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मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से सत्य घटना भाग 2

मेरा विवाह रतिप्रिया यक्षिणी से सत्य घटना भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम पिछली बार के अनुभव को आगे बढ़ाते हुए आगे की कथा के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं और जानते हैं कि इस के अनुभव के दौरान उनके साथ उस जंगल में क्या-क्या घटित हुआ था?

नमस्ते गुरुजी आप को शत-शत प्रणाम। गुरु जी अपने पिछले पत्र को आगे बढ़ाते हुए सबसे पहले तो मैं आपका शुक्रिया करता हूं कि आपने मुझे इस लायक समझा कि मेरे इस अनुभव पर वीडियो बनाया। हालांकि इसका संकेत मुझे मिल चुका था। गुरु जी सबसे पहले मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं। इस तरह की जो भी साधनाए हैं, कभी भी आप परिवार के साथ में ना करें क्योंकि वह बेमतलब इन परेशानियों में आ सकते हैं।

इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप अपने इस अनुभव को। अपनी ही लिए रखे ना की किसी अन्य व्यक्ति को उसमें शामिल करें तो गुरुजी जैसे कि मैंने आपको बताया था। कि कैसे मैं जब उस मचान पर बैठा था तो एक बिडाल यानी कि तेंदुआ ऊपर की ओर तेजी से पेड़ पर चढ़ते हुए आने लगा। मुझे बहुत ज्यादा डर लगा तब मैंने आंखें बंद करके आपका और गुरु मंत्र का मानसिक जाप शुरू कर दिया। हालांकि मेरे होंठ तो यक्षिणी की साधना वाले मंत्र को ही बोल रहे थे।

कि अचानक से मैंने बड़ी ही तेजी के साथ एक कुल्हाड़ी को मेरी तरफ आते देखा। वह कुल्हाड़ी उड़ते हुए सीधे आकर उस जानवर के शरीर पर लगी। तिल मिलाकर वह जानवर नीचे गिर पड़ा। इससे उसे चोट आई और फिर पता नहीं कैसे वह डर कर के वहां से भाग गया। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि आखिर यह सब हुआ क्या है लेकिन तब जब मैंने नीचे देखा तो सारी बात समझ में आई एक लड़की जो कि गांव की थी। उसने बहुत ही बहादुरी के साथ में अपनी लकड़ी काटने वाली कुल्हाड़ी फेंकी थी। उसका निशाना भी सटीक था और इस से घायल होकर वह जानवर वहां से भाग गया। उसने नीचे से चिल्लाते हुए कहा। आप ठीक तो है ना? मैंने उसकी ओर देखा वह एक सुंदर और 21- 22 साल की लड़की थी। जिसे मैंने देखा कि वह गांव की वेशभूषा में भी काफी सुंदर दिखने में लग रही थी।

मैंने उससे कहा, आप कौन हैं? तो उसने बताया मेरा नाम सोनी है, मैं इसी गांव में रहती हूं। अभी लकड़ी काटने के लिए आई हुई थी क्योंकि घर पर चूल्हा! मां ने तैयार किया होगा उसके लिए कुछ लकड़ियां कम पड़ रही है। इसीलिए मैं गांव से यहां जंगल में आती ही रहती हूं। तब मैंने उससे कहा, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, क्योंकि आपने आज मेरी जान बचा ली है? तो वह कहने लगी आपने इसकी व्यवस्था तो कर ली। कि आप जंगली जानवरों से बचे रहेंगे लेकिन कुछ जंगली जानवर ऐसे भी होते हैं जो पेड़ पर बड़ी आसानी से चढ़ सकते हैं। उसमें यह जानवर सम्मिलित है। अपने आप को बचाने के लिए यहां पर हमेशा आप आग लगाकर रखें। मशाले लगा ले इसके अलावा कांटेदार तार भी यहां अवश्य लगा कर रखें ताकि अगर कोई जानवर यहां तक आ जाता है तो आप उसे रोक सके तब मैंने कहा ठीक है। आपकी यह बात मैं याद रखूंगा। तब मैंने उसका शुक्रिया अदा किया। मैं नीचे उतरकर आया। उसके साथ काफी देर बातचीत की तो वह कहने लगी कि अगर आप कहें तो आपको गांव नहीं आना पड़ेगा। मैं कुछ रुपए के लिए आपकी मदद कर सकती हूं।

मैंने उससे कहा, आप किस प्रकार मेरी मदद करेंगी और किस काम में करना चाहती हैं? तब उसने कहा मुझे पता है आप एक औरत से गांव में खाना बनवाते हैं। इसके लिए आपको इतनी दूर जाना और फिर वापस आना पड़ता है। अगर आप कहें तो मैं क्योंकि रोज जंगल में लकड़ियां काटने आती ही हूँ सुबह और शाम दोनों ही समय तो मैं आपके लिए खाना बना कर लेती आऊंगी आपको टिफिन में दे दूंगी जिससे जब आपकी इच्छा हो तब आप उसे आराम से खा सकें। यह सुनकर मुझे काफी अच्छा लगा तो मैंने कहा ठीक है, मैं उन माताजी को मना कर दूंगा। आप मेरे लिए यह खाना अवश्य बनाकर लेकर आइए। मैंने उसके प्रस्ताव को तुरंत इसीलिए स्वीकार कर लिया था क्योंकि मैं यह बात जानता था कि अगर मैं बार-बार गांव आऊंगा जाऊंगा तो बहुत लोगों से मिलना होगा और फिर मेरी साधना भी सही से नहीं हो पाएगी। खाने की भी समस्या बनी ही रहेगी। अगर यह लड़की मदद करना चाहती है तो मैं अवश्य ही इसकी सहायता ले सकता हूं तो मैंने उससे हां कह दिया। अब मैं निश्चिंत होकर के वहां पर साधना कर सकता था। शाम के समय मैंने अपनी साधना की पूरी तैयारी कर ली थी कि तभी वह लड़की वहां आ गई और उसने मुझे भोजन टिफिन में दे दिया। मैंने उससे कहा, आप क्या डरती नहीं है और आप कमाल की कुल्हाड़ी भी फेंक लेती हैं?

आपने एक ही बार में उस जानवर को भगा दिया। तो वह कहने लगी। बाबू जी ऐसी कोई बात नहीं है। हमारा तो रोज ही ऐसे जानवरों से सामना होता रहता है। अब अगर अपनी रक्षा भी नहीं कर पाएंगे तो इस खतरनाक जंगल में कैसे जी पाएंगे? उसकी बात बहुत ही प्यारी लगती थी जब भी वह इस तरह से बोलती थी, उसमें भी एक अजीब सा आकर्षण मुझे महसूस होता था। लेकिन वह मुझे थोड़ी देर देखने के बाद बोली। अगर आप बुरा ना माने तो एक बात आपसे कहना चाहती हूं। तब मैंने उससे पूछा। आप कह सकती हैं, मैं बुरा नहीं मानूंगा। उसने कहा। मुझे नहीं लगता कि आप यहां वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी करने के लिए आए हैं।

मुझे तो लगता है आप यहां कोई साधना करने के लिए आए हैं। तब मैंने कहा, यह बात आप किसी से मत कहिएगा। मैं कोई भी काम यहां पर छुप कर ही करना चाहता हूं। उसने कहा, आप इस बात से निश्चिंत रहिए। आप की पूजा के बारे में मैं गांव में कहीं किसी को भी नहीं बताने वाली। उल्टा अगर कोई मुझसे पूछेगा तो मैं उसे बताऊंगी कि रात के समय वह बहुत अच्छे से नाइट कैमरे के द्वारा वीडियो जानवरों का बनाते रहते हैं। तब मैं उसे देख कर हंस कर बोला, वास्तव में तुम बहुत बुद्धिमान हो, कितना पढ़ी लिखी हो तब उसने कहा, मैं तो बिल्कुल भी नहीं पढ़ी लिखी हूं। मुझे दुनियादारी की पढ़ाई करने में कोई मजा नहीं आता। मेरे पास तो ना पिता है और ना ही माता मौसी के यहां रहती हूं। उन्होंने ही बचपन से पाल पोस कर बड़ा किया है। उसकी दुख भरी कहानी सुनकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। कि कितनी समझदार और सुंदर लड़की लेकिन इसके जीवन में इतना ज्यादा कष्ट है? तब वह नीचे उतरने लगी पेड़ से और कहने लगी। आपको एक बात बताना चाहूंगी? कल पूर्णिमा है तो आप गांव आ जाइएगा। कल रात यहां पर साधना मत कीजिएगा क्योंकि यह जंगल बहुत खौफनाक भी है। पूर्णिमा की रात में यहां बहुत सारी चीजें होती हैं जिसकी आपके कभी कल्पना भी नहीं की होगी। कोई भी गांव वाला पूर्णिमा के दिन यहां नहीं आता है और यहां तक की पूर्णिमा के दिन मैं शाम को यहां लकड़ी काटने नहीं आती। दिन में ही काट कर निकल जाती हूं। मैंने उससे पूछा, आखिर इसका कारण क्या है। इतना ज्यादा डर पूर्णिमा को लेकर लोगों में क्यों है जबकि पूर्णिमा की रात में तो साफ-साफ दूर दूर तक दिखाई पड़ता है?

तब उसने कहा बाबूजी आपको नहीं पता है। जब दूर तक दिखाई पड़े और कुछ ऐसा दिखाई दे जो आपने कभी सोचा ही नहीं हो, आपकी सांसे अटक जाए तो फिर आपको कैसा लगेगा?

मैंने कहा।

ऐसा तो कुछ नहीं है कि दुनिया में कुछ नया हो, सारी चीजों का मुझे ज्ञान है। आप चिंता मत कीजिए, मैं अपना ख्याल रखूंगा। लड़की मेरा चेहरा घूर कर देखने लगी और कहने लगी। आप सच में बहुत हिम्मती हैं, लेकिन मेरी सलाह मानिए पूर्णिमा की रात को यहां पर मत आइएगा और फिर वह चली गई। अगला दिन पूर्णिमा का था। मैं दिन भर गांव में घुमा। क्योंकि मुझे पता था रात्रि को तो मेरी साधना होने वाली है और लगभग साधना करते हुए मुझे 14 दिन भी हो चुके थे। इसलिए पूर्णिमा की रात्रि में तो साधना करनी ही थी और भला मैं क्यों डरने वाला जब मैं खुद ही दूसरी दुनिया की चीजों से साधना के द्वारा जुड़ने वाला हूं। तो मैं पहुंच गया अपने उसी कुटिया में। जहां बैठकर मैं साधना करता था। पूर्णिमा की रात बहुत तेज प्रकाश चंद्रमा का दिखाई पड़ रहा था, जिसकी वजह से दूर-दूर तक सब कुछ साफ साफ नजर आता था। कि तभी जब मैं साधना कर रहा था, अचानक से बहुत तेज आवाज आने लगी। इतनी तेज कि मुझे अपनी साधना को रोकना पड़ा। मैंने क्षमा मांगी और झांक कर देखा। तो सामने कई सारी बहुत ही खूबसूरत लड़कियां जो की चांदनी के प्रकाश में नहाई हुई लगती थी।  हंसते खेलते हुए और जोर-जोर से चिल्लाते हुए उधर से गुजर रही थी। मैंने इतनी ज्यादा सुंदर उस ग्रुप की लड़कियां देखी।

8-10 लड़कियां जो देखी मेरा मन नहीं माना। मैं उनका पीछा करने के बारे में सोचने लगा और मैं नीचे पेड़ से उतर आया। वह जब जा रही थी तो बड़ा ही शोर मचाते हुए उनके पैरों में जो पायले थी, वह इतनी ज्यादा बड़ी और घुंघरू वाली थी कि उन सभी के पैरों की झंकार बहुत दूर तक जा रही थी। उस जंगल में एक जगह नदी भी पड़ती थी। वह सारी लड़कियां उस नदी की तरफ ही जा रही थी। मैं जब वहां पहुंचा तो उन सब ने अपने सारे वस्त्र उतारकर नदी में प्रवेश करना शुरू कर दिया और पानी में जाकर नहाने और खेलने लगी।

कि तभी! किसी ने मेरे सिर पर जोर से मारा। गुरु जी इसके आगे की आगे मुझे जो अनुभव हुए, मैं अगले पत्र में आपको बताऊंगा तब तक के लिए आप को शत-शत नमन ।

सन्देश- तो दिखिए यहां पर इन्होंने अपनी इस घटना का विवरण दिया है। आगे के पत्र के माध्यम से हम लोग आगे की कहानी को जान पाएंगे तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें, शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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