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सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 8

सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 8

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। अभी तक सुंदरबन की आदमखोर सुंदरियों में आपने जाना कैसे एक कन्या अब राजकुमार के पास अपनी मायावी स्वरूप में पहुंच जाती है। आगे की घटना को जानते हैं। राजकुमार ने कहा, आपने हमारे महल के बाग और बगीचे देखे हैं। आपको मैं अपना नगर भी घुमाना चाहता हूं। अगर आपकी इच्छा हो तो अवश्य मेरे साथ मेरे नगर को भी घूमे मेरा नगर काफी सुंदर है और इसे जो भी व्यक्ति देखता है उसे हमेशा बहुत अच्छा लगता है। इसीलिए मेरी इच्छा है हमारे इस नगर को घूमे तब वह कन्या कहती है, ठीक है। अगर आप मुझे अपना नगर घूमाना चाहते हैं तो फिर मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूं। आप मुझे अपना नगर अच्छी प्रकार घुमाएं। मैं भी देखना चाहती हूं। क्या आपका यह नगर कैसा है तब राजकुमार? उस राजकुमारी को नगर में घुमाने लगता है।

नगर वास्तव में काफी सुंदर था। नगर घूमते घूमते नगर से थोड़ी दूर एक बहुत ही खूबसूरत जगह पर पहुंच जाते हैं। जहां पर एक बहुत ही सुंदर नदी होती है। उसके किनारे खड़े होकर राजकुमार कहता है आपके साथ में। काफी देर से हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मेरा जीवन जिस कन्या को समर्पित होना चाहिए, वह आप ही हैं। आप इतनी देर में मेरे हृदय में बस चुकी हैं। मैं आपसे प्रेम निवेदन करता हूं। मैं आपसे प्रेम करता हूं। आप मुझसे विवाह कीजिए। अगर आप मुझे इस लायक समझती हैं तो? तब राजकुमारी कहती है कि अवश्य ही आपके अंदर मेरे प्रति प्रेम भावना जाग गई है, लेकिन किसी से इतनी जल्दी कोई कैसे प्रेम कर सकता है?

आप? मेरे साथ नगर घूमने निकले हैं। तो अभी केवल इसी बात पर ध्यान दें। राजकुमार को पहली बार खीझ का एहसास होता है।

यह समझ जाता है कि? इस कन्या ने उसकी प्रणय निवेदन को एक प्रकार से ठुकरा ही दिया है। और वह उसे वापस नगर की ओर ले जाने लगता है कि तभी! राजकुमारी राजकुमार से कहती है आप मेरी बात को बुरा मत मानिए। मैंने इतना सुंदर नगर नहीं देखा था। ऐसे नगर इस धरती पर शायद नहीं है। कि तभी किनारे से खड़े हुए तांत्रिक व्यक्ति ने जोर से कहा।

राजकुमारी शायद आपने सुंदर बन के उस दिव्य गांव और मंदिर के विषय में। कुछ भी नहीं जाना है इसीलिए इस नगर की तारीफ पर तारीफ आप कर रही हैं। आपको वह दिव्य गांव और वहां का वह दिव्य मंदिर देखना चाहिए। तब किनारे पर खड़े हुए उस तांत्रिक को राजकुमारी ने अपने पास बुलाया।

राजकुमार , उस तांत्रिक को बड़े गौर से देखने लगा। राजकुमार ने कहा, आप कौन हैं तब उस तांत्रिक साधु ने कहा मेरा कार्य तो इधर से उधर! घूमते रहना है।

मैं लगभग सारी पृथ्वी पर भ्रमण करता ही रहता हूं। कहीं भी नहीं रुकता। आपके इस नगर में आया था कि मुझे ऐसा लगा। यहां पर कोई दैवीय शक्ति विराजमान है। कि तभी मेरी नजर आप दोनों पर पड़ गई। यह राजकुमारी! जोकि अत्यंत ही तेजस्वी नजर आती हैं।

आपकी राज्य की बहुत प्रशंसा कर रही थी और कह रही थी कि इस नगर जैसा कोई नगर और जगह नहीं है। इसीलिए मेरे मन में यह बात आई कि इन्हें सुंदरवन का वह दिव्य गांव और मंदिर देखना चाहिए जो कि लोगों की नजरों से छुपा हुआ है।

तांत्रिक की बात सुनकर राजकुमार ने कहा, यह नगर कहां पर स्थित है। कैसा है वह दिव्य गांव और उसका मंदिर! तब? उस साधु तांत्रिक ने कहा, मैं आपको स्वयं वहां लेकर चलूंगा। अगर आपके पास समय हो और उस जगह घूमने की इच्छा किंतु वह तो यहां से काफी दूर है। तब राजकुमार को उस साधु तांत्रिक ने उस जगह के बारे में अनेकों अनेक विचित्र बातें बतायी और उन बातों को सुनकर राजकुमार ने। उस साधु तांत्रिक के साथ महल में प्रवेश किया।  राजा को जा कर यह सारी बात बताई।

राजा और उसके सभी मंत्रियों ने। उस साधु तांत्रिक से उस दिव्य गांव और उसके दिव्य मंदिर के बारे में।

जब जाना तो सबके मन में एक इच्छा जागृत हो गई कि ऐसे दिव्य गांव को जानना चाहिए। तब साधु तांत्रिक ने कहा, अगर आप लोगों के पास समय हो तो मैं आपको वह दिव्य गांव और उस गांव का वह दिव्य मंदिर दिखाना चाहूँगा।

राजा ने अपने मंत्रियों से परामर्श लिया।

और उसके मंत्रियों ने कहा ठीक है। अगर ऐसी दिव्य शक्तियों वाला कोई गांव है तो हमें अपनी सेना के साथ और अपने सबसे ताकतवर तांत्रिकों के साथ उस गांव में जाना चाहिए और उस गांव के रहस्य को पता करना चाहिए।

राजा को और राजकुमार को उस स्थान के विषय में जानने की इच्छा बहुत तीव्र हो चुकी थी। इसीलिए राजा राजकुमार राजकुमारी उनकी सेना। और शक्तिशाली तांत्रिकों के साथ वह साधु तांत्रिक भी सुंदरबन की और गमन कर जाते हैं।

इस प्रकार कुछ दिनों की यात्रा के बाद वह सुंदरबन के उस गांव में प्रवेश करते हैं। उस गांव में प्रवेश करने का मार्ग नदी से होकर जाता था और वह नदी भी। बिल्कुल विचित्र नजर आ रही थी। इसी वजह से उसके विषय में कोई जानकारी किसी को अभी तक नहीं थी। फिर वह साधु तांत्रिक।

राजा राजकुमार! राजकुमारी और उनके सारे सहयोगियों के साथ उस गांव के किनारे पर पहुंचता है।

गांव के किनारे पर। नदी में बहुत सारी। कन्या स्नान कर रही थी उनकी सुंदरता बिल्कुल अप्सराओं जैसी नजर आ रही थी उनको देखकर राजकुमार राजा और उसके सैनिक एकटक।

उन्हीं को घूरने लगे। और बाकी सारी चीजें भूल गए तब उस राजकुमारी ने कहा, क्या आप इन नहाती हुई कन्याओं को देखना ही चाहती है या फिर इसके आगे गांव में भी जाने की आप लोगों की इच्छा है इसके लिए आप? इसी माया में फंसे रह जाएंगे या फिर गांव में भी आगे बढ़ेंगे तब राजा राजकुमार और उसके साथ जितने भी सहयोगी थे वह। अचरज में आकर। यह देखते हैं कि यह कैसा वशीकरण था जो हम केवल उन्हीं कन्याओं को देखते रह गए। चलो हम लोग उस दिव्य गांव और मंदिर की ओर बढ़ते हैं।

तब वह साधु तांत्रिक उन्हें लेकर गांव से गुजरने लगा। गांव की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उस गांव में सारी कुंवारी कन्या ही मौजूद थी। एक भी पुरुष वहां पर दिखाई नहीं दे रहा था। इस पर बड़ी विचित्र बात को देखते हुए उस साधु तांत्रिक से राजा ने पूछा। इस गांव में एक कन्याये ही कन्याये क्यों है? यहां कोई पुरुष? या फिर कोई बच्चा हमें दिखाई क्यों नहीं दे रहा है? तब साधु तांत्रिक ने कहा। यह विशेष रूप से चमत्कारिक है। और? इसी गांव के विषय में मैंने आपको बताया था। यह गांव ऐसा है जिस गांव में आपको कोई भी पुरुष देखने को नहीं मिलेगा। ना ही कोई छोटा बच्चा या बच्ची।

राजा ने कहा, यह तो बड़ी ही विचित्र बात है। और इस गांव की इतनी सुंदर कन्याएं भी हैं कि इन्हें अपने कब्जे में ले लेना चाहिए। ऐसा विचार राजा के मन में आया थोड़ी देर बाद वह लोग उस मंदिर के पास पहुंचते हैं। वह मंदिर दिखने में बहुत ही सुंदर था। उस मंदिर के चारों ओर का प्रांगण विशालकाय था।एक घने वन के बीच में बना हुआ। एक अति सुंदर मंदिर था। जहां पर एक प्रमुख। देवी की प्रतिमा स्थापित थी।

देवी माता! दुर्गा की प्रतिमा की साधना और पूजा वहां की कन्याए करती थी। इस प्रकार उन सभी कन्याओं और उनकी होने वाली पूजा में वहां की यह सारे लोग सम्मिलित हो गए।

तब एक विचित्र बात राजा को नजर आई कि अभी तक जितनी भी बातें हुई हैं उसमें। कोई भी कन्या इन से वार्तालाप करने के लिए क्यों नहीं आई और गांव में इतनी बड़ी सेना आने के बावजूद भी किसी ने हमें रोका या टोका क्यों नहीं तब उस साधु तांत्रिक ने कहा, यही तो इस गांव की विशेषता है और देखिए इस मंदिर को भी ध्यान पूर्वक देखें। यह पूरा मंदिर सोने का ही बना हुआ है। यहां तक कि देवी की प्रतिमा भी सोने की ही बनी हुई है। यह तो बड़ी ही विचित्र बात है। यह देखकर राजा अपने सैनिकों और मंत्रियों से परामर्श किया।

पूरे गांव को अपने कब्जे में लेना आवश्यक है। क्योंकि यहां पर बड़ी भारी मात्रा में सोना मौजूद है और इसके अलावा इस गांव की सुंदर और दिव्य कन्याए भी हैं। राजा ने  कन्याओं को देखा और उनके प्रति आकर्षित होने लगा। उनके प्रति उसकी मन की वासना जागृत हो गई। इतना ही नहीं लगभग सभी सैनिकों के मन में भी यही इच्छा थी। क्योंकि? जितनी भी कन्याएं है कि सभी बहुत ही सुंदर थी और उनकी रक्षा के लिए भी कोई पुरुष वहां पर मौजूद नहीं था। राजा ने! उस गांव में अपना शिविर लगाया और वह वहां के अन्य मंत्रियों और सेनापतियों से बात करने लगा। उसने सब से कहा कि हमें? इन कन्याओं का अपहरण करना चाहिए और यहां आकर आनंद को प्राप्त करना चाहिए।

और रही बात इस राजकुमारी की इसे भी बंदी बना लेना चाहिए और इसका विवाह मेरे पुत्र से करवा देना चाहिए।

भला एक स्त्री कर भी क्या सकती है?

रात्रि के समय जहां जहां कन्याएं हैं, वहां वहां सैनिक जाकर अपनी इच्छा की पूर्ति कर सकते हैं। राजा ने ऐसा आदेश दिया जिस बात को सुनकर वहां के सैनिक बहुत खुश हो गए। क्योंकि उन्हें? उनकी काम इच्छा की पूर्ति के लिए साधन मिल चुका था और पूरे राज्यकार्मिको को।

एक ऐसा उद्देश्य जिसकी इच्छा। हर कोई पूरी करना चाहता था। उनके पास सोना भी था और स्त्रियां भी। इसलिए रात्रि के समय कन्याओं के साथ।

कुछ भी करने का आदेश राजा ने दे दिया।

जैसे ही रात्रि हुई सैनिक चल पड़े उन कन्याओं के उन घरों की ओर। कि तभी रात्रि में एक बड़ी तेज दहाड़ उन्हें सुनाई देती है। यह! बाघ की आवाज थी।

सैनिक देखते हैं कि सामने से एक विशालकाय बाघ उनकी ओर आ रहा है? यह आकार में सामान्य बाघ की तुलना से 10 से 12 गुना बड़ा था। और इतना अधिक शक्तिशाली था कि जब सैनिकों ने उस पर भाले और तीन फेंके तो वह उसके शरीर से टकराकर नीचे गिर जाते थे। कुछ ही देर में उसने बहुत सारे सैनिकों को मार डाला और सबको खाने लगा।

उसने लगभग जितने सैनिक! कन्याओं के पास गए थे उन सभी को मार डाला।

तब? राजा को यह बात पता चलती है राजा तुरंत तांत्रिक साधु को बुलाता है और निर्णय लिया जाता है कि यहां से हमें तुरंत निकल जाना चाहिए।

अगले दिन फिर से यहां आएंगे।

जैसे ही वह उस गांव से निकलने की कोशिश करते हैं।

नदी में पानी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। उसका बहाव बहुत तेज हो जाता है।

किसी भी प्रकार से वहां से निकलना संभव नहीं था।

राजा और उसके सैनिक कोशिश करते हैं लेकिन उनकी नावे भी बह जाती है। अब तो वह उसी गांव में कैद होकर एक प्रकार से रह जाते हैं। राजा उस साधु तांत्रिक को बुलाता है और पूछता है। यहां से निकलने का कोई मार्ग है क्या? तब वह कहता है यहां से निकलने का मार्ग सरल नहीं है।

यह जो गांव का दिव्य मंदिर है, मैंने सुना है केवल इसी मंदिर से एक गोपनीय मार्ग इस गांव से हमें बाहर निकाल सकता है अन्यथा आप सदैव के लिए इसी गांव में कैद होकर रह जाएंगे।

इसके बाद क्या हुआ जानेंगे हम लोग कथा के अगले भाग में? अगर यह वीडियो और जानकारी आप लोगों को पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 9

 

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