अनुरागिनी यक्षिणी से मेरा सामना भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका स्वागत है जैसा कि हमारी कहानी चल रही है अनुरागिनी यक्षिणी के साथ मेरा सामना यह एक सच्ची घटना है तो चलिए जानते हैं कि आगे क्या हुआ यक्ष और जिंन का संबंध मे । अब मैं यह सोचने लगा कि मैंने जो देखा वह सब मेरे मन की कल्पना थी या फिर सच में ऐसी जगह है यही सोचते हुए 3 दिन और बीत गए लेकिन कोई अनुभव नहीं हुआ । फिर जिस दिन अमावस थी उस रात फिर एक विचित्र स्वप्न आया सपने में किसी अदृश्य शक्ति ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे उड़ा कर ले गई इतनी तेज गति कि कब मैं पृथ्वी पार कर अंतरिक्ष में पहुंचा और फिर वहां से एक अनोखी धरती जहां फिर वही सफेद धुआं चारों ओर फैला था और पहली बार उस अति सुंदर स्त्री को देखा जो मेरा हाथ पकड़े हुए थी ।
क्या रंग और रूप था उसका, अद्भुत सुंदर रूप था । गोल चेहरा बड़ी आंखें अति सुंदर मुख था उसका मैं उसे देखता रहा तो वह मुस्कुराई और कही मैं तुम्हें अपना संसार दिखाने लाई हूं देखो उसने मुझे पहले एक जंगल दिखाया वहां केवल पक्षी थे । परंतु सब मानव की ऊंचाई के थे । किंतु विचित्र बात यह थी कि सभी बोलते थे और उनकी भाषा सभी समझते थे । मैं यह देखकर बहुत खुश हुआ और वह बोली चलो दोनों राजकुमार मिलने वाले हैं वहां चलो मैं वही लेकर चलती हूं तुम्हें ।फिर हम वहां गए और गोल गड्ढे के बने हरे रंग के सोफो को देखा जिस पर दो बड़े विचित्र डील डौल और भयानक आदमी देखें । मैंने कहा है यह दोनों कौन है उसने कहा कि एक अशरफी जिनं है और दूसरा कालू जिन्न । मैं आश्चर्य में था कि ऐसा तो हमारे यहां होता है कि एक मुसलमान और दूसरा हिंदू क्या यहां भी ऐसा है तो उसने कहा अशरफी और कालू दोनों सगे भाई है बस दोनों में इतना ही अंतर है कि अशरफी पूरी तरह आग का बना है और जबकि कालू आग और हवा दोनों का बना है ।
पर उसकी बात कुछ पल्ले नहीं पड़ी फिर उसने मुझे अशरफी की पत्नी दिखाई जिसने मुस्लिम औरतों की तरह बुर्का पहना हुआ था लेकिन बुर्खा चमकीला सफेद रंग का था । वह अशरफी के लिए सुराही में कुछ लेकर आई थी फिर अनुरागिनी ने मुझसे कहा कि इसका नाम अशरफी इसलिए है क्योंकि यह सोने की अशरफी सबको देता है और तुम्हारी दुनिया के कई लोग इसे बुला लेते हैं ।यह उनको सोना दे देता है और फिर कालू क्या करता है मैंने पूछा ? उसने कहा यह भी सोना देता है मगर जमीन में गड़ा हुआ । हम सब कुछ ना कुछ धन जरूर देते हैं मगर शर्त यही है कि हम को सिद्ध किया गया हो जिसकी विधि हम स्वयं नहीं बताते यह तुम इंसानों को खुद ही जानी होती है ।मैंने यह सब तुम्हें इसलिए दिखाया क्योंकि मैं चाहती हूं कि तुम मुझे सिद्ध करो क्योंकि तुम्हारे अंदर बहुत उर्जा आ गई है ।मां दुर्गा की उपासना से ।
उनको छोड़कर मेरी पूजा करो मैं तुम्हें सब कुछ दूंगी और तुम्हारी प्रेमिका बनकर अद्भुत शारीरिक सुख प्रदान करूंगी जैसा कोई भी तुम्हारे लोक की स्त्री नहीं दे पाएगी । इतना कहकर वह मुझे एक कमरे में ले गई जहां एक गोल तरह का बिस्तर था और कमरे में चारों तरफ हीरे लगे चमक रहे थे । उसने मुझे बिस्तर पर बिठाया और नग्न हो गई परंतु जैसे ही उसने मुझे गले लगाया एक भयानक सिंह उस पर लपक पड़ा जिससे वह डरकर भाग गई वह सिंह मेरे पास आया और बोला चलो यहां से कहां फंस रहे हो और इतना कह के उसने छलांग लगा दी और मैं उसके साथ उड़ने लगा फिर गिरता हुआ अचानक मेरी आंख खुल गई देखा फिर सुबह के 7:00 बज गए थे मुझे बस यही समझ में आया कि मां दुर्गा शायद यह नहीं चाहती इसलिए ही वह शेर आया था आगे क्या हुआ अगले भाग में हम जानेंगे-