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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 118

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 118

१.  गुरु जी साधनाओं में ब्रह्मचर्य का क्या महत्व है ?

उत्तर:- प्रत्येक साधना में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक और अनिवार्य बताया गया है और जिसको स्वयं पर नियंत्रण प्राप्त नहीं है तो वह भला साधक कैसे कहला सकता है | साधक का तात्पर्य होता है  जो स्वयं को साधे वो साधक है, जब आप स्वयं पर ही नियंत्रण प्राप्त नहीं कर सकते तो फिर सिद्धि को किस प्रकार से नियंत्रण कर सकेंगे|

ब्रह्मचर्य का महत्व अधिक इसलिए है क्योंकि जब आप मंत्र जाप करते है तब उस मंत्र की ध्वनि से शरीर में विशेष प्रकार की ऊर्जा का निर्माण होता है | लेकिन जब साधना के बीच आप अपना ब्रह्मचर्य का नाश कर देते है तो जो ऊर्जा आपने इतने दिनों से एकत्रित की थी वो शरीर से बाहर निकल जाती है और जितनी ऊर्जा या जितनी शक्ति उस साधना को सिद्ध करने के लिए एकत्रित करनी थी वो नहीं हो पाता  है और आपकी साधना बीच में ही खंडित हो जाती है|

ऊर्जा दो तरफ गमन करती है, ऊर्जा का या तो अधोगमन होगा या उर्ध्व गमन होगा | जब आप ऊर्जा को उर्ध्व गमन करेंगे तब ही आप साधना में सफल हो पाएंगे और साधना भी इसलिए करते है की हम अपने जीवन में उर्ध्वमुखी बन सके | जब आप काम भाव के बारे में विचार करेंगे तो ऊर्जा का अधो पतन होगा ही फिर जो प्रक्रिया होनी चाहिए थी, वो नहीं हो पाती  है और फिर साधना में असफलता हो जाती है |

२. गुरु जी साधना के समय ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करे ?

उत्तर:-  ब्रह्मचर्य २ प्रकार से पालन किया जाता है, एक मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से | लेकिन मूल बात समझने की यह है की अगर आप अपने मन को कामोत्तेजना से बचा पाए तो आप शारीरिक रूप से भी ब्रह्मचर्य को बचा पाएंगे क्युकी जब आपके मन में कोई इस प्रकार के विचार ही नहीं आएंगे तो उस चीज़ की प्रतिक्रिया कैसे बनेगी और जब आप कुछ गलत सुनेंगे नहीं, देखेंगे नहीं, सोचेंगे नहीं तो मन में काम भावना कैसे आ सकती है इसलिए आवश्यक है की आप इस बात का ध्यान रखे की साधना के समय इस प्रकार के दृश्यों को देखने और सुनने से बचे और जब आप इसमें सफल हो जायेंगे तो ब्रह्मचर्य पालन में भी कोई समस्या नहीं आएगी | और सबसे आवश्यक बात की  आप कुछ देर आसान और प्राणायाम भी  करे और भोजन पर भी ध्यान दे और जब आप इन सभी का पालन करेंगे तो सफलता प्राप्त कर जायेंगे |

३. गुरु जी अक्सर चारों नवरात्रि में मेरे ऊपर काम वासना हावी हो जाती है ऐसा क्यों होता है जबकि मैं बिना किसी उद्देश्य के  साधना  करता हूँ |

उत्तर:- जब भी हम किसी विशेष समय पर या नवरात्री में साधना करते है, तो यह समय आपने आप में सिद्ध समय होता है जिसमे शक्तिया जागृत रहती है और हमें जल्दी सफलता भी प्राप्त हो जाती है | लेकिन जब शक्तियाँ जागृत रहती है तब कई लोगो पर इस प्रकार की भावना इसलिए हावी हो जाती है ताकि आप अपनी साधना में सफल नहीं हो सके क्युकी सबसे बढ़ा शत्रु आपका खुद का शरीर होता है जिसमे कई प्रकार के विकार है और जो आपको साधनाओं में सफलता प्राप्त करने नहीं देता और जब आप इसको जीत लेते है तो आप सही अर्थो में साधना संपन्न कर पाते है और सफलता प्राप्त कर जाते है |

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