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सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 7

सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 7

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। पिछली बार की कहानी को आगे बढ़ाते हुए अब हम जानते हैं कि कन्या और उस बाघ के बीच में संघर्ष में आगे क्या होता है। कन्या बाघ की शक्ति से प्रभावित होकर पीछे आ जाती है कि तभी पीछे से वह स्त्री कहती है। यह कोई साधारण बात नहीं है। एक तो यह इंसानों की तरह बात करने में सक्षम है और यह बहुत भूखा है। यह कह रहा था मुझे तुम्हारा मांस चाहिए। अन्यथा मैं किसी और का मांस खा लूंगा। पर मैं आज बहुत भूखा हूं। इसलिए बिना खाए और कोई कार्य नहीं करूंगा। मैं भागते हुए यहां तक आ गई। अब तुम ही कुछ कर सकती हो तब कन्या बाघ से कहा। क्या सच में तुम बोल सकते हो तब बाघ ने कहा, हां मैं एक शक्तिशाली! आत्मा हूं। और बाघ के रूप में रहता हूं और मुझे महीने में एक बार बहुत तीव्र भूख लगती है। तब मैं इंसानों का भक्षण करता हूं। आज तुम दोनों में से जो भी मुझे अपने शरीर का मांस देगा मैं। दूसरे की जान छोड़ दूंगा। अब तुम दोनों यह निर्धारित कर लो कि कौन? अपने शरीर को मुझे दे सकता है। यह सुनकर अब तो कन्या बड़े ही अचरज में आ गई थी। पहली बार किसी बाघ को बोलते हुए देख रही थी। तब उसने कहा। ठीक है लेकिन मुझसे तुम्हें युद्ध करना होगा। और एक बार फिर से अपनी श्वेत भैरव शक्ति का आवाहन करके वह कन्या उस बाघ से लड़ने लगी। काफी देर तक युद्ध चलता रहा न कोई हारा ना कोई जीता। आखिरकार समय पूरा हो गया। सिद्धि के अनुसार समय पूरा होते ही कन्या थक

हार कर एक तरफ बैठ गई। तब बाघ ने एक बार फिर से पूछा। बताओ क्या तुम इस कन्या? जो कि तुम्हारे पीछे हैं।

इसका शरीर मुझे दे सकती हो?

तब कन्या ने कहा, मैं अपनी बहन को खो चुकी हूं। जीवन में मेरे लिए कुछ भी करना शेष नहीं है। एक बदला मात्र है। पता नहीं यह कौन है लेकिन यह जीवन जीने के लिए उत्सुक है।

मेरा क्या है मेरा जीवन तो बहुत पहले ही समाप्त हो चुका था। अगर हम दोनों में से तुम खाना ही चाहते हो तो मुझे खा सकते हो तब बाघ ने कहा, ठीक है तुम्हें कि मैं खा लेता हूं, लेकिन एक बार फिर से विचार कर लो। अगर तुम कहोगी तो मैं तुम्हें नहीं खाऊंगा बल्कि इस स्त्री को खा जाऊंगा क्योंकि यह काफी देर से मुझे बेवकूफ बना रही थी और अपना शरीर देने को तैयार नहीं थी। तुम शक्तिशाली हो इसलिए इस स्त्री को मैं खा लूंगा अगर तुम कहती हो तो?

फिर से कन्या ने कहा। कि मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है। यूं ही जीवन जी रही हूं। केवल बदले के लिए मैं तपस्या कर रही थी। अगर मृत्यु होनी ही है तो मेरी हो। इस बिचारी कि नहीं? इसलिए तुम मुझे ही खाओ, तब बाघ ने कहा ठीक है! और बाघने! उस कन्या के ऊपर छलांग लगा दी। अगले ही पल बहुत ही प्रकाश हुआ। सामने एक बहुत सुंदर स्त्री खड़ी थी। वह मुस्कुराते हुए कहने लगी। तुम मेरी परीक्षा में पूरी तरह सफल रही हो। मैंने तुम्हें कई दिनों से तपस्या करते हुए देखा। तुम लगातार बिना रुके अनगिनत बार मंत्रों का जाप करते हुए भीषण तपस्या कर रही थी। मैं तुमसे प्रसन्न हूं। कन्या ने पूछा देवी आप कौन हैं? तब मुस्कुराते हुए उस। देवी ने कहा, मैं वही हूं जिसकी तुम तपस्या कर रही हो। मैं श्वेतारति भैरवी हूं।

तक कन्या ने उन्हें प्रणाम किया। श्वेतारति भैरवी ने कहा, मेरा प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त करना सौभाग्य की बात है। इसलिए अब तुम्हारे पास विभिन्न प्रकार की सिद्धियां रहेंगी। जब भी विशेष समस्या हो तो तुम मेरा आवाहन करना मैं प्रत्यक्ष प्रकट होकर तुम्हारी उस समस्या का। समापन कर दूंगी।

तब कन्या ने रोते हुए कहा, मेरी बहन समाप्त हो गई।

मैं पूरी तरह।

केवल बदले पर आश्रित हूं।

मेरी तो यही इच्छा थी कि मैं अपनी बहन के साथ रहती। और जीवन जीती। इस राजा से बदला लेना चाहती हूं। जिसने मेरा सब कुछ बर्बाद कर दिया।

श्वेतारति भैरवी मुस्कुराते हुए कहने लगी। अच्छा तो यह बात है तुम्हारी बहन ने एक बड़ी गलती की। मेरी साधना के दौरान उसने अपना ब्रह्मचर्य तोड़ लिया।

और मेरी साधना को भूल गई। यह बात मुझे कतई पसंद नहीं है। अगर कोई मेरी साधना करता है तो उसका ध्यान केवल मुझ पर होना चाहिए। इसके अलावा कहीं और नहीं।

लेकिन तुम्हारी तपस्या के प्रभाव से तुमने अपनी बहन की भी प्राण बचा लिए हैं। मैं उसे माता से मांग कर पुनर्जीवित कर देती हूं।

और श्वेतारति भैरवी ने माता आदि शक्ति महागौरी।

के मंत्रों का उच्चारण किया।

और कुछ ही देर में। पत्थरों के बीच से बाहर निकलती हुई उस कन्या की बड़ी बहन बाहर आ गई। तब कन्या बहुत खुश हुई।

तब?

श्वेतारति भैरवी ने कहा। जैसा तुम समझ रही हो, वैसा नहीं है। यह जीवित अवश्य हुई है लेकिन मानव शरीर!

समाप्त जाने के कारण अब यह।

योगिनी स्वरूप में विद्यमान रहेगी। साक्षात तुम्हारे साथ रहेगी लेकिन यह अब मानव नहीं है। मानव जीवन की अपनी मर्यादा होती हैं। शरीर के नष्ट हो जाने के बाद जीवित नहीं हो सकते। किंतु तुम्हारी तपस्या का फल देना भी तो आवश्यक था इसलिए मैं अपनी शक्ति से और माता से प्रार्थना करके इसे योगिनी स्वरूप में तुम्हारे साथ रखती हूं। तब कन्या अपनी बड़ी बहन के गले लग गई। बड़ी बहन ने कहा, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है।

मैंने! इस लड़के से प्रेम कर लिया और उसके साथ शारीरिक रूप से जुड़ गई। अन्यथा मेरी इतनी अधोगति नहीं होती, मेरा शरीर नष्ट नहीं होता। वह मुझे चाकू घोंप कर मार दिया। यह सुनकर कन्या का तो?

बुरा हाल हो गया उसने कहा। दीदी! क्या आप उसी?

व्यक्ति की बात कर रही है।

तब उसकी बड़ी बहन ने सारी घटना को सुनाया। कन्या बहुत क्रोधित हो गई। और तुरंत ही उसे मृत्युदंड देने के लिए जाने ही वाली थी कि?

श्वेतारति भैरवी ने मुस्कुराते हुए कहा।

अगर तुम तुरंत ही उसका अंत कर दोगी तो फिर उसके अपराध का दंड पूरी तरह उसे नहीं मिल पाएगा। जाओ। मैं तुम्हें मायावी विद्या प्रदान करती हूं।

अब जाओ और नगर में अपनी माया का प्रदर्शन करो। यह कहते हुए श्वेतारति भैरवी भी गायब हो गई।

संसार के लिए सदैव इस कन्या की बड़ी बहन अदृश्य नहीं किंतु वह सदैव ही अपनी बहन के साथ रहती थी। तक बड़ी बहन ने कहा, चलो, अब तो देवी से वरदान भी मिल गया है। अपनी मायावी विद्या का उपयोग करो।

तुम अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी माया रच सकती हो?

इसलिए चलो! चलते हैं इस नगर में। और फिर उस कन्या ने मायावी विद्या का प्रयोग किया। उस विद्या से उसके साथ। कुछ सैनिक?

एक डोली जो सोने की बनी थी। उसके अंदर बैठकर भ्रमण के लिए निकली हुई महा सुंदरी कन्या का रूप धारण किया। जो कि एक राज्य की राजकुमारी स्वयं को दर्शाने कोशिश किए हुए थी। इस मायावी स्वरूप में अपने साथ कई सारे गण शक्तियों को लेकर जो कि सैनिक के रूप में मौजूद थे। डोली में बैठकर वह कन्या उसी नगर में भ्रमण करने आ जाती है।

कन्या का रूप देखकर। उसके पास धन वैभव सैनिक शक्ति देखकर हर कोई प्रभावित हो रहा था।

धीरे-धीरे कन्या राज महल की ओर जाने लगी। तब वहां पर एक मुख्य सेनापति ने पूछा, हे देवी आप कौन हैं? तब कन्या ने कहा मैं!

दूर के एक राज्य की राजकुमारी हूं और यहां भ्रमण के लिए आई हूं आप! मुझे भ्रमण करने देंगे।

और हां, मैंने सुना है कि यहां के राजा बहुत ही न्याय प्रिय है। इसीलिए मैं उनसे भी मिलना चाहती हूं तब! वह सैनिक!

अन्य सैनिकों के साथ राजकुमारी को महल के अंदर राजा के पास लेकर चलता है।

राजा उस कन्या को देखकर बहुत आकर्षित होता है।

और पास ही खड़े अपने तांत्रिक!

मंत्री से कहता है ऐसी कन्या से विवाह करना तो मेरा सौभाग्य होगा पर क्या यह?

इसके लिए तैयार हो जाएगी तब तांत्रिक ने अपनी मायावी विद्या का प्रयोग किया। और कहने लगा। आप तो क्या हो सकता है राजकुमार जी?

भी इसे अपने वश में ना ले पाए। यह कोई बहुत ही शक्तिशाली शक्ति नजर आती है। इसके साथ भी कई प्रकार की तांत्रिक शक्तियां मुझे आभासीय रूप में नजर आ रही है। इसलिए आप यह विचार त्याग कीजिए। केवल बातचीत आवा भगत सेवा के माध्यम से अगर आप इसे वशीकरण में ले पाए तो यह संभव हो सकता है। तब राजा ने कहा। हे राजकुमारी कौन है? तब राजकुमारी ने कहा। मैं सुदूर हिमालय क्षेत्र की राजकुमारी हूं। मेरा स्वभाव भ्रमण करने का है इसलिए अपने पिता से आज्ञा लेकर। कुछ सैनिकों के साथ कई राज्यों का भ्रमण करते हुए इधर-उधर घूमती रहती हूं। तो किसी ने कहा, आप का राज बहुत ही समृद्ध है। इसीलिए मैं इस राज्य में आ गई और आपसे भी वार्तालाप करना चाहती थी। तब राजा ने कहा, अरे राज महल में क्यों हमारा एक बहुत ही सुंदर बगीचा है चलिए वहीं पर चलकर बातचीत करते हैं।

वह कन्या!

राजा के साथ उस बगीचे में भ्रमण करने लगी कि तभी वहां पर राजा का पुत्र भी आ गया क्योंकि उसे भी खबर हो चुकी थी राजा का पुत्र! उसे कहने लगा आप जैसी सुंदर कन्या इस संसार में पैदा ही नहीं हो सकती है। इतनी खूबसूरती आपके अंदर कहां से आ गई? आपका वेशभूषा देवताओं जैसी है। शरीर पर वस्त्र भी सोने और चांदी के हैं।

इतनी सुंदरता है आपके अंदर फिर भी आप इतनी सौम्य स्वभाव की कैसे हैं, मुस्कुराते हुए। लेकिन अंदर ही अंदर भीषण क्रोध भाव से भरी हुई उस कन्या ने कहा।

आप क्या शादीशुदा है? तब राजकुमार ने मुस्कुराते हुए कहा नहीं मेरा तो अभी तक विवाह भी नहीं हुआ। जीवन में ना ही कोई कन्या है, ना ही मैं किसी से प्रेम करता हूं। यह मैं अपने पिता की कसम खाकर कहता हूं। यह कहते ही राजकुमारी जोर से हंसने लगी।

और कहती है आपने तो अपने पिता की कसम खा ली। सिर्फ यह कहने के लिए कि आप किसी भी कन्या के प्रति आकर्षित नहीं है।

क्या आप मुझसे भी आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं? तक मुस्कुराते हुए राजकुमार ने कहा। आप जैसी? कन्या से आकर्षित भला कौन नहीं हो जाएगा पर मेरा इतना सौभाग्य कहा कि आप जैसा कोई मुझसे प्रेम करें।

तब उस राजकुमारी ने हंसते हुए कहा, अगर आप प्रयास करेंगे तो हो सकता है। मैं आपसे आकर्षित हो जाऊं। यह कहकर राजकुमारी मुस्कुराने लगती है। इस कथा में आगे क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर यह जानकारी और कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें चैनल को आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 8

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