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सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 9 अंतिम भाग

सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 9 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियां अभी तक आपने जाना किस प्रकार राजा उसकी सेना और राजकुमार सहित सभी लोग उस।

अद्भुत प्रकार के टापू में कैद होकर रह जाते हैं जो कि रहस्यों से भरा हुआ था । क्योंकि इनके सामने यह समस्या थी कि जैसे ही वह नदी में अपनी नावे उतारने लगे, उनकी नावे भी बह गई। और अब उनके पास कोई और मार्ग शेष  नहीं था। राजा ने कहा कि हमें नदी के किनारे पर ही रहना चाहिए और यहां पेड़ों को काटकर नावे बनानी चाहिए। लेकिन इस प्रक्रिया में भी काफी दिन लगने वाले थे। यह एक बड़ी और भीषण समस्या उनके सामने आ चुकी थी। तब राजा ने कहा कि अगर गांव की तरफ जाएंगे तो वहां वह बाघ हम लोगों का इंतजार कर रहा होगा और वह इतना बड़ा और जादुई है कि उसे मारना संभव नहीं है। क्या किया जाए तो फिर सभी तांत्रिक और राजा बैठक में बैठकर निर्णय लेने लगे। तांत्रिकों ने कहा यह स्थान! कभी किसी? दिव्य तांत्रिक साधना का स्थल रहा होगा तभी इस तरह की शक्तियां यहां पर विराजमान है। जरूर कोई ना कोई राज यहां छुपा हुआ है।

हम सभी अपनी अपनी तांत्रिक शक्तियों के माध्यम से पता करते हैं कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हम लोग यहां से बाहर निकल सकते हैं? लगभग 1 दिन पूरा बीत जाने के बाद वही साधु उन तांत्रिकों के साथ राजा के पास उसके। इस शिविर में बैठे हुए राजा के पास पहुंचकर, साधु तांत्रिक ने कुछ गोपनीय बातें बताई। साधु तांत्रिक ने कहा, मैंने एक सिद्धि की हुई है और उसी के माध्यम से मैंने उसे जब जगाया तो उसने बताया है कि इस गांव में जो मंदिर है वही रहस्य का सबसे बड़ा केंद्र है। उस मंदिर में एक मार्ग है जो केवल जोड़ों के लिए खुलता है। अर्थात जो शादीशुदा हो।

और पति और पत्नी दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हों।

वही दोनों जब। देवी मां के मंदिर में पीछे की तरफ बने एक द्वार के सामने खड़े होते हैं तब वह द्वार अपने आप खुल जाता है और वह क्योंकि एक तांत्रिक मार्ग है। इसलिए सीधे वह यहां से बहुत दूर सुरक्षित स्थान पर निकल जाता है। यह बात सुनकर राजा को कुछ प्रसन्नता हुई। राजा ने पूछा इसका विधि विधान क्या है? पूरी तरह से इसके विषय में मुझे जानकारी होनी आवश्यक है तब?

साधु कहता है कि? आप जैसे अपनी पत्नी के साथ।

मैं अपनी पत्नी के साथ। यहां का हर सैनिक अपनी पत्नी के साथ अगर मंदिर के पीछे उस द्वार के पास पहुंच कर खड़े होकर द्वार से कहेंगे कि उन्हें मार्ग दे,तो वह द्वार अपने आप खुल जाएगा।

यह बात सुनने में भले ही अजीब लगती हो किंतु यही सत्य है और उदाहरण के लिए। मैं सबसे पहले स्वयं आपको जाकर दिखाऊंगा। वही प्रक्रिया आपको भी करनी पड़ेगी। तब वह साधु राजा और उनके प्रमुख सैनिकों के साथ उस मंदिर में जाता है। मंदिर में होते हुए पीछे की तरफ उस द्वार के पास पहुंचता है। और कहता है कि मैं इस द्वार के बाहर जा रहा हूं। हे द्वार, आप मुझे यहां से बाहर निकलने का मार्ग दे दीजिए। यह बात सुनकर द्वार अचानक से खुल जाता है। तब राजा पूछता है तुम्हारे साथ तो कोई तुम्हारी पत्नी या प्रेमिका नहीं है। फिर तुम कैसे यहां से जा रहे हो तब साधु कहता है मेरे साथ अदृश्य रूप में मेरी। शक्ति जो मैंने सिद्धि प्राप्त की थी, पत्नी रूप में विद्यमान है। इसीलिए मैं यहां से बाहर जा सकता हूं।

अब आप भी यही कीजिएगा तक राजा कहता है। मेरे पास ना तो पत्नी है ना मेरे पुत्र के पास पत्नी है और ना ही इन सैनिकों के पास। इसलिए अब हम लोग क्या करेंगे, तब साधु कहता है। मेरे लिए यह द्वार ज्यादा देर खुला नहीं रहेगा। मैं आपको इसका सरल मार्ग बता कर जाता हूं। आप इस गांव की कन्याओं का विवाह अपने सैनिकों से करवा देना, आप भी स्वयं किसी सुंदर कन्या से विवाह कर लेना। राजकुमार का विवाह भी उस राजकुमारी से करवा देना और फिर जब आप लोग यहां से बाहर। निकलना चाहेंगे तो निकल जाएंगे ठीक वैसे ही जैसे कि मैं अभी यहां से जा रहा हूं और साधु यह कहकर उस द्वार से अंदर चला गया। द्वार अपने आप बंद हो गया और राजा उसकी सेना तांत्रिक, राजकुमार, राजकुमारी के साथ।

बिल्कुल शांत खड़े हुए यह चमत्कार देख रहे थे। राजा ने तुरंत आदेश दिया कि जाओ सैनिको इस गांव की जितनी भी कन्याये हैं, उन सब को एक साथ एक जगह ले कर आ जाओ। और वही हम सारे लोग सामूहिक रूप में विवाह करेंगे। बिना विवाह किए हम लोग यहां से बाहर नहीं निकल सकते। वैसे भी इन कन्याओं को लेकर यहां से जाना ही था। ऐसी सुंदर कन्या वापस नहीं मिलती। और अगर यह कार्य करना तो मैं अपने सैनिकों को कहता हूं कि इस मंदिर का सारा सोना तोड़कर इकट्ठा कर लेना और उसे लेकर भी हम लोग यहां से निकल जाएंगे। इस प्रकार राजा ने आदेश दे दिया। सारे के सारे सैनिक उस गांव में निवास करने वाली उन सभी कन्याओं को लेकर आ गए। सभी कन्याये वहां पर एक साथ इकट्ठा हो गई।

और फिर बड़ी संख्या में वेदियां बनाई गई ताकि उन सब का विवाह किया जा सके।

संख्या अनुपात सही रहे इसलिए कई सैनिकों ने।

एक ही कन्या के साथ विवाह भी किया।

इधर जैसे ही विवाद शुरू हो गया। राजा ने उस राजकुमारी से कहा, आपको भी विवाह करना ही होगा। क्योंकि हमें यहां से बाहर निकलना है। कन्या ने कहा ठीक है। मैं भी विवाह करने के लिए तत्पर हूं क्योंकि मुझे भी अब यहां से बाहर निकलना ही पड़ेगा। मैं राजकुमार के साथ विवाह करूंगी।

कि तभी उन सभी कन्याओं ने कहा कि हमारे यहां विवाह का एक नियम है।

विवाह करने के बाद। आप सभी को? यहां एक रात रुकना पड़ेगा और? पति पत्नी संबंध बनने के बाद हमें। भोग देना होगा। यहां पर भोग स्वयं।

वह पुरुष की बनाता है। यहां की यही परंपरा है उसे ही भोग में अपनी पत्नी को। भोग अर्पित करना पड़ता है। क्या आप सब हमें वचन देते हैं कि आप हमें भोग देंगे? तब सभी सैनिकों राजकुमार राजा सब ने हां कहा और वचन दिया। वैसे भी अब!

भय की भावना सबके हृदय से निकल चुकी थी क्योंकि सबको शारीरिक सुख के साथ। यहां से! धन और सोना चांदी भी मिल रहा था इसलिए सभी खुश थे। उस रात वहां सभी रुक कर हर प्रकार का आनंद लेना चाहते थे। लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि यहां पर क्या घटित होने वाला है। रात्रि के समय सभी सैनिक अपनी अपनी पत्नियों को लेकर अपने अपने शिविरों में चले गए।

और इधर राजा भी एक कन्या को चुनकर अपने शिविर में चला जाता है।

राजकुमार उस राजकुमारी के साथ।

बाहर बैठा बातचीत करने लगता है।

इधर राजा एक सुंदर कन्या के साथ अंदर जाता है। तब कन्या कहती है आपको मुझे? भोग देना होगा तभी मैं आपको।

शारीरिक रूप से संतुष्ट करूंगी। तब राजा ने कहा, मैं तो राजा हूं, तुम जो चाहो वह मांग सकती हो तब कन्या ने कहा ठीक है मुझे आप अपना रक्त भोग के रूप में दीजिए। यह सुनकर राजा को बड़ा अचरज हुआ। उसने कहा, तुम रक्त क्यों मांग रही हो?

मैं रक्त नहीं दे सकता। तब हंसते हुए वह कहने लगी। हम तो सभी रक्त ही पीते हैं। इसीलिए यहां पर कोई पुरुष ही नहीं है। क्योंकि जिसने भी हम से विवाह किया उसने रक्त देने से मना कर दिया।

और इसी वजह से हमने उसे जीवन से ही मुक्त कर दिया।

राजा बड़ा तेज घबरा गया।

राजा ने कहा, मैं इससे पहले कि तुम मुझे मारो मैं तुम्हें ही मार देता हूं। लेकिन राजा को क्या पता था कि उनके सामने एक शक्तिशाली?

शक्ति खड़ी है। वह कन्या तुरंत ही राजा के गले लग जाती है और कहती है, ठीक है। मेरे साथ भोग करो लेकिन मैं भी अपना भोग लेती रहूंगी। राजा थरथर कांपने लगता है लेकिन वह कन्या उसकी गर्दन में अपने दांत गड़ा कर उसका रक्त पीने लगती है।

राजा की कुछ ही देर बाद मृत्यु हो जाती है क्योंकि उसके शरीर से रक्त समाप्त हो जाता है। लगभग यही हर जगह होने लगता है हर सैनिक। हर तांत्रिक मरने लगता है देखते ही देखते सारे के सारे जो भी शारीरिक सुख की चाहत में अपनी पत्नियों से प्रेम करना चाह रहे थे वह सभी वाले सारे के सारे।

रक्त विहीन होकर। जमीन पर गिरे हुए मृत्यु के लिए तैयार हो रहे थे। रक्त की प्यास उन शक्तियों को बहुत तीव्रता से लगी हुई थी। इधर!

राजकुमार राजकुमारी से कहता है चलो अब हमें भी एक दूसरे से प्रेम करने के लिए चलना चाहिए ताकि हम दोनों एक दूसरे के प्रेम के बंधन में हमेशा के लिए बंद कर शारीरिक रूप से एक हो जाए। तब राजकुमारी कहती है, ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है। आपको मुझे अपना हृदय देना होगा। राजकुमार कहता है अवश्य मैं तो पहले ही।

आपको अपना हृदय सौप चुका हूं। तब वह अचानक से उसे लेकर।

सुंदर से बिस्तर पर पहुंच जाती है जो कि राजा ने उस।

कन्या और अपनी राजकुमार के लिए बनवाया था। तब? जैसे ही राजकुमार उसे अपनी बाहों में लेता है, एकदम से चौक जाता है। वह देखता है कि यह?

कन्या तो वही है जो कि मेरी पिछली प्रेमिका थी अर्थात जिसको मैंने चाकू भोंक कर मारा था। यह तो वही है! यह देखकर राजकुमार पीछे हटने की कोशिश करता है कि वह कहती है कि अब तो मैं आपका हृदय लेकर ही रहूंगी। आपने मुझे बहुत बड़ा धोखा दिया था। आज देखो तुम सब धोखे का ही शिकार हुए हो जैसी करनी वैसी भरनी बिल्कुल वैसा ही तुम लोगों के साथ हुआ है जैसा कि तुम ने इस पूरे गांव के साथ बहुत पहले किया था। और तुमने मेरे साथ किया था?

तब वह उसके छाती में हाथ डालकर उसका ह्रदय बाहर निकाल देती है।

और देखते ही देखते राजकुमार की मृत्यु हो जाती है।

इस प्रकार वहां सारी की सारी।

शक्तियां  बाहर आकर इकट्ठा हो जाती हैं।

पूरे क्षेत्र में।

कई सौ सैनिकों के साथ। कई तांत्रिकों, राजा, राजकुमार इत्यादि की लाशें पड़ी हुई थी।

तब तक सभी अपने वास्तविक स्वरूप में लौट आती हैं। उनके सामने।

खड़ी हुई वह राजकुमारी जोर से चिल्लाती है।

देवी मैंने अपना बदला ले लिया है। कृपया मुझे दर्शन दीजिए। मैं पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी हूं। तब श्वेता रति भैरवी भी साक्षात वहां पर प्रकट हो जाती है। और तब वह कहती हैं मेरी सारी चेरी अप्सराएं और भैरवी पिशाचिनी शक्तियां जो मैंने तुम्हें दी थी, उन सब ने सभी सैनिकों को मार डाला है। तुमने और तुम्हारी बहन ने मिलकर राजकुमार को मार डाला है। राजा को मेरी प्रमुख पिशाचिनी ने मार डाला है। अब तुम्हारा बदला पूरी तरह पूर्ण हो चुका है। तुम दोनों बहनों की अब इच्छा क्या है मुझे बताओ?

वह कहती है जिस प्रकार आपने मेरी बहन को? योगिनी स्वरूप धारण करवाया है। ऐसे ही मुझे भी योगिनी स्वरूप प्रदान कीजिए तक श्वेता रति भैरवी। इस कन्या को भी योगिनी स्वरूप प्रदान करती है। श्वेता रत्ती भैरवी कहती है कि यह गोपनीय स्थान सदैव सामान्य जनों से सुरक्षित रहेगा यहां पर केवल कोई महान सिद्ध साधक ही प्रवेश कर पाएगा और तुम दोनों के दर्शन के साथ समस्त भैरवी, पिशाचिनी शक्तियों और चेरी अप्सराओं को देख सकेगा। इस क्षेत्र को मैं अपने माया जाल से सदैव के लिए कीलित कर देती हूं। तुम इस सुंदरवन में योगिनी बनकर यहां वास करो! और तपस्या से अपने पापों को नाश करो कि यह क्षेत्र गुप्त योगियों के रूप में तुम दोनों के द्वारा सुरक्षित बना रहेगा।

इस प्रकार सुंदरबन की उन आदमखोर सुंदरियों! के कारण सुंदरवन का बहुत गोपनीय गांव और मंदिर आज भी अदृश्य रूप में वहां कहीं मौजूद है। उसमें वास करने वाली उन दो गुप्त योगिनी शक्तियों से सदैव सुरक्षित है। उन्हीं के प्रभाव से आज भी वन देवी के रूप में। विभिन्न प्रकार की साधना लोग जंगल से करते हैं उन बाघों के कारण। बाघों को पूजा भी जाता है और इस प्रकार की मान्यता है। सदियों से लगातार बनी हुई मानी जाती है। यह थी एक अत्यंत गोपनीय तथा सुंदरवन की उन आदमखोर सुंदरियों की जो कि गुप्त भैरवी बनकर आज भी उस क्षेत्र में वास करती हैं। जो भी व्यक्ति श्वेता रति भैरवी साधना करना चाहता है।

उसका लिंक मैंने अपने हर वीडियो (इस सीरीज ) के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे रहा है। वहां उस क्षेत्र में उनकी साधना को करके इन योगनियों के दर्शन भी कर सकता है और अगर उसी क्षेत्र में जाकर साधना करें तो दोनों योगनियों के साथ भैरवी पिशाचिनी शक्तियों, चेरी अप्सराओ को भी सिद्ध कर सकता है।

यह थी की कहानी और घटना सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियों की अगर आपको यह कहानी और यह सारे एपिसोड आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें। चैनल को आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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