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रहस्यमई तंत्र सुंदरी की खोज भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज जो हम अनुभव लेने जा रहे हैं, यह एक कथा है जो आज से कई 100 वर्ष पूर्व घटित हुई होगी। भेजने वाले स्वयं एक तंत्र साधक हैं। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं क्या है यह घटना?

नमस्कार गुरु जी, सबसे पहले मैं आपका। हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूं। तंत्र के बारे में इतनी गहरी!

और उच्च कोटि की। नॉलेज आप रखते हैं। इसके लिए साथ ही आपने तंत्र को पूरे विश्व के समक्ष प्रदर्शित किया है। उसके लिए भी धन्यवाद। आपके माध्यम से पूरे भारतवर्ष में लोग इस पर रिसर्च भी कर रहे हैं। मैं स्वयं एक तंत्र साधक हूं। मैं शिव शक्ति परंपरा से जुड़ा हुआ हूं। आपको? और धर्म रहस्य से जुड़े हुए सभी दर्शकों को प्रणाम करते हुए मेरे ही परंपरा में मेरे छठी पीढ़ी के गुरु! और उनसे जुड़ी हुई घटना को मैं यहां पर आपके साथ साझा करना चाहता हूं ताकि तंत्र की इस छुपी हुई कहानी को विश्व को बताया जा सके। मैं आपको इस घटना के विषय में बताता हूं। गुरु जी यह बात आज से पता नहीं कितने 100 वर्ष पूर्व की होगी? इसका अंदाजा मुझे नहीं है। लेकिन मैंने अपने गुरु से यह कहानी सुनी थी। आप इसे प्रकाशित कर रहस्यमई तंत्र के विषय में संसार को बता सकते हैं। यह कहानी है एक! चमत्कारिक रहस्यमई तांत्रिक औरत की। जो बहुत ही अधिक शक्तिशाली हो गई थी। कहते हैं वह इतनी अधिक तंत्र में निपुण हो गई थी कि उसने एक शेर को अपने वश में कर रखा था। उसके कंधे पर बैठकर वह माता दुर्गा के समान ही चला करती थी। उसकी सिद्धि और उसकी शक्तियों का इतना अधिक चारों तरफ खौफ था कि सभी लोग उसके पास जाने से भी डरते थे।

हमारी तंत्र परंपरा की बातें गोपनीय है। लेकिन फिर भी मैं आपको बताता हूं कि छठी पीढ़ी के मेरे गुरु!

और उनके कुछ मित्र? जब इस स्त्री के विषय में जाने तो उन्होंने सोचा कि चलो उस स्त्री से मिलकर उसे अपना गुरु बनाया जाए और शक्तिशाली तंत्र सिद्धियां प्राप्त की जाए। लेकिन कोई भी चीज आसान नहीं होती। और उसके लिए कितनी कड़ी परीक्षाएं देनी पड़े? इसका कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता है।

और उन्होंने जो सोचा था वैसा नहीं हुआ। इस प्रकार उन्होंने उस स्त्री के पास जाने के लिए अपने। मित्रों के साथ वहां की यात्रा शुरू की। यह वह दौर था जब ना तो सही से मार्ग हुआ करते थे। और ना ही! यह पता होता था कि हमें किस और और कैसे जाना है? लेकिन समय सब कुछ करवा लेता है गुरुजी और उन्होंने लोगों से पूछ पूछ कर! उस और की यात्रा प्रारंभ की। वर्तमान! उत्तराखंड में उत्तरकाशी से। होते हुए उन्हें तिब्बत की ओर जाना था।

वही उसका निवास स्थान था। वह स्वच्छंद और अकेली रहती थी। बहुत ही अधिक तंत्र में निपुण जीवन से पूरी तरह से कटी हुई वह स्त्री। बहुत ही अधिक सुंदर थी। उसे जो एक बार देख लेता उसे देखने के लिए दोबारा। अवश्य ही प्रयास करता था। पर उसके दर्शन दुर्लभ है। वह मानव के हृदय तक को परख लेती थी।

और तंत्र में तो उसका कोई सानी उस समय नहीं था।

आखिर इन लोगों ने कच्चे-पक्के मार्गो से होते हुए 1 लंबी और कठिन यात्रा शुरू की। उस स्त्री तक पहुंचना आसान नहीं था क्योंकि बीच में कई रातें आई जब उन्हें पेड़ पर रात्रि बितानी पड़ी, क्योंकि जमीन में तो जंगल के जानवरों का बहुत बड़ा खतरा रहता था।

और यह सब अलग ही रहस्यमई दुनिया थी।

आखिरकार एक गांव आया और उस गांव में सभी लोग!

वहां के प्रमुख व्यक्ति से मिलकर।

आराम करने लगे। गांव के लोगों ने उनका स्वागत किया और कहा।

आपको? जो कुछ भी करना है बहुत ही। सावधानीपूर्वक करना पड़ेगा। इस बात को समझ कर ही आप आगे बढ़े। आखिर गांव में इन्होंने भोजन किया और अगली सुबह तैयारी की उस स्थान की ओर जाने कि जिस पहाड़ी पर वह स्त्री रहा करती थी। लोगों ने कहा था उसके निवास स्थान का कोई पता नहीं है लेकिन वह कभी कभी। दिख जाती है।

इसीलिए लगता है कि वह पहाड़ी पर रहती होगी।

उनकी बातों को। समझ कर आखिर सभी लोग मेरे गुरु के साथ में उस स्थान की ओर चल पड़े।

थोड़ी दूर आगे जाने पर। एक कंकाल जमीन पर पड़ा हुआ दिखाई पड़ा। उसे देखकर सभी दंग रह गए।

आखिर वहां पर! एक मानव कंकाल क्यों पड़ा था? लेकिन आश्चर्य और भी अधिक तब बढ़ गया। जब? थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर चारों तरफ कंकाल ही कंकाल नजर आए।

इतनी अधिक मनुष्यों की मृत्यु आखिर यहां पर हुई कैसे थी? सबके मन में एक अनजान है, विद्यमान हो गया। वह सोचने लगे कहीं ऐसा तो नहीं यह मानव बलि ले लेती हो?

उसकी सुंदरता के विषय में तो बहुत बातें सुनी थी लेकिन उसके इस खतरनाक पहलू के बारे में कोई नहीं जान पा रहा था।

तभी वह थोड़ा आगे बढ़े और इनकी नाक में तेज गंध आने लगी। ऐसी गंद जिसकी वजह से इनका आगे चलना फिरना भी असंभव सा लग रहा था। पर चढ़ना तो था ही और वह पहाड़। जहां वह विद्यमान थी।

तभी वहां पर एक लंबा चौड़ा चोगा पहने। एक आदमी खड़ा दिखाई दिया।

उस आदमी के पास जाकर उन्होंने कहा, हमें उस स्त्री से मिलना है।

वह हंसते हुए कहने लगा ठीक है पर अपने आने का कारण तो बताओ। उन्होंने कहा, हमें उस स्त्री से तंत्र विद्या सीखनी है।उसकी सुंदरता के विषय में तो बहुत बातें सुनी थी लेकिन उसके इस खतरनाक पहलू के बारे में कोई नहीं जान पा रहा था।

इसीलिए हम इतनी दूर से यहां तक आए हैं।

हम उसे यहीं से नमस्कार करते हैं।

अपनी विनम्रता और चातुर्य के कारण।

वह व्यक्ति हंसकर कहने लगा, ठीक है, आगे बढ़ो। लेकिन परीक्षा तो अब यहीं से शुरू हो जाएगी। क्योंकि तुमने अपने आने का मंतव्य बता दिया है? इसलिए अब! दो अपनी परीक्षा। और वह कहते हैं हंसते ही गायब हो गया। यह देख कर पहली बार। सभी को इस बात का एहसास हो गया कि जिस तांत्रिक स्त्री के पास वो आए हैं वह कोई साधारण शक्ति बिल्कुल भी नहीं है। जब उसका एक छोटा सा पहरेदार। आंखों के सामने गायब हो सकता है। तो वह कितनी अधिक शक्तिशाली होगी?

थोड़ी देर बाद अंधेरा हो गया।

यह लोग अंधेरे में भी चलते रहे तभी थोड़ी दूर पर मां काली की एक आदम कद। पाषाण प्रतिमा। उन्हें दिखाई दी। जो बहुत ही अधिक दिखने में।

चमत्कारिक नजर आ रही थी। उसी के सामने एक सर्वांग सुंदरी निर्वस्त्र रूप में। पद्मासन की मुद्रा में बैठे। ध्यान में ।

उसके ही दाएं तरफ खोपड़ियों का एक विशाल का ढेर लगा हुआ था।

अचानक ही वहां हलचल होने लगी। और? उस क्षेत्र में प्रवेश करते ही अजीब सी आवाजें और।

विभिन्न प्रकार की नाक में सुगंध उन सब के फैलने लगी।

अभी तक जो कुछ शुभ नजर आ रहा था, अब भयानक होने वाला था तभी दो खोपड़ीया ऊपर हवा में एक दूसरे से। बेतरह टकराने लगी। जैसे दो पहलवान मल्ल युद्ध कर रहे हो।

रात के गहरे काले अंधकार और उस वीरान सी जगह

इधर वह अति सुंदर स्त्री पूर्ण तरह निर्वस्त्र। तीव्रता से।

बैठी अपने ध्यान में ऐसे थी जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं हो कि क्या घटित हो रहा है?

पर जैसा लोग सोचते हैं वैसा होता कहां है? अब यह लोग सोचने लगे क्या किया जाए?

अभी इन्हीं में से एक व्यक्ति ने आगे बढ़कर माता काली की ओर जाना शुरु कर दिया।

हालांकि मेरे गुरु ने तुरंत ही। उस व्यक्ति को रोकने की कोशिश की। पर वह! इतना अधिक कौतूहल में रम गया था। कि उसे यह ध्यान ही नहीं रहा। वह तीव्रता से माता काली की ओर बढ़ने लगा। तभी बहुत ही तेजी के साथ में। वहां पर एक मुंड उसकी तरफ आया और उसकी छाती से टकरा गया। जैसे ही वह मुंड उसकी छाती से टकराया, वह बेहोश होकर वहीं पर गिर गया। यह देखकर यह सब बहुत ही तीव्रता से डर गए।

सब के सब सोचने लगे। अब क्या होगा तभी वहां पर कई संख्या में नरमुंड? चारों तरफ घूमने लगे।

इन सब को लगा इनका अंतिम समय आ गया है क्योंकि नर मुंडो की। गति इनकी और जैसे ही होगी वैसे ही इनका अंतिम समय!

आ जाएगा। और इस प्रकार गुरु जी यह घटना का पहला चरण समाप्त होता है। आगे क्या हुआ इसके बारे में मैं आपको?

लिख कर भेजता हूं। नमस्कार गुरु जी!

संदेश – तो देखे यहां पर इन्होंने उस घटना के विषय में यहां पर बताया है जो इनके गुरु के साथ में। उस दौर में घटित हुई थी, आगे क्या घटित होगा। हम लोग अगले भाग में जानेंगे तो अगर आपको यह कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

रहस्यमई तंत्र सुंदरी की खोज भाग 2

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