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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 213

प्रश्न १ : कौन सी अप्सरा जल्दी अनुभव करवाती है और  जल्दी सिद्ध होती है ?

उत्तर:- इस बारे में साधकों ने बहुत पहले भी कई बार पूछा है तो मैं बता दूं कि कोई भी साधना चाहे उसके विधान में  एक दिन की साधना लिखी हो, 21 दिन की हो, 41 दिन की हो या फिर इससे भी लंबे  समय की साधना हो जरुरी नहीं है जितने दिनों की साधना लिखी है उतने  दिनों में साधना में सफलता प्राप्त हो जाए और जो अनुभव करने की बात है वह किसी भी प्रकार से इसका कोई सटीक जवाब नहीं है कारण यह है कि साधना करने वाला हर व्यक्ति अलग-अलग होता है और किसकी तपोबल ऊर्जा ज्यादा है और किसकी कम है या कौन कितना ज्यादा ध्यान से साधना करता है, किसके मन में कितनी पवित्रता है  यह सारी बातें जो हैं एक साथ जुड़ती हैं  तभी अप्सरा उसी के अनुसार अनुभव करवाती है |  कुछ साधको को एक दिन में ही अनुभव हो जाता है किसी को साधना के मध्यकाल से होने लगता है लेकिन  ऐसा बिल्कुल भी नहीं है की आपको भी पहले दिन से ही साधना में अनुभव होने लग जाए | आप कुछ घंटों के अंदर भी अनुभव प्राप्त कर सकते हैं और आपको वर्ष भी लग सकता है  अनुभव प्राप्त करने के लिए क्योंकि अगर साधक बहुत ही ध्यानपूर्वक, अप्सरा से प्रेम करते हुए सच्चे हृदय से उसकी साधना  कर रहा है तो वह अनुभव जल्दी करवा देगी और जल्दी सिद्ध भी हो जाएगी |

प्रश्न २  : क्या यक्षिणी अपने साधक को जान से मार सकती है?

उत्तर:-  हाँ ! ऐसा हो सकता है की यक्षिणी साधना के बीच में साधक की मृत्यु हो जाए |  यह कई स्थितियों में  हो सकता है  सबसे पहले तो अगर कमजोर दिल वाला कोई साधक साधना कर रहा है और वह किसी भयानक या उग्र स्वभाव वाली यक्षिणी की साधना कर रहा है तो हो सकता है वह इतना ज्यादा डर जाए कि उसका हृदय गति रुक जाए हालांकि यह  देखने में आया है कि कोई भी शक्ति अपने साधक को  मारती नहीं है लेकिन कुछ शक्तियां साधना काल में आ सकती हैं जो उससे अलग  प्रकार की हो और  वह साधक का नुकशान कर सकती हैं लेकिन यक्षिणी अपने साधक को मार दे  ऐसा देखने में नहीं आता है  क्योंकि हम जब किसी शक्ति को पुकारते हैं, उसे प्रेम के कारण ही पुकारते हैं तो वह शक्ति यह भावना देखती है और कभी अपने साधक को नुकशान नहीं पहुँचती है |  इस बात का जरूर ध्यान रखिए की  किसी भी यक्षिणी  या योगिनी या भैरवी इत्यादि की साधना कर रहे हैं और आपके मन में उसे अपना गुलाम बनाने की भावना है, उसे नौकर की तरह देखते हैं और उसको ऐसे देखते हैं जैसे कि आप उस पर राज करेंगे तो यह भावना अगर वह शक्ति समझ लेती है तो फिर आपके लिए परेशानी हो सकती है, वह आपकी बहुत कठिन परीक्षा ले सकती और आपका नुकशान भी हो सकता है  |

प्रश्न ३ : कोई साधक रात में अप्सरा साधना और दिन में किन्नरी साधना कर सकता है?

उत्तर:-  अगर आप तांत्रिक साधना कर रहे हैं तो दो साधना एक साथ नहीं करनी चाहिए| अगर आप अप्सरा की साधना कर रहे हैं तो उसके साथ किसी अन्य प्रकार की तांत्रिक साधना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर आपको सिद्धि नहीं मिलेगी और दोनों साधना आपकी असफल जाएगी  क्युकी जिसकी भी पूजा या साधना हम करते हैं उसकी ऊर्जा और  वह शक्ति  हमसे जुड़ने लगती हैं तो इसके कारण से आपके अंदर उसकी ऊर्जा विद्यमान होती है और  उसकी ऊर्जा के कारण ही उसके  लोक का द्वार भी आपके लिए खुलने लगता है ऐसे में अगर आप किसी दूसरी तरह की साधना को करेंगे तो फिर उसका और आपके दोनों का मिक्सचर हो जाएगा और यह मिक्सचर कभी भी किसी भी लोक में जाने योग्य नहीं होता इसलिए दो साधनाएं कभी भी एक साथ नहीं करनी चाहिए | पहले कोई  एक साधना पूरी कर लीजिए अगर सिद्धि नहीं प्राप्त होती है तो कई बार प्रयास कीजिए अगर फिर भी सिद्धि नहीं प्राप्त होती है तो फिर साधना को विसर्जित कर दीजिए उसक बाद दूसरी साधना शुरू कर सकते किंतु कभी भी दो साधनाए एक साथ ना करें |

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