान दीजिए । इस प्रकार पुकारने पर और मंत्र का जाप करने पर देवी की शक्ति वहां प्रकट हो गई ।

क्रोधनी देवी उसके शरीर से बाहर निकलते हुए कहने लगी अच्छा हुआ जो तुमने समय रहते मुझे नियंत्रित कर लिया । इससे पहले तुम मुझे नियंत्रित नहीं करते तो तुम पूरे स्वराज्य को ही नष्ट कर डालते और पूरे राज्य में आग लगा देते । लेकिन मैं जा रही हूं इसके साथ ही साथ आपकी आखरी शक्ति का कामिनी शक्ति का उत्पत्ति करण होगा । वह काम की शक्ति तेजी से आप की ओर आ रही है भान आप अपने आश्रम की ओर लोटीए और उसकी शक्तियों से बचने की कोशिश करिएगा मै क्रोधनी अब यहां से जाती हूं । और कामिनी का सामना करने के लिए हे भाम तुम तैयार हो जाओ । याद रखो तुम क्रोध से भी बच सकते हो लेकिन कामनी की शक्तियों से बचने के लिए तुम्हें अथक प्रयास करना पड़ेगा । उसकी शक्तियां हमारी शक्तियों से अधिक शक्तिशाली है बड़े-बड़े ऋषि मुनि संत तपस्वी सबका अहंकार वह तोड़ चुकी है ।इसलिए उसके प्रकट होने पर तुम बहुत ही सावधानी से कार्य करना इस प्रकार भाम ने उस नगर से होते हुए और सब को ठीक करते हुए सबको प्राण दान देते हुए वापस अपने नगर से अपने आश्रम को आ गया । आश्रम पर पहुंच जाने पर तुरंत ही वहां पर एक अद्भुत सुंदरी कन्या प्रकट हुई  । जिसको देखकर भाम आश्चर्यचकित हो गया कि क्या कोई कन्या इतनी सुंदर हो सकती है ।

वह प्रकट हुई और कामिनी ने तुरंत ही उनसे कहा हे भाम मुझे स्वीकारो । तो तुम मुझे किस रूप में स्वीकार कर रहे हो ऐसा कहने पर तुरंत ही भाम ने उसके रूप को देखकर मन में अत्यंत ही विचलता और काम भाव का समावेश होने लगा । वह अपने हृदय को काबू में करके अपनी आंखें बंद करते हुए बोला मैं आपको अपनी बहन के रूप में स्वीकार करता हूं । गुरु की कही हुई बात वह भूल चुके थे कि किसी भी रूप में अभी किसी भी शक्ति को स्वीकार मत करना । अन्यथा परिणाम भयंकर हो सकते हैं । जैसे ही उसने उस शक्ति को बहन के रूप में स्वीकार किया कामिनी उसके नजदीक आई । और कामनी ने तुरंत कहा मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा हृदय मुझे बहन के रूप में स्वीकार कर रहा है । इसलिए अब तुम्हारी परीक्षा होगी आज से मैं तुम्हारे साथ साधना के बाद सदैव शयन करूंगी । और इस दौरान क्योंकि तुम्हारे मन में । मैं यह जानना चाहती हूं तुमने मुझे बहन माना ही है या बोला ही है या सिर्फ ऐसे बोला है इसकी परीक्षा होगी लेकिन मेरी एक शर्त है मैं तुम्हारे साथ सदैव शयन तो करूंगी ही लेकिन सदैव नग्न रहूंगी और सदैव शयन करूंगी । अब मैं तुम्हारी परीक्षा देखना चाहती हूं कि तुमने कहा अभी क्या वह तुम मानते भी हो या सिर्फ ऐसे ही बोल दिए हो । याद रखो अगर तुम इस परीक्षा में असफल हो गए तो अब तक करी हुई सारी साधना निसाफल हों सकती है ध्यान रहे भाम मैं जो कह रही हूं मै वह करती भी हूं क्योंकि मैं कामिनी हूं इस प्रकार से कामिनी देवी की बात को सुनकर भाम भौचक्का रह गया और उसके प्रस्ताव को सुनकर उसका दिमाग सन्नता में चला गया अब इसके आगे क्या हुआ जानेंगे अगले भाग में आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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