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अनुरागिनी यक्षिणी से मेरा सामना भाग 3

अनुरागिनी यक्षिणी से मेरा सामना भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य  में आपका एक बार फिर से स्वागत है जैसा कि हमारी कहानी चल रही है अनुरागिनी यक्षिणी से मेरा साधना अब हम आगे का भाग जानेंगे तीसरा भाग – अब स्थिति ऐसी हो गई थी कि रोज ही स्वप्न में आने लगी थी । वह मेरे साथ खेलने लगी थी दिन में जिस भी सुंदर लड़की को मैं देखता हूं वह उसका ही रूप लेकर रात को आती थी । एक दिन मैंने सोचा अगर यह सपने सच है और मुझे याद भी रहते हैं तो क्यों ना यक्षिणी की परीक्षा ली जाए और मैंने तब अब सपने में यक्षिणी के आने के बाद उससे पूछा कि आप अगर सच में हो तो आप प्रत्यक्ष क्यों नहीं दिखती हो ?

उसने कहा तुम्हारी तरह हमारा शरीर नहीं बना हुआ है इसलिए मैं सिर्फ सपने में ही आती हूं । मैंने दूसरा सवाल पूछा कि आप क्या प्रत्यक्ष हो सकती हो ? उसने कहा सिर्फ एक ही तरीके से जब तुम या कोई और हमें सिद्ध कर ले तो हम उसे प्रत्यक्ष दिख सकती हैं ऐसा केवल मंत्रों से ही संभव है ।

पत्नी रूप में ही सिद्ध होना हमें ज्यादा पसंद आता है क्योंकि संभोग सुख हमें भी पसंद होता है और इससे तुम्हारी कुंडली शक्ति की ऊर्जा हमें आसानी से तुम्हारे लिंग के माध्यम से हमें प्राप्त हो जाती है । इसीलिए चाहे वह अप्सरा हो यक्षिणी या कोई और सभी संभोग करना पसंद करती है । यही वास्तविक रहस्य है । मैं अचरज में था फिर मैंने पूछा, अच्छा तो अगर यह सब सत्य है तो हमारे जीवन के बारे में आगे कुछ बता सकती हो जिससे यह सिद्ध हो कि आप में शक्ति है और मेरा देखा हुआ सपना सही था ।

तो उसने कहा क्यों नहीं अब जब तुम उठोगे तो शाम के 4:00 बजे होंगे तुम्हारे पिता दूसरे नंबर की बस से उतरेंगे और उतरने वालों में उनका नंबर तीसरा होगा और चूकी तुमने सीपीएमटी एग्जाम दिया है वह उसके नंबर तुम्हें बताएंगे जिसमें तुम्हारे नंबर 135 आए हैं और जिस वजह से तुम केवल बीडीएस में ही काउंसलिंग करा पाओगे सच में उस दिन उठने के बाद वह सारी बातें सच हुई थी आगे की सच्ची कहानी अगले चौथे भाग में-

अनुरागिनी यक्षिणी से मेरा सामना 4 अंतिम भाग

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