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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 124

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 124

1. गुरु जी साधना में आसन का क्या महत्व है? किसी साधना में लाल आसन और किसी में पीला आसन… ऐसा क्यूँ.?? क्या बिना आसन के चटाई पर या जमीन पर बैठ कर साधना की जाये तो क्या साधना सफल नहीं होगी.??

उत्तर :-  यह तो आपकी साधना पर निर्भर करता है आप किस प्रकार की साधना कर रहे है और उसको सिद्ध करने के लिए कौन से पद्धति का प्रयोग कर रहे है | सभी साधनाओ में अलग अलग आसनो का प्रयोग है | आप महाकाली साधना करते है तो उसमे काले आसान की जरुरत होती है और महालक्ष्मी साधना में देखे तो वह आसान का बिलकुल अलग विधान है उसमे सफ़ेद आसान का प्रयोग बताया है | आप चाहे किसी भी प्रकार की साधना करे उसमे आपको उसके उपयुक्त आसन का ही प्रयोग करना होता है या जिस आसन का विधान होता है उसका उपयोग करना होता है | साधना को अगर सिद्ध करना है तो उस साधना के नियमो के अनुसार ही आपको करना पड़ेगा क्युकी मंत्र का सीधा सम्बंद होता है माला और आसन से और जिस देवता के लिए जो आसन बताई गई है उसका ही यथा संभव उपयोग करना चाहिए |

2. गुरु जी अगर हम बिना संकल्प लिए रोज अप्सरा के मंत्र का जाप करे प्रत्यक्षीकरण हेतु… लेकिन बीच में किसी दिन गलती से ब्रह्मचर्य खंडित हो जाये तो क्या अब तक का किया हुआ मंत्र जाप हमारे पास रहेगा या नष्ट हो जाएगा.??

उत्तर:- अगर आप  तांत्रिक साधना कर रहे है और उसमे किसी भी प्रकार से ब्रह्मचर्य खंडित हो जाता है तो वो साधना खंडित मानी जाती है | उस साधना का जो पुण्य है वो आप जिसकी साधना कर रहे है उसको चला जाता है और उसका कुछ भाग वहाँ के स्थान भैरव को भी चला जाता है | लेकिन ऐसा नहीं है की आपका कर्म पूरी तरह से नष्ट हो जाता है, इस साधना का जो लाभ है वो आपको किसी भी प्रकार से प्राप्त हो सकता है या अगले जन्म में भी इसका प्रभाव दिख सकता है | इसलिए सही अर्थो में सिद्धि प्राप्त करना हो तो पूर्ण ब्रह्मचर्य के साथ ही साधना संपन्न करनी पड़ती है और सटीक विधि विधान सहित करनी पड़ती है |

3. गुरु जी क्या पूरे दिन अगर घूमते फिरते अप्सरा के मंत्र का जाप करते रहे तो क्या इससे मंत्र सिद्ध होगा.. और क्या अप्सरा की प्रत्यक्ष सिद्धि मिलेगी.??

उत्तर:-  पहली बात साधना अपने आप में कोई सरल कार्य नहीं है, आज लोगो ने साधना को हव्वा बना रखा है लेकिन सही अर्थो में देखे तो साधना संसार की जटिल चीज़ो में से एक है |  यहाँ थोड़ी सी गलती पर साधना असफल हो जाती है इसलिए साधना  को सही ढंग से और पूर्ण गंभीरता के साथ  करना चाहिए, यह नहीं की आपका जैसे मन हो आप वैसे ही साधना करने बैठ जाए, लेकिन फिर भी किसी किसी मंत्र जाप में यह तरीका कार्य कर जाता है और मंत्र सिद्ध हो जाता है | लेकिन शास्त्रों में वर्णित है “स काम, क्रोध, लोभ, मोहादि वर्जितं स निष्कम्प भावे स” जब साधना करे तो सभी प्रकार के विकारो से मुक्त हो कर साधना करे और निष्कम्प भाव से बैठ कर साधना करे, आपका शरीर उस समय हिलना डुलना नहीं चाहिए क्युकी आप उतना ही मंत्र जाप प्राप्त कर पाते है जितना आप निष्कम्प भाव से बैठ कर साधना करते है | आपने जिस प्रकार का विधि का वर्णन किया है उस प्रकार से किसी किसी मंत्र की सिद्धि मिल सकती है लेकिन प्रत्यक्षीकरण के लिए ऐसे काम नहीं चलेगा उसके लिए तो सही अर्थो में साधना संपन्न करना पड़ेगा, साधक बन कर के साधना करनी पड़ेगी |

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