Site icon Dharam Rahasya

साधुओ का जिन्नों से युद्ध भाग 3

साधुओ का जिन्नों से युद्ध भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। साधुओं का जिन्नों से युद्ध यह भाग 3 है। अभी तक आपने जाना कि कैसे बहुत सारी कन्याएं। वृंदावन से भागकर गोकुल में नागा रूद्र भैरव के पास शरण लेती हैं। इसके बाद अब नागा रूद्र भैरव और उनके साथ उनके तकरीबन 10, 11 और शिष्य थे। वह सभी उन कन्याओं को वचन देते हैं कि वह उनकी रक्षा अवश्य करेंगे।

कि तभी इन कन्याओं की खोज खबर लेते हुए कुछ सैनिक वहां पर पहुंच जाते हैं और इतनी सारी कन्याओं को एक साथ देख कर कहते हैं कि यह सारी सबसे ज्यादा खूबसूरत कन्याये है इनके मां बापो ने इन्हें वहां से भाग कर यहां आने को बोला होगा। इतनी सारी खूबसूरती एक ही जगह मौजूद है। अब तो कहीं और जाने की आवश्यकता ही नहीं है।

कि तभी नागा रूद्र भैरव उनके सामने आकर कहता है। यहां से तुरंत चले जाओ क्योंकि यह सभी कन्याएं अब हमारी रक्षा में है और कोई भी इन।

कन्याओं के साथ कुछ भी गलत नहीं कर सकता तब? अफगानी सैनिक हंसते हुए कहते हैं।

सुनो तुम तो पहले से ही नंगे हो। ऐसे में इन स्त्रियों को अपने पास रख कर तुम्हें क्या लाभ होगा? और वैसे भी हम लोग नंगे पुंगे लोगों पर हमला नहीं करते। इसलिए अगर अपनी जान बचाना चाहते हो तो इन सभी कन्याओं को हमें सौप दो और यहां से चले जाओ। हम तुम्हारी जान बख्श देंगे। यह सुनकर नागा रूद्र भैरव क्रोधित हो जाता है और कहता है। अब तो तुम्हारे प्राण ही जाएंगे और तुरंत ही वहां पर रूद्र भैरव उनके शिष्य और वहां आए हुए सैनिकों के बीच युद्ध शुरू हो जाता है कुछ ही देर में। अद्भुत पराक्रम दिखाते हुए नागा रूद्र भैरव सभी को परास्त कर देते हैं।

उनमें से एक सैनिक भाग कर अपनी जान बचाता है और बाकी सब को मार दिया जाता है। यह सैनिक वापस भाग कर अपने खेमे में पहुंचता है और वहां अपने कमांडर को बताता है कि वहां गोकुल में। बहुत सारी खूबसूरत कन्याये एक साथ मौजूद है, लेकिन उनकी रक्षा के लिए कुछ नागा साधु अस्त्र उठाए हुए मौजूद है। उन्होंने हमारे 20-21 सैनिकों की हत्या कर दी है। अब अपनी एक टुकड़ी भेज कर उन कन्याओं को वापस प्राप्त करना होगा।

इधर नागा रूद्र भैरव कहता है। अवश्य ही कुछ देर बाद यहां बड़ी भारी मात्रा में सैनिक आ जाएंगे। इसलिए चलो यहां से जंगल में किसी गुप्त स्थान पर चलते हैं। जहां पर अधिकतर हम साधु लोग तांत्रिक साधना किया करते थे और तब नागा रूद्र भैरव उन कन्याओं को लेकर उस ओर चला जाता है इधर अपने कुछ नागा शिष्यों को इस बात के लिए कहता है कि जाओ आसपास के क्षेत्र में फैल जाओ और सभी को यह खबर दो कि प्रत्येक कन्या बूढ़ा बच्चा कोई भी हो उसकी रक्षा करने के लिए हम मौजूद है। इस बात को चारों तरफ फैला दो और गुप्त तरीके से ही उनको यहां लेकर आना।

उसके बाद चारों तरफ उसके शिष्यों द्वारा फैलाने का एक माध्यम मिल गया था। और वह लोग चारों तरफ यह बताते जा रहे थे। इधर सन्यासियों! मानवों और प्राणी जनों के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव हो रहा था। भोजन की कमी हो गई थी। रहने का स्थान नहीं था। ऐसे में बहुत सारे वैष्णव हाय तौबा मचा रहे थे और भगवान श्री कृष्ण से अपनी रक्षा की गुहार लगा रहे थे। सभी कह रहे थे कि हे प्रभु जैसे आपने द्रोपदी की रक्षा की क्या हम सब की रक्षा नहीं करोगे? कहते हैं। चमत्कारिक रूप से उस समय भगवान श्री कृष्ण एक फकीर के रूप में प्रकट हुए थे और उन्होंने चारों तरफ घूम कर उस विडंबना को देखा और यह भी कहा जाता है कि उनसे फिर कलयुग की बातचीत हुई। तब कलयुग ने कहा, प्रभु इसमें आप कुछ भी नहीं कर सकते।

यह मनुष्यों का आपसी कर्म है और कर्म में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इनका अपना भाग्य है। और अगर यह कुछ करने में समर्थ नहीं है तो इनकी रक्षा कौन करेगा?

आप तो जानते हैं? कि अर्जुन को आप को युद्ध के लिए तैयार करना पड़ा था, किंतु यह भारतीय जनता तो युद्ध करना जानती ही नहीं है। और जब कोई अपनी रक्षा के लिए प्रयास ही नहीं करना चाहता तो भला उसकी रक्षा करने देवी देवता क्यों आये? भगवान श्री कृष्ण ने कलयुग को कहा ठीक है लेकिन मैं अपना कर्म अवश्य करूंगा और वह फकीर के रूप में चारों तरफ घूमने लगे। कहते हैं उन्होंने एक।

विशेष तरह की पंक्ति चारों तरफ घूम घूम कर सुनाने शुरू कर दी थी। वह कहते थे –

घर घर होए धर्म की हानि, बाढहि असुर आक्रांता अभिमानी,तहु न अस्त्र उठावे जनता

स्त्री अपराध पुरुष बंदी सब,बालक कन्या हुये बंदी सब, तहु न अस्त्र उठावे जनता

हिन्दू छोड़े राम भरोसे, सब इज्ज़त मान सम्मान गवावे, तहु न अस्त्र उठावे जनता

रूप धरेयु ग्वाल बाले को, कान्हा क़हत पार्थ अब शस्त्र उठाओ, तहु न अस्त्र उठावे जनता

कहते हैं उस क्षेत्र में वह घूम घूम कर हर जगह यह कहते रहे लेकिन कोई भी उनकी बातों को नहीं समझ पाया। यह देखकर वह और भी ज्यादा गंभीर हो गए। पहली बार भगवान श्रीकृष्ण भी स्वयं को।

इस कार्य में तत्पर नहीं समझ पा रहे थे। कहते हैं फिर वह नागा साधुओं की ओर बढ़े और नागा साधुओं को जब उन्होंने इस प्रकार कहा तो वह भी सब जोश में भर गए और उन्होंने कहा, चाहे कोई जनता में अस्त्र उठावे या ना उठाये किंतु हम सभी वचन देते हैं। साधु का कार्य सिर्फ अपनी पूजा-पाठ आराधना करना ही नहीं होता। समाज को सही दिशा दिखाना समाज की रक्षा करना और उनके लिए अपने प्राण तक त्याग देना आवश्यक है और फिर? लोगों की मदद से बड़ी भारी संख्या में नागा साधु एक जगह इकट्ठा होने लगे और इधर जनता में जहां कहीं भी कन्याए मौजूद थी।

वह और साथ में बच्चे और बुजुर्ग! उस नागा साधु के पास पहुंचने लगे।

नागा रूद्र भैरव के पास अब बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी।

कि तभी वहां श्री कृष्ण भगवान। स्वयं फकीर के रूप में पहुंचकर एक बार फिर से कहते हैं।

घर घर होए धर्म की हानि बाढहि असुर आक्रांता अभिमानी,तहु न अस्त्र उठावे जनता

स्त्री अपराध पुरुष बंदी सब,बालक कन्या हुये बंदी सब, तहु न अस्त्र उठावे जनता

हिन्दू छोड़े राम भरोसे सब इज्ज़त मान सम्मान गवावे, तहु न अस्त्र उठावे जनता

रूप धरेयु ग्वाल बाले को कान्हा क़हत पार्थ अब शस्त्र उठाओ, तहु न अस्त्र उठावे जनता

इस प्रकार उनको देखकर नागा रूद्र भैरव उनकी छवि ही निहारता रह गया और कहने लगा। मुझे आप कोइ साधारण पुरुष नहीं दिखाई देते।

आप इस प्रकार लोगों में जोश भर रहे हैं। मैं भी आपको वचन देता हूं। तब उन्होंने कहा, अब सब कुछ तुम्हारे ही हवाले हैं तुम और तुम्हारे नागा वीर साधु। अद्भुत पर पराक्रम दिखाओगे। मुझे यह विश्वास है और सबसे बड़ी बात कहते हैं। महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन को विजय के लिए देवी मां की आराधना करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने प्रेरित किया था और तुम तो स्वयं माता के पहले से ही भक्त हो। जाओ उनकी शरण में जाओ। कलयुग चाहे कितना भी भयंकर हो। किंतु माता के सामने उसकी एक नहीं चलती और सारे नियम टूट जाते हैं। मैं बंधा हूं। लेकिन तुम बंधे नहीं हो। और इस प्रकार उनको समझा कर अपने फकीर रुप को त्याग कर भगवान श्री कृष्ण वहां से गायब हो जाते हैं। अब! नागा रूद्र भैरव उस विशेष स्थान पर माता की आराधना करने लगता है। और अपने नागा वीर सैनिकों को तैयार करता है कि तुम्हें एक बड़े युद्ध को अंजाम देना होगा। हम जानते हैं कि हमारे सामने लाखों की फौज है। लेकिन विश्वास रखना है कि हम इन सभी के प्राणों की रक्षा कर पाएंगे और? अवश्य ही विश्वास रखो। धर्म की रक्षा करने पर ही स्वयं की रक्षा होती है।

इसलिए चाहे हमारे प्राण चले जाएं किंतु हमें इस युद्ध को लड़ना और जितना दोनों होगा।

तब तक एक टुकड़ी मुस्लिम! आक्रांता सैनिकों की वहां पर पहुंच चुकी थी। इतनी बड़ी संख्या में स्त्रियों को एक जगह देखकर उन्हें प्राप्त करने की इच्छा उनके अंदर बहुत प्रबल थी और उन्होंने उन स्त्रियों को पकड़ना शुरू कर दिया।

अब आगे क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक कीजिए। शेयर कीजिए सब्सक्राइब कीजिए, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

साधुओ का जिन्नों से युद्ध भाग 4

Exit mobile version