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वैदेही यक्षिणी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक विशेष तरह की अत्यंत गोपनीय साधना लेकर आपके सामने उपस्थित हुआ हूं। लोगों ने माता सीता के विषय में अच्छी प्रकार सुना है, लेकिन उनकी एक यक्षिणी जो उनके साथ ही विद्यमान रहती थी, उसके विषय में शायद ही कोई जानता होगा। उनकी सेवा में लगी रहने वाली यह अत्यंत ही गोपनीय यक्षिणी है जिसे हम वैदेही के नाम से जानते हैं।

यह यक्षिणी सिद्ध होकर के व्यक्तियों के मनोरथ को पूर्ण करती है और! सुख संपन्नता वैभव, पुत्र प्राप्ति इत्यादि करवाती है। इसलिए इसकी साधना अत्यंत उत्तम मानी जाती है। किंतु लंबी साधना होने के कारण जल्दी लोग इसे नहीं करते हैं आज मैं इनकी ही साधना के विषय में आपको बताने जा रहा हूं यह एक सात्विक साधना है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति साधना कर सकता है इस साधना में आप को आवश्यक रूप से एकाक्षी नारियल की आवश्यकता होगी इसलिए सबसे पहले उसे ही प्राप्त कर लें तभी यह साधना आपकी संपन्न होगी।

तो चलिए जानते हैं इस साधना के विषय में कि आखिर कैसे वैदेही यक्षिणी को सिद्ध किया जा सकता है?

माता सीता! को विदेह पुत्री भी कहा जाता है। विदेह राज की पुत्री के कारण ही इन्हें वैदेही नाम से संबोधित किया जाता था। और जो भी शक्तियां जिस देवता के साथ रहती हैं उनका नाम और स्वरूप ग्रहण करते हैं। अधिकतर मूल शक्तियों को जब सिद्ध किया जाता है तो उनकी ही सहायक और सेविका शक्तियां सिद्ध हो जाती हैं। इसी प्रकार! हम लोग! इस रहस्य को जानते हैं कि जो भी बड़े देवी देवता हैं उनके साथ उनके ही नामांतरण वाली अनेक सिद्धियां विद्यमान रहती हैं। माता सीता के साथ में जिस गोपनीय यक्षिणी।

को सिद्ध किया जाता है, उसका नाम भी वैदेही है।

देवी वैदेही को सिद्ध करने के लिए। आपको कुछ खास करने की आवश्यकता नहीं है किंतु कुछ चीजों की आवश्यकता यहां पर लगती है तो उनके बारे में हम यहां पर बात करते हैं। सबसे पहले आपको अपने आसपास माता गौरी का एक मंदिर ढूंढना पड़ेगा। इसके अलावा एकाक्षी नारियल की व्यवस्था आपको करनी पड़ेगी।

और आपके पास? साधना के लिए कुछ समय के लिए 1 जोड़ी बैल हल की आवश्यकता भी इस साधना में पड़ती है।

तो कैसे यह साधना को करेंगे चलिए जानते हैं?

सबसे पहले आपको शुभ नक्षत्र में।

चाहे वह गुरु पुष्य नक्षत्र हो। रवि पुष्य नक्षत्र हो इत्यादि कोई भी शुभ नक्षत्र में आपको मां गौरी के मंदिर जाना है। और उनसे प्रार्थना करनी है कि मैं? आपकी सेवा में! माता वैदेही की यक्षिणी को लाकर उसे पूजना चाहता हूं।

और इस साधना के लिए आप मुझे अनुमति प्रदान करें यह प्रार्थना करके माता की विधिवत श्रृंगार स्वरूप पूजा कीजिए

और अपनी इस मनोकामना यानी कि वैदेही यक्षिणी की सिद्धि के लिए उनसे प्रार्थना करने के बाद अपने घर चले आइए

उस दिन केवल दूध ही पीजिये

दूध के अलावा आपको और कुछ नहीं खाना है। अब अगले दिन से आप इसकी साधना को शुरू कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपके द्वारा प्राप्त किए गए एकाक्षी नारियल को।

ले करके आपको किसी खेत पर जाना है। खेत सुनसान होना चाहिए और वहां पर जल्दी कोई आता-जाता ना हो। उस खेत में जाकर के आपको। इस नारियल को किसी लाल कपड़े में लपेटकर। गाड़ देना है। और उस स्थान को अच्छी प्रकार अपने स्मरण में रख लेना है कि आपने उस नारियल को कहां पर गाड़ा है?

अब! 1 महीने तक आपको माता गौरी के मंदिर रोजाना जाना है। उनसे प्रार्थना करनी है कि माता एक माह बाद! मैं आपके चरणों में। उसे यक्षिणी को लाऊंगा और इस की सिद्धि के लिए मुझे शक्ति प्रदान करें।

इस प्रकार रोज माता गौरी के मंदिर जाकर के उनकी पूजा करें वह साधारण तरीके से आप कर सकते हैं। वहां पर हमेशा आपको यही प्रार्थना करनी है फिर 1 महीने बाद किसी भी शुभ शुक्रवार के दिन। आपको किसी किसान से उसके 1 जोड़ी बैल मांग लेने हैं। और उन्हें लेकर साथ ही साथ हल को उसमें लगा करके आपको उसी खेत पर जाना है। जिस खेत में आपने उस नारियल को गाड़ा था।

उस गड़े हुए नारियल के थोड़ी दूर से ही आपको हल के फाल को लगाते हुए गहराई से आगे बढ़ना है जैसे कि हम लोग खेती के लिए शुरुआत में खुदाई करते हैं। वैसे ही हल से वहां पर आपको खुदाई करते हुए चलना है। आपको पूरा अनुमान रहना चाहिए कि कहां पर आपने? वह नारियल गाड़ा था। अब उसी स्थान पर अपने हल के फल से उस नारियल को निकाल लेना है याद रखिए। आपको अपने हाथों से नारियल नहीं निकालना है। वह हल के फल से ही निकलना चाहिए। जैसे ही वह नारियल ऊपर आ जाए उस नारियल को प्रणाम करके आप अपनी थाली में उसे रख लीजिए। और उन्हें नमस्कार कहते हुए वैदेही यक्षिणी कह कर पुकारिये और कहिए हे देवी वैदेही मैं आपको माता गौरी की सेवा में लेकर जा रहा हूं। उसके बाद फिर आपको उस नारियल को सीधे माता गौरी के मंदिर पर ले जाना है।

वहां पर आपको उनके पैरों के पास। एक बाजोट में लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर स्थापित कर उसका पूजन करना है।

और साधना के जो साधारण नियम है, उस प्रकार से करें। स्नान ध्यान करने के बाद। मंदिर के सामने मां के चरणों में बैठ जाएं। एक लाल कपड़ा बिछाकर बाजोट पर एकाक्षी नारियल को रख लें। इसके बाद चंदन का पेस्ट बनाकर पूरे नारियल पर लगाएं। आंख को छोड़कर क्योंकि आंख वाला हिस्सा जो है, वह एकाक्षी नारियल होता है, इसलिए उसको छोड़ दिया जाता है। इसके बाद कुमकुम से 7 बार तिलक करें। और इसके बाद फिर नारियल पर मौली जो है , उसे लपेट लेना है आपको इन सबके बाद अगरबत्ती उसे दिखाएं और यहां पर माता की।

वंदना करते हुए माता गौरी की उसके बाद। भगवान शिव का मंत्र उच्चारण करके। ओम नमः शिवाय बोलकर अब आप यहां पर 21 माला मंत्र का जाप करेंगे देवी वैदेही का करेंगे ?

मंत्र – ॐ ह्री ह्री वैदेही आगच्छ धन धान्य सिद्धि देही कुरु स्वाहा

इसी मंत्र का माला जाप कर लेना है? अब माता गौरी के चरण छूकर नारियल को उसमें छुआते हुए इसी नारियल को लाल रंग की चुन्नी में लपेट कर के अपने घर के जिस स्थान पर आपको साधना करनी वहां पर स्थापित कर दें। जहां पर भी आप इस साधना करना चाह रहे हैं वह स्थान पर इसे स्थापित कर दें। अब रोज 21 माला मंत्र का जाप, 6 माह तक करें। इससे छह माह में। यक्षिणी सिद्ध हो जाती हैं।

यक्षिणी तीन प्रकार से सिद्ध होती हैं। एक प्रत्यक्ष रूप में आपको दर्शन देंगी और आप से संबंध स्थापित करने को कहेंगी। आपको प्रार्थना करनी है कि हे देवी आप मेरी! पत्नी, बहन या माता के रूप में स्थापित हो जाए। याद रखें पत्नी के रूप में स्थापित करने पर आपको संसार की प्रत्येक स्त्री से संबंध विच्छेद कर लेना होगा। यानी कि कोई और स्त्री आपकी प्रेमिका या पत्नी नहीं बन सकती। अगर आप शादीशुदा है तो कृपया बहन अथवा मां के रूप में ही इनकी सिद्धि करें। इसके बाद! आप उनसे वचन स्वरूप? जो भी बातें हैं वह कह सकते हैं। अब देवी आपके साथ रहने लगती हैं।

दूसरी तरह की सिद्धि में आपको देवी नजर नहीं आएंगी। लेकिन आप उन्हें जो भी कार्य सौंपेंगे, वह कार्य कर दिया करेंगे। तीसरे प्रकार की सिद्धि में आपकी हर इच्छा को वह पूरी किया करेंगी और आप मन ही मन उनसे कोई भी प्रार्थना कर सकते हैं। इनकी साधना से धन धान्य संपत्ति वैभव। इत्यादि शक्तियां तो प्राप्त होती ही है। पुत्र प्राप्ति की कामना भी पूर्ण होती है। अगर आप किसी भी एकाक्षी नारियल को? अपने इस नारियल से छुआ कर! किसी ऐसी स्त्री को देते हैं जिसका विवाह नहीं हो रहा है तो उसका विवाह संपन्न होना शुरू हो जाता है जिसे पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही उसे पुत्र की प्राप्ति हो जाती है।

लेकिन अपनी इस नारियल को किसी और को कभी छूने ना दें क्योंकि इसी के अंदर वैदेही का वास होता है।

यह एक अत्यंत गोपनीय और शुद्ध साधना है, इसलिए वह करने की आवश्यकता नहीं है। आपको इसमें?

तुलसी की माला से।

मंत्र का जाप करना होगा घर पर। लेकिन इस माला का प्रयोग आप गौरी मंदिर में नहीं करेंगे। भगवान शिव के सामने भी नही केवल आपको घर में ही इनके मंत्र का जाप तुलसी की माला से करना है। दशांश हवन करने के लिए कमल के फूलों का इस्तेमाल करें।

इसी एकाक्षी नारियल को आप जो भी अपनी प्रार्थना है, वह कह सकते। इसके अंदर ही देवी वैदेही का वास माना जाता है। 6 माह में ही आपको सपने के माध्यम से अथवा वास्तविक प्रकट होकर देवी आपको सिद्धि प्रदान करेंगी।

अगर देवी की सिद्धि पत्नी रूप में हो जाए। तो व्यक्ति भगवान राम के जैसा ही शक्तिशाली और सिद्धिवान बनने लगता है।

इसलिए! ऐसे व्यक्ति को पूर्ण ब्रह्मचारी होना आवश्यक है। जो लोग बहन के रूप मे इनका पूजन करते हैं, इनकी सहायता से धन, धान्य, संपत्ति, वैभव और सुंदर पत्नी की प्राप्ति उस व्यक्ति को हो जाती है। मां के रूप में इनकी सिद्धि होने पर देवी माता लक्ष्मी की तरह ही आप पर कृपा बनाए रखती हैं और सभी प्रकार की आपकी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करती रहती हैं।

साधना का विवरण जोकि अत्यंत प्राचीन और गोपनीय साधना है। इस साधना को करने से सदैव शुभ ही होता है। कभी अशुभ नहीं होता है लेकिन अगर देवी परीक्षा आपकी किसी प्रकार से ले तो। अगर गलती हो भी जाए तो देवी से क्षमा मांग ले यह देवी क्षमा भी कर देती हैं।

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