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शमशान डाकिनी साधना अनुभव 4 अंतिम भाग

प्रणाम गुरुजी जैसे कि पिछले भाग में आपने जाना अब मैं उसके आगे की कहानी बताता हूं। महापिशाच बहुत ही अधिक शक्तिशाली था और उसने अपनी तलवार उठाकर मेरे गुरु के सिर पर मारने की कोशिश की लेकिन उसकी तलवार को गुरु पत्नी या यूं कहिए कि सहायिका शक्ति ने बीच में ही रोक लिया था l उसकी शक्ति अत्यधिक थी लेकिन हमारी गुरु जी की जो सहायिका शक्ति थी वह भी बहुत अधिक शक्तिशाली थी l इस प्रकार पिशाच थोड़ी देर बाद शांत हो गया महापिशाच ने कहा मैं स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाता इसलिए मैं रुकता हूं अब बताओ एक ही रात में मुझे क्यों सिद्ध किया गया है इस पर मेरे गुरु उसे कहते हैं मुझे तेरी सिद्धि चाहिए l देवी डाकिनी ने मुझे कहा था कि मैं जिसको चाहूँ उसको वश में कर सकता हूं। मैंने तेरी साधना की है। अब तो मेरे बस में है कि मैं तुझ से जो भी कार्य संपादित करवाना चाहूँ वह तुझे करना होगा मैंने यह पता लगाया है कि तू किसी भी चीज को उठाकर किसी और स्थान पर रख सकता है। उसकी बात मे हामी भरकर उस महापिशाच ने कहा आपकी बात सही है। मैं किसी भी वस्तु को उठाकर आपके पास ला सकता हूं और आपकी किसी भी वस्तु को उठाकर किसी और स्थान पर पहुंचा सकता हूं। मेरे गुरु ने कहा ठीक है। मैं तुझसे वचन बांध लेता हूं और अब जब मैं तुझे अपने किसी विशेष कार्य के लिए बुला लूंगा तब तू आ जाना l महापिशाच मेरे गुरु को प्रणाम करता है और कहता है अवश्य ही जब भी आप मुझे आज्ञा देंगे मैं आकर आपकी सारे कार्यों को संपादित कर दिया करूंगा इस प्रकार वह महा पिशाच की साधना सम्पन्न हो जाती है । वह महापिशाच अपनी दुनिया में वापस लौट गया महापिशाच को उन्होंने काफी समय बाद फिर से बुलाया था और यह समय ऐसे घटित हुआ जिसके बारे में मैं अब आपको बताता हूं l नगर में एक काफी बड़े और विद्वान सेठ रहा करते थे वह महान विद्वान सेठ अघोरियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया करते थे l मेरे गुरु के पास आकार उनसे अपने दिल की बात कहने लगे उन्होंने कहा- मैंने आप की सिद्धि के विषय में सुना हुआ है। मेरे खानदान में मेरे पूर्वजों में किसी ने कहीं पर कोई धन गाड़ दिया था। उस धन को मुझे प्राप्त करना है लेकिन समस्या बड़ी यह है कि उस धन पर उन्होंने कुछ विशेष प्रकार की शक्तियां बैठाई हुई है। जिसके कारण से उसको निकालना काफी कठिन बात है और वह जहां भी हो उसको उठाकर लाना किसी मनुष्य के बस की बात भी नहीं है। मेरे गुरु ने कहा आपने मेरी सेवा की है इसलिए मैं आपको यह बताता हूं कि मैं यह कार्य संपादित कर सकता हूं। उनकी बात को सुनकर वह सेठ बहुत अधिक प्रसन्न हुआ उसने कहा कि सुनिए। आपको अपनी कुछ बातें बताता हूं और उसके कहे अनुसार कुछ बातें जो उन दोनों लोगों के बीच में हुई इसका विवरण मेरे पास नही है । अब मेरे गुरु उनके धन को निकालने के लिए रात्रि के समय श्मशान में गए और उन्होंने महापिशाच का आवाहन किया महापिशाच वहां पर प्रकट हो गया महापिशाच के आते ही उसने पूछा आखिर आपने मुझे इतने दिनों बाद क्यों याद किया है मेरे गुरु ने कहा कि मैं तुझसे एक विशेष कार्य संपादित करवाना चाहता हूं, और वह काम यह है कि तुझे किसी का धन निकाल कर लाना है उसने कहा – आपका यह कार्य में तक्षण कर दूंगा। कुछ देर बाद पिशाच वापस आया पर वह खाली हाथ था । वह मेरे गुरु के पास आकर कहने लगा वहां पर जो शक्ति है वह मुझसे अधिक शक्तिशाली है मुझे और अधिक शक्ति की जरूरत है। क्या तुम मुझे और अधिक शक्ति दे पाओगे मेरे गुरु ने कहा ठीक है। मैं तुम्हें वह शक्ति देता हूं। उन्होंने कुछ पिशाच शक्तियों का आवाहन कर उसके साथ में और शक्तियां भेज दी। पर सारी की सारी असफल सिद्ध हुयी l उनकी असफलता का कारण कुछ पता नहीं चल पा रहा था। जब सारे पिशाच उस महापिशाचके साथ वापस आ गए तो मेरे गुरु सोच में पड़ गए वह महापिशाच से पूछने लगे क्या कोई मार्ग नहीं है जिसके माध्यम से मैं तेरी शक्ति को इतना अधिक प्रबल बना दूं कि तू उस धन को उखाड़ लाए। महापिशाच ने मुस्कुराते हुए कहा गुरुदेव आप अगर अपनी सहायिका शक्ति को मेरे शरीर में डाल दे और उसकी सारी ऊर्जा शक्ति मुझे दे दे तो मैं अवश्य ही इस काम को कर डालूंगा मेरे गुरु ने कहा ठीक है। उन्होंने सहायिका शक्ति को बुला लिया और उस सहायिका शक्ति को वचनानुसार उस महापिशाच के शरीर में भेज दिया। अब वह महापिशाच बहुत अधिक शक्तिशाली हो गया था। कुछ देर बाद पता चला कि उस सेठ की मृत्यु हो गई है वह सेठ मर चुका था। आखिर क्यों उस सेठ की मृत्यु हुई थी वह सेठ अपने नगर से बाहर गया था और उसकी लाश किसी पानी में तैरती हुयी मिली थी मेरे गुरु को समझ में नहीं आ रहा था कि जिसके लिए मैं यहां कार्य करने वाला था उसकी मृत्यु आखिर हो कैसे गई है? गुरु ने महापिशाच को एक बार फिर से बुलाया क्योंकि वह तब से गायब था ना ही उसके साथ सहायिका शक्ति दिखाई दे रही थी बुलाने पर भी जब महापिशाच प्रकट नहीं हुआ तो फिर मेरे गुरु को कुछ शक होने लगा, उन्होंने सोचा कुछ ना कुछ गड़बड़ी अवश्य हो गई है और यह गड़बड़ी क्या है यह पता लगाना ही होगा l उन्होंने कुछ विद्याओं का प्रयोग किया लेकिन इसके बावजूद पिशाच वहां नहीं आ रहा था। तब उन्होंने विपरीत करणी शक्ति का प्रयोग किया यह ऐसी होती है कि जिसके माध्यम से अगर कोई शक्ति दूर हो तो उसको खींचकर लाया जा सकता है। उन्होंने विपरीत करणी शक्ति का प्रयोग कर पिशाच को खींच लिया था l वह भी जब उनके सामने प्रकट हुआ तो जोर-जोर से हंसने लगा उसने कहा अब मैं तुम्हारा गुलाम नहीं हूं। अब तुम मुझे बांध कर भी नहीं रख़ सकते मैं तुम्हें समाप्त कर दूंगा। अगर तुमने मुझे विवश किया तो l मेरे गुरु आश्चर्य में पड़ गए थे। आखिर यह क्या हो गया है? उन्होंने सहायिका शक्ति का आवाहन किया लेकिन शक्ति इस बार भी नहीं आई यह देख कर के पिशाच हंसने लगा और कहने। तूने। तो खुद ही मुझे अपनी शक्ति दी थी। अब वह मेरी पत्नी हो गई है। मैं उसके साथ बहुत खुश हूं और क्योंकि तू यह सारे राज जानता है। इसलिए मैं तुझे जान से मार दूंगा उसने मारने के लिए अपनी बड़ी सी तलवार निकाल ली और वहां बहुत सारे पिशाचों की सेना भी आ गई थी। अब मेरे गुरु के सामने कोई विकल्प नहीं रहा तो उन्होंने महा डाकिनी उस शक्ति को एक बार फिर से याद किया और अपनी रक्षा के लिए पुकारा वह शक्ति प्रकट हो गई और उस शक्ति ने कहा कि तुमने सबसे बड़ी गलती कर दी है वचनों में बंधकर तुमने अपनी शक्ति को उसे दे दिया है। क्योंकि मैं एक बार तुम्हारे पास आ सकती थी इसलिए मैं तुम्हारी रक्षा करती हूं यह तुम्हें नहीं मार पाएगा लेकिन क्योंकि तुमने इसे अपनी शक्ति सौंप दी है और मैंने तुम्हें प्रारंभ में ही यही बता दिया था कि तुम्हें किसी भी प्रकार से अपनी शक्ति यानी की सहायिका शक्ति को नहीं खोना है। भले ही तुम इसका उपभोग ना करो तो भी तुम्हें सदैव इसकी सहायता की आवश्यकता रहेगी मेरे गुरुजी परेशान हो गए डाकिनी ने उनकी जान तो बचा ली थी l वह महा पिशाच भी गायब हो चुका था लेकिन मेरे गुरुजी के हाथ से डाकिनी सिद्धि अब जा चुकी थी। दोबारा डाकिनी कभी प्रकट नहीं हुई लेकिन उनकी समझ से उन्होंने सही कार्य किया था इसके बाद उन्होंने भगवान शिव की भक्ति की और उन महा अघोरी शिव को प्रसन्न किया l गुरु जी यह मेरे गुरु की सच्ची वास्तविक डाकिनी शक्ति की उपासना की सच्ची कहानी थी l मैं यही कहना चाहूंगा कि जब भी साधना करें तो साधनाओं में विशेष तरह की बातों का सदैव ध्यान रखना चाहिए। वरना सिद्धियां आ करके चली जाती है। नमस्कार गुरु जी

यहां पर इन्होंने इस कहानी के माध्यम से हम को स्पष्ट संकेत दिया कि सिद्धियां भरमा देती है। अगर आप उनके बहकावे में आ जाते हैं तो फिर आपके सारे काम नष्ट हो सकते हैं। जैसे यहां पर इस कहानी में आपको देखने को मिला है। साधना का पीडीएफ दिया हुआ है वह आप मेरे इंस्टामोजो व्हाट्सएप बाय कर सकते हैं। नीचे लिंक दिया हुआ है

शमशान डाकिनी सिद्धि विधि पीडीएफ़ लिंक – https://imojo.in/108p31k

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