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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 15

                                                             ब्रम्ह  और उसकी  शक्ति

संक्षेप रूप में आपको मै बताता हूँ की ब्रम्ह होता क्या है और क्या कहा गया है इसके बारे में  ब्रम्ह  जो है संस्कृत सब्द है |  दर्शन  में इसको पुरे विश्व का परम सत्य कहा गया है|  जगत का सार कहा जाता है,  दुनिया की आत्मा है विश्व का कारण है|  ब्रम्हांड जिसपे आधारित है और अंत में उसी  में विलीन हो जाएगा वो शक्ति जो है उसको  हम परमात्मा या ब्रम्ह के नाम से  जानते है|  वो स्वयं ज्ञान  है  वो प्रकाश  का स्त्रोत्र है और वो निराकार है, नित्य है, शाश्वत है  और सर्व शक्तिमान  और सर्व व्यापी है|  तो इस वजह से वो अशीम  निर्गुण, नेति नेति उसके गुणों का खंडन किया गया है पर असल में अनंत सत्य,अनंत चित्य और अनंत आनंद का स्वरुप माना गया है ब्रम्ह को

हमारे शरीर  में ५ कोष है सबसे बाहर अन्नमय कोष होता है | उसके बाद प्राणमय कोष होता है जो प्राणो से बना होता है|   फिर मनोमय कोष जो मन से बना होता है मन की विचार धाराओं से और उर्जाओ से भरा होता है| फिर उसके बाद विज्ञानमय कोष होता है और अंतिम होता आनंदमय कोष जो आनंदभूति से बना होता है जो ब्रम्ह सत्य को बताता है|

ब्रम्ह एक ऐसी जड़ है जिससे पूरा पेड़ ऊगा हुआ है| और  उसकी जो  शक्ति है वो उससे अभिन्न है दोनों में कोई भेद नहीं है|  वही जब रचना करना चाहता है तो ऐसा रूप  स्वरुप  धर्ता  है जिससे वो रचना कर सके | अपने देखा होगा  पुरुष तब तक कुछ नहीं कर सकता जब तक उसको स्त्री का साथ नहीं मिलता  इस प्रकार उसकी रचना संभव नहीं हो पाती इसी प्रकार वो स्वयं में से ही एक स्त्री को उत्पन करता है जिसके माध्यम से सारा क्रिया कलाप सम्पन होता है और सारी सत्ता वो उसी को सौप देता है इसी को ब्रम्ह माया कहा जाता है|

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