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साधकों के प्रश्न उत्तर श्रंखला भाग 12

प्रश्न १. गुरूजी  जिस प्रकार सौभाग्य और अर्थ की देवी माता लक्ष्मी है, विग्नहर्ता  समस्त कष्टों को नष्ट करने वाले भगवन श्री गणेश है, शत्रु का दमन करने के लिए माता बगलामुखी है तो जीवन में इन सब की प्राप्ति के लिए क्या हर एक देवता को पूजना जरुरी है या फिर किसी एक देवता को पूजने से इन सभी चीज़ो की प्राप्ति संभव है? 

उत्तर:- इसमें २ बाते है सबसे पहली  बात की आपको क्या लक्ष्य या  सिद्धि प्राप्त करना है अगर आपको समस्त लक्ष्यों को प्राप्त करना है तो पंचदेवों में किसी की भी साधना कर के आप अपने इन सभी उदेश्यो की पूर्ति  कर सकते है |  लेकिन आपका लक्ष्य सिद्धि प्राप्त करना है और सिद्धि का अर्थ होता है की उस कार्य में पूर्णता के साथ में उस चीज़ की पूरी शक्तियों का आपके हाथ में आ जाना जैसे अगर भौतिक सुख प्राप्त करना हो तो से वो पूरी तरह से प्राप्त हो ये अर्थ होता है| हिन्दू धर्म में ४ पुरुषार्थ बताए गए है ( धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) और प्रत्येक व्यक्ति को इनकी प्राप्ति के लिए पूजा, अर्चना, साधना और विभिन्न प्रकार की उपाय बताए गए है| लेकिन आप पंचदेवों की आराधना करके नव  दुर्गा की आराधना करके १० महाविद्या की आराधना करके इन उदेश्यो को सरलता से प्राप्त कर सकते है | इस प्रकार जो लक्ष्य हो उसकी ही साधना करनी चाहिए

प्रश्न २. भूत , प्रेत, चुड़ैल ये चीज़े क्या अंधविश्वास है ? 

उत्तर:-  एक छोटी सी बात बताऊ जिस विज्ञान के आधार पर आप ये सारी बाते कह रहे है वह  केवल विश्व के १ प्रतिशत से भी कम बाते बताता है| कारण आप पहले इस विराट ब्रम्हांड के बारे में सोचिये ये विराट ब्रम्हांड कितना बड़ा है, उसमे कितने करोड़ तारे, नक्षत्र, गृह है? उसमे हमारी सौर  मंडल कितने है, आकाश गंगा कहा स्थित है, नव गृह कहाँ स्थित है और उसमे भी हमारी पृथ्वी कहाँ स्थित है और कितनी  छोटी है अगर  रिसर्च करेंगे तो १ प्रतिशत से  नीचे आप आ जाएंगे और उस पृथ्वी के भी सारे तत्वों को, सारे ज्ञान को हम नहीं जानते है  हमारा विज्ञान हमें १०० प्रतिसाद में से १ प्रतिशत से भी कम की बातो को बताता है और ये विज्ञान ये दावा करता है की हम सब कुछ जानते है | तो अभौतिक से संबंध रखने वाली ये शक्तियाँ है या नही कैसे बता सकता है –

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