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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 94

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 94

१. गुरु जी आपने बताया है कि जब आप जिस देवता के मंत्र का जाप करते हैं तो मृत्यु के बाद आप उस उस देवता की लोक में निवास करते हैं |  गुरु जी मेरा दूसरा सवाल है कि यदि कुछ ऐसे शिष्य होते हैं जो अपने ही गुरु को सब कुछ मानते हैं और उनकी ही भक्ति करते हैं तो वह किस लोक में जाते हैं? और गुरु जी यदि गुरु मंत्र का जाप हम इस लोक में तो करते हैं तो क्या  हमारी उन्नति होती है |  यदि हम गुरु मंत्र का जाप उस मंत्र के देवता के लोक में जाकर करते हैं तो क्या हमारी उन्नति उस देवता के लोग में भी होती है ?

उत्तर:- जब आप किसी देवता का मंत्र जाप करते है तो उनकी सारी ऊर्जा आपको प्राप्त होती है और जब मृत्यु होती है तो उसी देवता का लोक ही  प्राप्त होता है क्युकी हमने उस ऊर्जा तो धारण किया हुआ है | अगर कोई अपने गुरु की ही सेवा करता है तो निश्चित है कि जो लोक गुरु को प्राप्त होगा वही उस शिष्य को भी प्राप्त होगा | जब आप किसी लोक में पहुंच जाते है तो आपकी जो अवस्था है वैसी की वैसी ही बनी रहती है लेकिन यह कर्म लोक है इसलिए  यहाँ जो कुछ भी किया जाता है उसका एक निश्चित फल बनता है |

२.  गुरुजी जब मुझको कोई कष्ट होता है या कोई भी चिंता होती है तो मेरे मुंह से राम निकलता है और जब मैं कोई विचार करता हूं यह ध्यान करता हूं तो आप मेरे ध्यान में आते हैं और गुरु जी जब मैं साधना और सिद्धि की बात सोचता हूं तो मां काली ध्यान में आती है| तो गुरुजी मेरा सवाल  यह है कि यदि यह सब मेरे मन में है तो मैं इन सब में से किस को मानू और गुरु जी यदि मैं ब्रह्म शक्ति को ब्रह्मांड के रूप में मानकर उनका ध्यान और उनसे प्रार्थना करू तो वह प्रार्थना उन तीनों देवता के पास स्वयं पहुंच जाएगी क्या और मै ब्रह्मांड को अनंत और शून्य मानता हूं क्योंकि वहां पर सब कुछ शून्य  होता है |

उत्तर:- जब आप किसी भी माध्यम को ध्यान बनाते है तो उसका अंतिम छोर परमात्मा ही है क्युकी सभी ऊर्जा वही से चली आ रही है |  पराशक्ति मंत्र योग के माध्यम से हम माता पराशक्ति को पूजते है, वह जो परमात्मा की पूर्ण शक्ति है उनमे और परमात्मा में कोई भेद नहीं है, तो सब उन्ही से चला आ रहा है तो आप ध्यान किसी का भी लगाए अगर आपका अंतिम लक्ष्य उनकी प्राप्ति है तो आपको स्वतः सब कुछ प्राप्त हो जाएगा | ब्रह्माण्ड अनंत है इसलिए उसको शून्य भी कहा जाता है क्युकी संख्याओं की गणना एक हद तक सीमित होती है लेकिन शून्य असीमित होती  है इसी कारण आप उनके किसी भी रूप स्वरूप का ध्यान कीजिए लेकिन आपका अंतिम लक्ष्य उनकी प्राप्ति ही होनी चाहिए |

३. गुरुजी साधना के क्षेत्र में तामसिक साधनाएं ज्यादा प्रभावशाली और शक्तिशाली होती हैं पर गुरु जी जब वह हम साधना करते हैं तो उसमें एक नियम और बंधन होता है कि आपको किसी भी तरह से कोई भी सात्विक मंत्र व पूजा पाठ नहीं करनी होती और आपको अपनी वेशभूषा बिल्कुल उस शक्ति के अनुसार बनानी होती है | तो गुरु जी हम तामसिक साधना करने के बाद क्या हम फिर सात्विक साधना नहीं कर सकते और जब हम पर यह बंधन होगा कि हम सात्विक काम नहीं कर सकते तो फिर हमारी तांत्रिक साधना करने के बाद उन्नति कैसे होगी ?

उत्तर:- जब हम तांत्रिक साधना करते है तो उसका उद्देश्य इक्षा प्राप्ति होती है या किसी विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है | सिद्धि की प्राप्ति होने तक हम उस नियम और बंधन में बंधे होते है और उन नियमो  को नहीं तोड़ सकते है| लेकिन जैसे ही हमें सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है या आप उस साधना को पूर्ण कर लेते है तो उस समय के बाद से आपने जो नियमो का पालन किया था अब उसकी जरुरत नहीं रह जाती है और आप  अन्य प्रकार की साधना कर सकते है | लेकिन उस साधना के समय में आपको उन नियमो का पूर्ण रूप से पालन करना अनिवार्य होता है तब ही आपको सिद्धि या सफलता प्राप्त होती है |

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