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श्यामा माँई और चमत्कारिक मुंड भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका स्वागत है। एक बार फिर से आप लोगों के लिए मठ और मंदिरों की कहानी लेकर के आया हूं। इस बार की हमारी कहानी माता श्यामा और एक चमत्कारिक मुंड के बारे में है। इस कहानी को कई सौ सालों पहले मानना चाहिए।

एक गांव में एक राजवीर नाम का व्यक्ति रहता था। राजवीर बहुत ही बड़ा मातृ भक्त था। अपनी मां से अत्यधिक प्रेम करता था। सदैव उनकी आज्ञा का पालन करता था। पूरे गांव में यह चर्चा थी कि राजवीर जैसा मातृ भक्त यहां पर कोई भी नहीं है। राजवीर को अपनी माता की सेवा करना बहुत ही अधिक पसंद था।

एक बार उसकी माता एक कुएं में जल भरने के लिए गई। और तभी उन्होंने एक शक्तिशाली व्यक्ति को आते देखा। वो काफी शक्तिशाली दिख रहा था। शायद कोई तांत्रिक रहा हो। उसके चारों ओर आभामंडल सा दिखाई देता था। उसने वहां पर खड़ी काफी सारी स्त्रियों से पानी मांगा। किंतु कोई भी उसे देखकर डर कर भाग जाती थी।

राजवीर की मां उन्हें दूर से ही देख रही थी। देखते ही देखते वह सारी चीजों को भूल गई। उन्हें यह ध्यान नहीं रहा कि वहां पर एक छोटा सा बच्चा खड़ा था। जिसने पेशाब करना शुरू कर दिया था। वहीं पर उनका मटका भी रखा हुआ था। और उसने उसी मटके में पेशाब कर दी थी।

राजवीर की मां क्योंकि पानी पहले ही भर चुकी थी इसलिए आश्चर्यचकित हुई वह उस शक्तिशाली तांत्रिक व्यक्ति को देख रही थी। तांत्रिक की आभा बहुत ही चमत्कारिक थी। जैसे ही वह व्यक्ति उस कुएं के पास आया। राजवीर की मां ने उस व्यक्ति को प्रणाम किया। प्रणाम करके कहा मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूं?

शक्तिशाली चमत्कारिक व्यक्ति उसे देख कर कहने लगा। मुझे तू इस सब मे सबसे सभ्य प्रतीत होती है। मैं बड़ा ही क्रोधी व्यक्ति हूं। और क्यों ना होवू, मेरे पास शक्तियों का भंडार है। मैं तेरी हर इच्छा को पूरी कर दूंगा। लेकिन उससे पहले तो मुझे पानी पिला। क्योंकि मैं चलते-चलते थक गया हूं। मुझे पानी पीने की इच्छा हो रही है।

राजवीर की मां जो कि एक भोली भाली स्त्री थी, उन्होंने तुरंत ही अपने मटके का पानी उसे पिलाना शुरू कर दिया। व्यक्ति ने अपने हाथ बढ़ा कर उनका पानी स्वीकार किया और पानी पीने लगा। थोड़ी ही देर बाद जैसे ही वह पानी पी लिया कहने लगा, पानी थोड़ा अजीब है। तभी वहां एक शक्तिशाली प्रेत प्रकट हुआ।

उसने उस तांत्रिक गुरु के चरण छुए। उनसे कहने लगा कि आपने आज मुझे खो दिया है। मैंने आपसे कहा था कभी भी दूषित पानी नहीं पीना। किंतु आपने दूषित पानी पी लिया है इसलिए गुरु मैं तुझे छोड़कर जाता हूं। वह वहां से जाने को तैयार हो गया।

इसी बात पर उस शक्तिशाली व्यक्ति ने उस प्रेत से पूछा मेरे पास तो तेरी सिद्धि थी। आखिर तू मुझे छोड़ कर क्यों जा रहा है? कारण तो जरा मुझे बता दे। उस शक्तिशाली प्रेत ने कहा। कि आपने दूषित पानी पिया है। यह सुनकर उस व्यक्ति को क्रोध आ गया और उसने कहा कि मुझे तो सिर्फ इस स्त्री ने पानी दिया है क्या इसने कोई गलती की है? या मुझे दूषित पानी कैसे पिला दिया है ?

प्रेत ने कहा मेरा जाने का समय हो चुका है किंतु जाते-जाते मैं तुझे कहता हूं कि तूने पेशाब को पिया है। तूने जिस पानी को पिया है उसमें पेशाब मिली हुई है। यह कह कर के वह प्रेत गायब हो गया। गुस्से से भरे हुए उस शक्तिशाली तांत्रिक व्यक्ति ने क्रोध में आकर। उस स्त्री, जो कि राजवीर की माता थी को शाप देकर कहा। कुछ ही दिनों में तेरी मृत्यु हो जाएगी।

यह कह कर के वह जाने लगा। राजवीर की माता घबरा गई। उसे सारी स्थिति समझने में देर नहीं लगी। उसने उस शक्तिशाली व्यक्ति को प्रणाम करते हुए रोते हुये कहा – आप मुझे क्षमा कीजिए। मैंने जानबूझकर कोई गलत कर्म नहीं किया। मैं तो सिर्फ आपको देखकर अपनी सुध बुध खो बैठी थी और आपकी सेवा करने का विचार मेरे मन में आया था मैंने कतई नहीं सोचा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ घटित होगा।

वह जोर जोर से रोने लगी । उसकी इस दारुण अवस्था को देखकर अब उस शक्तिशाली तांत्रिक को कुछ दया आई उसने कहा मैंने तुम्हें श्राप तो दे दिया है। मैं इसे वापस तो नहीं ले सकता। लेकिन अगर, कोई तेरा सच्चा पुत्र हो, वह एक विशेष स्थान में जाकर एक शक्तिशाली तांत्रिक की सहायता करें। और उसके पास एक चमत्कारिक मुंड आ जाए। तो वह मुंड तुझे ठीक कर देगा।

अगर तेरा पुत्र ऐसा कर पाए। तो जा। मैं तुझे एक चोटी देता हूं। उस तांत्रिक ने एक चोटी निकालकर राजवीर की माता को दे दी । राजवीर की माता अब अपने घर की ओर जाने लगी। वह काफी ज्यादा दुखी थी। बहुत बड़ी परेशानी में वह घिर चुकी थी। अब करे तो क्या करें घर में उदास बैठी हुई थी तभी राजवीर आता है

अपनी माता के चरण स्पर्श करता है। राजवीर अपनी माता को प्रेम पूर्वक कहता है। माता आज भोजन में क्या बनाया है? यह सुनते ही राजवीर की माता रोने लगती है। राजवीर अपनी माता को रोते देखकर उनसे कहता है माता ऐसा क्या हुआ जो आपकी आंखों में आंसू आ गए हैं। फिर राजवीर की माता उन्हें उनके साथ घटित हुई सारी घटना के विषय में बताती हैं। राजवीर कहता है वह चोटी मुझे दीजिए। मैं उस चोटी को लेकर के उस तांत्रिक के पास जाऊंगा। उसके सारे कार्यों को संपादित करूंगा। आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। मैं ऐसा कुछ भी नहीं होने दूंगा जिससे श्राप फलीभूत हो।

यह सुनकर राजवीर की माता दुखी मन से उसकी बात को सुनती हैं। कहती हैं कि मैं तो तुझे भोजन कराना चाहती थी। अब तुझे यात्रा पर भेजने की मेरी तनिक भी इच्छा नहीं है। किंतु अपने पुत्र की जिद के सामने राजवीर की माता हार जाती हैं। और कहती हैं कि जाओ। तुम उसे चमत्कारिक मुंड को प्राप्त करो। और मेरी जीवन की रक्षा करो।

राजवीर अपनी मां से आज्ञा लेकर के। उस ओर बढ़ने लगता है, जिस घनघोर जंगल के विषय में उस तांत्रिक ने बताया था। वह शक्तिशाली तांत्रिक को ढूंढना चाह रहा था। क्योंकि उस तांत्रिक ने कहा था, कि ऐसे शक्तिशाली तांत्रिक को तुम्हें ढूंढना है। जो तुम्हारा यह कार्य संपादित कर सकें।

धीरे-धीरे करके एक घने जंगल में एक पेड़ के पास उसे एक बहुत ही पुराना पेड़ दिखाई देता है ।उस पेड़ के ही पास में एक तांत्रिक खड़ा हुआ था। आकाश की ओर देख रहा होता है। तभी उसे आकाश में एक हलचल दिखाई देती है। बस वह समझ जाता है यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। यह कोई शक्तिशाली चमत्कारिक तांत्रिक है। शायद यह वही है जिसके विषय में उस तांत्रिक व्यक्ति ने कहा था।

राजवीर उस तांत्रिक व्यक्ति के पास पहुंचता है और सीधे उनके पैरों को प्रणाम करते हुए उनके सामने बैठकर। उनकी सेवा सत्कार करने के विषय में आज्ञा प्राप्त करता है। यह देखकर के तांत्रिक व्यक्ति आश्चर्य में पड़ जाता है। कहता है इस घने जंगल में तू यहां क्या कर रहा है? राजवीर कहता है इससे पहले कि मैं आप के विषय में और कुछ कहूं या फिर मैं आपको अपने जीवन में घटित हुई घटना के विषय में बतावू, आप सबसे पहले मुझे एक दिन दीजिए मैं आपकी सेवा सत्कार करना चाहता हूं।

तांत्रिक खुश हो जाता है और राजवीर से कहता है मेरे लिए जल लेकर आओ। राजवीर आसपास के क्षेत्र में ढूंढता है और तभी वह जल को प्राप्त कर लेता है । वह जल लेकर के तांत्रिक गुरु के पास आता है। तांत्रिक गुरु उससे काफी प्रसन्न हो जाता है। इस प्रकार राजवीर रात्रि के समय अपने तांत्रिक गुरु के पैर दबाता है और तब कहता है कि गुरुवर क्या आप मेरी सेवा से खुश हुए हैं।

इस पर तांत्रिक गुरु मुस्कुराते हुए कहता है अवश्य ही तू कुछ बड़ा मांगने मेरे पास आया है बता मैं तेरे लिए क्या करूं? राजवीर कहता है कि गुरु मैं अपनी सारी बात आपको बता देना चाहता हूं। किस प्रकार से मेरे मां के जीवन में एक महान संकट आ चुका है? आप उसको हल कर सकते हैं इसीलिए मैं आपके पास आपकी शरण में आया हूं।

यह सुनकर तांत्रिक गुरु सारी बात जान लेते हैं और कहते हैं कि तुझे एक विशेष स्थान पर जाना होगा जो बड़ा ही खतरनाक है। आज से कई 100 साल पहले वहां पर भयंकर युद्ध हुआ था वहीं से तुझे एक चमत्कारिक मुंड लाना होगा। क्या तू यह कर पाएगा? राजवीर ने कहा अवश्य ही गुरु मै कुछ भी करने को तैयार हूं। आगे क्या हुआ? हम लोग जानेंगे अगले भाग में। अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आ रहे हैं तो शेयर करें ।

श्यामा माँई और चमत्कारिक मुंड भाग 2

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