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श्यामा माँई और चमत्कारिक मुंड भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। श्यामा माई और चमत्कारिक मुंड साधना भाग एक में अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार से राजवीर नाम का एक व्यक्ति अपनी मां को मिले श्राप की वजह से एक तांत्रिक गुरु के पास पहुंच जाता है। उनकी सेवा करता है और उनसे मुंड प्राप्त करने की विद्या के बारे में जानने की कोशिश करता है। अब जानते हैं आगे क्या हुआ ।

राजवीर अपने गुरु से बात करते हुए कहता है कि गुरुदेव मुझे वह स्थान दिखाइए या उसके बारे में बताइए । मैं वहां किस प्रकार से पहुंचू । गुरु कहते हैं यह स्वयं तेरी परीक्षा होगी। इसलिए जो चोटी तुझे मिली है। इसे तू अपने पास रख ले यह तेरी रक्षा करेगी । तेरे पर बुरी शक्तियों का प्रभाव कम से कम पड़ेगा। यह शायद उस तांत्रिक ने तुझे इसीलिए दी है ताकि चोटी के माध्यम से तेरी रक्षा हो सके। राजवीर ने अपने गुरु को धन्यवाद कहा । मेरे लिए कोई विशेष आज्ञा हो तो अवश्य ही बताएं। तांत्रिक गुरु ने कहा- मुंड जहां भी तुझे दिखाई पड़े सबसे पहले उसको नमस्कार करना उसके बाद उस भूमि को नमन करना फिर मां काली को नमन करना।राजवीर ने कहा ठीक है गुरुदेव मैं अब उस ओर बढ़ना चाहता हूं कृपया मुझे मार्ग बताइए।

तांत्रिक गुरु ने कहा- अब तुम्हारा मार्ग यहां से शुरू होता है इस विशेष दिशा की ओर जाओ। यहां से कुछ कोस जाने पर तुम्हें एक स्थान मिलेगा जो एक विशालकाय शमशान भूमि है। इसी श्मशान भूमि में तुम्हें जाकर घूमते रहना है। और स्वतः ही तुम्हें उस चीज के दर्शन होंगे। और क्या क्या तुम्हारे साथ घटित होगा यह तुम्हारा भाग्य होगा।

राजवीर ने अपने गुरु के चरण स्पर्श किए उनसे आज्ञा ली और उस और बढ़ चला। राजवीर धीरे-धीरे उस स्थान की ओर जा रहा था। अब उसके पास अपने गुरु की दी हुई कुछ बातें थी । एक चोटी थी जिसके माध्यम से उसकी रक्षा होनी थी। विचार कर राजवीर ने सोचा कि अपनी मां के लिए कर्म करने की जो बुद्धि है यह निश्चित रूप से मेरा कल्याण करेगी। क्योंकि मां के लिए कर्म करना बहुत ही उत्तम होता है। लाखो पुण्य को व्यक्ति प्राप्त कर लेता है जब वह अपनी मां की सेवा में कुछ कर पाता है।

यही सोचते राजवीर धीरे-धीरे करके उस घने वन में उस श्मशान भूमि तक पहुंच जाता है। सामने श्मशान भूमि को देखकर राजवीर को भय लगता है। लेकिन मन में अपनी मां को याद कर अपने उस गुरु अपने मन में बसा करके वह उस श्मशान में विचरण करने लगता है। विचरण करते-करते अचानक से वहां पर एक तूफान आता है।

तूफान सामान्य सा ही होता है। इसकी वजह से वहां पर कोई नहीं रह जाता। जो कुछ लोग श्मशान भूमि में। चिता जलाने के लिए आए होते हैं वह भी उस जगह से निकल जाते हैं। शायद वह शमशान बहुत अधिक पुराना था। इसी कारण से वह उस स्थान को छोड़ देते हैं। अब राजवीर ही अकेला उस स्थान पर रह गया। शायद उसकी कोई परीक्षा शुरू होने वाली थी।

राजवीर ने चारों ओर घूमना शुरू कर दिया। वह एक स्थान से दूसरे स्थान दूसरे स्थान से तीसरे स्थान की ओर गमन करता रहा। इस प्रकार काफी देर विचरण करने के पश्चात अचानक से ही उसे एक जगह हल्की सी उठी हुई जगह नजर आई। वह उसके पास गया। उसको देखकर आश्चर्य में पड़ गया। वह उसे खोदने का प्रयास करने लगा। तभी।

पास के ही पेड़ में बैठे एक कव्वे ने उसे कुछ कहा। वहां से जोर जोर से बोलने लगा। उसकी काय- काय की आवाज से राजवीर को भय लगा। आखिर मैं इस जगह को खोद रहा हूं तो यह क्यों चिल्ला रहा है?

लेकिन राजवीर ने अपने कार्य को नहीं रोका, क्योंकि उसे लगा यह कोई विशेष जगह अवश्य है। कुछ देर खोदने के बाद में उसे वहां पर एक मुंड के ऊपरी भाग के दर्शन हुए। यह देख कर के वो खुश हुआ और सोचने लगा कि अवश्य ही यह वही मुंड है उसने उसे पूरा खोदकर बाहर निकाल लिया। तभी वहां पर एक शक्तिशाली प्रेत प्रकट हो गया।

प्रेत बड़ा गुस्से में था। उसने कहा तूने मेरे मुंड को बाहर क्यों निकाला है? इस पर राजवीर ने कहा मैं अपनी मां को ठीक करने के लिए इस श्मशान भूमि में आया हूं। मेरा उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं है। आप कौन हैं? और यह मुंड आपका कैसे हैं?

प्रेत ने कहा यह मुंड एक तांत्रिक ने यहां पर दबाया है। यह मेरा ही मुंड है। मैं तब से इसी भूमि में दबा हुआ था। उसने विशेष प्रकार की शमशान क्रियाएं की थी। आज चलो अच्छा हुआ जो मुझे मुक्ति मिली है। अब ऐसा करना तुम मुंड को कुछ दूर पर एक तालाब है उसके अंदर डाल देना। मैं सदा के लिए मुक्त हो जाऊंगा।

राजवीर ने कहा कि मैं तो मुंड लेने के लिए आया था,और तुम मुझसे कह रहे हो कि इस मुंड को मै तालाब में फेंक दूं। मैं ऐसा क्यों करूंगा? इस पर उसने कहा मुझे पूरी बात बता। तू मुंड क्यों प्राप्त करना चाहता है? इस विषय में मुझे अपनी सारी कहानी सुना। फिर राजवीर ने उसे अपने साथ घटित हुई। सारी कथा के बारे में बता दिया।

उस प्रेत ने जब यह सुना तो कहने लगा जिस मुंड को तो ढूंढ रहा है वह यह नहीं है। तू इस शमशान के साथ चक्कर लगा। उसके बाद शमशान देवी को प्रणाम कर और कह माता मैं जिस कार्य के लिए आया हूं वह जगह और स्थान मुझे अवश्य मिले। इसके बाद तुझे चलते-चलते वह जगह या वह स्थान अवश्य प्राप्त हो जाएगा। लेकिन तूने मेरे साथ अच्छा ही किया है। इसीलिए मैं तुझे यह सारी बातें बता रहा हूं।

प्रेत ने कहा कि तू माता श्मशान काली को याद करना और उनसे प्रार्थना करना निश्चित रूप से तेरा कार्य सिद्ध होगा। यह सुनकर के राजवीर प्रसन्न हुआ उसने कहा मैं आपको वचन देता हूं कि मैं आपके मुंड को तालाब में डाल दूंगा। उसके बाद राजवीर उसके मुंड को लेकर चल पड़ा पास ही तालाब था उसने उसे उस तालाब में, प्रणाम करते हुए उस तालाब के अंदर डाल दिया।

इसके बाद वहां पर खड़ा प्रेत। बहुत ही प्रसन्न हुआ और कहने लगा कि मैं तुझे वरदान देता हूं कि छोटी-मोटी शक्तियां तेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी। जो चोटी तेरे पास है इसे सदैव अपने पास रखना। यह विशेष प्रकार के मंत्रों से बनी हुई है इसलिए तेरा कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है। पर तू बड़ा कार्य करने वाला है। शायद तुझे उस मुंड के बारे में कुछ भी नहीं पता है। इसलिए तुझे हर प्रकार से रक्षा की आवश्यकता है।

आज मेरी प्रेत योनि से मेरी मुक्ति हो चुकी हैं। जल पड़ने से और यह एक प्राचीन पूजनीय स्थान है। इसी कारण से मैं अब मुक्ति को प्राप्त कर रहा हूं। धन्यवाद तेरा कि तूने मुझे मुक्त कर दिया है। यह कह कर के वह प्रेत वहां से गायब हो गया। अब राजवीर की दूसरी परीक्षा शुरू होने वाली थी ।

राजवीर वापस उस श्मशान भूमि में लौट आया। उसने शमशान की देवी माता श्मशान काली को प्रणाम किया मन ही मन उन्हें याद किया। इसके बाद उनके नाम को जपता हुआ । उसने उस श्मशान भूमि के साथ चक्कर लगाए। मां श्मशान काली को प्रणाम करने के बाद अब वह नंगे पैर उससे श्मशान भूमि में टहलने लगा। चारों तरफ टहलते टहलते अचानक से उसे ऐसा लगा जैसे कि नजदीक ही कोई ऐसी विशेष वस्तु आने वाली है। जिसका सामना करना होगा ।

उसका मन पहले ही घबराने लग गया। शायद सिद्धियां ऐसी ही होती हैं जो आपको अपने होने का एहसास पहले ही कराने लग जाती हैं। कुछ ही देर बाद अचानक से उसके पैर में ठोकर लगी और वह आगे गिर पड़ा।

उसने उठकर देखा कि उस जगह पर कुछ अजीब सा माहौल है। जाकर उसने उस चीज को देखा। वह खोदने लगा तभी वहां पर उसे एक नया मुंड दिखाई दिया। जैसे ही उसने उस मुंड को जमीन से बाहर निकाला आकाश में बिजलियां चमकने लगी। वहां का वातावरण पूरी तरह से बदल गया। सारा वातावरण में भयानक हो गया और अब उसके साथ जो घटित हुआ उसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी।

बिजली का एक जोरदार झटका उसे लगा और वह हवा में उड़ता हुआ। जा करके बहुत दूर। इतनी दूर के अपने गुरु के उस स्थान पर जाकर गिरा। जहां पर उसके गुरु अपनी तांत्रिक साधनाएं कर रहे थे। सुरक्षित गिरने के कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई थी । यह देखकर वह आश्चर्य था क्योंकि कई कोस दूर किसी व्यक्ति ने उसे उठा कर फेंक दिया था।

अद्भुत चमत्कार था कि कई कोस की यात्रा उसने हवा में उड़ते हुए तय कर ली थी। उसके गुरु ने तुरंत ही अपनी नेत्र खोल दिए और उसे पूछने लगे क्या हुआ ? इस पर राजवीर ने उसे बताया कि उसे किसी शक्ति नहीं उठा कर के शमशान भूमि से यहां फेंक दिया है। राजवीर ने कहा ऐसा अद्भुत चमत्कार तो मैंने देखा ही नहीं।

कोई इतनी अधिक शक्तिशाली शक्ती हो सकती है जो कई कोस दूर किसी व्यक्ति को फेंक दें। उसके बावजूद भी मैं अभी जीवित हूं। यह बड़ा ही आश्चर्य मुझे लगता है गुरुदेव। इस पर गुरु ने कहा शायद तू वह बात नहीं जानता जो मैं जानता हूं । तुझे मुझे उस बात के बारे में बताना होगा। लेकिन यह बात अवश्य सिद्ध है कि तूने असली मुंड पा लिया है। वह कहानी क्या है और उस मुंड की कथा क्या है? यह हम लोग जानेंगे अगले भाग में तो अलग अगर आपको यह कहानी और वीडियो पसंद आ रहा है तो पोस्ट शेयर करें ।

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