जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 3
अग्निदेव, जो कि एक तांत्रिक साधक थे, अचानक एक वैद्य से मिलते हैं। लेकिन रात के अंधेरे में वैद्य का स्वरूप बदल जाता है और वह एक स्त्री के रूप में प्रकट होता है। उसकी हंसी भयावह और कानों को चीर देने वाली थी।
क्या यह माया थी?
क्यों अग्निदेव इस मायाजाल को समझ नहीं पाए?
इस रहस्य का खुलासा जल्द ही होता है जब वह स्त्री कहती है: “अरे मूर्ख, मैं वही हूं जो वैद्य और कन्या दोनों बनी।”