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श्रापित सोने के कंगन भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग जो अनुभव लेने जा रहे हैं, यह अनुभव श्रापित सोने के कंगन से संबंधित है। आखिर कैसे कोई वस्तु श्रापित हो सकती है और उससे कितनी परेशानियां हो सकती हैं। आज के इस अनुभव के माध्यम से हम लोग जानेंगे। चलिए पढ़ते हैं के पत्र को और जानते हैं, कैसा रहा है यह अनुभव!

पत्र – नमस्कार गुरु जी, मैं संतोष कुमार। जिला बहराइच से आपसे अपने अनुभव को शेयर करना चाहता हूं। कृपया मेरा ईमेल आईडी और अन्य जानकारी साझा ना करें।

क्योंकि यह एक! अद्भुत घटना है। जो कि मेरे! पिताजी के साथ हुई थी और उसकी वजह से हम भी अभी तक उस समस्या से निकल नहीं पाए हैं। मैं आपको बता दूं, यह सब कुछ एक कंगन की वजह से हो रहा है। आपको शायद यकीन नहीं हो लेकिन इस कंगन के कारण ही सारी समस्या शुरू हुई थी। मैं आपको अब इस घटना के विषय में बताता हूं। गुरुजी!

उस दौरान जब हमारे गांव की तरफ पहली बार। सरकार के द्वारा सड़क बनाने का कार्य किया जा रहा था तो गांव वाले बहुत अधिक खुश थे। मेरे पिता विशेष रूप से क्योंकि उन्हें? साइकिल से जाने में बड़ी ही समस्या होती थी। इतनी ज्यादा उबड़-खाबड़ जमीन थी कि आसानी से रास्ते को पार करना कठिन हुआ करता था। इस वजह से जब सरकार ने वहां पर रोलर चलवा कर। रोड को बराबर किया तो सारे गांव वाले खुश हो गए। गांव के पास ही एक मेला लगा करता था। जिस दौरान सड़क बन रही थी उसी दौरान! उसी स्थान के पास में ही एक मेला लगा था। मेले में घूमने के लिए लगभग हमारे ही गांव के नहीं बल्कि कई आसपास के गांव के लोग जाया करते थे। इसलिए यह एक अच्छा अवसर था जब परिवार के साथ मेला देखा जाए। बस यही सोचकर मेरे पिताजी उस मेले की ओर बाकी परिवार के लोगों के साथ निकल पड़े। हमारे गांव का हुजूम लगभग 50 से 60 आदमी का था। जब वह लोग उस जगह पहुंचे जहां सरकार रोड की मरम्मत करके खुदाई कर रही थी। तो वहां पर कई सारे लोग बैठकर सुस्ताने लगे। कुछ लोग इधर चले गए, कुछ लोग उधर चले गए। फिर कुछ लोगों के लिए यह कौतूहल का बस एक अवसर था।

और वहां पर उन्होंने यह देखने की कोशिश की कि कैसे मिट्टी को बराबर किया जाता है? उसी दौरान! मेरे पिताजी और मेरी माता दाहिनी तरफ लगे एक बड़े पेड़ के पास!

जाकर बैठ गए। क्योंकि वह यह सोचते थे कि जब तक सब गांव वाले।

मेले की तरफ नहीं जाएंगे तब तक हम यहां बैठकर सुस्ता लेते हैं। पेड़ के पास ही अचानक से मेरी माता श्री का पैर।

उस पेड़ की किसी जड़ में फस गया । अचानक से ही मेरी मां गिर पड़ी। और उनका हाथ! एक ऐसी झाड़ी के अंदर गया जहां पर उनकी उंगली किसी वस्तु में फस गई थी। और जब वह वहां से उठे और उन्हें सहारा देने के लिए मेरे पिताजी उनके पास गए तभी उन्होंने कहा, लगता है मेरी उंगली के बीच में कोई विशेष वस्तु आ गई है।

इस पर मेरे पिताजी ने कहा, ठीक है देखो क्या है उन्होंने उस झाड़ी से उस हाथ को खींचकर निकालने की कोशिश की। और वह एक अद्भुत नजारा। जो देखने में आया वह बहुत ही अजीब सा था एक!

हड्डी वाला हाथ जिसके। हाथ में कंगन था।

और एक नहीं दो दो कंगन!  दोनों को खींचकर जब बाहर निकाला तो। वह हाथ यानी वह हाथ भी साथ में बाहर आ गया और टूट कर एक तरफ गिर गया। मेरी मां ने जब उन्हें देखा तो कहने लगी। यह तो पीले रंग के हैं। मुझे लगता है यह कंगन है। और उन्होंने कहा।

यह जरूर सोने का होगा। मेरे पिताजी ने कहा। ऐसी चीजें तो नहीं लेनी चाहिए। पर मेरी मां ने कहा, बैठे-बिठाए सोना मिल रहा है। हो सकता है किसी औरत का यह हाथ रहा हो पर उसे मरे हुए तो मुझे लगता है 100-200  साल हो गए होंगे। ऐसे में आप इतनी चिंता क्यों करते हैं? जब वह जीवित ही नहीं है तो उसकी चीज अब अगर हम ले ले तो इसमें क्या समस्या है?

उन्होंने कहा, इन कंगनो को हम लेकर अभी घर वापस जाएंगे। मेला किसी और रोज आकर देख लेंगे।

इस प्रकार दोनों लोगों ने। आपसी मंत्रणा के द्वारा। वह कंगन उठाएं और चल दिए घर की ओर वापस।

अगले दिन? मेरे पिताजी! को मेरी मां ने भेजा कि जाओ! इसको किसी सुनार से चेक करवा कर देख लो। कि सच में ही है, सोना है या नहीं? और ऐसे चेक मत करवाना उससे कहना इसे साफ कर दो। क्योंकि यह पुराने हैं और काफी गंदे हो चुके हैं।

मेरे पिताजी जब उन को लेकर सुनार के पास पहुंचे। तो सुनार ने चेक करने के बाद कहा, इतने पुराने कंगन रख कर क्या करोगे ना मुझे यह सोने के कंगन बेच दो।

इस पर मेरे पिताजी ने उन्हें मना कर दिया क्योंकि मैंने पहले ही समझा दिया था। सुनार लोग मूर्ख बना देते हैं।

सुनार ने कहा, इस वक्त इन्हे देखिए इनका इतने ग्राम वजन है। आप ऐसा कीजिए आप मुझसे अभी के सोने के बराबर कर रेट ले लीजिए। पर मेरे पिताजी ने मना कर दिया।

आखिरकार सुनार ने सच बात कह दी और कहा। मैं तो बस मजाक कर रहा था कि शायद आप बेचते वैसे भी इतनी कीमती चीज को क्यों बेचेगा? कंगन के बीच में हीरे भी लगे हुए हैं। इस वजह से यह बहुत अधिक महंगे हैं।

तकरीबन उस वक्त उन दोनों का मूल्य ₹100000 रहा होगा।

जो आज के हिसाब से 50-60 लाख से ऊपर हैं।

मेरे पिताजी के तो कान ही खड़े हो गए। उन्होंने कहा, ठीक है, क्या करें, पुश्तैनी हैं और नहीं दे सकता हूं और यह कहते हुए वह कंगन को साफ कराने का मूल्य देकर सुनार से वापस आ गए और उन्होंने अपनी पत्नी को कहा। कि देखो यार तुमने सच कहा था यह तो बहुत ही महंगे और किसी? रानी के आभूषण लगते हैं। लेकिन वह कौन थी? इस पर मेरी मां ने कहा, आपको क्या करना है? लाइए मुझे यह पहनाइए।

इस प्रकार से उस दिन साफ-सुथरे हो चुके उन कंगन को मेरी मां के हाथों में मेरे पिताजी ने स्वयं पहना दिया।

अचानक से सुबह-सुबह एक खबर ने मेरे पिताजी और माता को आश्चर्यचकित कर दिया। खबर थी कि जिस सुनार को उन्होंने अपने कंगन दिखाए थे। उसे सांप ने काट लिया है। उसकी मृत्यु हो गई है। मेरे पिताजी ने कहा, बड़ी ही अजीब बात है। अभी कल ही तो मैं उसके पास सोने के कंगन लेकर गया था। और उसी ने हमें यह कंगन साफ करके दिए थे। और आज उसकी मृत्यु हो गई है। वैसे भी बड़ा ही चालू किस्म का आदमी था। और मेरा कंगन बड़े ही सस्ते में लेना चाहता था। कोई बात नहीं पर भगवान उसकी आत्मा को शांति दे।

मेरी मां ने कहा देखा, लालच नहीं करना चाहिए। और इस प्रकार से वह दिन कट गया।

शाम के वक्त मेरी मां खाना बना रही थी।

तभी अचानक से उन्हें अजीब सा कुछ हुआ।

कुछ देर बाद मेरे पिताजी और परिवार के बाकी लोगों ने खाना खाना शुरू किया।

हमारा परिवार शुद्ध शाकाहारी है। लेकिन उस दिन जो हुआ था वह सबसे अजीब बात थी। गुरु जी आप यकीन नहीं करेंगे कि? उस खाने में हड्डियां ही हड्डियां थी। जब लोगों ने परिवार में देखा कि उन्हें खाने के रूप में मांस और हड्डियां दी गई हैं तो सभी को बहुत ज्यादा गुस्सा आया। उन्होंने! कहा यह क्या पागलपन है? मेरी मम्मी को सभी ने खरी-खोटी सुनानी शुरू कर दी।

मेरी दादी ने तो इतना कहा कि ऐसी बहू होने से तो अच्छा यह मर जाती। यह पागल हो गई है। क्या हमारे खानदान में कोई मांस खाता है और इसने आज मांस क्यों बना दिया। मेरे पिताजी को भी यकीन नहीं आ रहा था और वह दौड़ते हुए मेरी मां के पास गए। मेरी मां अकेली बैठी। कुछ सोच रही थी। मेरे पिता को इतना अधिक गुस्सा आया हुआ था कि उन्होंने उन्हें तमाचा मार दिया। और कहा तूने यह क्या किया है? मेरी मां रोने लगी। और उन्होंने बाहर उंगली करके कहा, उधर देखो!

मेरे सामने भी ऐसा कुछ हुआ था। क्योंकि मेरी मां! पर मेरे पिता चिल्ला रहे थे तो मैं डर के अंदर कमरे में छुप गया था। लेकिन जब मैंने पिताजी को घर से बाहर जाते देखा तो वह और भी जोर से चिल्लाए।

सामने एक कुत्ता मरा पड़ा था।

और पूरे कुत्ते का शरीर फटा हुआ था। उसके शरीर के मांस को निकाला गया था। शरीर पूरी तरह से क्षत-विक्षत था।

और? सबसे बुरी बात यह थी कि भोजन के लिए। जिस जानवर का इस्तेमाल किया गया था वह था वही कुत्ता था ।

यह देखकर पूरा परिवार डर के मारे।

घबराकर सब मां को देखने लगे। आखिर ऐसा क्यों हुआ था, मैं आपको इसके अगले भाग में बताता हूं? नमस्कार गुरु जी!
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श्रापित सोने के कंगन भाग 2

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