नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य से चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत आज मैं आज लोगों के लिए लेकर आया एक दुर्लभ और गोपनीय साधना जिसका नाम है अनुरागणी यक्षिणी साधना .यह आपको धन संपत्ति ऐश्वर्य काम सूख प्रदान करने में सक्षम होती है और आपकी समस्त इच्छाओं पूर्ति करती है । यह अत्यंत ही सुंदर होती है तो चलिए जान लेते हैं कि इसकी साधना किस प्रकार से की जाती है और इसकी क्या विधि विधान है तो इसका मंत्र इस प्रकार से हैं-
मंत्र: ॐ ह्री अनुरागिणी मैथुन प्रिये स्वाहा।।
अब मैं आप लोगों को इसकी सिद्धि का विधान बताता हूं । मैंने पहले ही बता चुका था कि इसकी साधना मेरे भाई ने की थी और उन्होंने इसका सामना भी किया था । आप अगर चाहे तो उसे देख सकते हैं । हमारे उस अनुभव को वह अनुरागणी यक्षिणी से मेरा सामना भाग 1 के नाम से वीडियो डाला है । इसकी विधि इस प्रकार से हैं कि साधक एक भोजपत्र पर अनुरागणी यक्षिणी का चित्र बना ले और उसको धूप दीप नैवेद से उसका पूजन करें और उसके मंत्र का एक महीने तक 8000 जाप रोज करें और पूर्णिमा के दिन घी धूप दीपक जलाकर उसका पूजन करें और उसकी साधना करे । रात्रि में अगर वह करता है तो वह स्त्री बनकर उस सुबह पत्नी के रुप में आती है । वह साधक की पत्नी बन कर उसे एक हजार स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती है और उसकी सारी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है ।
जो भी वह चाहेगा वह यक्षिणी उसको पूरी तरह से प्रदान कर देगी यह यक्षिणी रूप अत्यंत ही सुंदर मनमोहक होता है जिसे देखकर कोई भी इनके रूप पर आकर्षित हो जाए और यदि अगर नियम पूर्वक साधना करने पर भी यक्षिणी ना आए तब आप क्रोध मंत्र का भी प्रयोग कर सकते हैं तो मैं आपको क्रोध मंत्र की विधि बता रहा हूं क्रोध मंत्र इस प्रकार से हैं –
क्रोध मंत्र: ॐ हुं फट फट अनुरागिणी यक्षीणी ह्री षं षं हुं हुं फट
आप इसका 8,000 बार जाप करिए अगर फिर भी वह आपके सामने नहीं आती तो उसकी आंखों में बहुत तेज दर्द होगा और वह अपने आंखों के दर्द को सहन नहीं कर पाएगी और उसके दर्द की वजह से उसकी मृत्यु हो जाएगी । क्रोधादिपति उसको घोर नरक में डाल देंगे इस प्रकार आपको एक महीने तक रोज लगातार 8000 मंत्र का जाप करना होगा । जब आपकी साधना का आखिरी दिन यानी जब 30 दिन पूरे होने को हो तब आप उस दिन रात्रि को पूरी रात्रि इसी मंत्र का जाप करेंगे
भैरव भैरवी से बोले कि अब मैं आपको यक्षिणी साधना में प्रयोग होने वाले मुद्रा का प्रयोग बताता हूं और इसकी विधि सिखाता हूं हाथों की मुट्ठी बांधकर और कनिष्ठ उंगली को मिलाकर तर्जनी उगली को विस्तृत कर अंकुशा कृति बनाने से क्रौधाकुशा मुद्रा बनती है। जिससे तीनों लोको को आकर्षित किया जा सकता है और दोनो हाथ की हथेलियों को आपस में मिलाकर बाहर की अनामिका उंगली को तिरछा करें फिर तर्जनी उंगली को कनिष्ठका उंगली के हाथ के भीतर रखते हुए बड़ी मध्यमा उंगली से यक्षिणी का आवाहन करना चाहिए या आवाहन मुद्रा कहीं जाती है।
ॐ ह्री आगच्छ आगच्छ अमुक यक्षिणी स्वाहा।।
इस मंत्र से यक्षिणी का आवाहन करना चाहिए आपको आवाहन मुद्रा या वाम अंगुष्ट से। ॐ ह्री गच्छ गच्छ अमुक यक्षिणी पुनरागन स्वाहा।।
इस मंत्र को बोलकर यक्षिणी का विसर्जन किया जाता है । हाथों की मुट्ठीया बांधकर मध्यमा उंगली को विस्तृत करने से सम्मुख करणी मुद्रा बनती है। यक्षिणी का आवाहन करने के बाद इस मुद्रा का प्रदर्शन करना चाहिए सम्मुख करणी मुद्रा
।। ॐ महालक्ष्मी मैथुनप्रिये स्वाहा।।
एक बार में हाथ की मुठिया बांधकर कनिष्टका उंगली को विस्तृत कर संकुचित करने से सानिध्य करणी मुद्रा बनती है ।
।। मंत्र ओम कामभोगेश्वरी स्वाहा । ।
यक्षिणी के सानिध्य के लिए इसका उच्चारण करना चाहिए अगर साधक को इसकी सिद्धि प्राप्त हो जाती है तो या यक्षिणी अत्यंत ही सुंदर रुप स्वरुप में आकर साधक के साथ संभोग करती है और उसे धन संपत्ति प्रदान करती है साधक एक बार में दोनों हाथ की मुठिया बांधकर
।। ओम ह्रिं ह्रदयाय नमः।।
का जाप करे मुठी को वक्ष स्थल पर रखें इस प्रकार से मुट्ठी बांधकर तर्जनी और मध्यमा उंगली को विस्तृत करने से प्रमुख मुद्रा बनती है इस मुद्रा को को बनाकर
।।ओम ॐ सर्वमनोहरणी स्वाहा।।
मंत्र का जाप करते हुए साधक यक्षिणी का फूल गंध से पूजन करें पर आपको इसमें एक विशेष बात का ध्यान रखना होता है कि यक्षिणी साधना से एक महीने पहले तक आपको भगवान शिव और कुबेर भगवान की पूजा आराधना करनी होगी कुबेर का इस मंत्र से आपको उनकी साधना करनी होगी कुबेर देव का मंत्र किस प्रकार से
मंत्र ओम यक्ष राज नमस्तुभ्यं शंकर प्रिय बांधव एकमी वश मान नित्य यक्षिणी कुरुते नमः
इसकी साधना की एक और अत्यंत गोपनीय विधि है जो मेरे इन्स्टामोजो पीडीएफ़ मे आपको मिलेगी कृपया उसका भी अवलोकन जरूर करे । साधना लिंक- अनुरागिनी यक्षिणी साधना पीडीएफ़
और जब आप इस साधना में सफल हो जाए और आपको सिद्धि प्राप्त हो जाए तब आप इस साधना से सभी का भला करे । सभी के कष्टों को दूर करें उनकी सहायता करें और लोक कल्याण की भावना से सदभावना से परोपकार करते हुए ईश्वर की अराधना उपासना करें ताकि आपका परलोक भी न बिगड़े ।इस् प्रकार से अगर आप यह साधना करेंगे ब्रहमचर्य का पूर्ण रुप से पालन करते हुए तो आपको निश्चित रूप से सफलता की प्राप्ति होगी अगर आपको यह साधना पसंद आई है तो धन्यवाद।।