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होली की रात अघोरी के साथ पड़ी भारी 4 अंतिम भाग

होली की रात अघोरी के साथ पड़ी भारी 4 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। होली की रात अघोरी के साथ पड़ी भारी पिछले भाग में हमने जाना कि कैसे कृष्ण भक्त पंडित जी को उनके परदादा ने उठाकर बाहर फेंक दिया था। अब उसके आगे क्या घटित हुआ जानते हैं तो गुरु जी मेरे दोस्त के कहे अनुसार। पंडित जी जब बाहर इस प्रकार खुद को पाते हैं तो समझ जाते हैं। यह कोई साधारण आत्मा नहीं है। इसके अंदर किसी शक्तिशाली प्रेत आत्मा का वास है जो कि। मंत्रों से भी काबू में जल्दी नहीं आने वाली क्योंकि अघोरी शक्तियां बहुत ही ताकतवर होती है और उन्हें नियंत्रण में लेने के लिए उसी उच्च कोटि की शक्ति को ढूंढना पड़ता है। इसलिए उन्होंने कहा।

इस चक्कर में मुझे नहीं पडना चाहिए।

आप सभी लोगों से मैं कुछ कहना चाहता हूं। चलिए सब लोग बाहर चलते हैं और फिर उन सभी लोगों के साथ बाहर निकल कर आ गए। उन्होंने कहा कि 1 भैरव साधना करने वाला जिसने साक्षात भैरव को सिद्ध किया हो अथवा जिसने भैरवी को सिद्ध किया हो या फिर जो स्वयं माता काली का महा भक्त हो। वही केवल उसे पराजित कर सकता है। क्योंकि इसके अंदर मैंने दो आत्माओं का वास देखा है। पहली आत्मा एक अघोरी की है और एक आत्मा शक्तिशाली किसी पिशाचिनी शक्ति की है जो कि 1000 साल से श्मशान में वास कर रही थी। इसलिए उसके अंदर बहुत ज्यादा ऊर्जा भरी हुई है। परिवार के सारे सदस्य उन पंडित जी के आगे नतमस्तक होकर उनसे प्रार्थना करने लगे और कहने लगे। इस बड़ी समस्या से बचने का कोई विकल्प बताइए। तो उन्होंने कहा, एक तांत्रिक है। मैं उसके पास जा कर देखता हूं। अगर वह अभी भी सिद्धिवान है तो वह अवश्य ही तुम लोगों की मदद कर सकता है तो परिवार के सारे सदस्य पंडित जी को साथ में लेकर एक दूसरे शहर के एक तांत्रिक गांव में पहुंचे जहां पर एक तांत्रिक निवास करता था, उसके पास भैरव जी की भैरवी की और माता काली की सिद्धियाँ थी। इसलिए वह व्यक्ति पंडित जी को योग्य लगा जो इस तंत्र बाधा से इनकी परिवार की रक्षा कर सकता था। तो ऐसा हुआ कि वह जब उसके पास पहुंचे तो उनको सारी बात बताई तो वह तुरंत कहने लगा। अवश्य मैं अवश्य ही चलूंगा। और वह अगले ही दिन वहां पहुंच गया।

उसने इनके ऊपर! मंत्र शक्ति का प्रयोग किया और तब जोर जोर से हंसने लगे और कहने लगे। सुनो तुम्हारे पास तो दो सिद्धियाँ है। मेरे पास तो सिद्धियों का भंडार है। ऐसा कर जब मुझसे तू लड़ने ही आया है तो भेज अपनी शक्तियां और मैं अपनी शक्तियां भेजता हूं।

और यह कहकर बहुत जोर जोर से हंसने लगे। तब तांत्रिक ने भैरव और भैरवी दोनों को भेजा, लेकिन दोनों इनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाए। यह देखकर आश्चर्य में सिर पकड़कर तांत्रिक ने कहा, ऐसी कौन सी शक्ति है जिसकी वजह से भैरव और भैरवी भी कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं तो वह जोर से हंसने लगा और कहने लगा। मैं अघोरी हूं। मैंने 12 वर्ष भैरव और भैरवी की साधना की है। अब ऐसे में जब मेरे साथ इनकी शक्तियां पहले से ही विद्यमान है तो यह मेरा क्यों कुछ बिगाड़ लेंगे इसलिए यह दोनों रुक गए हैं और अब मैं तू जानता है। कौन सी शक्ति का प्रयोग करना चाह रहा है। आप वह भी करके देख तब उस तांत्रिक ने माता काली को याद किया। माता काली की शक्तियां मंत्र के माध्यम से उसकी ओर गई, लेकिन वह भी रुक गई। यह देखकर तो अब तांत्रिक के खुद पसीने आने लगे। यह कैसे संभव है कि माता काली को कोई रोक सकता है?

तब वह जोर से हंसते हुए कहने लगा। मैंने कहा ना तुम मूर्ख है तुझे नहीं पता अरे मैंने। आजीवन माता काली की साधना की है। अब ऐसे में अपने भक्तों को सामने देख कर भला। वह मेरे पास क्यों आने लगी और यह कहकर मेरे परदादा बहुत जोर जोर से हंसने लगे। तब एक बात तो समझ में आ चुकी थी कि यह कोई साधारण बात नहीं रह गई है। इसे समाप्त करने के लिए कुछ विशेष ही करना पड़ेगा तो फिर तांत्रिक ने एक युक्ति बताई और कहा, आपको 1 वर्ष तक इन्हें माता काली के बने हुए यंत्र के बीच में बने हुए एक मकान में रखना पड़ेगा ताकि 1 वर्ष तक इनकी मृत्यु न हो क्योंकि शक्तियां यही चाहेंगे कि इनकी मृत्यु हो जाए और सब उनके अधीन हो जाए। परिवार के सदस्य इस बात को समझते थे इसलिए तांत्रिक ने एक विशालकाय महा यंत्र का निर्माण किया और उसके बीच में एक लकड़ी का और घास फूस का मकान तैयार किया गया और कहा गया। इसके अंदर इन्हें बैठा दीजिए। यह कभी इस घर से बाहर नहीं निकल पाएंगे। अब हमको इंतजार करना है अगले वर्ष की होली की रात का। केवल वही दिन ऐसा होगा जब हम फिर से इन्हें इन दोनों शक्तियों के नियंत्रण से मुक्त करवा पाएंगे। तब इसी प्रकार कहते हैं। 1 वर्ष तक वह उस यंत्र के बने घर में रहने लगे। वह पिशाचिनी उनके साथ रोजाना संभोग किया करती थी।

और उनके शरीर को चूसती जा रही थी। इस प्रकार उनके शरीर का नाश हो रहा था, लेकिन तांत्रिक की बताए गए कुछ औषधि उपाय भोजन के साथ मिलाकर उन्हें दिए जाते थे। घर का एक व्यक्ति सिद्ध रुद्राक्ष की माला पहन कर ही उस घर में प्रवेश करता था और उन्हें जाकर भोजन दिया करता था ताकि पिशाचीनी और अघोरी उसे कुछ ना करें। इस प्रकार आखिरकार होली दहन की रात आ गई। तांत्रिक को पूरी तरह से यह बात बता कर पहले ही बुलवा लिया गया था और वह जल्दी ही वहां पहुंच भी गया। उसने पूरी व्यवस्था की। और? इन्हें उसी श्मशान में उसी जगह जहां यह साधना शुरू की गई थी लेकर के गए और चिता के सामने उसी प्रकार इनसे आहुतियां दिलवाई जाने लगी। पुरानी प्रक्रिया को याद करके यह शक्तियां उसी तरह कार्य करने लगे जैसा कि उस रात को 1 वर्ष पहले घटित हुआ था। उस वक्त पिशाचिनी उनके शरीर से निकलकर उस। चिता पर जाकर बैठ गई और आनंदित होने लगी। वह अघोरी की आत्मा इनके शरीर से बाहर निकलकर वही अनुष्ठान करने लगी। जैसे ही यह सब कुछ उस तांत्रिक ने देखा। उसने नर्वाण सिद्धि यंत्र इनके परदादा के गले में पहना दिया जिसे 1 वर्ष तक उन्होंने सिद्ध किया था और एक सुरक्षा कवच इनकी चारों तरफ निर्माण कर दिया गया।

जैसे-जैसे रात गहराती गई। साधना में अघोरी की आत्मा और पिशाचिनी इनके शरीर में आने की कोशिश करने लगे, लेकिन अब वह इनके शरीर में प्रवेश नहीं कर पा रहे थे। बहुत कोशिशों के बाद भी कुछ नहीं हुआ और पिशाचिनी फिर से उसी चिता के अंदर प्रवेश कर गई। जहां से वह प्रकट हुई थी। अघोरी की आत्मा वहां पर प्रकट होकर आखिरकार इनके पास पहुंची और तांत्रिक से वार्तालाप करने लगी। उसने कहा, मैंने गलती कि मैं यह भूल गया कि कभी भी अपने शिष्य को धोखा नहीं देना चाहिए। यह माता काली का और भैरव भैरवी का दंड था। मैंने इन तीनों की उपासना की महा शक्तिमान बनने के लिए तो मार्ग का पता चला कि एक महा पिशाचिनी है जो संसार में सारे कार्यों को करने में समर्थ है। उसकी सिद्धि होली की रात्रि की जा सकती है। तब मैंने यह प्रयोग किया लेकिन पिशाचिनी ने मुझे नरबलि के लिए कहा था और तब मैंने एक शुद्ध पुरुष को ढूंढा और यह मिल गया। मैं इसका सर काटने ही वाला था। कि तभी उसे पिशाचिनी ने इसी के शरीर में प्रवेश कर लिया और कहने लगी। मुझे यह पुरुष शुद्ध लगता है। तेरी तरह पापी नहीं है। मैं तेरे नियंत्रण में नहीं रहूंगी और इसके शरीर में प्रवेश कर पिसाची ने मेरा ही सर काट दिया। इस प्रकार पिशाचिनी इसके साथ रहने लगी और उसकी पत्नी बन गई। जल्दी कि वह अपने स्वरूप इसे देकर अपने साथ मिला लेती। लेकिन तुम्हारा धन्यवाद कि तूने मुझे इस प्रपंच से मुक्त किया। अब मैं वास्तविकता जान चुका हूं। मुझे बोध हो गया है। तंत्र में मैं भूल गया था लेकिन वही प्रक्रिया जब आत्माओं के साथ दोबारा होती है तो उन्हें अपना पूर्व जन्म याद आ जाता है। इसी वजह से मुझे सारी बात अब याद आई है। तुम्हारा शत शत प्रणाम और अब मैं अपनी आत्मा को भस्म करना की प्रार्थना करता हूं। है भैरव देवता! हे भैरवी!

हे माता काली अगर मैंने सच्चे हृदय से आप की उपासना की है तो मुझे मुक्ति प्रदान करें और अपने चरणों में स्थान दे, कहते हैं। उसी वक्त अघोरी की आत्मा मुक्त हो जाती है और इस प्रकार मेरे परदादा भी उस स्थान तक सुरक्षित स्वस्थ लौट कर आ जाते हैं। यह एक सत्य घटना है जो मैं अपने पूर्वजों से सुन कर बड़ा हुआ हूं और तभी से हमारे यहां कुल देवी के रूप में माता काली की पूजा की जाती है।

तो मैंने यह बात अपने दोस्त से सुनी थी। गुरुजी वही आपको मैंने यह कहानी लिख कर भेजी है। आशा करता हूं कि सभी धर्म रहस्य के दर्शकों को यह घटना पसंद आई होगी। आपके चरणों को प्रणाम करते हुए होली की बहुत सारी शुभकामनाएं आपको आपके परिवार को और धर्म रहस्य चैनल देखने वालों को नमस्कार गुरु जी।

सन्देश- देखिए यहां पर यह पता चलता है कि इच्छाएं कितनी भी बड़ी हो लेकिन मुक्ति सबसे बड़ा रहस्य है जिसको हर आत्मा प्राप्त करना चाहती है। धर्म अर्थ काम कितना भी प्राप्त कर लिया जाए, लेकिन अंतिम लक्ष्य मोक्ष ही होता है और इसी के लिए सारी आत्माएं बेचैन हो जाती है। शरीर जो है हमारा यह इच्छाओं का द्वार है। एक इच्छा खत्म होती है, दूसरी शुरू हो जाती है और इन्हीं इच्छाओं को प्राप्त करने के लिए लोग सिद्धि, धन कमाना, स्वार्थी बनना, इत्यादि बहुत सारी चीजें किया करते हैं। पूरी जिंदगी किसी स्वार्थ के पीछे और अपने शरीर की इच्छाओं की पूर्ति के लिए दौड़ा करते हैं। यह शरीर उन्हें पूरी जिंदगी मूर्ख बनाता रहता है। लेकिन एक सच्चा तपस्वी एक सच्चा भक्त यह बात जानता है कि मुक्ति ही अंतिम द्वार है और हमें इस प्रपंच से मुक्त होना है, याद रखें, मैं यह शरीर नहीं हूं। मैं इस शरीर में वास करता हूं। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/nfoZqOngO7k

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