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वायु वेगा योगिनी साधना

वायु वेगा योगिनी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक नई साधना को लेकर उपस्थित हुए हैं जो कि योगिनी साधना मानी जाती है। योगनियों के संबंध में पहले भी मैंने बताया है कि यह कई प्रकार की होती हैं। मुख्य रूप से चौसठ योगिनी शक्तियां मानी जाती हैं। हालांकि इनकी संख्या करोड़ों में है। यह सभी माता काली के स्वेद से यानी उनके पसीने की बूंद से युद्ध करने के दौरान प्रकट हुई थी तो इन्हीं कई सारे रूप और स्वरूपों में हम देवी की अलग अलग तरीके से साधनाएं करते हैं। इन्हीं चौसठ योगिनिओं में से आज जिस योगनी को मैंने लिया है। इनकी साधना गुप्त मानी जाती है। इन्हें हम वायु वेगा नाम से जानते हैं। वायु वेगा का मतलब है जो हवा से भी तेज।

ब्रह्मांड में विचरण करती हैं। उनकी शक्ति बहुत अधिक होती है और बड़ी ही तीव्रता के साथ में वह कार्यों को संपादित करती हैं। इनकी सिद्धि होने पर साधक में अतुलनीय बल और तीव्रता आती है। यह तीव्रता उनके जीवन में विभिन्न प्रकार के बदलाव ला सकती है। इनकी अगर संपूर्ण सिद्धि हो जाए तो व्यक्ति को हवा में उड़ने की शक्ति भी देवी प्रदान कर सकती हैं। इसके अलावा इनके किसी भी कार्य को तक्षण करने वाला माना जाता है। इसीलिए इनकी साधना बहुत ही जल्दी और तीव्रता से कार्य करने लगती है। इनकी साधना के लिए विशेष तरह के माहौल और विधि को अपनाना पड़ता है क्योंकि देवी वायु वेगा पूरी तरह से मंत्रों से बंधी हुई है और इनकी सिद्धि के लिए साधक को पूर्ण ब्रह्मचारी एकाग्र चित्त और अपने गुरु से पूर्णता दीक्षित होना आवश्यक है। आज के युग में इनकी साधना व्यक्ति साधारण रूप से नहीं कर पाता है।

इसलिए तीव्रता से इनकी साधना करनी चाहिए। इनकी साधना 41 दिन तक करने पर इनकी सिद्धि साधक को प्रदान होती है। सिद्धियां तीन प्रकार से प्राप्त होती है। पहले आंशिक सिद्धि जिसके माध्यम से आप इन के मंत्रों का जाप करके अपने और किसी और के समस्त कार्यों को तक्षण कर सकते हैं। वही साधना के द्वितीय स्तर में आप इनके प्रत्यक्ष दर्शन के माध्यम से अपनी मनोकामना इन्हें बता सकते हैं और यह आपके सारे कार्य करेंगी और तीसरे स्तर में यह आपके शरीर में ही समा जाएंगी। अब आप में और देवी वायु वेगा में कोई अंतर नहीं रहेगा। इसी कारण से इनका मंत्र उच्चारण सात बार मात्र करने पर व्यक्ति आकाश गमन विद्या में निपुण हो जाता है। यानी की हवा की तरह वह कहीं से भी कहीं उड़ कर पहुंच सकता है तो आप समझ चुके होंगे की देवी कितनी अधिक शक्तिशाली है और इनकी साधना से व्यक्ति के अंदर इतनी अधिक बड़ी सिद्धि उसे प्राप्त हो सकती है तो चलिए आज जानते हैं कि इस साधना को करने का विधान क्या है और इन्हें किस प्रकार से करना चाहिए तो सबसे पहले। इसके लिए आप? अपने गुरु से आज्ञा प्राप्त करें और आपका गुरु मंत्र पूर्ण सिद्ध होना चाहिए। तभी इस साधना को करने के लिए तैयारी करें। गुरु को उचित दक्षिणा भेट करने के बाद उनके सानिध्य में इस साधना की शुरुआत करें। अगर एक बार में सफलता नहीं मिलती है तो बार-बार प्रयास जारी रखें। इसमें आपकी ऊर्जा लगातार बढ़ती चली जाएगी। इस साधना के लिए आप किसी भी कृष्ण पक्ष की अष्टमी से इस साधना को शुरू करें। अगर शुक्रवार का दिन पड़े तो और भी अधिक उत्तम रहेगा।

इस साधना के लिए आपके पास लाल वस्त्र होने आवश्यक है। साधना का समय रात्रि 11:00 बजे से शुरू होगा और सूर्य का प्रकाश निकलने तक आपको साधना रोजाना 41 दिन तक करनी पड़ेगी। आप उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाइए और भूमि पर एक लाल वस्त्र यानी लाल रंग का ऊनी आसन बिछा लें। फिर कुमकुम से रंजीत अक्षत से एक मैथुन चक्र का निर्माण कर चक्र के मध्य में आकर्षक गोलक को स्थापित करें। अगर उपलब्ध ना हो तो सुपारी का प्रयोग करें। इसके बाद गणपति महाराज और भगवान शिव का पूजन करें। उसके बाद उस गोलक या सुपारी को योगिनी स्वरूप मानकर उनका पूजन करें। कुमकुम हल्दी कुमकुम मिश्रित अक्षत अर्पित करें। लाल पुष्प अर्पित करें। भोग में गुड़ का भोग देवी को अर्पित करें। साथ ही एक पात्र में अनार का रस अर्पित करें के बाद एक तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। फिर एक मंत्र गुरु मंत्र का जाप करें और इस में मूंगे की माला का प्रयोग करें। इसके बाद फिर आप मंत्र जाप करें। ओम रुद्राय सिद्धेश्वराय नमः कुमकुम मिश्रित अक्षत को लेकर मंत्र को एक एक बार पढ़ते जाए और थोड़े थोड़े अक्षत गोलक पर अर्पित करें और इस प्रकार बोलें ओम हरिंग सिद्धेश्वरी नमः ओम ऐ ज्ञानेश्वरी नमः ओम क्रीम, योनि, रूपाय नमः ओम ह्री क्लींग भैरव रूपिणी नमः ओम सिद्ध योगिनी शक्ति स्वरूपाय नमः इस क्रिया को पूरा हो जाने के बाद अब इनके मूल मंत्र का जाप आपको करना है (ॐ ह्री ह्री वायुवेगा शीघ्र आगच्छ सिद्धि प्र्दाए स्वाहा )और यह आपको प्रत्येक रात्रि 11:00 से सुबह सूर्य का प्रकाश निकलने तक मंत्र का जाप किसी भी पर्वत शिखर पर करें या जहां भी तेज हवा बहती हो। दीपक को इस प्रकार से सुरक्षित रखें कि दीपक जले और हवा का बहाव उसे बुझा ना दे। इस प्रकार आप यह साधना और रोज करते जाएं। धीरे-धीरे करके आप का जाप निश्चित रूप से आगे बढ़ता जाएगा।

देवी इस दौरान विभिन्न प्रकार की तपस्या भंग करने की कोशिश करेंगे। इनमें ब्रह्मचर्य, भय का उत्पन्न होना और सबसे ज्यादा हवा के कारण आपको कष्ट भोगना पड़ेगा।भय इस प्रकार है कि जैसे कोई तूफान आपके चारों तरफ मौजूद है। आपको उसमें भयंकर शब्द भी सुनाई पड़ सकते हैं। हवा का बहाव इतना भी तीव्र हो सकता है कि आपको उड़ा कर ले जाए। आप देवी की इस माया से भ्रमित हुए बिना साधना में डटे रहें। अगर आपने साधना छोड़ दी तो आपकी मृत्यु भी हो सकती है क्योंकि उस दौरान हो सकता है। वायु में आपको उड़ाकर आकाश में देवीआप को लेकर जा रही हैं। ऐसे में अगर आपने अपना ध्यान भटका कर साधना भंग कर ली और ध्यान हटाकर डर गए तो आप की रक्षा जो देवी कर रही है, वह आपको आकाश में ही छोड़ देंगी। ऐसी अवस्था में आप जब नीचे गिरेंगे तो मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे अन्यथा आप उनके इस प्रयोग में अगर सफल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से आपको वायु गमन विद्या यानी हवा में उड़ सकने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। यह साधना अत्यंत ही गोपनीय है और इससे विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है। अपनी सिद्धि का प्रयोग लोगों की भलाई के लिए करने के लिए आप देवी को। उनकी वचन के अनुसार भोग अर्पित करें और उसके बाद उनके मंत्र का सात बार उच्चारण करके उस और उस कार्य का नाम लेकर फूंके। फूँक जब हवा के माध्यम से देवी की शक्ति उस और अपना कार्य करेगी और निश्चित रूप से वह कार्य हो जाएगा। चाहे वह आपका कार्य हो या फिर समाज के भले के लिए किसी और का आप कार्य कर रहे होंगे। इस साधना से गुप्त सिद्धियां और वायु गमन विद्या प्राप्त होती है तो यह था आज की बहुत ही शक्तिशाली और अत्यंत ही गोपनीय वायु वेगा देवी की साधना। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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