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श्रीककारकूटघटितं आद्या स्त्रोत योगिनी जाग्रत करने वाला

श्रीककारकूटघटितं आद्या स्त्रोत योगिनी जाग्रत करने वाला

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है आज हम जो विशेष प्रकार की। साधना के विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगी। यह है श्रीककारकूटघटितं आद्या स्त्रोत अर्थात। काली का शत नामावली स्त्रोत एक ऐसा स्त्रोत जो कि अगर हम इसका जाप। किसी विशेष स्थान जैसे कि। शमशान भूमि में। ओर। ऐसे ही किसी दिव्य अवसर पर अर्थात किसी शुभ समय से जपना शुरू करते हैं। तो उस स्थान पर विराजित विभिन्न प्रकार की योगिनी शक्तियां जाग्रत हो जाती है। और आपको उनके साक्षात् दर्शन देखने को मिलते हैं। यह स्रोत महानिर्वाणतंत्र के सप्तमोल्लासान्तर्गते

अंतर्गत आने वाला। एक स्रोत है। इसे। आध्या काली स्वरूप का शतनामावली स्रोत भी कहते हैं अर्थात इसमें माता आद्याकाली के। सौ नाम है। इन 100 नामों के आधार पर ही हम माता को प्रसन्न कर लेते हैं। इस स्रोत का घर पे पाठ किया जा सकता है। लेकिन इस स्रोत की सिद्धि के लिए हम विशेष प्रकार का प्रयोजन करते हैं जिसमें हम किसी शुभ समय नक्षत्र। अथवा। शनिवार। के दिन शमशान भूमि में जा कर। वहाँ की भूमि को प्रणाम कर माता की एक प्रतिमा यहाँ स्थापित करते हैं। उसके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाते है। काली भेड़ की चरम पर बैठ कर। आप इनके मंत्रों का जाप करते हैं। यह। सरल विधि से किया जा सकता है। आपका वस्त्र काला होना चाहिए। आप चाहे तो काले रंग की साड़ी भी पहनकर। मंत्र जाप कर सकते हैं। काले रंग का ही टीका माथे पर लगाना चाहिए।

आंखो में काला काजल लगा कर। साधना करनी। चाहिए। इसके अलावा। आपकी पास रुद्राक्ष की माला अथवा। काले हकीक की माला का ही इस्तेमाल। इस साधना में करना चाहिए। विधि भी बहुत सरल है। सबसे पहले श्मशान भूमि को प्रणाम करें वहाँ स्थापित सभी आत्माओं। के लिए आप तांबे के लौटे में जो जल लेकर आए हैं उन्हें। मानसिक रूप से अर्पित करें। इसके बाद। वहाँ के इस स्थान। भैरव को प्रणाम करते हुए। आप माता की प्रतिमा वहा पर स्थापित कीजिए। आप उसके आगे बैठकर सबसे पहले। भगवान शिव के मंत्र का उच्चारण कीजिए। ओम नमः शिवाय। उसके बाद फिर आप मन में। भगवान गणेश का ध्यान करते हुए। आप। अपने गुरु मंत्र का जाप करें। उसके उपरान्त। माता के आगे। दीपक को प्रज्ज्वलित करें। और इस प्रकार करने के बाद माता के सामने ही बैठकर उनके भव्य रूप का ध्यान करें। माता काली। जो कि अपनी सभी अस्त्र और शस्त्र से विभूषित। नीली। रंग की अपनी आभा के साथ। विराजित हैं। पूरे ब्रह्मांड स्वरूप में दिखाई पड़ती है। ऐसा ध्यान करते हुए। अब उनकी शत नामावली का जाप करना शुरू करें जो कि किस प्रकार से है। मैं आपको इसे सुना रहा हूँ।

अथ शतनामावलिः ।
श्रीकाल्यै नमः ।
श्रीकराल्यै नमः ।
श्रीकल्याण्यै नमः ।
श्रीकलावत्यै नमः ।
श्रीकमलायै नमः ।
श्रीकलिदर्पघ्न्यै नमः ।
श्रीकपर्दिशकृपान्वितायै नमः ।
श्रीकालिकायै नमः ।
श्रीकालमात्रे नमः ।
श्रीकालानलसमद्युतये नमः । १०
श्रीकपर्दिन्यै नमः ।
श्रीकरालास्यायै नमः ।
श्रीकरुणाऽमृतसागरायै नमः ।
श्रीकृपामय्यै नमः ।
श्रीकृपाधारायै नमः ।
श्रीकृपापारायै नमः ।
श्रीकृपागमायै नमः ।
श्रीकृशानवे नमः ।
श्रीकपिलायै नमः ।
श्रीकृष्णायै नमः । २०
श्रीकृष्णानन्दविवर्द्धिन्यै नमः ।
श्रीकालरात्र्यै नमः ।
श्रीकामरूपायै नमः ।
श्रीकामशापविमोचन्यै नमः ।
श्रीकादम्बिन्यै नमः ।
श्रीकलाधारायै नमः ।
श्रीकलिकल्मषनाशिन्यै नमः ।
श्रीकुमारीपूजनप्रीतायै नमः ।
श्रीकुमारीपूजकालयायै नमः ।
श्रीकुमारीभोजनानन्दायै नमः । ३०
श्रीकुमारीरूपधारिण्यै नमः ।
श्रीकदम्बवनसञ्चारायै नमः ।
श्रीकदम्बवनवासिन्यै नमः ।
श्रीकदम्बपुष्पसन्तोषायै नमः ।
श्रीकदम्बपुष्पमालिन्यै नमः ।
श्रीकिशोर्यै नमः ।
श्रीकलकण्ठायै नमः ।
श्रीकलनादनिनादिन्यै नमः ।
श्रीकादम्बरीपानरतायै नमः ।
श्रीकादम्बरीप्रियायै नमः । ४०
श्रीकपालपात्रनिरतायै नमः ।
श्रीकङ्कालमाल्यधारिण्यै नमः ।
श्रीकमलासनसन्तुष्टायै नमः ।
श्रीकमलासनवासिन्यै नमः ।
श्रीकमलालयमध्यस्थायै नमः ।
श्रीकमलामोदमोदिन्यै नमः ।
श्रीकलहंसगत्यै नमः ।
श्रीकलैव्यनाशिन्यै नमः ।
श्रीकामरूपिण्यै नमः ।
श्रीकामरूपकृतावासायै नमः । ५०
श्रीकामपीठविलासिन्यै नमः ।
श्रीकमनीयायै नमः ।
श्रीकल्पलतायै नमः ।
श्रीकमनीयविभूषणायै नमः ।
श्रीकमनीयगुणाराध्यायै नमः ।
श्रीकोमलाङ्ग्यै नमः ।
श्रीकृशोदर्यै नमः ।
श्रीकरणामृतसन्तोषायै नमः ।
श्रीकारणानन्दसिद्धिदायै नमः ।
श्रीकारणानन्दजापेष्टायै नमः । ६०
श्रीकारणार्चनहर्षितायै नमः ।
श्रीकारणार्णवसम्मग्नायै नमः ।
श्रीकारणव्रतपालिन्यै नमः ।
श्रीकस्तूरीसौरभामोदायै नमः ।
श्रीकस्तूरीतिलकोज्ज्वलायै नमः ।
श्रीकस्तूरीपूजनरतायै नमः ।
श्रीकस्तूरीपूजकप्रियायै नमः ।
श्रीकस्तूरीदाहजनन्यै नमः ।
श्रीकस्तूरीमृगतोषिण्यै नमः ।
श्रीकस्तूरीभोजनप्रीतायै नमः । ७०
श्रीकर्पूरामोदमोदितायै नमः ।
श्रीकर्पूरचन्दनोक्षितायै नमः ।
श्रीकर्पूरमालाऽऽभरणायै नमः ।
श्रीकर्पूरकारणाह्लादायै नमः ।
श्रीकर्पूरामृतपायिन्यै नमः ।
श्रीकर्पूरसागरस्नातायै नमः ।
श्रीकर्पूरसागरालयायै नमः ।
श्रीकूर्चबीजजपप्रीतायै नमः ।
श्रीकूर्चजापपरायणायै नमः ।
श्रीकुलीनायै नमः । ८०
श्रीकौलिकाराध्यायै नमः ।
श्रीकौलिकप्रियकारिण्यै नमः ।
श्रीकुलाचारायै नमः ।
श्रीकौतुकिन्यै नमः ।
श्रीकुलमार्गप्रदर्शिन्यै नमः ।
श्रीकाशीश्वर्यै नमः ।
श्रीकष्टहर्त्र्यै नमः ।
श्रीकाशीशवरदायिन्यै नमः ।
श्रीकाशीश्वरीकृतामोदायै नमः ।
श्रीकाशीश्वरमनोरमायै नमः । ९०
श्रीकलमञ्जीरचरणायै नमः ।
श्रीक्वणत्काञ्चीविभूषणायै नमः ।
श्रीकाञ्चनाद्रिकृताधारायै नमः ।
श्रीकाञ्चनाञ्चलकौमुद्यै नमः ।
श्रीकामबीजजपानन्दायै नमः ।
श्रीकामबिजस्वरूपिण्यै नमः ।
श्रीकुमतिघ्न्यै नमः ।
श्रीकुलीनार्तिनाशिन्यै नमः ।
श्रीकुलकामिन्यै नमः ।
श्रीक्रींह्रींश्रींमन्त्रवर्णेनकालकण्टकघातिन्यै नमः । १००

यह स्रोत पूरे 100 नामों से आप इसका। जब रोजाना एक माला जाप करते हैं शमशान भूमि में, रात्रि के समय तो अचानक से वहाँ पर। विभिन्न प्रकार के उपद्रव। ओर विभिन्न प्रकार की दैवीय शक्तियों का प्रादुर्भाव आपको देखने को मिलने लगता है। इतना ही नहीं उस स्थान पर कुछ समय के बाद अचानक से योगिनी शक्तियों का प्रादुर्भाव। होने लगता है। योगिनी शक्तियां विभिन्न प्रकार के रूप और स्वरूपों को धारण करके श्मशान में प्रकट होने लगती है। और साधक को? निश्चित रूप से जल्द ही सिद्धि मिल जाती है। इस साधना के प्रारंभिक चरण में आप 41 दिन का संकल्प ले सकते हैं। इतने दिनों पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करें। और। स्वयं अपना भोजन बनाएं। भोजन में। एक समय ही भोजन करना श्रेष्ठ रहता है। रात्रिकालीन साधना होने के कारण इसका 108 बार यानी एक माला प्रतिदिन जाप करना चाहिए। इस प्रकार 40 दिन तक करने के बाद 41 वें दिन काले तिल से हवन करके माता को अर्पित करना चाहिए। किसी भी दिन योगिनी शक्तियां आपके समक्ष आ जाती है।

तब उन्हें माता रूप में प्रणाम करते हुए। उनसे सिद्ध होने की प्रार्थना कीजिए। इसके बाद आपका जो भी कार्य न बन रहा हो। इस स्रोत का। मात्र सात बार पाठ करने से। जिंस भी कार्य के लिए आप योगिनी माताओं को कहेंगे। आपकी वह मनोकामना तुरंत पूरी हो जाएगी। इतना ही नहीं आप अगर शमशान भूमि में बैठकर। किसी भी अन्य व्यक्ति अथवा साधक अथवा पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रार्थना करेंगे। और केवल सात बार मात्र स्रोत का पाठ करेंगे, तब भी माता की कृपा से उसके भी बिगड़े हुए समस्त संकट और कार्य बन जाएंगे। इस स्त्रोत का रोजाना पाठ करना चाहिए और इसकी सिद्धि लगातार बनाए रखनी चाहिए। ग्रहण काल में। विशिष्ट अवसरों पर इसका 108 बार पाठ करने से भी माता काली की कृपा प्राप्त होती है। क्योंकि बार बार उच्चारण करने से ही सही और स्पष्ट। उच्चारण सीख पाते हैं। तो इस साधना को। अगर कोई सिर्फ कल्याण के लिए करना चाहता है तो अपने घर में भी रोजाना कर सकता है। इसका एक बार पाठ रोजाना करने से भी माता की कृपा आप को मिल ती रहती हैं और अप्रत्यक्ष रूप से माता आपकी सहायता भी। करती रहती है। इस स्रोत को हम कालिका शत नामावली स्रोत के नाम से जानते हैं। तो अगर आज का विडिओ आप लोगो को पसंद आया है तो लाइक करे शेर करें, सब्सक्राइब करे चैनल को आपका दिन मंगलमय हो, जय माँ पराशक्ति।

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