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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 158

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 158

प्रश्न १:- मनुष्य योनि को छोड़कर विभिन्न योनियाँ साधना से उन्नति कैसे कर सकती हैं?

उत्तर:- मनुष्य की २ स्थितियाँ है, मनुष्य अधोगति को भी प्राप्त हो  सकता है और ऊर्ध्वगति को भी प्राप्त हो सकता है, निम्न योनियों में भी जन्म ले सकता है और देवत्व और ब्रह्मत्व को भी प्राप्त कर सकता है | अगर कोई अमुक देवी या देवता किसी माध्यम से  मनुष्य से जुड़ा हुआ है तो वह मंत्र ऊर्जा के माध्यम से अपने शरीर का निर्माण कर सकता है, अपनी शक्ति बड़ा सकता है और उच्च स्थितियों को प्राप्त कर सकता है | जब कोई साधक अप्सरा, यक्षिणी, भैरवी आदि शक्तियों को सिद्ध करता है तो उस शक्ति को  एक अवसर प्राप्त होता है की वह मानव शरीर धारण कर सके और साथ में उस साधक के शरीर की भी सहायता वह ले सकती है और उस ऊर्जा के माध्यम से वह अपनी स्थिति को उच्च करने में सफल हो पाती है  |

प्रश्न २:- स्त्रियों के लिए पति, प्रेमी, भाई, पिता संबंध बनाने वाली साधनाएँ कौन सी है ?

उत्तर:- पूर्व काल में जो ग्रहस्थ जीवन को चलाने का अधिकार था और इस प्रकृति में उत्पन करने का जो कार्य है वह स्त्रियों को सौपा गया है | स्त्री माता के रूप में बालक को जन्म देती है और परिवार को संभालती है और उसको जोड़े रखती है इसलिए पूर्व काल से ही उनके लिए साधना करने की व्यवस्था ज्यादा नहीं की गई | संन्यास धारण करने के बाद या ७५ वर्ष की आयु को प्राप्त होने के बाद ही स्त्रियों को मोक्ष की प्राप्त के लिए घर छोड़ने की आज्ञा दी गई है|  इसलिए उनके लिए कम साधनाओं का विधान दिया गया है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है की वह साधना ही नहीं कर सकती है|  जो भी स्त्री शक्ति है उस का जो पुरुष शक्ति है उसकी साधना कोई भी स्त्री कर सकती है| अगर कोई पुरुष अप्सरा की साधना करता है तो स्त्री गन्धर्व की साधना कर सकती है किसी भी स्वरुप में, इसी तरह कोई यक्षिणी है तो यक्ष की साधना की जा सकती है, कोई भैरवी है तो भैरव की साधना की जा सकती है और किसी भी स्वरुप में उन्हें सिद्ध किया जा सकता है|

प्रश्न ३:- महाप्रलय के बाद देवताओं का क्या होता है ?

उत्तर:-  महाप्रलय के समय में जो भी स्थितियाँ इस संसार में बनी होती है चाहे वह देवता हो या कोई लोक हो या प्राणी सब नष्ट हो जाते है या यूँ कह सकते है की सब काल में विलीन हो जाते है या शून्य में विलीन हो जाते है और यह शून्य त्रिगुणात्मिका शक्ति में समाहित है और सृष्टि के प्रारंभ में फिर सभी चीज़ की सृष्टि ब्रह्म शक्ति के माध्यम से होती है |

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