Site icon Dharam Rahasya

रहस्यमई तंत्र सुंदरी की खोज 2 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका आप एक बार फिर से स्वागत है। रहस्यमई तंत्र सुंदरी की खोज अभी तक आपने जाना एक व्यक्ति अपने कुछ मित्रों के साथ में। तंत्र सुंदरी को खोजने निकलता है, वहां उनका सामना मुंडों से होता है। अब आगे जानते हैं।

पत्र- गुरुजी! अब मैं आपको इसके आगे की घटना के विषय में बताता हूं। सुनने में तो यह बड़ा अजीब लगता है लेकिन तंत्र में सभी प्रकार के चमत्कार लोगों को अनुभव में स्वता ही होने लगते हैं।

जब गुरुजी के ना कहने पर भी वह व्यक्ति आगे बढ़ा। और बेहोश होकर गिर पड़ा तो नरमुंड इन सब पर हमला करने लगे। मेरे गुरु समझदार थे। उन्होंने माता शक्ति के मंत्रों का उच्चारण करते हुए। वहां उपस्थित सभी शक्तियों को। आवाहन कर यह कहा कि यहां पर जो भी शक्तियां विराजमान है।

मैं मां जगदंबा का भक्त आप सभी को। इस कार्य को करने के लिए रोकता हूं।

यह कार्य आप तभी करें जब हमारी बातें सुन ले।

और अचानक से ही सारे नरमुंड रुक गए।

सच में यह एक चमत्कार था। और तब उन्होंने जो सामने देखा वह और भी ज्यादा आश्चर्य में करने वाला था। अपनी साधना छोड़कर वह तंत्र सुंदरी। इस और आने लगी।

चांदनी प्रकाश में उसका शरीर चमकता हुआ चांद नजर आ रहा था। चेहरा बहुत ही अधिक सुंदर था।

शरीर पूरी तरह नग्न था।

स्तन बड़े बड़े और आगे की ओर लटके हुए थे।

पैरों में पायल पहनी हुई थी जिनकी झंकार से वह आगे बढ़ते ही जा रही थी।

इस प्रकार नग्न स्त्री को देखकर सभी ने अपनी आंखें झुका ली।

इन लोगों के सामने आकर खड़ी हो गई। उसके शरीर से बहुत ही तेज प्रकाश निकल रहा था।

अब मेरे गुरु ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा देवी! आप कौन हैं?

मैं आपकी ही खोज में यहां पर आया था।

तंत्र विद्या को सीखने के लिए।

अगर कोई अपराध हम लोगों से हो गया हो तो क्षमा कीजिए। इस पर वह कहने लगी क्या तुमने? कोई नग्न स्त्री नहीं देखी है। जो इतना आंखें झुका रहे हो।

ठीक है।

तंत्र विद्या सीखने आए हो? तो सबसे पहले मुझ को देखते हुए?

यह बताओ कि? मुझे तुम किस रूप में प्राप्त करना चाहते हो?

मुझे अपनी पत्नी बनाना चाहते हो, अपनी बहन बनाना चाहते हो या फिर अपनी माता बनाना चाहते हो?

सभी अपना सिर उठाकर मेरी और देखो!

सभी ने? उनकी तरफ आंखें उठाकर देखा। लेकिन लज्जा सभी को बहुत ही अधिक आ रही थी।

उनको देखकर। उनके आए सभी मित्रों ने अपने अपने प्रस्ताव रख दिए। लगभग सभी ने उन्हें पत्नी और प्रेमिका के रूप में प्राप्त करने की बात रखी।

मेरे गुरु ने! और उनके एक मित्र ने।

बहन के रूप में और मेरे गुरु ने माता के रूप में।

उन्हें प्राप्त करने की इच्छा रखी।

यह सुनकर वह जोर-जोर से हंसने लगी। ठीक है।

जो लोग मुझे पत्नी के रूप में प्राप्त करना चाहते हैं?

सब के सब! नर मुंडो पर जाकर बैठ जाए।

जो मुझे बहन के रूप में प्राप्त करना चाहता है। वह मेरी! योगनियों के पास चला जाए। वह सभी उसके साथ।

रतिक्रिया करेंगी।

और तू जो मुझे माता के रूप में। प्राप्त करना चाहता है चल मेरे साथ।

सबसे पहले मेरे ही समान निर्वस्त्र हो जा!

यह बात जब मेरे गुरु को कही गई। तो उन्होंने बिना देर किए अपने सारे वस्त्र उतार दिए और वह भी उन्हीं के समान पूर्णता नग्न होकर के। उनके पीछे पीछे चलने लगे।

तंत्र सुंदरी देवी ने उन्हें कहा।

ठीक है। अब जो मैं कहूंगी वही तुझे करना होगा।

मेरी हर बात को मानना होगा। क्योंकि मां जो कहती है। पुत्र को बहुत सारी बातें माननी चाहिए।

इसके बाद अब मैं आपको वह बात बताता हूं कि बाकी शिष्यों के साथ क्या हुआ?

जिन लोगों ने!

पत्नी रूप में उस तंत्र सुंदरी की प्राप्ति की इच्छा रखी थी।

वहां पर भी वह तंत्र सुंदरी प्रकट हो गई। उन्होंने कहा। क्या तुम सब मुझे अपनी पत्नी के रूप में प्राप्त करना चाहते हो?

सब ने कहा हां, आप इतनी अधिक सुंदर हो इसलिए हम आपको पत्नी के रूप में प्राप्त करना चाहते हैं।

ठीक है, उन्होंने कहा।

जाओ आगे मगरमच्छों से भरा हुआ तालाब है। कमर भर पानी में खड़े होकर वहां तपस्या करो।

जिसका हृदय पवित्र होगा, वह तपस्या में अवश्य ही सफल होगा।

यह बात सुनकर! सारे साधु घबरा गए। उन्हें यकीन नहीं आ रहा था कि मगरमच्छ से भरे तालाब में भला वह साधना कैसे कर पाएंगे?

कुछ ने अब वहां से भागना ही उचित समझा। लेकिन कुछ हिम्मती थे। वह! मगरमच्छ से भरे हुए तालाब में उतर गए।

मगरमच्छों ने।

वहां उनके चारों तरफ घूमना शुरू कर दिया।

सब का हृदय पवित्र नहीं था। इसी कारण से मगरमच्छों ने। उनके। गुप्त अंगो को खा लिया।

वह सब चिल्लाते हुए। वहां से भाग गए।

इधर बहन के रूप में जिस तंत्र साधक ने।

इन्हें सिद्ध करने की बात की थी वहां भी। योगिनी जब उस साधक के शरीर से खिलवाड़ करने लगी। तो वह भी डर कर वहां से भाग गया। अब केवल मेरे गुरु शेष रह गए थे। जोकि। देवी के साथ ही हर एक तंत्र विद्या सीख रहे थे।

तभी। तंत्र सुंदरी ने कहा। छोटी मोटी सिद्धियां मैंने तुम्हें सिखा दी है। अब मैं तुम्हें बड़ी सिद्धि सिखाना चाहती हूं।

लेकिन इसके लिए तुम्हें?  तैयार होना होगा और अगर इस चरण में तो असफल होंगे तो फिर मुझे छोड़कर हमेशा के लिए चले जाओगे।

तंत्र सुंदरी की बात सुनकर उन्होंने कहा, माता आपकी जैसी इच्छा आप जो भी परीक्षा लेंगे मैं उससे परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ ।

तंत्र सुंदरी देवी ने कहा। ठीक है आकर  मेरे ऊपर लेट जा! और मेरे स्तनों!

से दूध पी।

और जब तक तू दूध पिएगा तब तक तुझे मंत्र जाप करना होगा।

यह मंत्र जाप! तब तक चलना चाहिए। जब तक कि अगली सुबह ना हो जाए।

यह सुनकर मेरे गुरु भौचक्के रह गए।

तंत्र सुंदरी ।

कहा -मां तो कह रहे थे लेकिन? जवान स्त्री को इस प्रकार आलिंगन में लेना उनके बस की बात नजर नहीं आ रही थी।

इस पर? उन्होंने कहा, कोई और परीक्षा ले लीजिए।

लेकिन मुझे यह कार्य करने को मत कहिए। इस पर तंत्र सुंदरी हंसते हुए कहीं।

तेरा हृदय अभी भी पूरी तरह पवित्र नहीं हो पाया है जा चला जा। मैं तुझे छोटी मोटी सिद्धियां ऐसे ही प्रदान करती हूं। दोबारा यहां वापस मत आना।

माता! बोलने में और माता बनाने में अंतर होता है।

सुंदर स्त्री का शरीर। देख कर तू प्रभावित हो रहा है। और? मेरा स्तनपान नहीं करना चाहता क्योंकि मैं नग्न हूं। फिर भला मुझे अपनी मां कैसे मान पाया है?

जा बाकियों के अलावा सिर्फ तुझे ही मैं सिद्धियां प्रदान करती हूं। लेकिन उच्च सिद्धि के लिए।

तेरा मस्तिष्क और शरीर तैयार नहीं था इसलिए तू यहां से चला जा!

शरीर मन की कल्पना होती है।

अगर तू कल्पना में मुझे माता मान रहा था तो माता जैसा व्यवहार ही करना चाहिए था।

लेकिन? तू अपने शरीर को। संभालने की क्षमता नहीं रखता है तो भला बड़ी सिद्धियां कैसे प्राप्त करेगा? मैंने यह साधना कर साक्षात। भैरवी स्वरूप प्राप्त किया है।

मैंने केवल 2 वर्षों में योगिनी स्वरूप धारण कर लिया था। और 12 वर्ष बाद भैरवी स्वरूप को प्राप्त कर लिया था इसी कारण! मेरे अंदर इतनी अधिक सिद्धियां है। मैं नग्न स्वरूप में इसीलिए रहती हूं।

क्योंकि आडंबर का आवरण मैं नहीं ओढ़ती
जिसमें सामर्थ होगा वह मुझे किसी भी युग में ढूंढ लेगा।

लेकिन जिस में सामर्थ्य नहीं है जिसका मन उसके अधीन नहीं है, वह मुझे कभी प्राप्त नहीं कर पाएगा।

जा चला जा यहां से।

और बंद कर अपनी आंखें।

माता को प्रणाम कर मेरे गुरु ने जैसे ही आंखे बंद की चमत्कार घटित हुआ मेरे गुरु! अपनी कुटिया पर थे जहां से उन्होंने यात्रा शुरू की नहीं।

एक क्षण में देवी ने उन्हें उनके घर पहुंचा दिया।

मैं इस प्रकार यहां पर उनकी जीवन की इस घटना को आपको बता रहा हूं गुरु जी!

तंत्र सुंदरी को। कोई शायद ही खोज पाए। क्योंकि वह अजर है, अमर है और वहीं कहीं हिमालय में और तिब्बत के आसपास अपनी तंत्र साधना आज भी कर रही हैं ।

गुरु जी, अगर आपको यह अनुभव पसंद आया हो तो? उसके लिए। आपका धन्यवाद क्योंकि आपने इसे प्रकाशित किया है और प्राचीन रहस्य को जगत के सामने रखा है। नमस्कार गुरु जी!

संदेश – देखे यहां पर देवी तंत्र सुंदरी ने किस प्रकार से परीक्षा ली और वही सफल रहा जिसका हृदय पवित्र था ।

लेकिन पूर्ण पवित्रता हृदय में होना किसी भी उच्च कोटि की सिद्धि के लिए आवश्यक है। तो अगर आपको आज का यह पोस्ट पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें।  आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

 

Exit mobile version