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हनुमान बेताल साधना अनुभव

हनुमान बेताल साधना अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक विशेष अनुभव को लेंगे जो कि हनुमान जी की एक विशेष तांत्रिक साधना को दर्शाता है। इस साधना को हम हनुमान बेताल साधना के नाम से जानते हैं और अगर कोई इस साधना को करना चाहता है तो मेरे इंस्टामोजो से जाकर इस साधना को खरीद सकता है। आज का यह अनुभव एक साधक महोदय ने खुद के द्वारा किए गए इस साधना काल में जो भी उनके साथ घटित हुआ। इसके विषय में ईमेल पत्र के माध्यम से भेजा है तो चलिए शुरू करते हैं। हनुमान बेताल साधना अनुभव के इस ईमेल पत्र को पढ़ना।

गुरु जी प्रणाम गुरु जी, अगर आप मेरे अनुभव का वीडियो बनाते हैं तो कृपया मेरा नाम मेरी ईमेल आईडी छुपा दीजिएगा। गुरु जी आपके आशीर्वाद से आपके कहे अनुसार मैंने हनुमान बेताल साधना पूरी करी गुरु जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। जो इस परेशानी की घड़ी में आपने मेरे अच्छे के लिए आपने एक ऐसी साधना करने को कहा, जिससे मैं जानता भी नहीं था। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं कभी हनुमान जी की पूजा राजसिक तरीके से कर भी पाऊंगा। गुरु जी मैं आपके साथ अपना अनुभव बांटना चाहता हूं और कुछ चीजें जानना भी चाहता हूं। गुरु जी आपको तो पता है जब मैं पहले दिन साधना करने बैठा था। तब मैं साधना नहीं कर पाया। पर उस दिन मुझे किसी ने के होने का एहसास हुआ और बहुत ज्यादा लगा जैसे कोई है। मेरे साथ और जॉप करते-करते मैं मंत्र ही भूल गया। फिर दूसरे दिन मैंने फिर से कोशिश करें और उस दिन मुझे ऊर्जा का बहुत एहसास हुआ। मेरा पूरा शरीर सुन्न पड़ गया था और कांपने लगा और ऐसा लगा जैसे कोई मेरे सामने आकर बैठ गया। लेकिन दिखा कोई भी नहीं बहुत कोशिश करी पर फिर से करीब 35 माला करने के बाद में पूरा मंत्र भूल गया। यहां तक कि मैंने मंत्र को आप की दी हुई पीडीएफ़ से पढ़ने की कोशिश करी पर तब भी मंत्र में भ्रमित हो गया और एक भी जाप नहीं कर पाया। यह हर रोज का होने लगा जिसकी वजह से मैं आपको बहुत तंग करने लगा। उसके लिए मुझे क्षमा करें और आपका। धन्यवाद गुरु जी, आपने मेरे साथ नहीं छोड़ा और मुझे समझाते रहे। फिर हनुमान जयंती की रात को करीब 1:00 बजे मैं सोच कर बैठा कि आज कुछ भी हो जाए, चाहे पूरी रात हो जाए, चाहे कुछ भी हो जाए। मैं आज साधना पूरी करके ही मानूंगा क्योंकि मैं कुछ चीजों से बहुत परेशान था जिसके बारे में मैंने आपको अलग मेल में बताया था और मैं यहां भी बताना नही चाहता हूं। गुरुजी करीब 31 माला के बाद मेरे पूरे शरीर में बहुत अलग से कंपन होने लगी। शरीर का हर हिस्सा काँप रहा था? अजीब सा! भी लग रहा था।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरे बिल्कुल पास आकर बैठा हुआ है और मुझे देख रहा है। फिर किसी के स्पर्श महसूस हुआ। मुझे हाथ पर आंखें खोली तो कोई नहीं दिखा। कान पर भी भारीपन लगने लगा और आपके बीच में किसी के चिल्लाने की आवाज आई पर आवाज सिर्फ एक बार ही आई पर कान पर भारीपन पूरी तरह रहा। जब ऐसी आवाज आई और महसूस होना शुरू हुआ तो मैं अच्छे से आंखें खोलकर जाप करता हूं और शायद कुछ देख पाऊं। फिर मुझे दिखा तो कुछ नहीं पर करीब 74-75 माला के आसपास मुझे छोटी सी रोशनी दिखाई दी गुजरती हुई। और ऐसा दो बार हुआ। उसके बाद गुरुजी मेरे कंधे भारी होने लगे। पीठ पर भारीपन मुझे महसूस होने लगा। सीने में दिल की जगह पर बहुत तेज दर्द हुआ और दर्द करीब एक माला तक रहा और फिर से शरीर में कंपन होने लगी। पर इस बार पूरे शरीर में ना होकर सिर्फ सीने पर और गले पर माथे के बीच में हुई करीब 90 माला करने के बाद में बुरी तरह थक चुका था। पर मैं आज साधना पूरी करना चाहता था तो मैं थोड़ा देर बैठ कर फिर से आसन नहीं छोड़ा और कंधे इतने भारी हो गए थे जिसे पता नहीं कितने बार मैंने उठा कर रखा पर पूरी माला। करने के बाद में हवन करने के लिए उठा जैसे ही उठा मुझे रोशनी सी हिलती हुई दिखाई दी। दोबारा देखने की कोशिश करी पर कुछ नहीं दिखा।

फिर मैंने जैसे कि पीडीएफ में लिखा था। वैसे ही दूध, दही और घी मिलाकर हवन की तैयारी शुरू करी। जब हवन होना शुरू करा तो बहुत कम आग जल रही थी। जैसे ही आहुति डालते आग बुझती बुझने को हो जाती। करीब 50 के बाद मैंने बोला कि अगर हनुमान जी को मेरी पूजा स्वीकार होगी तो आग प्रचंड होगी। गुरुजी उसके तुरंत बाद ही आग इतनी तेज हो गई कि मुझे डर लगने लगा। कुछ जल ना जाए जैसे ही आहुति डालता था। इतनी तेज आवाज आती और ज्वाला सी भड़कती मुझे लगा उस वीडियो को भेजनी चाहिए और आप से पूछना चाहिए कि यह क्या हो रहा है। हवन समाप्त होते ही मैंने बाकी के मंत्रों को पढ़ा। लेकिन अंग पूजा नहीं करें क्योंकि मेरी समझ में नहीं आया। उसे कैसे करें। गुरुजी सुबह के लगभग 8:00 बज गए और भूख भी लग रही थी तो मैंने कुछ कहा के सोने के बारे में सोचा और खुश हुआ और बहुत अच्छा लगा गुरुजी, क्योंकि मैंने आखिरकार इसे पूरा कर लिया था। जब सोने जा रहा था तब मैंने सोचा कि एक बार हनुमान चालीसा उनके सोता हूं। गुरु जी जैसे ही मैंने हनुमान चालीसा सुननी शुरू करी। वैसे ही मेरे पूरे शरीर कांपने लगा और बुरी तरह से हिलने लगा। फिर आपको मेल करा और आपको बताया गुरु जी। यह था मेरा पूरा अनुभव गुरु जी अपने अनुभव के बारे में आपसे जानना चाहता हूं। हवन के बारे में जानना चाहता हूं कि यह सब क्या था। हवन से ऐसी आवाज में आना जिसकी एक छोटी सी वीडियो मैंने आपको अलग से भेजी है। इसके अलावा गुरुजी जानना चाहता हूं कि क्या मंत्र सिद्ध हुआ या नहीं। कैसे जानू गुरु जी आपने बताया था कि मुझे एकाग्रता की कमी है जिसकी वजह से मैंने यह सोचा कि पहले अपनी कमी को दूर करु। उसके बाद में 600 वाला प्रयोग करूंगा तो गुरु जी कैसे अपनी यह कमी दूर करूं। कृपया बताइए और गुरु जी कल आप से बात करने के बाद मेरे मैंने फिर से हनुमान जी को बोला कि मुझे प्रयोग करना चाहिए या नहीं तो मुझे सपना आया और सपने में दो इंसान दिखे जिन को मैंने पहले कभी नहीं देखा था मुझे लेकर। कुछ पूजा? करते हुए देखा खुद को तो यह क्या था गुरुजी और अगर गुरुजी 600 वाला प्रयोग अभी ना कर तो क्या तब भी यह मंत्र मेरे लिए काम करेगा और क्या हम कर पाएंगे। कृपया बताएं। मुझे रोज सुबह शाम एक माला इस मंत्र की करता हूं। अब और साथ में हनुमान संकट मोचन पढ़ता हूं। गुरु जी फिर से आपको धन्यवाद आपने मुझे ऐसी साधना दें, जिसे मैं कुछ कर पाया। गुरु जी कुछ टाइपिंग एरर हो गया हो तो क्षमा कीजिएगा प्रणाम गुरुजी आपका शिष्य।

संदेश-तो देखे यहां पर आप ने प्रयास किया और आपको प्रयास में सफलता भी मिली। कुछ कमियां साधना में अवश्य ही रह जाती हैं। इसीलिए पूर्ण सफलता या प्रत्यक्ष सिद्धि नहीं मिलती है, लेकिन धीरे-धीरे हम उन कमियों को दूर करके और अत्यंत ही निपुण हो जाते हैं। निश्चित रूप से 600 वाला प्रयोग आप जब करेंगे तो उसमें आपको आगे बढ़कर सफलता प्राप्त होगी और उसकी वजह से सिद्धि के कार्य आपके होंगे। साधना का पूरा ही चरण पूरा करना चाहिए। कुछ भी छोड़ना नहीं चाहिए। लेकिन इस तरह के अनुभव होना निश्चित रूप से शक्ति का आपके शरीर में आना और ऊर्जा के रूप में आपको प्राप्त होना यह घटित हुआ है। इसका फायदा भी आपको अवश्य ही मिलेगा। लेकिन साधना के लिए बार-बार कोशिश करते रहना चाहिए और इससे आप निश्चित रूप से एक दिन पूर्ण सिद्धि को प्राप्त कर पाएंगे। स्वप्न के माध्यम से और आपके जो कार्य हैं वह भी आप जब बनते हुए देखते हैं और विशेष तरह के एक अलग अनुभव होते हैं तो इसका मतलब यही होता है कि आप सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और सिद्दीकी ओर आपके बढ़ने से आपको 1 दिन संपूर्ण प्रत्यक्ष से सिद्धि होगी। कंधे और पीठ का भारी होना यह दर्शाता है कि वेताल के कंधे पर या पीठ पर या कान पर बैठना चाहता है क्योंकि इन्हें बैठने के लिए कोई स्थान चाहिए होता है जहां से आप इनकी शक्ति का प्रयोग कर सकें, जैसे कि हम विक्रम बेताल वगैरह में देखते हैं। जहां पर उनके कंधे पर वह बैठा था। यह जीभ पर आपके नाक पर आपके कान पर और कंधे पर बैठता है। कभी-कभी लोग इसे हाथों पर भी बैठा लेते हैं तो यह तो सिद्धि के अलग-अलग स्तरों में आप प्राप्त कर पाएंगे। आपने इसे पूरा किया। इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं और अगर कोई भी अन्य व्यक्ति इस साधना को करना चाहता है तो इंस्टामोजो से इस साधना को खरीद करके कर सकता है। इसे बस इतना ध्यान रखना है कि आप मंत्रों का उच्चारण सहित प्रकार से करें और लगातार जब तक साधना संपन्न ना हो जाए उसे ना छोड़। यह तो आज का अनुभव अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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