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विचित्र पिशाच साधना

विचित्र पिशाच साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक अद्भुत और विचित्र पिशाच की साधना के विषय में जानेंगे जो साधक को हवा में उड़ने की शक्ति प्रदान करता है। यह विचित्र प्रकार का पिशाच है। क्योंकि यह अलग-अलग रूपों में प्रकट होता है। इसीलिए इसे विचित्र पिशाच के नाम से जाना जाता है। पिशाच साधना में आपको सदैव सावधान रहने की आवश्यकता होती है और क्योंकि यह शमशान में होने वाली साधना है, इसलिए इसे बहुत ही सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस साधना को करने के लिए सबसे पहले आपका महा मंत्र, गुरु मंत्र, शिव मंत्र या भैरव मंत्र इत्यादि सिद्ध होना आवश्यक है? क्योंकि शरीर पर पिशाच  आपके कब्जा भी कर सकता है। मूल रूप से यह एक तामसिक साधना है और श्मशान भूमि में ही करनी चाहिए। साधना तभी पूरी तरह प्रतिफल दिखाएगी जब आप इस साधना को 500 साल पुराने कब्रिस्तान या? श्मशान भूमि में करेंगे। इस साधना के लिए आप का मनोबल पूरी तरह मजबूत होना आवश्यक होता है। तो चलिए आइए जानते हैं पहले इस पिशाच के बारे में और फिर इसकी साधना के विषय में।

इसे विचित्र पिशाच इसलिए कहा जाता है क्योंकि जिस भी पिशाच को 500 वर्ष एक कब्रिस्तान में अथवा श्मशान भूमि में रहते हुए हो गए हो तब वह शक्तिशाली हो जाता है और इस वजह से वह विचित्र प्रकार के रूप बना सकने की क्षमता रखता है। हवा में उड़ कर कहीं भी पहुंचने की ताकत उसके अंदर विद्यमान रहती है। इसी वजह से इस साधना को श्मशान भूमि में एक सिद्ध साधक के द्वारा ही करना चाहिए। इस पिशाच की विशेषता यह है कि एक बार यह सिद्ध हो जाता है तो फिर अपने साधक का पीछा नहीं छोड़ता है। इसलिए अगर इसको नियंत्रित करना साधक को नहीं आएगा तो फिर उसके लिए समस्या हो सकती है। इस साधना को करने के लिए साधक सबसे पहले! किसी उपयुक्त शमशान भूमि को चुने। अपने गुरु से आज्ञा ले और उनसे प्रार्थना भी करें कि साधना के दौरान अगर कोई खतरा होता है तो आप मेरी रक्षा कीजिएगा। उसके अलावा साधक का भैरव रक्षा मंत्र भी अपने लिए सिद्ध होना आवश्यक है जो वह अपनी छाती पर पढ़कर मारे अथवा अपने चारों तरफ सुरक्षा घेरा अवश्य बनाएं, जब वह श्मशान भूमि में साधना कर रहा हो। इसके अलावा इस साधना को करने के लिए आपको पूरे 41 दिन लगते हैं क्योंकि यह बहुत ही शक्तिशाली पिशाच है। इसलिए समय अधिक लगता है। इस दौरान आपको लगभग पूरी तरह से पैशाचिक जीवन ही व्यतीत करना होता है। और? इसका अर्थ यह होता है कि आपको 41 दिन तक नहाना नहीं है।

आप कोई भी भोजन जो बनाएंगे वह अगर रात को बनाते हैं तो सुबह करेंगे। सुबह बनाएंगे तो शाम को यानी रात के समय करेंगे। क्योंकि? ताजा भोजन इसमें व्यक्ति नहीं खाता है।

इसके अलावा इस दौरान? स्त्री को छूने से बचना चाहिए। इतने दिनों तक आप किसी भी स्त्री को कभी ना छुएं। ऐसा करने पर समस्या यह है कि उस स्त्री के शरीर पर पैशाचिक आत्माओं का कब्जा हो सकता है। इसीलिए आप को ध्यान पूर्वक किसी भी स्त्री को छूने से बचना होता है। यह एकांत में अकेले रहकर की जाने वाली साधना है। घर में करने के बारे में भी नहीं सोचना चाहिए। इसके अलावा आपको कुछ बातों का ध्यान रखना है। सबसे पहले किस भी शमशान भूमि का चयन आपने किया है वहां पर उसके बाहर दक्षिण दिशा की ओर खड़े हो जाएं और वहीं से पूरी शमशान भूमि को प्रणाम करें। एक लोटा तांबे का जल लेकर वहां जाएं और जल गिराते हुए कहे शमशान भूमि की पवित्र और अपवित्र सभी प्रकार की आत्माओं! आप सबका सहयोग इस साधना में मैं प्राप्त करना चाहता हूं। मेरे द्वारा लाया गया यह शुद्ध जल आप लोग ग्रहण करे और मुझे इस बात की मंजूरी दें कि मैं यहां पर साधना कर सकता हूं। साधक उस लोटे में गंगाजल भरकर लाए तो बहुत ही उत्तम बात होती है। अब श्मशान भूमि के दक्षिणी दिशा पर यह कहने के बाद धीरे-धीरे जल गिराए और पूरी शमशान भूमि को ध्यान पूर्वक देखें। तो आपको अवश्य ही अनुभव होगा कि उस पिशाच भूमि में बहुत सारी आत्माएं आपके जल को ग्रहण कर रही हैं। अगर आप सिद्ध साधक नहीं हुए तो आपको दिखाई नहीं पड़ता, वरना अनुभव होने लगता है। अब इस साधना के लिए आप किसी भी कृष्ण पक्ष के अमावस्या या चतुर्दशी तिथि का चुनाव करें। रात्रि में आपको यह साधना। एक हवन कुंड बनाकर करनी होगी। पैशाचिक भूमि में आप जाएं और वहां एक गड्ढा खोदे। उस गड्ढे में लकड़ियां डालने और थोड़े गाय के गोबर के उपले भी अब साथ में एक शराब की बोतल और बकरे अथवा मुर्गी के रक्त को भी रख ले।

और पूर्णता नग्न होकर बैठ जाएं।

दिशा आपकी दक्षिण होगी जिधर आपका मुंह रहेगा।

और? सबसे पहले आप अग्नि को प्रज्ज्वलित करके कहेंगे हे अग्निदेव! आप शमशान की अग्नि के रूप में मेरे इस हवन कुंड में पधारे और दो कपूर जलाकर उसके अंदर डाल देंगे। अब लकड़ी आप की जलनी शुरू हो जाएगी। अपने लकड़िया काफी सारी मात्रा में रख लेनी चाहिए क्योंकि पूरे 41 दिनों तक आपको हवन करना है। हालांकि केवल 21 माला ही मंत्र जाप को हवन के रूप में करना है। इसमें माला की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन गिनती जानने के लिए कि इक्कीस सौ बार मंत्र का जाप हुआ है कि नहीं, आप अपने प्रबंध कर सकते हैं। अब आप भगवान शिव के ओम नमः शिवाय स्वाहा कहते हुए पहली आहुति डालेंगे और गुरु मंत्र की एक आहुति गणेश की एक आहुति और शमशान भैरव की एक आहुति डालेंगे। अब आप जाप शुरू करेंगे। इसके मंत्र का जाप और हवन करना। इसका मंत्र ध्यान पूर्वक सुने

मंत्र है-

ऐं क्रीं क्रीं ख्रिं ख्रिं खिचि खिचि विचित्र पिशाच खिचि खिचि ख्रिं ख्रिं क्रीं क्रीं ऐं फट स्वाहा।

इस मंत्र को आपको जपना होता है और स्वाहा बोलकर आप रक्त की एक बूंद और अगली आहुति में शराब की एक बूंद हवन कुंड में डालते रहेंगे। इस प्रकार आपको रोजाना करना है।

यह कुल इक्कीस माला मंत्र जाप आपको प्रति रात्रि इसी प्रकार पूर्णता निर्वस्त्र होकर करने होते हैं। चाहे पुरुष हो या स्त्री दोनों यह साधना कर सकते हैं। अगर स्त्री का मासिक धर्म आता है तो वह भी वह यह साधना कर सकती है। उसे साधना रोकने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि इसमें शुद्ध होने का कोई तात्पर्य नहीं है। आपको अशुद्ध अवस्था में ही साधना करनी होती है।

आप साधना के पहले अगर लैट्रिन या बाथरूम जाते हैं तो भी आपको कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह अशुद्ध अवस्था में होने वाली साधना मानी जाती है और पूर्णता तामसिक साधना है। साधना के कुछ दिन बीत जाने के बाद से आपको विचित्र प्रकार के अनुभव होने लगते हैं। पिशाच आपके सामने आने लगता है। यह आवश्यक नहीं है कि इस साधना में स्त्री पिशाच प्रकट होगा या पुरुष जो भी वहां पर 500 वर्षों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली विचित्र पिशाच होगा, वही आपके सामने प्रकट होता है। चाहे वह स्त्री पिशाच हो या पुरुष पिशाच  अधिकतर देखने में आया है कि पुरुष से स्त्री पिशाच जल्दी सिद्ध होने के लिए आ जाता है और अगर स्त्री इस तरह साधना कर रही है तो उसके लिए पुरुष के साथ आ जाता है।

और विभिन्न प्रकार से डराने भयभीत करने विचित्र रूपों को दिखाने और अगर पुरुष साधक है तो स्त्री पिशाचिनी संसर्ग करने और स्त्री साधिका है तो पुरुष पिशाच उससे संसर्ग या मैथुन करने के लिए आता है। इस? प्रकार आप यह साधना करते रह सकते हैं। 41 दिन से पहले ही उसकी पूर्ण सिद्धि आपको प्राप्त हो जाती है।

इस साधना का एक विशेष प्रयोजन यह भी है कि इसकी पूर्ण सिद्धि होने पर। साधक पिशाच के समान या पिशाचिनी के समान ही हवा में उड़ने की शक्ति भी प्राप्त कर लेता है। लेकिन इससे आपको गलत कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि वासना शरीर में ज्यादा आती है तो पुरुष साधक किसी भी स्त्री को अपनी पत्नी बना सकता है या उसके साथ मैथुन कर सकता है और उसे पता भी नहीं चलेगा और यही स्त्री के साथ भी होता है। इसके? भोजन की भी इच्छा उसके अंदर जाती है तो भोजन भी आप किसी से मांगते नहीं छीन लेते हैं। किसी की धन संपत्ति भी छीनने का गुण उसके अंदर आ जाता है। इसीलिए इन साधनों में अगर सिद्धि प्राप्त हो तो गलत कर्म नहीं करनी चाहिए क्योंकि आप को रोकने की शक्ति जब तक की पूर्ण सिद्ध साधक, शक्ति साधक या शिव साधक नहीं है, आपको रोक ही नहीं सकता। इसकी वजह से आपके अंदर अवांछनीय तत्व आ जाते हैं और अपनी इच्छा अनुसार आप कुछ भी करना चाहते हैं और आप को रोकने वाला कोई नहीं होता। कभी भी गलत कार्य इस साधना के द्वारा ना करें। सिद्धि  केवल अच्छे कार्यों के लिए करें। इस साधना में इस शक्ति से वचन ले कि जब मैं आपको बुला लूंगा तभी आपको आना होगा। मेरा कार्य करना होगा। हर वक्त आप मेरे साथ विद्यमान नहीं रहेंगे क्योंकि जितनी देर यह शक्ति आपके साथ रहेगी। आपको अपने जैसा बनाने की कोशिश करेगी। इसे काम दे, भोग दें और फिर विदा कर दें। इसी तरह के बचन में आपको बाँधना चाहिए और चार-पांच वर्ष से ज्यादा इस शक्ति को अपने पास नहीं रखना चाहिए। इसे विदा कर देना चाहिए। ताकि इसके कारण आप कोई गलत कर्म ना कर बैठे, क्योंकि जब शक्ति आती है तो साथ में वासना भोग और बुरी बुरी इच्छाएं भी लाती है इस की वजह से आप गलत कर्म कर बैठते हैं।

यह था विचित्र पिशाच साधना का वर्णन। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/OLjjLaT5r_E
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