Table of Contents

अघोरी विद्या और शमशान की चुड़ैल भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में एक बार फिर से स्वागत है

अघोरी विद्या और शमशान की चुड़ैल भाग 2 ………आप पढ़ चुके हैं यह भाग-3 है अभी तक आपने इस कहानी में यह जाना की विशंभर नाथ और दीनानाथ नाम के दो व्यक्ति एक अघोरी के बुलाने पर दूसरे अघोरी से मिलने की उद्देश्य को लेकर गए थे।  लेकिन उस अघोरी ने उनसे अपनी साधना कराने की चेष्टा की ,उस साधना में उन दोनों से सहायता लेने की कोशिश की जिसमें वह अघोरी असफल रहा था । इसकी वजह से वहां एक भयानक आत्मा प्रकट हुई जिस आत्मा ने उनसे कुछ सवाल पूछे अघोरी की पूर्ण तैयारी ना होने के कारण से अघोरी ने अप्रत्याशित रूप से उस भयानक आत्मा का जवाब नही दे पाया और इसी दौरान उसकी सहायता के लिए बैठे विशंभर नाथ और दीनानाथ डर के मारे वहां से भाग खड़े हुए भागने की वजह से साधना अधूरी रह गई ।

उस महान शक्तिशाली चुड़ैल ने उस अघोरी के सिर को उखाड़ लिया जिसकी वजह से वह अघोरी मारा गया । अब अघोरी की आत्मा भी वहां ठहर गई इसीलिए अब विशंभर नाथ और दीनानाथ घर पहुंचे तो उन्होंने इस बात के लिए शोक बनाया और गांव वालों को अपने साथ ले जाकर के उस बेचारे तांत्रिक अघोरी की अंतिम शव यात्रा को संपन्न किया।  इस प्रकार से उस अघोरी की मौत हो गई  और अब विशंभर नाथ और दीनानाथ अपने-अपने घर पहुंचे तो उनके साथ अजीब से अनुभव होने लगे , विशंभर नाथ की छाती पर एक शक्ति बैठी थी और दीनानाथ के शरीर को एक शक्ति अपने नाखूनों से खरोचती  थी और उनको कुछ बातें समझ में नहीं आ रही थी की यह सब उनके साथ क्या हो रहा है ।

अगले दिन विशंभर नाथ और दीनानाथ एक दूसरे से फिर से मिले विशंभर नाथ ने रात में घटित बात को दीनानाथ को बताया ,दीनानाथ ने भी अपने साथ जो बात घटित हुई उसके बारे में बताया दीनानाथ ने कहा कि ऐसा लगता है कोई स्त्री अपने हाथ के नाखूनों का प्रयोग करके मेरे शरीर की सारी खाल ही उतार ले जाएगी।  विशंभर नाथ ने भी कहा मुझे भी ऐसा लगता था मेरी छाती पर कोई औरत बैठी हुई है और वह बार-बार मेरा गला दबा रही है, मेरा तो सांस भी लेना मुश्किल हो जाता है  यह सारी बातें उसी हादसे की वजह से हुई है।  

वह यज्ञ जो अघोरी कर रहा था पता नहीं वह कौन सी साधना कर रहा था और किस शक्ति को वह पाना चाहता था । कुछ ना कुछ तो बहुत ज्यादा गलत हुआ है ।विशंभर नाथ और दीनानाथ ने कहा, अब इस समस्या का हल के लिए हमें गांव के ही एक व्यक्ति के पास ही जाना होगा जो तंत्र मंत्र विद्या में पारंगत है, उसे जाकर के हमें अपनी सारी बात बतानी होगी शायद वह कोई मार्ग निकाल सके ।  शाम होते ही दोनों लोग तैयार हो गए और दोनों ने एक जगह जाकर के चाय पी और वहां से निकले आगे बढ़ते हुए उस व्यक्ति के पास पहुंचे वह व्यक्ति जो तंत्र मंत्र विद्या में विशेष जानकार था ।

इन दोनों को देख करके ही वह समझ गया कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है। उस तांत्रिक ने विशंभर नाथ और दीनानाथ को कहा जरा तुम लोग ठहर जाओ मैं तुम्हारे पास आता हूं, वह व्यक्ति आया और अपने हाथ में एक पोटली ली और उसे थोड़ा सा जलाया और उससे जो धूआ हुआ उस जलती हुई पोटली से उसने चारों तरफ दीनानाथ की परिक्रमा की और विशंभर नाथ की भी परिक्रमा की और फिर उनसे कहा आओ अंदर तीनों अंदर की तरफ चले गए । अंदर पहुंच करके उस व्यक्ति ने कहा  विशंभर नाथ दीनानाथ तुम दोनों के साथ में कोई शक्ति मुझे नजर आ रही है, कोई ऐसी भयानक शक्ति है  जो कोई बुरी आत्मा सी प्रतीत होती हुई नजर आ रही है ।

इसी वजह से मैंने तुम्हारी काली मिर्च से परिक्रमा की और मंत्रों का प्रयोग किया ताकि वह चीज तुम लोगों से हट जाए, इस पर विशंभर नाथ और दीनानाथ ने कहा तुम्हारी सूचना बिल्कुल सही है और हमें लगता है हम सही व्यक्ति के पास आए है। उन्होंने बताया कि कल हमारे साथ ऐसा अनुभव हुआ था, उन दोनों ने अपनी सारी बात बता दी फिर उस व्यक्ति ने पूछा कि आखिर ऐसा तो संभव नहीं है आप सारी बात मुझे बताइए फिर विशंभर नाथ में अपने साथ घटित हुई लगभग सारी बातें उन्हें बता दी ,सारी बात उन्हें बताने के बाद फिर वह उन्हें समझाने लगा ।किस प्रकार उन्हें एक अघोरी मिला था और उसके बाद उनके साथ क्या-क्या चमत्कार घटित हुए उसके बाद हम लोग एक अघोरी से मिले जिसकी पूजा हमने संपन्न कराने की कोशिश की  थी लेकिन उसकी मृत्यु हो गई।

इस पर तांत्रिक ने कहा जरूर बहुत बड़ी गलती तुम लोगों से हो गई है । साधना तामसिक और बहुत प्रचंड थी शायद वह किसी शमशान की चुड़ैल को जगाने की साधना कर रहा था ,अगर वह चुड़ैल उसकी गुलाम बन जाती तो वह मनचाहा काम उससे करवा सकता था । वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली होती लेकिन उस चुड़ैल ने भी अपना एक मायाजाल रचा और इस बात को समझ ली थी कि उसे सिद्ध कर लिया जाएगा इसलिए उसने ऐसी माया रची ।उसने कुछ सवाल पूछे लेकिन वह सवाल का जवाब तुम लोग नहीं दे पाए मुझे बताओ कि वह सवाल कौन से थे।  फिर विशंभर नाथ ने उन्हें सारी बात बताई तो वह व्यक्ति सोचने लगा और कहां कि  सिद्धि तो तांत्रिक की थी, माता विशंभर नाथ की  होने वाली है क्योंकि उसने अपना रक्त उस कुंड में डाला था और पत्नी वह दीनानाथ की होने वाली थी क्योंकि दीनानाथ ने अपना वीर्य उस कुंड में अर्पित किया था।

अघोरी ने तुम दोनों के साथ साधना संपन्न की थी । उसका फल तुम तीनों को मिलता लेकिन सिद्धि अघोरी के पास रहती । लेकिन फिर भी उस शक्ति का प्रयोग मां  के रूप में शक्ति हेतु विशंभर नाथ को दे सकता था और दीनानाथ को पत्नी के रूप में करा सकता था। अब समस्या यह है कि चुड़ैल एक की मां बन कर के और एक चुड़ैल दीनानाथ की पत्नी बन कर के उसके साथ में रहती है क्योंकि शक्तियां अपना भाग कर लेती है । शक्ति के अब दो भाग हो गए एक भाग ने अघोरी की जान ले ली है और वह अभी भी वही मंडरा रही है मुझे वह स्थान पर तुम दोनों ले चलो, फिर उस तांत्रिक को लेकर के विशंभर नाथ और दीनानाथ उस स्थान पर गए जहां पर वह साधना पूजा संपन्न की गई थी।  

उस जगह को देखने के बाद उस तांत्रिक ने कहा यह जो चुड़ैल है, हालांकि चुड़ैल तो एक ही रूप की ही पैदा हुई थी उसने अपने तीन भाग कर लिए थे, क्योंकि उसे पता था कि उसे तीन जगह कार्य करना है और इसीलिए उसने परीक्षा ली थी । इस प्रकार से वह चुड़ैल तीन भागों में बट गई पहली वाली अभी भी खुली घूम रही है ,वह अपना बदला लेने को उतावली है ,वह तुम दोनों को जान से मार डालने की कोशिश करेगी लेकिन उसके और दो भाग हैं जो एक दिसंबर नाथ के साथ मां के रूप में है और दूसरा दीनानाथ की पत्नी के रूप में है । जब तक कि इस चुड़ैल की बलि नहीं दी जाती है तब तक उन दोनों से भी मुक्ति नहीं पाई जा सकती है इसलिए सबसे पहला काम इसकी मुक्ति है, जो यहां भटक रही है।  

इसकी मुक्ति कराने के लिए यह जरूरी है कि क्योंकि यह मारक है, यह जान से मार सकती है और अगली अमावस से पहले हमें यह कार्य कर देना होगा। विशंभर नाथ और दीनानाथ दोनों डर गए उन्होंने तांत्रिक से कहा जो भी कार्य करना हो वह आप करिए, फिर उस तांत्रिक ने वहीं पर एक शिवलिंग की स्थापना की और उस शिवलिंग पर फूल चढ़ाकर के विशेष तरह का एक यंत्र बनाया ।इस यंत्र को अंततोगत्वा आपको हवन कुंड बना करके इसकी पूर्ण आहुति देनी होगी जिससे वह चुड़ैल जिसने उस अघोरी को मारा है उसकी मुक्ति हो जाए और इस प्रकार सम्मिलित प्रयास से आराधना मंत्रों के जाप के द्वारा और उस स्थान को पवित्र कर दिया गया ।

उस चुड़ैल ने अंतिम आहुति के रूप में कुंड में प्रवेश किया और वह मुक्त हो गई लेकिन अब तांत्रिक ने कहा अभी भी दो चुड़ैल बाकी हैं एक विशंभर नाथ के पास है और एक दीनानाथ के पास है।  विशंभर नाथ के पास जो चुड़ैल है वह इतनी खतरनाक नहीं है जितनी दीनानाथ वाली है, उसके लिए भी मुझे कुछ सोचना पड़ेगा इस प्रकार वह अपने कार्य को करते हुए वह लोग वहां से चले गए।  अगली रात आई एक बार फिर से दीनानाथ के शरीर पर एक चुड़ैल स्त्री के रूप में आकर के उन से चिपक गई बगल में दीनानाथ की पत्नी लेटी हुई थी, उसने दीनानाथ की पत्नी को हवा में उठाकर के पटक दिया ।

हाय हाय मचाती हुई उसकी पत्नी गुस्से से दीनानाथ को बोली तुमने धक्का देकर मुझे बिस्तर से गिरा दिया, दीनानाथ बेचारा क्या बोलता उसे तो सारी बात पता थी।  दीनानाथ ने कहा ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जैसा तुम समझ रही हो, उसकी पत्नी ने कहा नहीं तुमने मुझे हवा में उठा करके जमीन पर पटक दिया है, मेरी तो कमर टूट गई और आज के बाद मैं खाना नहीं बनाऊंगी और उसकी पत्नी यूही उससे तेजी से नाराज हो गई। बेचारा दीनानाथ कुछ बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसे दिख रहा था कि सामने ही एक चुड़ैल खड़ी है। जो लाल साड़ी पहने हुए जिसका मुंह बिल्कुल काला है और जला हुआ सा है वह मुस्कुरा रही है।

दीनानाथ को तांत्रिक ने पहले ही बता दिया था कि किसी भी प्रकार से उस चुड़ैल को बिल्कुल नाराज मत करना क्योंकि यह चुड़ैल तुम्हें अपना पति मानती है और वह किसी दूसरी स्त्री को वहां नहीं देख सकती, बेचारे दीनानाथ के सामने बहुत बड़ी समस्या थी । दीनानाथ करता भी तो क्या करता दीनानाथ ने कहा ठीक है तुम जहां सोना चाहती हो वहां सो जाओ पर मेरे बिस्तर पर मत आना।  पत्नी ने टेढ़ी नजरों से दीनानाथ को देखा और दूसरे बिस्तर पर जाकर सोने चली गई अब वह चुड़ैल उसके बिस्तर पर आ गई, दीनानाथ ने अपनी आंखें बंद कर ली । दीनानाथ जानता था कि वह जो कुछ भी करना चाहेगी उसके साथ वह  करेगी और एक पत्नी के समान वह चुड़ैल उसके साथ ही रहेगी ।

दीनानाथ के पास कोई विकल्प नहीं था क्योंकि तांत्रिक ने इसका कोई उपाय निकाला ही नहीं था कि किस प्रकार से दीनानाथ को उस चुड़ैल से  छुटकारा मिल सकता है। दीनानाथ का जीवन नरक के समान हो रहा था ,वह उसके शरीर के साथ नाखूनों से खेलती थी । दीनानाथ की जिंदगी मृत्यु जैसी हो गई थी, एक ऐसा बकरा जिस पर लगातार तलवार से उसके बाल साफ किए जा रहे थे ।बिल्कुल ऐसी ही स्थिति दीनानाथ के साथ थी किसी तरह वह अमावस की रात कट गई और दीनानाथ ने सुबह उठकर भगवान से प्रार्थना की किसी प्रकार से मेरी यह रात निकल गई और उसने मुझे जान से नहीं मारा सिर्फ और सिर्फ मेरे शरीर के साथ खिलवाड़ करती रही क्योंकि यह सारी शक्ति केवल और केवल अमावस की रात को ही आती थी। इसलिए दीनानाथ के पास अब काफी दिन थे ।

दीनानाथ तुरंत विशंभर नाथ के घर पहुंच गए और दरवाजा खटखटाने लगे ,विशंभर नाथ दरवाजा खोलें और कहने लगे रात भर यार मुझे सोने को नहीं मिला मेरी छाती पर कोई औरत बार-बार कुद कर बैठती थी और मेरा दम निकल जाता था।  मैं जानता हूं कि वह चुड़ैल है और उस चुड़ैल ने मुझे परेशान करके रखा हुआ है । दीनानाथ ने कहा तुम तो फिर भी बहुत ही अच्छे हो तुम्हारा भाग्य बहुत अच्छा है ।वह तो सिर्फ तुम्हारी छाती पर कूदती है मेरी वाली ने तो मेरा जीना हराम कर के रखा है।  जैसा कि पुरुष वह है और स्त्री मैं हूं मेरे शरीर से इस तरह से खिलवाड़ करती है कैसे इस चीज से बचें इसीलिए मैं तुम्हारे पास आया हूं चलो हम लोगों को उस तांत्रिक के पास चलना चाहिए ।

उससे जाकर के बात करनी चाहिए क्या कोई और उपाय नहीं निकाल सकता है जैसे उसने हमें उस भयानक चुड़ैल से मुक्ति दिलाई थी ।अब हम उस चुड़ैल से तो बच गए मेरी वाली से भी मैं अपने आप को बचाना चाहता हूं । मैं चाहता हूं कि इस शक्ति से हमारा बचाव हो जाए क्योंकि मेरी वाली तो मेरे प्राण किसी भी समय ले सकती हैं । कल उसने मेरी पत्नी को बिस्तर से हवा में उठा करके जमीन पर पटक दिया इस वजह से मेरी पत्नी मुझसे नाराज है वह खाना भी नहीं बना रही आज तो मुझे तुम्हारे यहां ही खाना होगा विशंभर ने कहा अवश्य ही भाभी तुम्हारे लिए जरूर खाना बना देगी।

 विशंभर नाथ की पत्नी ने उस दिन दीनानाथ के लिए खाना बनाया क्योंकि दीनानाथ की पत्नी उससे बहुत ज्यादा नाराज थी विशंभर नाथ दीनानाथ को लेकर उसके घर पर लेकर गया और वहां भाभी को समझाया और उनसे कहा किसी कारणवश आप परेशान मत होइए दीनानाथ आजकल कुछ इसी तरह का व्यवहार कर रहा है।  वह जल्दी ही ठीक हो जाएगा इसके लिए आप परेशान ना होइए , तब भाभी ने कहा देखो तुम इन्हें समझा दो इस तरह की हरकत वह दोबारा ना करें वरना मैं अपने मायके चली जाऊंगी ।विशंभर नाथ ने दीनानाथ की तरफ देखते हुए कहा हां हां यह अब ऐसा नहीं करेगा आखिर  दोनों दोस्त करते भी क्या ऐसी समस्या में फंस चुके थे जिसका कुछ भी आधार नहीं था और अजीब सी घटनाएं उनके साथ घटित हो रही थी ।

विशंभर नाथ दीनानाथ को लेकर के उस तांत्रिक के घर पर पहुंचे और फिर से बातचीत शुरू हो गई उसने कहा मुझे लगता है कि इसका उपाय चितावर की लकड़ी है अगर चितावर की लकड़ी को माता काली के मंत्रों से अभिमंत्रित कर लिया जाए तो वह लकड़ी इन शक्तियों को बांध सकती है।  उसके लिए हमें विशेष प्रकार का प्रयोजन करने होंगे। विशंभर नाथ और दीनानाथ ने तांत्रिक की तरफ आशा भरी नजरों से देखा और उनसे कहने लगे कि कोई भी मार्ग हो हम किसी भी कीमत पर, उसको हम करना चाहेंगे क्योंकि इसके अलावा हमारे पास कोई और मार्ग नहीं है । तांत्रिक ने कहा इसके लिए तुम्हें एक मार्ग पर चलना होगा और एक भयंकर परीक्षा देनी होगी अब अमावस की रात में एक बार फिर से तुम दोनों को श्मशान में जाना होगा और वह चितावर की लकड़ी तुम्हें ढूंढ कर लानी होगी।  

वह लकड़ी इतनी आसानी से तुम्हें नहीं मिलेगी उसे प्राप्त करने के लिए तुम्हें विशेष तरह के प्रयत्न करने होंगे।  मैं तुम्हें वह गोपनीय मार्ग बताऊंगा और अगर तुमने वह लकड़ी प्राप्त कर ली तो उसे अभिमंत्रित करके उसकी पूजा उपासना की जाए तो उसके बाद उस लकड़ी को जैसे ही इन चुड़ैलों के ऊपर छोड़ोगे, यह लकड़ी उन्हें लपेट लेगी,दो लकड़िया तुम्हें इस तरह से लेकर आनी होगी । विशंभर नाथ  ने और दीना नाथ  ने कहा ठीक है इस तरह की लकड़ी लाने  का हम विशेष कोशिश करेंगे और जो भी होगा वह हम अवश्य करेंगे ।

इसके बाद कुछ दिनों बाद वह रात आ गई अमावस की रात अब की बार वह दोनों सोने वाले नहीं थे क्योंकि दीनानाथ जानता था अगर वह सो गया तो उसके साथ फिर से वही क्रियाएं होंगी, इसलिए अच्छा है कि आज हम चितावर की लकड़ी ही ढूंढ्ने जाए।  तांत्रिक ने दोनों के गले में रुद्राक्ष की माला पहना दी थी, ताकि चुड़ैलों का असर उन पर काफी कम रहे लेकिन फिर भी उन चुडैलो के असर में वह रहने वाले थे।  

सामने एक विशालकाय श्मशान था और उस श्मशान में वह लोग प्रवेश कर गए रात्रि का पूरी तरह समय हो चुका था, वह लोग आगे बढ़ते जा रहे थे तभी उन्हें ऐसा लगा कि उनके पीछे पीछे पायलों की छनकारें आ रही है।  विशंभर नाथ ने दीनानाथ को कहा क्या तुम्हें भी वह चीज सुनाई दे रही है तो दीनानाथ ने कहा हां हां तुम्हें कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है, मैं तो एक रात में ही समझ गया हूं कि मैं बलि का बकरा हूं, अब मैं सोना नहीं चाहता कुछ भी हो यह रात में सोऊंगा नहीं।  विशंभर नाथ ने दीनानाथ को कहा यहां आज हम को किसी भी तरह से वह चितावर की लकड़ी ढूंढनी ही है।  उस लकड़ी के बिना इन चुड़ैलों को रोकना संभव नहीं होगा और दोनों आगे बढ़ते चले गए आगे क्या हुआ यह हम जानेंगे अगले भाग में।

error: Content is protected !!
Scroll to Top