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स्वर्ण सर्प साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज बात करेंगे स्वर्ण सर्प साधना के बारे में। एक ऐसी स्वर्ण सर्प साधना जिसके माध्यम से आप स्वर्ण सर्प सिद्धि तो प्राप्त करते ही हैं। धन की प्राप्ति भी आपको अवश्य ही हो जाती है।

स्वर्ण सर्प साधना एक अत्यंत गोपनीय साधना है और इस साधना को करने पर आपको स्वर्ण या फिर धन की प्राप्ति अवश्य ही होती है। लेकिन इस साधना में कुछ आवश्यक बातें भी ध्यान रखने योग्य होती हैं। आज हम लोग इसी के बारे में बात करेंगे।

जैसे कि हम लोग जानते ही हैं कोई भी साधना। किसी विशेष अवसर से ही शुरू की जाती है।

अगर यह साधना नाग पंचमी से शुरू की जाए तो सबसे सर्वोत्तम दिन माना जाता है। लेकिन अगर ऐसा अवसर उपलब्ध ना हो तो आप किसी भी अष्टमी यह चतुर्दशी के दिन से यह साधना प्रारंभ कर सकते हैं। इस साधना को करने पर आपके रोग दोष विभिन्न प्रकार के ग्रहों के उपद्रव। और जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, वह भी समाप्त होता है। इसके अलावा! किसी भी प्रकार के बिगड़ा काम है भी नष्ट होता है। पूर्व जन्म में जो भी सर्प योनि में गए हुए हैं, आपकेपूर्वज या रिश्तेदार मित्र हैं, वह भी मुक्त हो जाते हैं। इसके अलावा कहीं गड़ा हुआ अगर धन है तो वहां उपस्थित कोई भी शक्ति आपको अपना पता स्वयं बताने लगती है। इस प्रकार गड़े हुए धन को प्राप्त करने की भी यह एक साधना है। तो इसके लिए आपको सबसे पहले! सुनार से एक स्वर्ण मूर्ति बनानी होगी सर्प की।

नाग देवता के रूप में आपको यहां पर पूजन करना होता है।

जो लोग यह स्वर्ण प्रतिमा नहीं खरीद सकते हैं।

तो उनके लिए दूसरी विधि बताई गई है। आपको आटे में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर के 1 सर्प की प्रतिमा बनानी होगी। स्वयं अपने हाथों से। किसी भी शुभ नक्षत्र यह समय में रविवार के दिन आप आटे को घोठेंगे और उसमें काफी मात्रा में हल्दी मिला देंगे। उसी आटे से आपको एक सर्प प्रतिमा बना लेनी है और इसको अपने पूजन स्थान में स्थापित करना है। सबसे पहले इसके लिए अगर आप नदी का किनारा हो तो सर्वोत्तम है। किसी नाग की बांबी को चुनेंगे तो भी सर्वोत्तम है लेकिन अगर यह दोनों। स्थान आपके लिए उपलब्ध नहीं है।

वैसी अवस्था में आप इस साधना को अपने घर पर भी कर सकते हैं। किंतु याद रखें कि आपको किसी भी प्रकार से उस कमरे में किसी और का प्रवेश वर्जित रखना है। इसके अलावा घर परिवार के सभी लोगों को यह बात बतानी है कि कहीं पर भी अगर आपको सर्प दिखता है। कृपया उससे डरे नहीं और ना ही उसे मारे या कष्ट दें क्योंकि ऐसी अवस्था में कई बार सर्प योनि की बहुत सारी शक्तियां। आप के आस पास आ जाती हैं, उनसे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।

अब सबसे पहले बाजोट पर आप पीले रंग का चमकदार वस्त्र वहां पर रखेंगे, बिछाएंगे उसे उसके ऊपर आप नाग प्रतिमा को स्थापित करेंगे। उसके चारों तरफ पीनी हल्दी! से एक? गोल चक्र का निर्माण करेंगे जिसके अंदर सर्प देवता को आपने बैठा लेना है।

बिल्कुल गोल बनाना है आपको और उसके बीच में ही आपको सिर्फ देवता की मूर्ति रखनी है। अगर आपके पास सोने मूर्ति है तो चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों ना हो? आप उसको वहां पर रख सकते हैं इस गोले के बाहर आपको! सरसों के तेल का दीपक उन के ठीक सामने रखना है। यह दीपक अखंड होगा और पूरे! 41 दिन तक जलना आवश्यक है।

आप जब भी इस साधना को शुरू करेंगे श्री सर्प सूक्त को सबसे पहले पढ़ लेंगे। श्री सर्प सूक्त को उसे आपको 7 बार पढ़ लेना है।

श्री सर्प सूक्त— ब्रह्म्लोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा: | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||1|| इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखाद्य: | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||2|| कद्र्वेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||3|| इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य: | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||4|| सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||5|| मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||6|| पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||7|| सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||8|| ग्रामे वा यदि वारन्ये ये सर्पप्रचरन्ति | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||9|| स्मुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जलंवासिन: | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||10|| रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला: | नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||11|| बाजोट पर आप पीले रंग का चमक! चमकदार वस्त्र वहां पर रखेंगे बिछाएंगे उसे उसके ऊपर आप नाग प्रतिमा को स्थापित करेंगे। उसके चारों तरफ पीनी हल्दी! से एक गोल चक्र का निर्माण करेंगे जिसके अंदर सर्प देवता को आपने बैठा लेना है।

सर्प सूक्त पढ़ने के बाद ही इनकी मूल साधना शुरू की जाती है। तो सबसे पहले गुरु मंत्र का जाप करेंगे एक माला उसके बाद गणेश भगवान के मंत्र का जाप फिर भगवान शिव के मंत्र का जाप फिर। नवनाग मंत्र का जाप करने के बाद में-

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं
शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत

आप अब? इनकी साधना को शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आप चमकदार पीले वस्त्र धारण करें। नहा धोकर साधना में बैठे।

उसके बाद! आप? उस स्थान को जहां पर आप बैठे हैं चारों तरफ अपने हल्दी से रक्षा मंत्र का इस्तेमाल करके। चारों तरफ अपना सुरक्षा कवच बना ले। यह बनाना इसलिए भी आवश्यक होता है क्योंकि सिर्फ शक्तियां क्रोधित होकर आपको साधना से रोक सकती हैं।

यह सब कुछ करके आप साधना में अपनी साधना को शुरू करें। जो भी दृश्य आपको दिखाई दे उनसे भयभीत नहीं होना है और रोज आपको। 41 माला मंत्र जाप करना है।

इस साधना की सिद्धि हो जाने पर सर्व स्वप्न के माध्यम से या प्रत्यक्ष आपके सामने उपस्थित हो जाता है और फिर वह मानव रूप भी धारण करके देवता के समान आपके सामने प्रकट होकर आपकी इच्छा पूछता है। तब आप विनम्र निवेदन कर। आप उन्हें अपना मित्र बना लें और हर प्रकार के कार्यों में उनसे सहायता लेने का वचन ले ले। इसके अलावा अखंड धन की प्राप्ति करने का मार्ग अवश्य ही उनसे जाने। तो वह आपको अवश्य ही मार्ग बताएंगे। इस कार्य को करके आप अखंड धन की प्राप्ति कर सकते हैं।

इनकी साधना में आपको इस बात का ध्यान रखना है कि सिद्धि के बाद किसी भी व्यक्ति को यह ना बताएं कि आप को इस बात की सिद्धि है।

अगर आप इसके बाद सुनारी का काम शुरू करते हैं तो उनकी वही प्रतिमा अपने संस्थान में स्थापित करें और रो रोज उनका मंत्र जाप पूजन अवश्य ही करते रहें।

इससे आपके? कारोबार में अत्यंत तीव्रता के साथ वृद्धि होती है। इसके अलावा गोपनीय सिद्धि आपको नाग देवता अवश्य ही प्रदान करते हैं। लेकिन सिद्धि

के संदर्भ में किसी को कुछ भी नहीं बताना चाहिए। अगर नाग लोक की शक्तियां आपके पास आकर। आपसे बातचीत करें या फिर आपके साथ शयन करें तो भी आपको घबराना नहीं चाहिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शक्तियां साधना के माध्यम से आप से जुड़ जाती हैं।

आपको इनके मंत्र का? हवन भी करना होता है। दशांश हवन पीले फूलों से करे । इस प्रकार आप! इन स्वर्ण सर्प की साधना करके सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं।

लेकिन उन लोगों को यह साधना नहीं करनी चाहिए। जो लोग नाग से डरते हैं क्योंकि नागों से आप का सामना अवश्य ही होता है। इसमें आपको घबराने की आवश्यकता नहीं , क्योंकि जिस व्यक्ति से आप जुड़ने वाले हैं अगर आप उसी से घबरा जाएंगे तो किस प्रकार आप सिद्धि प्राप्त कर पाएंगे?

तो हमेशा इस बात का ध्यान रखते हुए ही आपको साधना करनी होती है और इससे आपको नवनागों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसमें आप को आवश्यक रूप से श्री सर्प सूक्त का।

जाप करना आवश्यक होता है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इनकी ही शक्ति के माध्यम से। यह आपको फल देने की क्षमता रखता है।

तो? इसके बाद हमेशा आपको एक और चीज हमेशा ध्यान में रखनी है। वह यह है कि कभी भी किसी भी सर्प को आप नहीं मारेंगे। यह वचन रूप में आपको इस साधना में जान लेना चाहिए और धारण भी करना चाहिए।

क्योंकि यह कभी भी आपके पैर के आसपास आपको दिख सकता है। यह साधना भय मुक्ति चिंता मुक्ति के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है। धन की सारी, भारी से भारी चिंताओं को नष्ट कर देती है। कर्जा आपका उतार देती है। जिनके जीवन में बहुत ही अधिक संघर्ष बना रहता है वह सब कुछ यह समाप्त कर देती है। यह थी स्वर्ण सर्प साधना मूल मंत्र इस प्रकार है –

रुद्राक्ष माला से जाप करे मूल मन्त्र || ॐ स्वर्ण फणीशाय विदमहे, विषदन्ताय धीमहि तन्नोः सर्पः प्रचोदयात् ||

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