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जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 4

जाह्नवी अप्सरा की कहानी भाग 4

इस भाग में अग्निदेव की परीक्षा अपने चरम पर पहुँचती है। बैल का हमला, साधक का संघर्ष, और गंगा नदी में मगरमच्छ से सामना – ये सब मिलकर एक अद्भुत रहस्यमयी कथा का निर्माण करते हैं। जानिए कैसे साधक ने अपनी परीक्षा को पार करने का प्रयास किया और माता गंगा के आशीर्वाद से किस तरह चमत्कार घटित हुआ।

भूत विद्या तंत्र और आयुर्वेद का रहस्यमय विज्ञान Bhut Vidya Explained

भूत विद्या: आयुर्वेद और तंत्र विद्या का रहस्यमय विज्ञान Bhut Vidya Explained

क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद और तंत्र में भूत विद्या का क्या महत्व है? इस वीडियो में जानिए आत्मा, भूत, और तंत्र विद्या का गूढ़ रहस्य। भूत बनने के कारण, भगवान शिव के भूतगण और सामान्य भूतों में अंतर, और तंत्र में भूत सिद्धि की प्रक्रिया व खतरे को विस्तार से समझें। इसके अलावा, 24 तत्वों की गहराई और मृत्यु के बाद आत्मा के स्वरूप को भी जानें।

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दीपावली सिद्ध लक्ष्मी योगिनी साधना

सिद्ध लक्ष्मी योगिनी, जो माता लक्ष्मी का ही एक रूप हैं, तंत्र साधना में एक विशेष स्थान रखती हैं। दीपावली की रात्रि में उनकी साधना अत्यंत फलदायी मानी जाती है, जिससे साधक को धन, वैभव, और सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं। साधना के दौरान पीले वस्त्र और स्वर्ण आभूषणों से सजी देवी का चित्र या मूर्ति स्थापित करना चाहिए। मंत्र जाप और लक्ष्मी कवच का पाठ आवश्यक है। यह साधना शत्रुओं का नाश करती है और जीवन में आने वाली बाधाओं को समाप्त करती है।

श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना तंत्र साधना की एक अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली विधा है, जिसे अघोरी और तांत्रिक साधक ही करते हैं। यह साधना विशेष रूप से श्मशान भूमि में की जाती है, जहाँ साधक यक्षिणी को प्रसन्न कर धन, सौंदर्य, समृद्धि, और अन्य इच्छाओं की पूर्ति करता है। साधना के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संयम, ब्रह्मचर्य, और गुरु के निर्देशन की आवश्यकता होती है। मंत्र जाप और अनुष्ठान के दौरान साधक को भूत-प्रेत आत्माओं का सामना करना पड़ता है। साधना सफल होने पर यक्षिणी साधक को आशीर्वाद देती हैं और उसकी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना

श्मशान सुंदरी यक्षिणी साधना तंत्र साधना की एक अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली विधा है, जिसे अघोरी और तांत्रिक साधक ही करते हैं। यह साधना विशेष रूप से श्मशान भूमि में की जाती है, जहाँ साधक यक्षिणी को प्रसन्न कर धन, सौंदर्य, समृद्धि, और अन्य इच्छाओं की पूर्ति करता है। साधना के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संयम, ब्रह्मचर्य, और गुरु के निर्देशन की आवश्यकता होती है। मंत्र जाप और अनुष्ठान के दौरान साधक को भूत-प्रेत आत्माओं का सामना करना पड़ता है। साधना सफल होने पर यक्षिणी साधक को आशीर्वाद देती हैं और उसकी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

यह कथा एक राजकुमार की है, जो अनुरागीनी नामक यक्षिणी के प्रेम में पड़ जाता है और उसे प्राप्त करने के लिए तांत्रिक के कहने पर माता त्रिपुर भैरवी की कठिन तपस्या करता है। माता त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होकर राजकुमार को दिव्य शक्तियां देती हैं, जिससे वह तांत्रिक से युद्ध करता है। हालांकि, तांत्रिक अनुरागीनी को यक्षलोक भेज देता है।

अनुरागिनी यक्षिणी की प्रेम कहानी भाग 5 अंतिम भाग

यह कथा एक राजकुमार की है, जो अनुरागीनी नामक यक्षिणी के प्रेम में पड़ जाता है और उसे प्राप्त करने के लिए तांत्रिक के कहने पर माता त्रिपुर भैरवी की कठिन तपस्या करता है। माता त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होकर राजकुमार को दिव्य शक्तियां देती हैं, जिससे वह तांत्रिक से युद्ध करता है। हालांकि, तांत्रिक अनुरागीनी को यक्षलोक भेज देता है। अंततः, माता त्रिपुर भैरवी प्रकट होकर राजकुमार को बताती हैं कि वह अनुरागीनी को इस जीवन में नहीं, बल्कि अगले जन्म में प्राप्त करेगा। यह कहानी मिर्जापुर के एक प्राचीन मंदिर से जुड़ी है।

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