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वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना

नमस्कार दोस्तो धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना यह एक प्रचंड और उग्र साधना है । इसकी साधना से आप अपने कार्यों का संपादन शीघ्रता से कर सकते हैं । वीरभद्र की उत्पत्ति सती दहन के समय भगवान शिव के रुद्र स्वरुप से हुई थी । वीरभद्र भगवान शिव के परम आज्ञाकारी स्वरूप है इनका रुप अति भयंकर है । देखने में यह प्रलय अग्नि  के समान प्रतीत होते हैं।

वीरभद्र तँत्र अपने आप में गोपनीय साधनाओं का संग्रह है इस ग्रथं में अनेक गुप्त साधना दी गई है़ जो अपने आप में सरल और प्रमाणित है । एक समय पर यह एक बहुत बड़ा तंत्र ग्रंथ साहित्य हुआ करता था। लेकिन इसके कई भाग कालचक्र में विलुप्त हो गए । वीरभद्र सर्वेश्वरी साधना मंत्र वीरभद्र उपासना तंत्र से लिया गया है । यह एक सिद्ध चमत्कारिक शीघ्र फल देने वाला मँत्र है। स्वयं सिद्ध मंत्र वह होते हैं जिन्हें सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती। इस साधना के लिए साधक को ऐसी जगह का चुनाव करना होगा जहां पर बिल्कुल एकांत तो जहां कोई भी व्यक्ति आता जाता ना हो यह प्रयोग साधक मंगलवार की रात्रि से शुरु करेगा । वस्त्र लाल, आसन भी लाल और माला रुद्राक्ष की ले सकते हैं इसमें उत्तर की ओर मुंह करके साधना करनी चाहिए । साधक निम्न रुप से इसका प्रयोग कर सकता है़ मंत्र के प्रयोग मे जो विवरण दिया गया है वह इस प्रकार से हैं-

सर्वेश्वरी मंत्र: ॐ हं ठ ठ ठ सौं चां ठं ठ ठ ठ ह्रं  ह्रौ ह्रौं ह्रैं  क्षें क्षौं क्षें क्षं ह्रौं ह्रौं क्षैं ह्रीं स्मां ध्मां स्त्री सर्वेश्वरी हुं फट स्वाहा।। 

इसी मंत्र का आपको जाप करना होगा । मंत्र बहुत लंबा और कठिन इसलिए आसानी से याद नहीं हो पाएगा पर आपको याद करना होगा और इसमें एक भी शब्द का गलत उचारण नहीं करना होगा। अगर इसका दस लाख बार जाप कर लिया जाए तो त्रिकाल ज्ञान की सिद्धि प्राप्त होती है। अगर इसका एक हजार जाप बिना रुके कर लिया जाए तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति अत्यधिक तीव्र हो जाती है और वह व्यक्ति परम ज्ञानी मेधावी बन जाता है। अगर इसका 10,000 जाप कर के किसी भी साधना में बैठेंगे तो आपको निश्चित रूप से सफलता की प्राप्ति होगी लेकिन इस साधना को महिलाएं ना करें नहीं तो भयंकर प्रणाम हो सकते हैं और साधक गुरु की आज्ञा लेकर ही यह साधना शुरू करें।

मंत्र  के स्मरण मात्र से ही भूत प्रेत पिशाच गंधर्व पशु-पक्षी हिंसक जानवर डाकिनी शाकिनी योगिनी का निवारण होता है। जब भी आपको कोई खतरा महसूस हो तब आपको इस मंत्र का सात बार जाप कर लेना चाहिए बस आप को मंत्र याद रखना होगा। यह तीव्र मंत्र है इसलिए कमजोर दिल वाले साधको को यह साधना नहीं करनी चाहिए । साधना को कभी भी हंसी खेल मजाक ना समझे हमेशा लोगों का भला ही करने की इच्छा से साधना को करना चाहिए । अगर आपको यह साधना पसंद आई हो तो धन्यवाद।।

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