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वानर मुखी योगिनी साधना

वानर मुखी योगिनी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम बात करेंगे। एक दुर्लभ योगिनी साधना के विषय में इसे हम वानर मुखी योगिनी के नाम से जानते हैं। कौन है यह शक्तिशाली योगिनी और क्या स्वभाव है। कैसे इन्हें सिद्ध किया जाता है। आज के इस वीडियो के माध्यम से हम लोग जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं। आप लोगों ने हनुमान जी के विषय में अच्छी प्रकार ज्ञान प्राप्त किया होगा और सभी यह जानते हैं कि इस राह पर जो महावीर हैं वह हनुमान जी यानी सिर्फ वीर नहीं। महावीर उनसे अधिक शक्तिशाली वीर शक्ति इस धरा पर मौजूद नहीं। वीर में प्रथम स्थान हनुमान जी का आता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति हनुमान जी की सिद्धि प्रत्यक्ष रूप में करने में समर्थ नहीं है और वैसे ही क्षमता और कार्य सिद्धि प्राप्त करना चाहता है तो केवल एक नाम की स्पष्ट होता है और वह है वानर योगिनी, योगिनी प्राचीन काल से अति गुप्त सिद्ध परंपरा में सिद्ध की जाती रही है और दुर्लभ सिद्धों द्वारा इसकी साधना की गई, लेकिन अधिकतर जिन्होंने भी इसकी साधना की है। वह अपने आपको समाज से पूरी तरह विरक्त करके ही उन्होंने इसकी सिद्धि प्राप्त की है क्योंकि उनके अंदर एक गजब!

क्षमता प्रकट होती है जिसके कारण से वह समाज में स्पष्ट रूप से नहीं रह सकते हैं। इसी कारण से इसकी सिद्धि लोगों के पास अब उपलब्ध नहीं मिलती है। इसकी साधना कहां और कैसे की जाती है। इसके विषय में इस प्रकार वर्णन  आता है कि जब भी कोई साधक इसकी साधना करना चाहे तो एक विशालकाय वृक्ष के ऊपर बैठकर इस के मंत्रों का जाप करें। अगर उसके आसपास या किसी एकांत स्थान पर ऐसी व्यवस्था उसे नहीं मिलती है तो किसी पर्वत के शिखर पर जाकर भी वह साधना कर सकता है इस प्रकार। जगह का चुनाव करने के बाद अब साधक सबसे पहले नहा धोकर स्वच्छ होकर के पहले देवी की प्रतिमा बनाये, देवी की प्रतिमा ऐसी होगी जिसका पूरा शरीर मानव का होगा लेकिन मुख जिसे हम चेहरा भी कहते हैं, बंदर का होना चाहिए क्योंकि यह वानर मुख धारण करने वाली देवी कहलाती हैं। इन्हें आप हनुमान जी की योगिनी शक्ति के नाम से भी जान सकते हैं। साधक उनके आगे शुद्ध सरसों के तेल का दीपक जलाएं और संकल्प लें कि मैं आपकी सिद्धि प्राप्त होने तक यह साधना करूंगा। जिस क्षेत्र में अधिक बंदर निवास करते हो वहां पर यह साधना करना अधिक उत्तम माना जाता है।

साधना के दौरान विभिन्न प्रकार के अनुभव साधक को होते हैं। साधक रुद्राक्ष की माला लेकर एक लाल कंबल पर बैठकर इस साधना को पश्चिम की दिशा की ओर मुंह करके इस साधना को कर सकता है। इस साधना में रोजाना कम से कम 51 माला का जाप करना चाहिए। समय का कोई विवरण प्राप्त नहीं होता है। यह साधना कितने दिन तक चलेगी, इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है क्योंकि? शक्ति आपकी सामर्थ्य देखकर ही प्रकट होगी और उसमे किस प्रकार से आप की परीक्षा लेगी। इसके विषय में वर्णन आता है कि वह सबसे पहले बंदर के रूप में आपके पूजा के सामान उठाकर भागने की कोशिश करती है। साधक बार-बार अपनी साधना में भटकता है और लगातार बंदर इत्यादि उसके सामने आ करके उसकी साधना भंग करवाते रहते हैं और इस दौरान साधक को किसी भी प्रकार से जब वह लड्डू रोज देवी को अर्पित करें तो उसका भी। ध्यान रखना चाहिए। अगर बंदर खुद लड्डू उठा कर भाग गया तो कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर उसने चारों तरफ लड्डू तोड़कर डालकर बिखरा दिए तो समस्या रहती है। इससे देवी को सही प्रकार से भोग नहीं मिलता। असल में देवी की शक्तियां आकर इस प्रकार के प्रयास करती हैं ताकि साधना भंग हो जाए।

इसके अलावा ब्रह्मचर्य रक्षा सबसे अधिक अनिवार्य वस्तु है और चाहे हनुमान जी की शक्तियों से जुड़ी हुई कोई भी साधना हो। वहां ब्रम्हचर्य सबसे अनिवार्य वस्तु होती है। कोई शक्ति आकर अगर आप से भोग करने की कोशिश करें तो उससे भी हाथ जोड़ कर विनम्र निवेदन कर माता माता कहकर पुकारे तो वह शक्ति घबराकर पीछे हट जाती है और दोबारा ऐसा कार्य नहीं करती है। विभिन्न प्रकार के ब्रह्मचर्य तोड़ने के अलावा दूसरा और शक्तिशाली प्रयोग होता है। भय के द्वारा डराने की कोशिश करना बार-बार भय उत्पन्न किया जाता है और इसका स्तर बहुत ही उच्च हो सकता है। कभी-कभी साधक के सिर पर पीछे से या गाल पर तमाचा मार भाग जाती है। इस प्रकार जोरदार तमाचा खाने के बावजूद साधक को इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिए। बंदरों का समूह आकर आपके शरीर को काट और नोच सकता है, लेकिन इसमें भी आपको सावधान होकर अपनी मंत्र जाप को नहीं रोकना चाहिए। अगर बंदर आपकी गोदी में आकर बैठ जाए तो भी आप साधना करते रहें और भयभीत  ना हो क्योंकि अगर आप भय करेंगे तो आपको कभी सफलता नहीं मिलने वाली है। डरने की किसी भी प्रकार से आवश्यकता नहीं है। साधना के दौरान अगर कभी भूख लगे तो भी कुछ मत खाइए। जब तक आपकी साधना पूर्ण नहीं हो जाती है। उसके बाद आप फल और दूध का सेवन करते रहे। अनाज का इस्तेमाल कम से कम कीजिए, रोजाना फल और दूध का ही सेवन कीजिए।

प्राकृतिक आहार जो फलों पर एवं जंगलों में वन में देखने को मिलते हैं। वह सारे आप इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन के अलावा जो अनाज मनुष्य द्वारा निर्मित कर भोजन के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं, उनका आप प्रयोग ना करें। इस साधना के दौरान किसी दिन अचानक ही तेज हवाएं चलने लगती हैं। बिजली कड़कती है। बंदरों के समूह आप पर हमला करते हैं। आप उन से डरकर भागते हैं लेकिन साधना काल में इस प्रकार के अनुभव को माया समझ कर अपनी साधना जारी रखें। फिर किसी दिन आपको एक स्त्री सामने प्रत्यक्ष दिखाई देगी, जिनका मुंह वानर के जैसा होगा। आपके सामने प्रकट होकर वह आप से वरदान मांगने को कहेंगी। तब आप कहें कि आप सिद्ध होकर सदैव मेरे साथ। माता, बहन या प्रेमिका रूप में विद्यमान रहे, जैसा भी आपका उद्देश्य हो और जब भी मैं आपके मंत्र का उच्चारण कर आपको भोग प्रधान करूं तब आप मेरे समस्त कार्यों को सिद्ध करें और सदैव मेरी रक्षा करें।

इस प्रकार जब आप वचन लेकर उन्हें बांध लेंगे तो देने सदैव के लिए आप के बंधन में आ जाएंगी। इसके बाद फिर आप लोगों का भला कर सकते हैं और स्वयं भी सिद्धि वन बने रह सकते हैं। याद रखें कभी भी किसी के भी सामने अपनी सिद्धि का वर्णन और क्या सिद्धि आपने प्राप्त की है, किसी को ना बताएं।

तो यह था एक विशेष विवरण वानर मुखी योगिनी साधना का, जिससे साधक हनुमान जी जैसा बलवान बनता चला जाता है और सिद्धि बंद हो जाता है। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

मंत्र – ॐ ह्री हुं वं वानरमुखी आगच्छ स्वाहा ॥

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