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रुद्र आसुरी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं एक विशेष साधना जिसका नाम है रुद्र आसुरी साधना यह भगवान शिव की आसुरी साधना है । हालांकि यह आज्ञा चक्र की साधना है परन्तु यह आसुरी तरीके से सिद्ध की जाती है ।आज मैं इसी को आपको सही तरीके से करनी की विधि बताऊंगा ।

इसका समय मध्य रात्रि होता है आपको कृष्ण पक्ष की नवमी से शुरू कर के 33 दिन तक साधना करनी होगी एकांत कमरे में । हवादार कमरा हो पर कमरे में हवा के झोंके ना आने पाए आपके कमरे में कोई भी आवाज ना करें कोई भी परेशान ना करें जिसकी वजह से आपके साधना भंग ना हो । आप इस साधना के लिए एक नर कंकाल की खोपड़ी या सीमेंट से बनी हुई खोपड़ी का प्रयोग कर सकते हैं ।

सरसो के तेल का दीपक सिंदूर लाल गुड़हल का फूल रक्त चंदन  घी मधु काले तिल जौ मदार की लकड़ी की व्यवस्था कर अब आप इस खोपड़ी को काले पत्थर की एक शिला पर रखेंगे । याद रखें कि पत्थर काला ही होना चाहिए । दीपक में तेल डालकर दिया जलाये और सिंदूर से खोपड़ी की मांग भरे, उसके बाद तिल और फूल से उसकी पूजा करते हुए निन्न मंत्र का 108 बार जाप करें इसका मंत्र इस प्रकार से है-

मँत्रः  ओऽऽऽऽऽम्  रुद्राय नमः        ओऽऽऽऽऽम् अक्षाय नमः         ओऽऽऽऽऽम्  त्रिनेत्राय नमः         ओऽऽऽऽऽम् विश्वदेवाय नम:

इसी का आपको जाप करना है और हर जाप के बाद आपको खोपड़ी की पूजा करनी है। इसके बाद आप मदार की लकड़ी जलाकर तिल जौ कपूर मधु घी से उक्त मँत्र हवन करेंगे । आपको ऐसा 108 बार करना होगा और इसी मंत्र से आपको 108 बार हवन करना होगा । उसके बाद आप साधना प्रारंभ करें और खोपड़ी और दीपक वहीं पर रहने दे । रोज आप 108 मँत्र जाप करें और खोपड़ी की आंखों में से निकलने वाले प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करते हुए भगवान रुद्र का ध्यान करें।

उसके दूसरे दिन  21 बार मंत्र जाप को बढा दे और उसके तीसरे दिन आप 21 मंत्र को और बढा दे । प्रथम दिन के बाद खोपड़ी की पूजा और हवन करना आवश्यक नहीं है यह हवन दूसरी बार साधना समाप्त होने के बाद ही होगी । यह साधना 43 दिन की मानी जाती है जब  खोपड़ी की आंखों से निकलने वाले प्रकाश में आपको रुद्र का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त हो जाए तब समझ लीजिए कि आपकी साधना संपन्न हो गई ।

लेकिन ऐसा भी होता है कि साधक की पूर्ण एकाग्र शक्ति जागृत नहीं हो पाती है और आपको इसमें अधिक समय लग सकता है पर जब तक आप को सफलता ना मिले तब तक आप इस प्रयोग को करते रहे। अगर आपके नेत्रों में जलन होने लगे तो तुरंत प्रयोग को बंद कर दें और दूसरे दिन से प्रारंभ करें । इस साधना के तीसरे ही दिन से आपको डर लगना शुरु हो जाता है आपको भूत प्रेत पिशाच डंकिनी शाकिनी चूडैल सब डराने लग जाती हैं।

लेकिन आपको डरना नहीं है और आपको किसी भी रुप में यह साधना रोकनी नहीं है नहीं तो आपको हानि भी हो सकती है यह विशेष बात होती है । इसमें आपको मल मुत्र का त्याग कर के पानी पीकर ही बैठना है ।ताकि आपको किसी भी प्रकार की समस्या ना हो । साधना के बीच में आप निश्चिंत होकर साधना को प्रारंभ और समाप्त कर सकते हैं ।

आप इसमें तामसिक भोजन का भी प्रयोग कर सकते हैं पर एक मात्रा में ही ऐसा करे नहीं तो अगर आपने भर पेट खा लिया और आपको निद्रा आने लगी और आप तँद्रा अवस्था में हो जायेगे तो सिद्धि नही मिलेगी । आप रात्रि के 9:00 बजे इसमें भोजन कर ले इस में भूखा रहना वर्जित माना जाता है क्योंकि इससे आपके ध्यान में विघ्न उत्पन्न होता है। इसलिए इन सभी चीजो का ध्यान रखें नहीं तो गड़बड़ी हो सकती है इसमें आपको भगवान रुद्र की आसुरी कृपा प्राप्त होती है अगर आपको यह साधना पसंद आई हो तो धन्यवाद ।।

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