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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 170

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 170

प्रश्न १:- हमारी गुरु परंपरा कौन सी है और इसमें अब तक कितने गुरु हो चुके है, पहले गुरु का क्या नाम था और आपके गुरु का क्या नाम है?

उत्तर:- पराशक्ति मंत्र योग जो परंपरा है इसके बारे में गुरु जी ने विस्तार से अपने पुस्तक में स्पष्ट किया हुआ है| इस परंपरा के जो प्रथम गुरु है वह महाब्रह्मा, महाविष्णु और माहाशिव है इन्ही त्रि शक्तियों ने इस मंत्र की रचना की और इसके माध्यम से माता पराशक्ति की ऊर्जा को ग्रहण किया और इस मंत्र के  माध्यम से उन्होंने अपनी अपनी शक्तियाँ प्रकट की जिसको हम महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के नाम से जानते है | यह परंपरा काल के साथ बढ़ता गया लेकिन धीरे धीरे इसका ज्ञान खोता गया | जो  गुरूजी के गुरु थे जिनके माध्यम से यह विद्या और परंपरा प्राप्त हुई उनका नाम भगत जी था | गुरूजी ने अपना अनुभव डाला है आप उस वीडियो के माध्यम से  चीज़ो को और भी स्पष्ट रूप से जान सकते है |

प्रश्न २ :- हर मंत्र के गणेश होते है तो गुरु मंत्र के भी गणेश होते है तो उनका नाम और मंत्र क्या है?

उत्तर:- गुरु मंत्र के गणेश है यह आप मान कर चल सकते है क्युकी यह स्थिति तब की है जब कुछ उत्त्पन ही नहीं हुआ था| जितना भी आप अपने आस पास का विस्तार और जीवन देख रहे है सब चीज़ो का प्राकट्य इसी मंत्र के माध्यम से हुआ है |  जितने भी देवता है सब की उत्त्पति भी इसी से हुआ है लेकिन आज की स्थिति में कहे तो “महा गणपति” को इस मंत्र का  गणेश मान सकते है |

प्रश्न ३:- क्या ग्रहण काल में गुरु मंत्र के जाप से भी अधिक उत्तम गुरु मंत्र का हवन है? क्या ग्रहण में हवन कर सकते है ?

उत्तर:- ग्रहण के समय हवन नहीं करना चाहिए क्योंकि जो तामसिक शक्तियां है वह पाताल से पृथ्वी और स्वर्ग लोक तक गमन करती है | इस कारण जो ग्रहण का समय होता है तो ऊपर की शक्तियाँ नीचे आती है और नीचे की शक्तियाँ ऊपर आती है ऐसे में अगर आप हवन करते है तो हो सकता है की नकारात्मक ऊर्जा आपकी  ऊर्जा ग्रहण करने के लिए आ जाए इसलिए उस समय हवन नहीं करना चाहिए, ग्रहण काल में मंत्र जाप ज्यादा उत्तम है |

अधिक जानकारी के लिए नीचे का यूट्यूब विडियो जरूर देखे –

https://youtu.be/hRSHYHdpP6s

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