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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 148

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 148

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। साधकों के प्रश्न और उत्तर श्रृंखला को लेकर आज एक बार फिर से उपस्थित हुआ हूं और आज एक साधिका ने कुछ प्रश्न पूछे हैं तो चलिए जानते हैं इन प्रश्नों और इनके उत्तरों को। तो उन्होंने पूछा है कि प्रिय गुरु जी आप को मेरा सादर प्रणाम कुछ प्रश्न है। मन में कृपया समाधान बताइए। गुरु दीक्षा लेने की अब कौन सी शुभ तिथि है। कृपया इसके बारे में बताइए और उन्होंने अब पहला प्रश्न पूछा है, उसी से शुरू करते हैं। पहला प्रश्न है-

उन्होंने पूछा है कोई भी दैविक साधना करते समय जिस शक्ति की पूजा होने वाली है, क्या उनकी मूर्ति अपने ही हाथों से मिट्टी से बनाना जरूरी होता है या बाहर की मूर्ति या फोटो से पूजा कर सकते हैं?

तो निश्चित रूप से अपने हाथ से जब किसी शक्ति की मूर्ति बनवाई जाती है या बनाई जाती है तो उसका प्रभाव अधिक पड़ता है। लेकिन हम काम चलाने के लिए दूसरे के हाथों बने फोटो और मूर्तियों को भी स्थापित करके उसमें प्राण प्रतिष्ठा विधि अपनाकर अपने उपयोग में ले आते हैं। लेकिन अगर तांत्रिक साधना की बात की जाए तो अपने हाथों से बनी मिट्टी की मूरत सर्वोत्तम होती है और उसका ऊर्जा स्तर। दूसरी किसी भी मूर्ति से अधिक ज्यादा होता है। सिद्धि, अधिक जल्दी मिलने और स्थाई रहने की संभावना उसमें अधिक होती है। बड़ी शक्तियों की पूजा में आप बनी बनाई मूर्तियां और फोटो का इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं क्योंकि हम उनकी पूजा कर रहे होते हैं। उन्हें सिद्ध नहीं कर रहे होते। लेकिन अगर सिद्धि की बात की जाए तो स्वयं के हाथों से निर्मित ही सर्वोत्तम होती है क्योंकि आपकी ऊर्जा से ही वह फोटो या मूर्ति बनी है। इसलिए वह सिद्धि देने में औरों के मुकाबले कहीं अधिक प्रभावशाली सिद्ध होगी।

कोई भी दैविक साधना पूजा कौन से समय तिथि में आरंभ की जा सकती है? नवरात्रि के दिन के अलावा जैसे कि योगिनी या यक्षिणी या अप्सरा या मां दुर्गा या मां बगलामुखी की साधना ?

इस प्रश्न का उत्तर यह है कि हर साधना के लिए एक अलग ही तिथि और समय निर्धारित होता है लेकिन कुछ। समय सभी साधना ओं के लिए उपयुक्त होते हैं जैसे नवरात्रि और शिवरात्रि!

जन्माष्टमी! होली दिवाली! इसके अलावा अगर तांत्रिक साधना कर रहे हैं जो। चौदवी और अष्टमी की रात।

इसके अलावा विशेष मुहूर्त जैसे रवि पुष्य नक्षत्र, गुरु पुष्य नक्षत्र।

सर्वार्थ सिद्धि योग और विभिन्न प्रकार के सिद्धि योग। लेकिन साधना के लिए आपको अपने गुरु से परामर्श लेना चाहिए कि मैं यह साधना करने वाली हूं। मुझे यह कौन सी तिथि सर्वोत्तम रहेगी?

आजकल अकेले में कोई साधना पूजा मंदिर में संभव नहीं हो पाता। दूसरों की उपस्थिति होने से क्या गुरु मंत्र की तरह दूसरी देवी के पूजा अपने घर में कर सकते हैं यक्षिणी या योगिनी के संदर्भ में?
तो यहां पर भी स्पष्ट रूप से मैं बता दूं कि गुरु मंत्र की तरह तांत्रिक साधनाएं नहीं हो सकती। आप किसी की पूजा तो सबके सामने कर सकते हैं, लेकिन अगर सिद्धि का प्रयास कर रहे हैं तो उसके लिए एकांत जनशून्य स्थान आवश्यक है। जब शक्तियों के आने का मौका उन्हें प्राप्त होगा तभी वह आएंगी। उनके अनुकूल वातावरण नहीं होगा तो वह नहीं आएंगी। इसके अलावा प्रत्येक मनुष्य की ऊर्जा अलग-अलग होती है और वह केवल आपकी ऊर्जा से जुड़ना चाहती हैं। अगर वहां बहुत सारी ऊर्जा होगी तो यक्षिणी या योगिनी आपसे सही प्रकार संपर्क नहीं कर पाएंगी।
अपने मन मस्तिष्क को कंट्रोल कैसे करें। पूजा के समय अपने मन को कैसे शांत स्थिर करें?

निश्चित रूप से अपने मन का नियंत्रण सबसे कठिन कार्य होता है, लेकिन आप सांस पर ध्यान देकर जो आती है और जाती है। पूजा के समय अपने आप को शांत कर सकते हैं। इसके अलावा किसी एक ही विषय के बारे में सोच कर। और जो भी दूसरी चीजें दिमाग में आती है उनसे बार-बार मन हटाना। और सिर्फ सिर्फ अपने लक्ष्य अपने देवता की ओर ध्यान देना ही मन को स्थिर करता है। बार बार हजार बार लाख बार प्रयास करने पर ही जाकर मन स्थिर होता है क्योंकि जिसका मन स्थिर हो जाए। वह स्वयं इंद्र विजयी कहलाता है।

ब्रह्मचर्य महत्व क्या है और कैसे कार्य करता है स्त्रियों के संदर्भ में?

स्त्रियों का ब्रह्मचर्य उनकी मासिक अवस्था तक ही कार्य करता है। उसके बाद अपने आप ही ब्रम्हचर्य टूट जाता है। लेकिन इस दौरान किसी भी पुरुष से शारीरिक या मानसिक रूप से ना जुड़ना।

प्रेम के संबंध में यही स्त्रियों का ब्रह्मचर्य होता है।

पुरुष जहां स्त्री के बारे में सोच कर अपना ब्रम्हचर्य, तब भी नष्ट नहीं होने दे सकता लेकिन स्त्री अगर पुरुष का ख्याल प्रेम के और संभोग के संदर्भ में अगर सोचेगी तो वह ब्रह्मचर्य नष्ट होना ही कहलाता है क्योंकि पुरुषों को प्रयास करना पड़ता है लेकिन स्त्रियों को प्राप्त होता है। इसीलिए स्त्रियां मन में भी किसी पुरुष का ख्याल, साधना के दिनों में नहीं लाना चाहिए।

एक साधिका और कौन सी साधना कर सकती है। गुरु मंत्र के बाद घर में साधना करना संभव नहीं है या नहीं। क्या माता शक्ति की साधना उनके 32 नाम, दुर्गा साधना बगलामुखी साधना के लिए भी गुरु दीक्षा जरूरी है ?

देखिए हर एक साधना के लिए सबसे पहले गुरु दीक्षा जरूरी है क्योंकि आप कोई भी साधना करने बैठते हैं। उस साधना का फल आपको ही मिले आप की साधना का पूरा जाप कोई शक्ति चुरा कर न ले जाए। इसके लिए आवश्यक है कि आप गुरु मंत्र दीक्षा अनिवार्य रूप से लें। उसके बाद आप कोई भी साधना कर सकते हैं। ऐसे गुरु मंत्र का 9 लाख जप पूर्ण हो जाने के बाद आप कोई भी तांत्रिक साधना करने योग्य हो जाते हो। यह मैं बार-बार वीडियो में बताता रहता हूं। आप उनके 32 नाम, उनकी ग्रहण दुर्गा साधना बगलामुखी की साधना या देवी मां के किसी भी रूप स्वरूप की साधना, यहां तक कि कोई भी तांत्रिक साधना कर सकती हैं।

गुरु मंत्र से एक व्यक्ति के कौन से कष्ट दुविधाएं दूर होती हैं, कितना जाप जरूरी है ?
गुरु मंत्र के जाप में कोई दैविक साधना करने के लिए जैसे मैंने बताया कि 900000 मंत्र जाप अनिवार्य है। गुरु मंत्र से व्यक्ति के सबसे पहले पाप नष्ट करते हैं और यह इस जन्म के पाप कटने के बाद फिर पूर्व जन्मों में प्रवेश करते हैं तो पूर्व जन्मों के भी पाप कटने लगते हैं। इसके बाद व्यक्ति सिद्ध हो जाता है। जब पाप मुक्त होगा व्यक्ति तो सिद्ध की श्रेणी में आ जाता है। गुरु मंत्र सबसे पहले आपके पितृलोक से होकर गुजरते हैं। पित्र! आपके ऐसे हैं जो आपके पहले पूर्वज रहे हैं तो उनके दर्शन सबसे पहले साधकों को होने लगते हैं। फिर इसके बाद काल स्थान यानी कि यमराज के द्वार से होकर गुजरता हुआ मंत्र स्वर्ग लोक और विभिन्न लोकों को होता हुआ माता तक पहुंचता है और इसी हिसाब से साधक में सिद्धियां बढ़ती जाती है। इसी लिए व्यक्ति का भौतिक उन्नति जब वह स्वर्ग लोग मंत्र पहुंचता है तभी से शुरू हो जाती है।

दशाश हवन क्या है और कैसे करते हैं क्या उपयोग है इसका?

दशांश हवन मंत्र जाप का रस है जो देवताओं तक पहुंचाना होता है। इसके बिना देवता आपकी प्रत्यक्ष रूप से मदद नहीं कर सकते। इसीलिए मंत्र जाप के बाद हवन अनिवार्य है। मैं तो?

स्पष्ट रूप से कहूंगा कि पुरश्चचरण सभी प्रकार से करना चाहिए लेकिन व्यक्ति अगर हवन नहीं करता है तो भौतिक लाभ उसे नहीं मिलता है। केवल आध्यात्मिक लाभ ही मिलता है। कई लोग हवन करने से डरते हैं और सोचते हैं कि हवन कैसे कर पाएंगे। क्या गड़बड़ हो सकती है किंतु व्यक्ति अगर प्रयास करें तो यह सब चीजें बहुत छोटी है और बहुत ही सहज विधि से हवन हो जाता है।

जप तप व्रत उपासना साधना अलग है या एक ही समान है। एकादशी का महत्व क्या है और कौन कौन कर सकता है यह पूजा?
देखिए साधना के विभिन्न प्रकार होते हैं उसमें जाप! तपस्या करना व्रत करना, उपासना करना, साधना करना इत्यादि सम्मिलित होता है और सब के अलग-अलग विधान होते हैं, लेकिन सब का लक्ष्य एक ही होता है। भौतिक उन्नति और अपने देवता को प्राप्त करना। इसके अलावा! आप चाहे एकादशी का व्रत करें या कोई और सभी व्रत अपनी शक्तियां और महत्त्व रखते हैं और कोई भी व्रत स्त्री-पुरुष बच्चा कर सकता है।
अपनी सोच स्वयं चिंतन क्रोध हिंसा। यह सब में कैसे सुधार होगा?

निश्चित रूप से पहले आप जब मंत्र का जाप करते चले जाते हैं तो आप शांत होने लगते हैं क्योंकि जिस शक्ति का मंत्र जाप करते हैं, उसका स्वभाव धीरे-धीरे आपके अंदर आने लगता है। तामसिक शक्तियों का स्वभाव सबसे जल्दी राजसिक उसके बाद और सात्विक का सबसे देर में आता है। लेकिन धीरे-धीरे अपने आप आप स्वच्छ होते चले जाते हैं। इसीलिए मैं कहता हूं गुरु मंत्र का जाप आजीवन आपको करना है और गुरु मंत्र दिया भी इसीलिए जाता है कि आप पूरी जिंदगी इसका जाप करते रहे। एक प्रकार! आप को शुद्ध करने आपको मोक्ष देने और स्वर्ग तक पहुंचाने की सीढी आपको गुरु के माध्यम से मिल चुकी है। बस आपको बिना कुछ सोचे एक निश्चित होकर केवल उसके पीछे चलना है। बाकी सब अपने आप होता चला जाता है।

आजकल जिस तरह से सनातन धर्म की अपमान हो रहा है। धर्मांतरण होने से या किसी और माध्यम से तो क्या सनातन धर्म विलुप्त हो जाएगा ?

बिल्कुल नहीं। यह तब भी विलुप्त नहीं हुआ। जब हमारे ऊपर बाहरी मुस्लिम आक्रमणकारियों का शासन रहा और इस्लाम या मृत्यु में से एक का चुनाव का समय भी प्रत्येक व्यक्ति को दिया गया था। तब भी लोगों ने अपना धर्म नहीं छोड़ा, अंग्रेजों के शासन के समय ईसाई तत्व हमारे देश में आया और उसमें भी ऐसी ही स्थितियां थी। लेकिन तब भी लोगों ने अपना धर्म नहीं छोड़ा! तो व्यक्ति पर निर्भर करता है और धर्म के प्रसार और प्रचार पर निर्भर करता है। जैसे मैं धर्म का प्रचार और प्रसार कर रहा हूं तो मेरे माध्यम से लोग सीख रहे हैं और अपने अस्तित्व में मजबूती ला रहे हैं कि क्यों सनातनी होने में फायदा है। क्यों हमें यह बनना है और क्यों अपने धर्म को जीवित रखना है दूसरे का धर्म हम पर भाषा, संस्कृति के माध्यम से थोपा जाता है जिसे आप लोग जानते हैं कि हम अंग्रेजी भाषा के माध्यम से उनके जैसा बनने की कोशिश करते हैं। उनकी संस्कृति उनके इंपोर्टेड सामान उनकी टेक्नोलॉजी उनके हिसाब से चलकर उनके जैसा ही बनने की कोशिश करते हैं। लेकिन स्वयं के अस्तित्व को खोकर हम काफी पीछे हो गए हैं। अब हमें उनकी चीजों का इस्तेमाल अपने तरीके से करना सीखना चाहिए। उनके हिसाब से नहीं।

विकास की दौड़ में हमको दौड़ना है, उनके पीछे नहीं चलना है। नए विकास के लिए नई सोच और लगातार मेहनत जरूरी होती है। अगर प्रत्येक हिंदू सनातनी यह सोचेगा तभी वह कुछ कर पाएगा। नकल करेगा और पीछे चलेगा तो कभी अपना अस्तित्व नहीं बढ़ा पाएगा।

धर्म रहस्य चैनल में मां दुर्गा के 32 नाम और मां बगलामुखी की पूजा विधि है। क्या मैं गुरु दीक्षा के बिना कर सकती हूं इसे बताइए?

बिल्कुल आप मां दुर्गा के नाम और बगलामुखी माता की पूजा कर सकती हैं, लेकिन बिना गुरु दीक्षा के करने पर वही बात जो मैं पहले से कहते आ रहा हूं कि क्या आप में वह क्षमता है कि आप अपने मंत्र जाप की उर्जा को स्वयं किसी के चुराने से बचा सकती है। कोई भी व्यक्ति ऐसा कर सकता है तो अवश्य ही कर सकता है। लेकिन अगर आप नहीं बचा सकती और पूरे जाप का फल प्राप्त नहीं कर सकती है तो फिर आपको पहले गुरु मंत्र दीक्षा लेनी चाहिए और उसके बाद निश्चिंत होकर माता के किसी भी स्वरूप सिद्ध विद्या 10 महाविद्या या किसी भी योगिनी, यक्षिणी, अप्सरा इत्यादि की साधना के द्वारा सिद्धि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए तो यह थे आज के कुछ प्रश्न अगर आपको पसंद आए तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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