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शमशानी तामसिक दुर्गा साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज मैं जो आपके लिए साधना लेकर आया हूं वह अत्यंत ही गोपनीय साधना है इसका प्रयोग अत्यंत ही सावधानीपूर्वक करना चाहिए । कारण की इसमें योग्य गुरु की आवश्यकता होती है जो इस साधना को संपन्न कर चुका हो ईसमे सात्विक गुरु की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि यह उस शक्ति की साधना है जो सात्विक शक्तियो में भी सर्वोच्च मानी जाती है तो मैं बता रहा हूं श्मशानी दुर्गा साधना के बारे में । इनको तामसिक दुर्गा -श्मशान दुर्गा भी कहते हैं ।

श्मशान दुर्गा तामसिक साधना किस प्रकार से की जाती है वही मैं आज आपको बताने जा रहा हूं हालाकि बिना योग्य गुरु के इस साधना को ना करें क्योंकि इसमें खतरा बहुत हैं । यह केवल और केवल 9 दिन की ही साधना है शारदीय नवरात्रि से आप इसकी साधना शुरू कर सकते हैं । प्रथम दिन से शुरु कर के आप नवमी को इसकी समाप्ति भी कर सकते हैं । रात के समय इसका दशांश हवन भी कर लिया जाए तो यह अत्यंत ही तीव्रतम साधना है । इस साधना मैं आपको तामसिक पद्धति से साधना करनी होगी, पर सारे नियम वैसे ही होंगे जैसे कि, आपको ब्रम्हचर्य का पालन करना होगा निश्चित रूप से, 9 दिन तक आपको व्रत और फलाहार लेना है । तरीका वही है लेकिन यह श्मशान साधना है इसलिए आपको इस समय देवी की शक्तियों को ऐसे-ऐसे भोग देने होंगे जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते यहां तामसिक भाव प्रबल होती है और शक्तियां आती हैं ।

उस रूप में जो संघार भाव होता है आप इस प्रकार समझ लीजिए कि माता काली के रूप में ही साधना कर रहे हैं काली और दुर्गा एक ही है पर तामसिक साधना होने के कारण आप यह मान लीजिए कि प्रचंड योगिनी, प्रचंड शक्ति साधना, अघोर शक्ति साधना के रूप में आप जान सकते हैं । माता दुर्गा की जो तामसिक रूपों में साधना है वह बंगाल आसाम बिहार में बहुत ज्यादा प्रचलित रही है और उड़ीसा में भी इसको बहुत मान्यता प्राप्त है लेकिन अब इसको करने वाले बहुत कम लोग रह गए हैं और पशु बली पर भी बैन हो गया है इसलिए मैं न तो यह साधना करता हूं और नहीं करवाता हूं । लेकिन पुरानी गोपनीय साधना है इसलिए मैं आपको बता देता हूं कि 9 दिन साधना में आपको नौ काले बकरे ढूंढने होंगे और नौ बकरों की बलि देने होगी जैसे इनकी साधना में जाप करते हैं और जाप करने के बाद ही आपको बली चढ़ा देनी होगी ।

बकरे की यह साधना आज नहीं पहले जमाने में होती थी क्योंकि अब तो पशु बली पर बैन लगा दिया गया है यह साधना श्मशान में करना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन साधना से बहुत चीजों की प्राप्ति होती है और आप मन में किसी फल की कामना करके ही यह साधना करिये, बिना इच्छा के बिल्कुल न करें क्योंकि आप पूरी तरह से तामसिक साधना मे है और देवी का प्रचंड रुप आपको दिखाई देता है । इसके साथ आपको बहुत सारी सिद्धियां प्राप्त हो जाती है ।बहुत सारे भूत प्रेत,, पिशाच, योगीनिया, जोगणिया, बेताल यह सब आपके वश में होते हैं । केवल और केवल 9 दिन की साधना से बहुत ही प्रचंड शक्तियाँ आ जाती है क्योंकि साधना मूलाधार से संबंधित मूलाधार चक्र जागृत करती है । काली प्रधान मंतव्य देवी को बलि के रूप में मांस और मदिरा अर्पित करते हैं ।

साधना के लिए आप सबसे पहले ऐसी जगह चुन लीजिए जो नदी के किनारे हो और श्मशान में चिता जलती हो, आपको चिता में ही हवन करना होगा तो आप चिता से लकड़ी ले लीजिए और अपने लिए एक अलग से चिता बना ले ताकि आप हवन कर सकें, अगर आप इस प्रकार से करेंगे तो आपको तंत्र सिद्धि प्राप्त होती है बहुत ही भयंकर तंत्र विद्या प्राप्त होती है उनके बारे में हम क्या कहे  जिनको यह सिद्ध प्राप्त होती है वही यह जानते हैं । इसलिए कहा जाता है कि आप गुरु  कर लीजिए और ऐसा गुरु करिए जो यह साधना कर चुका हो ।

खुद से करेंगे तो बहुत खतरे होंगे माता की शक्ति होने के कारण आप बच तो जाएंगे पर आपको बहुत भयानक अनुभव प्राप्त होंगे और  सिद्धि भी प्राप्त ना हो । हालांकि आपका ऐसी शक्तियों से सामना जरूर होगा जो बहुत ही खतरनाक होती है और बहुत भयंकर आवाज करती हुई अत्यंत उग्र भयानक रुप वाली शक्तियाँ और बहुत ही भयंकर जीव आपको दिखेंगे इस साधना में, आपको उन सबसे डरकर नहीं भागना है । सबसे पहले आपको काले वस्त्र पहन लेना है और काले हकीक की माला या रुद्राक्ष की माला इनमें से ही कोई एक माला लेनी होगी जो काला बकरा होता है या काला भेढा की खाल पर बैठकर आपको यह साधना करनी होती है ।

श्मशान में आप अपने चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना लीजिए रक्षा घेरा बहुत ही शक्तिशाली होना चाहिए क्योंकि एक बहुत ही खतरनाक साधना है । इसके साथ ही आपको वहां पर एक ऐसी चिता को देखना है और लाना है लकडी को उसको प्रज्वलित कर लेना है । वह तब तक नहीं बुझनी चाहिए जब तक आप की साधना पूरी न हो। इसकी लिए आपको ब्रम्हमुहूर्त में यानी 4:00 बजे भोर  का जो समय होता है उस समय जौ या गेहूं के ढेर पर मिट्टी के जल भरे  घड़े  पर आपको स्वास्तिक बनाना है और जो भैरवी चक्र है उसका  चित्रण उस पर कर दीजिए उस पर आप आम के पत्ते रखकर दीपक जलाएगे । उसके बाद आप इस चीज को वहां पर स्थापित करेंगे जहां पर आपको यह भयंकर साधना करनी है आपको रोज साधना करनी है और साधना के बाद रोज एक काले बकरे को जो एक रंग का काला होना चाहिए उसी की बलि आप देंगे ।

आपको देवी के आगे उसका सर काटना होगा और फिर मदिरा अर्पित करेंगे, देवी की यह तामसिक साधना है इसका इच्छा भोग से संबंध है यह मां की सात्विक साधना की तरह नहीं है ।आप यहां समझ सकते हैं कि यह माता दुर्गा की माता काली के रूप में ऐसी भयकर साधना है जो प्रचंड रुप में असुरो  का नाश कर रही है जिस समय राक्षसों का वध होता है उस समय वह रक्त को पी रही होती है सबका गला काट रही होती है ।उस प्रचंड रुप में मां की यह साधना होती है इसलिए यह बिल्कुल भी सात्विक या राजसिक साधना नहीं है । यह पूरी तरह से तामसिक साधना है इसमें आपका मन प्रबल होना चाहिए तो चलिए अब जान लेते हैं कि इसका मंत्र क्या है । इसमें जो मंत्र है आपको वह करना होगा तो इन तामसिक साधना का मंत्र इस प्रकार है-

मंत्र – ॐ क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं तामसिक दुर्गे क्रीं क्रीं फट स्वाहा


इस मंत्र का आपको रोज  10 हजार जाप रात्रि के प्रथम पहर से जब तक चले तब तक आपको करना है । उसके बाद आपको एक हजार का हवन भी करना है आपको उसी चिता में जब तक आप की चिता जलती रहे तब तक आप की साधना चलें जब आपका मंत्र जाप पूरा हो जाए उसके बाद आप मांस और शराब की आहुति देंगे । यह साधना पूरी तरह से गोपनीय है और अघोर पद्धति में आती है साथ ही साथ पूरी तरह से तामसिक तंत्र है सात्विकता का कोई स्थान नहीं है । इसमें माता प्रकट नहीं होती है बल्कि उनकी भुत प्रेत  पिशाच चुडैल  डाकिनी  शाकीनी  योगिनी सब इकट्ठा हो जाती है और आपसे अपना कार्य पूछती हैं कि हमें क्या करना है और कब तक करना है ।

आप इसी मंत्र के आधार पर सभी से वचन ले लीजिए कि आप सभी मेरी गुलाम बन जाइए और जो जो मैं काम कहा करूं वह वह सब करें तो इस प्रकार से आपको इनके मंत्र का जाप करना होगा । मैंने आपको पहले ही बता दिया कि आपको 10 हजार रोज जाप करना है 9 दिनों तक और जैसे ही आपका जाप समाप्त होता है आपको उसी चिता  में हवन करना है और  बकरे की बलि देनी है इसमे शराब की आहुति प्रदान करनी है और उसके रक्त से और सुरा से आपको साधना करनी है ।यह एक तामसिक साधना है मैं पहले ही आपको बता चुका हूं पुराने समय में बहुत ही कम तांत्रिक इस साधना को किया करते थे क्योंकि इसमें खतरा बहुत होता था । इस साधना में आपके सामने ऐसी खतरनाक पाताल से शक्ति आती है और आपको रोकने की कोशिश करेंगी कि आप यह साधना पूरी न कर पाए ।

इसमें सावधानी क्या क्या रखेंगे आप जान लीजिए इसमें जो आप ध्यान लगाएंगे महिषासुर का वध करती हुई देवी जब उसका हृदय छेदन करती है वह रूप लेकिन यहां पर उनका रंग काला होगा रंग श्वेत नहीं होगा । यहां पर ये विशेष बात होगी यहां पर आप माता दुर्गा को काले रूप में देखेंगे माता दुर्गा के लाखों करोड़ों रूप है  । उन्हें किसी भी रुप स्वरुप में पूजा जा सकता है क्योंकि वह शक्तिसवरुपा है ।  वह किसी भी रुप में आ सकती हैं इसी प्रकार उनका ध्यान लगाया जाएगा हालांकि उनका प्रत्यक्षीकरण नहीं होगा, मैं पहले ही आपको बता देता हूं लेकिन उनकी योगिनीया जोगणिया भूतनीया शाकिनियां  चुड़ैले डाकीनिया  और साथ ही साथ बेताल और श्मशान के भैरव सभी आपके सामने आकर खड़ी हो जाएंगे और पूरी कोशिश करेंगे कि आप साधना पूरी न कर पाए अगर आपने फिर भी यह  साधना पूरी कर ली तो वह आपको वरदान दे कर चली जाएंगी ।

जब भी आप इस मंत्र से उनका आवाहन करेंगे तब भूत प्रेत पिशाच डंकिनी शाकिनी  योगिनी भूतनी चडैल श्मशान के भैरव बेताल जिसका भी आप नाम ले लेंगे वह सब वहां आते रहेंगे और अपना अपना परिचय देते रहेंगे और आप उनसे जो भी काम करवाएंगे वो करेगे लेकिन मैं आपको पहले ही बता देता हूं कि इसके लिए योग्य गुरु होना चाहिए यह साधना पूरी तरह से तामसिक है । सात्विक बिल्कुल भी नहीं है जो पूरी तरह से सावधानी से कर पाए वही करें क्योंकि इसने पशु बली दी जाती है और अगर आपके क्षेत्र में पशु बली पर बैन है तो आप यह काम बिल्कुल मत करिए क्योंकि प्राचीन और पुराने पद्धति है इसलिए मैं आपको बता रहा हूँ ताकि पुरानी साधना खो ना जाए तो इसलिए मैंने आपको यह बताया कि किस प्रकार से इस मंत्र की सिद्धि प्राप्त होती है ।सुरक्षा घेरा बहुत शक्तिशाली होना चाहिए और अपने शरीर को पूरी तरह से अभिमंत्रित कर लीजिए अनुभव आपको खतरनाक होंगे आपके साथ शक्तियां कोई भी व्यवहार कर सकती धन्यवाद। 

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