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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 143

साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 143

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक बार फिर से हम लोग सदस्यों के प्रश्नों को लेंगे। इसमें से एक सदस्य ने विशेष रूप से जिन्होंने यूट्यूब मेंबरशिप ज्वाइन बटन लिया है। उन्होंने कुछ प्रश्न पूछे हैं। उनके प्रश्नों को लेते हैं और जानते हैं कि उन्होंने किन महत्वपूर्ण प्रश्नों को आज के इस वीडियो के माध्यम से जानने की कोशिश की है। तो पहला प्रश्न उन्होंने जो पूछा है वह यह है कि गुरु दीक्षा प्राप्त सदस्यों की संख्या कितनी है? गुरु जी बताएं। यूट्यूब मेंबरशिप ज्वाइन बटन के लिए सदस्यों की इस वक्त की संख्या क्या है? ऋषि मुनि पंडित मंदिर का पुजारी। इन सब में से आखिर बड़ा कौन होता है साधक की उच्च स्थितियों में अगर वह इन चारों में से। किस स्थिति को प्राप्त करेगा अगर वह गुरु मंत्र का जाप कर रहा है और गुरु मंत्र छोड़ चुके सदस्य क्या करें। अगर वह फिर से गुरु दीक्षा लेना चाहते हैं? धन प्राप्ति साधना, गुरु मंत्र के साथ कम दिनों में अनुभव कराने और सिद्धि देने वाली साधनों के विषय में बताएं। यह आज के कुछ प्रश्न है जो साधक महोदय द्वारा पूछे गए हैं। सबसे पहला इन्होंने प्रश्न पूछा है कि गुरु दीक्षा प्राप्त सदस्यों की वर्तमान संख्या कितनी है?

तो देखिए इस विषय में मैंने पहले ही एक बार नाम सहित शिष्यों के विषय में बताया था। वर्तमान में 400 से अधिक सदस्य गुरु मंत्र की दीक्षा प्राप्त कर चुके हैं। हालांकि कुछ नए साधक कुछ दिन साधना की और फिर छोड़ दी और कुछ लगातार साधना करते चले जा रहे हैं जो सदस्य गुरु मंत्र का जाप अभी तक नहीं छोड़े हैं उनके अंदर! तीव्र ऊर्जा उत्पन्न हो चुकी है और उनके अनुभव आप लोग सुनते ही रहते हैं। वह किसी भी तरह की कोई तांत्रिक साधना करने योग्य बन गए हैं। और जिन भी साधकों के मंत्र जाप 900000 से अधिक हो चुका है और उन्होंने दशांश हवन सहित संपूर्ण प्रक्रिया को पूरा कर लिया है, वह निश्चित रूप से इस लायक हो चुके हैं कि कोई भी तांत्रिक साधना जो सात्विक राजसिक या फिर तामसिक हो? उसको करने के लिए वह पूरी तरह से सक्षम है।

तो अभी आपका परिवार यह मान के चलिए की 400 से अधिक सदस्यों का हो चुका है और सभी माता पराशक्ति की शरण में आ चुके हैं।

अगले प्रश्न में आपने पूछा है कि आखिर यूट्यूब मेंबरशिप ज्वाइन बटन लिए हुए सदस्यों की संख्या कितनी है तो मैं आपको बता दूं कि तकरीबन 81 लोग यूट्यूब मेंबरशिप ज्वाइन बटन लिए हुए हैं। इसके अलावा कभी यह संख्या बढ़ जाती है तो कभी यह घट भी जाती है क्योंकि जो लोग अगले महीने रिन्यूअल नहीं कराते हैं। उनके हट जाने से सदस्य संख्या कम पड़ जाती है। वही नए सदस्यों के आने से सदस्य संख्या बढ़ भी जाती है। सब कुछ साधकों के अपने स्वयं के विचार हैं और उनकी अपनी सोच है कि वह ज्वाइन बटन लेना चाहते हैं या नहीं लेना चाहते हैं। पर जहां तक मैंने अभी समझा है कि ज्यादातर लोग यूट्यूब मेंबरशिप सिर्फ इसलिए नहीं ले पाते हैं क्योंकि उनके पास इंटरनेशनल डेबिट या क्रेडिट कार्ड नहीं है क्योंकि जब तक आप का डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड इंटरनेशनल पेमेंट को एक्सेप्ट नहीं करता है तब तक। यूट्यूब मेंबरशिप उन्हें नहीं मिल पाती है। इसके अलावा यूट्यूब भी जल्दी से प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध नहीं करवाता है। साधारण विधि से। किसी को धनराशि देना या मेंबरशिप के माध्यम से उस से जुड़ना एक कठिन प्रक्रिया अभी यूट्यूब में बनाई हुई है। इसके अलावा अभी आरबीआई की भी एक रुल आई है जिसमें। सितंबर महीने के बाद से जिन लोगों ने लिया है उन्हें फिर से ज्वाइन करने के लिए कहा गया था। समय के साथ सदस्य अपडेट रहें तो वह इन सब बातों को समझते हुए अपनी सदस्यता बरकरार रख सकते हैं। अब अगला प्रश्न आपने पूछा है कि ऋषि मुनि पंडित ब्राह्मण मंदिर का पुजारी इन सब में आखिर उच्च कौन होता है तो सबसे पहली बात तो इसमें यह है कि कोई पदवी बड़ी नहीं होती है। उस पदवी को धारण करने वाला व्यक्ति बड़ा होता है। व्यक्ति ऋषि होकर भी बुरे कर्म कर सकता है और मंदिर का पुजारी भी रासलीला में फंसा हुआ आपको मिल सकता है। पद बड़ा नहीं होता है। लेकिन अगर हम श्रेणी क्रम से देखें तो ऋषि सर्वोत्तम होता है। क्योंकि वह जिंदगी भर साधक तपस्वी बनकर सांसारिक जीवन जीते हुए अपनी साधना करता रहता है। मुनि जंगल में निवास करते हैं और वहां साधना करते हैं लेकिन मुनि अधिकतर

मूल जो सांसारिक जीवन है, उससे कटे हुए मिलते हैं। पंडित केवल एक जाति विशेष है जो साधना या उपासना मंदिर में करता है। इसी तरह मंदिर का पुजारी भी मंदिर में रहकर पूजा पाठ किया करता है। लेकिन अगर हम तंत्र की क्षेत्र सोच से देखें तो ऋषि सबसे सर्वोत्तम है क्योंकि वह लौकिक और अलौकिक दोनों ही विद्याओं को जानता है। इसके अलावा आप लोगों ने देखा होगा कि किसी भी मंत्र के विनियोग में ऋषि न्यास अवश्य होता है। इसी कारण से जब किसी मंत्र में ऋषि नहीं होता, वह मंत्र वैदिक नहीं माना जाता। इसी कारण से ऋषि सर्वोत्तम है और प्रत्येक साधक स्वयं एक ऋषि होता ही है। इसे आप समझ सकते हैं कि एक साधक सर्वोत्तम है। यही आपने अगला प्रश्न भी पूछा है कि साधक की उच्च स्थिति में क्या वह इन चारों से बड़ा हो जाएगा तो इसका उत्तर है निश्चित रूप से 100% है कि कोई भी गुरु मंत्र का साधक स्वयं ऋषि हो जाता है। अगर वह बुरे कर्म नहीं करता है।

किसी भी प्रकार से जो मैंने कुछ नियम बताए हैं।

जिन्हें आप मेरी वेबसाइट पर जाकर गुरु दीक्षा पेज में पढ़ सकते हैं, उनका पालन करते हुए साधना, पूजा-पाठ और गुरु मंत्र का सदैव जाप करता है। वह स्वयं ऋषि है वह ऋषि-मुनियों की श्रेणी में खड़ा है वह किसी पंडित मंदिर के पुजारी तांत्रिक बाबा इन सब से कहीं उच्च स्थिति में स्वयं होता है। इसीलिए मैंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो मात्र गुरु मंत्र जीवन भर जाप करता है, उसकी शरण ले कर रखता है। चाहे केवल वह रोज एक माला का ही जॉप कर रहा है। तब भी वह निश्चित रूप से मोक्ष का अधिकारी बन जाता है और उसे स्वर्ग जाने से तो कोई रोक ही नहीं सकता इसलिए! वह किसी भी इन पदवी धारी व्यक्तियों से उच्च स्थिति को प्राप्त कर लेता है क्योंकि सांसारिक होते हुए भी वह अलौकिक और मोक्ष की ओर जाने वाला व्यक्तित्व बन जाता है।

अब अगला प्रश्न आपने पूछा है कि गुरु मंत्र छोड़ चुके सदस्य क्या करेंगे और फिर से गुरु दीक्षा अगर वह लेते हैं तो, सबसे पहली बात मैंने पहले ही कहा था कि कैसी भी स्थिति हो। साधक को गुरु मंत्र कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि अगर आपने एक परमात्मा की शरण ले ली। माता पराशक्ति के पास जाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं तो फिर क्यों भटक रहे हैं? जीवन भर केवल एक शरण होकर गुरु मंत्र का जाप कीजिए। और किसी वजह से माना कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है। या शारीरिक रूप से कुछ ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि वह मंत्र जाप नहीं कर पाता है तो ऐसी अवस्था में मैंने 1 महीने की छूट दी हुई है। लेकिन अगर 1 महीने से ऊपर का समय निकल जाता है तो वह व्यक्ति फिर से गुरु मंत्र दीक्षा अगर लेना चाहता है तो उसे सब कुछ वहीं से शुरू करना होगा यानी मुझसे उसे उसी प्रकार गुरु मंत्र प्राप्त करना होगा। उसी तरह सारी विधि को अपनाना होगा क्योंकि आपने किसी का साथ छोड़ दिया है तो उसे फिर से प्राप्त करने के लिए शुरू से शुरुआत करनी चाहिए। गुरु दक्षिणा देते हुए फार्म भरते हुए और सारी चीजें वैसे ही करते हुए हालांकि आप जानते होते हैं कि आपको करना क्या है किंतु क्योंकि आपने अपने मार्ग को अवरुद्ध किया नष्ट कर दिया और उस पाप को भी भागीदार बन गए हैं। ऐसी अवस्था में सब कुछ आपको शुरू से प्रारंभ करना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसे नया जन्म लेना पड़ता है और प्रक्रिया को फिर से करना होता है यानी बचपन से लेकर के बुढ़ापे तक का सफर हालांकि वह बार-बार यह कर चुका है। कई जन्मों में लेकिन क्योंकि उसने अपनी यात्रा कंप्लीट नहीं की। इसलिए उसे बार-बार यह कार्य करना पड़ता है। ठीक वैसे ही गुरु मंत्र छोड़ चुके या गलती से छूट चुके व्यक्ति फिर से गुरु दक्षिणा। फार्म भरे उसी प्रकार न्यास विधि का प्रयोग करते हुए सब कुछ करें। और इस प्रकार वह फिर से गुरु मंत्र की शरण ले सकते हैं। अगला प्रश्न है कि अगर धन प्राप्ति साधना करनी है जो कम दिनों में अनुभव करवाएं और सिद्धि दे और धन की प्राप्ति अवश्य करवाए तो ऐसी अवस्था में आप। दो विधियां अपना सकते हैं। एक है सात्विक और दूसरी है राजसिक।

तामसिक के लिए मैं अभी आपको इसलिए नहीं कहूंगा क्योंकि उसके लिए साधक उच्च कोटि का होना आवश्यक है और यह वर्षों की साधना के बाद ही संभव हो पाता है। सात्विक साधना में माता लक्ष्मी की कोई भी साधना बहुत ही उत्तम है और अगर श्री मंत्र! और श्री यंत्र की साधना करते हैं तो यह सर्वोत्तम होगी धन प्राप्ति के लिए। उसी तरह अगर राजसिक साधना के क्षेत्र में आप प्राप्त करना चाहते हैं तो यक्षिणी साधना। या योगिनी साधना सर्वोत्तम मानी जाएगी तो अगर माता लक्ष्मी की यक्षिणी कोई है। उसकी साधना करते हैं तो सबसे उत्तम बात है या फिर किसी भी योगिनी की साधना भी कर सकते हैं। और उस योगिनी का संबंध श्री कुल से होना चाहिए श्री कुल! ऐसा है जो आपको डर और भय से दूरी बनाकर रखेगा क्योंकि काली कुल में भय और क्रोध दोनों बहुत अधिक देखने को मिलता है। इसलिए श्री कुल की तरफ ज्यादा आपको बढ़ना चाहिए। प्रारंभिक तौर पर बाद में जब आप उच्च कोटि के साधक होंगे तो तांत्रिक साधना करके भी बहुत ही आसानी से धन प्राप्ति के विभिन्न मार्ग अपना सकेंगे। और अगर केवल गुरु मंत्र का भी साधक है तो हवन में श्रीफल डालते हुए सदैव साधना करें और माता लक्ष्मी का स्वरूप का ध्यान करें तो भी उस व्यक्ति के जीवन में समस्त धन की बाधाएं नष्ट हो जाती हैं और सदैव के लिए धन प्राप्ति के मार्ग उसके लिए खुल जाते हैं तो यह थे आज के कुछ प्रश्न अगर आपको पसंद आए हैं तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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